जिस्मानी रिश्तों की चाह -10

(Jismani Rishton Ki Chah- Part 10)

जूजाजी 2016-06-24 Comments

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सम्पादक जूजा

मुझे पता था कि अगर मैंने यह बात शुरू कर दी… तो अम्मी सारा दिन ही गुजार देंगी। हरेक बंदे के बारे में मालूम करके ही सुकून से बैठेंगी। इसलिए ये बात सलमा खाला के सिर डाल कर मैंने बात ही खत्म कर दी।
दोनों बहनों को बातें करने का भी बहुत शौक है.. आपस में सब मालूमत का तबादला भी कर लेंगी।

मैं उठा ही था कि अम्मी ने हुकुम दिया- मेरे कमरे से बुर्क़ा ला दे.. मैं अभी जाती हूँ सलमा के पास..
मैंने बुर्क़ा ला कर दिया और पूछा- अब्बू कहाँ हैं..??

अम्मी बताने लगीं- तुम्हारे अब्बू को तो ऑफिस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं.. आज इतवार था.. छुट्टी आराम करने के लिए होती है.. लेकिन उनके ऑफिस वालों ने कोई पार्टी अरेंज की हुई है.. जिसमें फैमिली लंच और कोई मैजिक शो का इंतज़ाम भी है.. जो रात तक चलेगा।

मैंने अम्मी से सिर्फ़ अब्बू के बारे में ही पूछा था लेकिन उन्होंने हस्बे-आदत सब का बताना शुरू कर दिया।

साथ ही यह भी बता दिया कि वो निकम्मी हनी भी मैजिक शो का नाम सुन कर उनके साथ जाने को तैयार हो गई, उसे भी साथ ले गए हैं.. और रूही की तो ये मुई पढ़ाई ही जान नहीं छोड़ती। कोई थीसिस लिख रही है.. सुबह 9 बजे ऊपर जाती है स्टडी रूम में.. तो रात तक वहाँ ही होती है।

आगे बोली- अभी तुम्हारे आने से एक मिनट पहले ही ऊपर गई है। मैं अपने घुटनों के दर्द की वजह से ऊपर जा नहीं सकती। बस नीचे से आवाजें मारती रहती हूँ। कभी सुन ले तो जवाब दे देती है.. नहीं तो खुद ही खामोश हो जाती हूँ और अब तो उसने घर में भी अबया पहनना शुरू कर दिया है.. 24 घंटे अबया पहने रहती है।

अम्मी ने रूही आपी के बारे में जो बात कही.. उसने मेरे दिमाग में लाल बत्ती जला दी थी।

ये बात खत्म करने तक वो बुर्क़ा और नक़ाब पहन चुकी थीं। मुझे हाथ से दरवाज़ा बन्द करने का इशारा करते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी।

मैंने उनके पीछे चलते हुए कहा- आप ऑटो लॉक क्यूँ नहीं लगा कर जाती हैं, कुल 6 नंबर का तो कोड है.. 6 बटन ही दबाने होते हैं ना।
तो वो बाहर निकलते हुए चलते-चलते बोलीं- जब तुम लोगों में से कोई पास नहीं होता.. तो खुद ही लॉक करती हूँ। अब बंद कर लो दरवाजा और घर का ख़याल रखना, मैं खाना सलमा के पास ही खाकर आऊँगी।

अम्मी के जाने के बाद मैंने दरवाज़ा लॉक किया और ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।
मैं ऊपर आखिरी सीढ़ी पर था जब मैंने आपी को स्टडी रूम से निकलते देखा, वो निकल कर स्टडी रूम का दरवाज़ा बंद कर रही थीं।
पहली ही नज़र में मैंने जो चीज़ नोटिस की.. वो सना आपी का गहरे काले रंग का सिल्क का अबया था.. जिसकी लंबाई इतनी थी कि आपी के पाँव भी उसी अबाए में ही छुपे हुए थे और स्लेटी रंग का स्कार्फ उन्होंने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाँध रखा था।

मैं बगैर कुछ सोचे-समझे दबे पाँव नीचे की तरफ चल पड़ा।

मैं आपी का सामना नहीं करना चाह रहा था। नीचे पहुँच कर मैं डाइनिंग हाल में ही खड़ा हो गया और आपी के नीचे आने का इन्तजार करते हुए अपनी सोच में अपने आपको सिरज़निश करने लगा कि आपी वाक़यी स्टडी रूम में होती हैं और मैं अपनी सग़ी बहन.. अपनी पाकीज़ा और लायक बहन के बारे में कैसी बातें सोच रहा हूँ।

दो मिनट बाद मैंने सोचा कि आपी को अब तक नीचे आ जाना चाहिए था और इसी सोच के साथ ही मैंने ऊपर की तरफ अपने क़दम बढ़ा दिए।
ऊपर पहुँच कर मैंने पहले स्टडी रूम के दरवाज़े को देखा.. लेकिन वो बाहर से लॉक था।
फिर मैंने अपने कमरे के दरवाज़े पर दबाव डाल कर देखा लेकिन वो अन्दर से लॉक था।

मैं स्टडी रूम की तरफ गया और खिड़की के रास्ते शेड से होता हुआ अपने कमरे की खिड़की तक पहुँच गया और मैंने नीचे झुके-झुके ही खिड़की पर दबाव डाला। वो हमेशा की तरह आज भी अनलॉक ही थी। मैंने अन्दर नज़र डाली तो रूम खाली था। लेकिन उसी वक़्त बाथरूम का दरवाज़ा खुला और रूही आपी बाहर आईं और सीधी कंप्यूटर की तरफ बढ़ गईं।

उनकी बेताबी.. उनके हर अंदाज़ से ज़ाहिर थी। वो कुर्सी पर बैठीं और कंप्यूटर ऑन करने के बाद डाइरेक्ट हमारे पॉर्न मूवीज वाले फोल्डर तक पहुँची और उन्होंने एक मूवी ओपन कर ली। जब मूवी ओपन हुई तो मैंने देखा ये मूवी नंबर 109 थी और हमारे कम्प्यूटर में टोटल 111 मूवीज थीं।

जिसका मतलब ये था कि आपी ने पिछले 5 दिनों में तकरीबन सारी ही मूवीज देख डाली थीं।
अब मूवी स्टार्ट हो चुकी थी और एक जोड़ा किसिंग कर रहा था!

जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. आपी की साँसें तेज होती जा रही थीं।
मैंने भी अपने लण्ड को पैंट की क़ैद से आज़ाद कर दिया था और बिल्कुल हल्के हाथ से सहला रहा था।

आपी ने भी अपने एक हाथ से अपने सीने की उभरी चट्टानों को नर्मी से सहलाना शुरू कर दिया था और कभी-कभी आपी अपने एक मम्मे को अपने हाथ में भर कर ज़ोर से दबा भी देती थीं।

आपी के सीने के उभार बगैर दुपट्टे के देख कर मेरी बुरी हालत हो गई थी।
आपी ने अब दोनों हाथों से अपने दोनों मम्मों को बहुत ज़ोर से मसलना और दबोचना शुरू कर दिया था। अज़ीयत और मुकम्मल संतुष्टि ना मिलने का भाव आपी के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था। उनकी अजीब सी हालत थे.. उन्होंने अपने निचले होंठ को बहुत मजबूती से दाँतों में दबा रखा था।

अचानक आपी ने अपने दोनों हाथ सिर से सीधे ऊपर उठाए और एक अंगड़ाई ली और अपने हाथों को सिर पर रख के अपने स्कार्फ को लगभग नोंच कर उतारा और अपनी राईट साइड में उछाल दिया.. साथ ही अपने बाल खोल दिए।

मुझे नहीं याद था कि होश संभालने के बाद मैंने कभी अपनी आपी के बाल देखे हों। आपी के बाल खुल गए थे और कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद ज़मीन तक पहुँच रहे थे। मूवी में अब एक लड़की सीधी लेटी हुई थी और उसने अपनी चूत को अपने राईट हैण्ड से छुपा रखा था और लेफ्ट हैण्ड की बड़ी उंगली से इशारा करते हुए लड़के को अपनी तरफ बुला रही थी।

लड़का अपने लण्ड को हाथ में पकड़े उसकी तरफ बढ़ रहा था और फिर अगले ही लम्हें वो लड़का.. उस नंगी लड़की के टाँगों के दरमियान बैठ गया। अब उसने अपना हाथ लड़की के उस हाथ पर रखा.. जिस हाथ से चूत छुपी हुई थी और उसके हाथ को हटाते ही फ़ौरन अपना मुँह उस लड़की की चूत से लगा दिया।

उसी लम्हें आपी ने एक ‘आह..’ भरी और अपने लेफ्ट हैण्ड को कपड़ों के ऊपर से ही अपनी टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रखा और उस जगह को ज़ोर से दबोच लिया। साथ ही वे दूसरे हाथ से अपने लेफ्ट दूध को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगीं।

मैं अपनी सग़ी बड़ी बहन का यह रूप देख कर बिल्कुल दंग रह गया।

आपी कुछ देर तक यूँ ही अपने लेफ्ट दूध को दबाती रहीं और टाँगों के बीच वाली जगह को दबोचती और ढीला छोड़ती रहीं।

अब स्क्रीन पर सीन चेंज हो गया था.. वो लड़की सीधी लेटी थी.. उसने अपनी टाँगें फैला रखी थीं और लड़का उसकी टाँगों के दरमियान उस पर पूरा झुका हुआ लड़की के होंठों को चूस रहा था और लड़की की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था।

कैमरे का व्यू पीछे का था इसलिए लण्ड का अन्दर-बाहर होना क्लोज़-अप में दिखाया जा रहा था। साथ ही लड़के की गाण्ड का सुराख भी वज़या नज़र आ रहा था.. तभी स्क्रीन पर इसी आसन में एक और लड़के की एंट्री हुई और उसने अपने लण्ड की नोक को लड़के की गाण्ड के सुराख पर टिकाया और एक ही झटके में तकरीबन आधा लण्ड अन्दर उतार दिया।

इस सीन को देखते ही आपी के मुँह से एक तेज ‘अहह..’ निकली और उन्होंने अपनी टाँगों के बीच वाले हाथ को उठाया और ज़ोर-ज़ोर से 2-3 दफ़ा उसी जगह पर ऐसे मारा.. जैसे थप्पड़ मार रही हों और फिर ज़ोर से उस जगह को दबोच लिया। ऐसा लग रहा था कि इस सीन ने उन पर जादू सा कर दिया था.. उनका हर अमल इस सीन की पसंदीदगी की गवाही दे रहा था।

आपी ने अपनी टाँगों के दरमियान से हाथ उठाया और थोड़ा झुक कर अपने अबाए को बिल्कुल नीचे से पकड़ा और ऊपर उठाने लगीं.. आपी का अबया उनके घुटनों तक उठा.. तो मुझे हैरत का एक शदीद झटका लगा। आपी ने अबाए के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था.. मतलब आपी अबाए के अन्दर बिल्कुल नंगी थीं।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरी बड़ी बहन.. मेरी आपी जो पूरे खानदान में सबसे ज्यादा बा-हया समझी जाती थीं.. और सब लोग अपनी बहनों बेटियों को मेरी इस बहन की मिसालें दिया करते थे।

मेरी वो बहन सारा दिन घर में अबाए के अन्दर नंगी रहती है.. उफफफफ्फ़.. इस सोच ने मेरे जिस्म को गरमा के रख दिया था।

मैं पहली बार अपनी सग़ी बहन की टाँगों का दीदार कर रहा था। आपी की पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत और सुडौल थीं। उनके घुटने इतने मुतनसीब और प्यारे थे कि आप किसी भी फिल्म की हीरोइन से कंपेयर करें तो मेरी बहन के पैर ही खूबसूरत लगेंगे।

यह वाकया जारी है, आपसे गुजारिश है कि अपने ख्यालात कहानी के अंत में अवश्य लिखें।
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