रूबी के साथ चुदाई के वो यादगार पल

(Rubi Ke Sath Chudai Ke Vo Yadgar Pal)

हैलो दोस्तो, क्या हाल हैं.. मेरा नाम दीपू है.. मूलत: मैं दार्जीलिंग से हूँ.. पर यह घटना मुंबई में हुई थी।
मैं आप सभी को बता दूँ कि यहाँ मैंने अपने बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बताया है.. सो मेरे बारे में ईमेल करके सीधे मुझसे पूछ सकते हैं।

मैं इस साइट पर कम आ पाता हूँ.. क्योंकि टाइम नहीं निकाल पाता हूँ पर मुझे यह साईट बहुत पसंद है।
आप लोगों की कहानियाँ पढ़कर बहुत ही मज़ा आता था। मैं अपने आपको रोक नहीं पाया हूँ.. तो सोचा मैं भी अपनी रियल कहानी लिख डालूँ।

आप लोगों को बताना चाहता हूँ दोस्तो.. कि मैं दुनिया का बहुत बड़ा चुदक्कड़ हूँ.. पर क्या करूँ.. मेरे जैसा बदनसीब भी दुनिया में शायद कोई नहीं होगा।
मैं आज तक किसी को पटाकर उसकी चुदाई नहीं कर पाया.. क्योंकि जिसको भी चोदना चाहता था.. कोई न कोई काम निकल आने की वजह से उसे नहीं चोद पाया था।

उसके बाद मैंने अपना वो व्यस्तता वाला काम ही छोड़ डाला और एक नया जॉब पकड़ लिया।
उसके बाद मैं गाँव गया.. फिर एक महीने बाद वापस मुंबई आया और एक कमरा किराए पर ले लिया।

उसके बाद मैंने नई प्लानिंग बनाई.. वो प्लान था रॉंग नम्बर को कॉल करना.. मैं इस स्कीम को चालू किया।
जब मेरी ड्यूटी खत्म होती.. तो मैं कॉल लगाना चालू कर देता। इसी तरह फ़ोन करते-करते छह महीने बीत गए।

एक दिन एक लड़की इसी तरह फोन पर मिली.. जिसका नाम था रूबी।
रूबी से बातचीत शुरू हुई..

‘हैलो.. यह नम्बर कहाँ लगा है?’
रूबी- हैलो.. कौन है.. किसको चाहिए?
मैं- जी आपका नाम क्या है?
रूबी- मेरा नाम रूबी है.. आप कहाँ से हो?
मैं- जी.. मैं मुंबई से बोल रहा हूँ।
रूबी- क्या करते हो जी?
मैंने कहा- मैं जॉब करता हूँ।

फिर उससे बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.. तो लगातार चलता रहा।
एक दिन जब उससे मेरी बात हो रही थी.. तो उसने मुझसे पूछा।

रूबी- हैलो.. उधर मेरे लायक कोई काम मिलेगा?
मैं- हाँ जरूर मिलेगा.. पर तुम्हें क्या काम आता है?
उसने कहा- जी मुझे खाना बनाना आता है।
मैं- ओके.. मिलेगा.. लेकिन आपको मेरा खाना बनाना पड़ेगा.. मंजूर है?

वो मान गई.. बातचीत के तीन महीने बाद मैंने उसे तिलक नगर स्टेशन लेने पहुँच गया।
दोस्तो, उसकी साइज़ 30-32-30 की रही होगी.. बड़ा मस्त माल थी वो..
उसे लेकर मैं अपने कमरे में आ गया। अब मैंने कमरे में उसके लिए बिस्तर लगाया.. काफी रात हो गई थी तो मैं सो गया।

सुबह हुई.. तो मैं अपने काम पर निकल गया.. शाम को वापस कमरे में आया तो बिजली गुल थी।
उस रात सोना मुश्किल हो गया, मैंने उसे खटिया पर लेटने को कहकर.. मैं नीचे लेट गया।

नींद ही नहीं आ रही थी.. फिर रात को दस बजे उठ कर मैंने खाना-पीना खाया।
उसके बाद फिर सोने की तैयारी करने लगे।
लाइट नहीं थी दोस्तो.. उस रात लाइट ही नहीं आई..

मैं किसी तरह सो गया और रात को एक बजे उसने आवाज़ लगाई।
मैं जाग गया.. वो कहने लगी- मेरा पेट दर्द हो रहा है।
मैंने पूछा- किस तरफ हो रहा है?
उसने कहा- पेट के निचले हिस्से में।

फिर मैं हाथ से उसके पेट के निचले हिस्से में थोड़ी-थोड़ी मालिश करने लगा.. तो वो शान्त हो गई।

मैं फिर लेट गया.. पाँच मिनट बाद फिर कहने लगी- मेरी पीठ पर किसी चीज़ ने काट लिया है।
मैंने पूरा हाथ उसकी कुर्ती के अन्दर डालकर सहलाने लगा।

मैंने जैसे ही उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरा.. मेरा 8″ का लण्ड इतने उफान पर आ गया था कि क्या कहूँ।
पहली बार जब किसी को कोई लड़की मिलती है.. तो उसका क्या हाल होता होगा.. आपको तो पता ही होगा।

मैंने कुछ देर बाद अपना हाथ निकाल लिया तो कहने लगी- दीपू जी.. कुछ देर और कीजिए ना.. मुझे नींद नहीं आ रही है।

मैं उससे बात करने लगा.. तो बोली- थोड़ा सामने आइए ना..

मैंने उसकी पीठ को सहलाने के साथ साथ उससे बात करने के लिए उसके आगे आ गया और उसको एक तरह से अपनी बाँहों में लेकर उसकी पीठ को सहलाने लगा। साथ ही उससे बात भी कर रहा था।

हम दोनों एकदम करीब थे तो हमारी गरम साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।
वो बोली- जरा जोर से करो न..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तो मैंने उसकी कुर्ती को ऊपर करने की कोशिश की उसने भी अपने हाथ उठा दिए और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी।
इसी तरह बात करते-करते हम कब नंगे हो गए.. हमें पता ही नहीं चला।
मैं उसे चूमने लगा.. उसको चूमते हुए मैं इतना कामातुर हो उठा था कि उसको कुछ करने का मौका ही नहीं दिया।

मैंने उसको बिस्तर पर गिरा दिया और अपना लण्ड सीधा उसकी तपती हुई चूत में पेल दिया।
वो घबराने लगी और कहने लगी- आपने सीधे क्यों किया.. कम से कम कन्डोम तो लगा लेना था।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा..

तो वो रोने लगी.. उस रात तो मैंने ऐसे ही चोद दिया।
दूसरे दिन कहने लगी- आज फिर से मेरी मार ही दो.. और जितना दिल करे मुझे चोद दो।
तो मैंने उसको जबरदस्त चोदा।

दोस्तो, वो मस्त मलाई माल थी, उसके साथ चुदाई करते-करते मैं अपनी ड्यूटी जाना भूल जाता था।
फिर मैंने उसके साथ चुदाई के लिए एक महीने की छुट्टी ले ली।

वो मुझसे लगता महीने भर चुदाई करवाती रही और मैंने भी मस्त माल पाकर दिन कम से कम 6 बार तो उसे चोद ही लेता था।

फिर क्या था छह महीने चुदाई करने के बाद उससे कुछ खटपट होने के कारण मैं अपने गाँव चला गया और वो भी वापस जहाँ से आई थी.. वहीं चली गई।
आज वो कहाँ है.. मुझे नहीं पता है।

उसके साथ जबरदस्त चुदाई हुई..पर उसने एक बार भी अपनी चूत चाटने नहीं दी.. लेकिन मैं उसकी चूत चाटना चाहता था.. जो मेरी इच्छा अधूरी रह गई।
अब वो नहीं है तो बड़ा फीका सा लग रहा है।

मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा।
मेरा ईमेल आईडी है।
[email protected]

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