chudai ki kahani

चुदाई की कहानी हिंदी में, मजेदार हर तरह की सेक्स से भरपूर मनोरंजक स्टोरीज,
Hindi chudai kahani padh kar maja len!
General Sex Stories in hindi

मेरी मुनिया उसका पप्पू-2

By जीत शर्मा On 2011-01-02 Tags:

लेखक : जीत शर्मा वो अचानक बेड से उठा और कमरे से बाहर जाने लगा। मैंने सोचा शायद मज़ाक कर रहा है। अभी वापस आकर मुझे अपने आगोश में ले लेगा। मैं इसी तरह बेड पर पड़ी रही। एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और एक हाथ से अपनी पेंटी के ऊपर से […]

मेरी मुनिया उसका पप्पू-1

By जीत शर्मा On 2011-01-01 Tags:

लेखक : जीत शर्मा दोस्तो ! यह कथा मेरी कहानियों की एक पाठिका सिमरन कौर की है जिसकी अगले महीने शादी होने वाली है। उसने अपनी एक समस्या के बारे में मेरी सलाह माँगी है। मैंने इस सम्बन्ध में अपने मित्र प्रेम गुरु से चर्चा की थी, उन्होंने मुझे समझाया कि आजकल के पाठक बहुत […]

लण्ड की प्यासी-3

By सुनील कश्यप On 2010-12-08 Tags:

प्रेषक : सुनील कश्यप मुझे महसूस हुआ कि वह अब झड़ने वाली है। अब वह बोलने लगी- सुनील, मैं झड़ रही हूँ, हे भगवान् ! आह.. आआ… उम्म….ह्ह… सुनील मैं झड़ने वाली हूँ। और यह कहते हुए वह कुछ देर के लिए मछली की तरह तड़पने लगी। अब मैंने उसके पैरों को थोड़ा फैलाया और […]

लण्ड की प्यासी-2

By सुनील कश्यप On 2010-12-07 Tags:

प्रेषक : सुनील कश्यप मैं कुछ देर तक उसके होंठों को चूमता रहा और चूचियों को दबाता रहा और वह बस ऊम्म्म…. उफ्फ…उम्म की आवाजें निकालती रही। फिर मैंने उसके टॉप को और उसकी जींस को उसके बदन से अलग किया। उसने काली ब्रा-पैंटी पहन रखी थी जो उसके गोरे बदन पर एकदम कमाल लग […]

लण्ड की प्यासी-1

दोस्तो, मेरा नाम सुनील कश्यप है, मैं मुंबई में रहता हूँ। जिन लोगो ने मेरी कहानियाँ पढ़ी होगी उन्हें मेरे बारे में जानकारी होगी। मुझे आप लोगों के ढेर सारे इमेल मिले और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आपको मेरी कहानियाँ बहुत पसंद आ रही हैं। बस आपका यही प्यार और उत्साह मुझे […]

पार्टी की रात

By kmrgaurav1984 On 2010-12-01 Tags:

प्रेषक : गौरव कुमार दोस्तो, आप सबको प्यार भरा नमस्कार ! मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ तो सोचा कि आज मैं भी अपने बारे में लिखूं। मेरा नाम गौरव कुमार है, मैं नॉएडा में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊँचे पद पर काम करता हूँ। मेरी दोस्ती तो कई लड़कियों से हुई लेकिन ज्यादा कुछ […]

सम्भोग प्रबन्धन-2

By लवगुरु खान On 2010-11-29 Tags:

सबसे पहले मैं अन्तर्वासना का धन्यवाद करूँगा जहाँ मेरी कहानी सम्भोग प्रबन्धन प्रकाशित हुई। मैं पाठकों का धन्यवाद करना चाहूँगा, जिनके मुझे काफी प्यार भरे मेल आए। पिछली कहानी में मैंने बताया था कि कैसे मैंने अपना कुंवारापन खोया, लेकिन कॉलेज ख़त्म होने के बाद उसने तो आई ऍम टी गाज़ियाबाद में दाखिला ले लिया […]

चूत की आग के लिए मैं क्या करती-8

प्रेषिका : सुरभि तिवारी सुनील आ गया। मैंने उन दोनों का परिचय करवाया। खाना बना हुआ था, हमने साथ बैठ कर खाना खाया। बात करते हुए मैंने सुनील से कहा- सुनीता मेरी अच्छी दोस्त है, इसके पति सेक्स नहीं करते हैं ठीक से इसके साथ ! सुनील- अरे इतनी खूबबसूरत बीवी के साथ सेक्स नहीं […]

कॉलेज की साथी

प्रेषक : नवजोत सिंह दोस्तो, मैं भी अन्तर्वासना के लाखों चाहने वालों में से एक हूँ। मैंने यहाँ सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, हर कहानी को पढ़ने के बाद में अपने लंड से पानी जरूर निकालता हूँ। मेरा नाम है राजू, मेरा कद 6 फीट है और पंजाब का रहने वाला हूँ। यह मेरी पहली सेक्स […]

लूट का माल

फ़ुलवा हरजीत सिंह ज्यों ही कमरे में दाखिल हुआ, सन्तो पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तर्रार आँखों से उसकी तरफ घूरकर देखा और दरवाजे की कुण्डी बन्द कर दी। रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे। शहर का वातावरण एक अजीब रहस्यमयी खामोशी के आगोश में था। सन्तो पलंग पर पालथी मारकर बैठ गई। हरजीत […]

खूबसूरत खता-2

By ysharma013 On 2010-10-18 Tags:

प्रेषिका : निशा कुणाल दो मिनट तक ऐसे ही यामिनी के होंटो को चाटता और चूसता रहा… जब दोनों की सांसें फूलने लगी तो कुणाल ने यामिनी के गुलाबी लबों से अपने होंटों को अलग किया। यामिनी कुणाल के अलग होते ही ज़ोर से हाँफने लगी उसकी साड़ी का पल्लू नीचे होने की वजह से […]

खूबसूरत खता-1

By ysharma013 On 2010-10-17 Tags:

प्रेषिका : निशा “डार्लिंग ! आज तो बहुत सेक्सी दिख रही हो ! किस पर कयामत गिराने का इरादा है?” गिरीश ने अपनी पत्नी को देखकर हंसते हुए कहा जिसे वो अपने बॉस की पार्टी में अपनी कार में ले जा रहा था। “धत्त ! आप भी ना !” यामिनी ने शरमा कर अपने पति […]

तीन सहेलियाँ

फ़ुलवा “और बता क्या हाल है?” “अपना तो कमरा है, हाल कहाँ है?” “ये मसखरी की आदत नहीं छोड़ सकती क्या?” “क्या करूँ? आदत है, बुढ़ापे में क्या छोड़ूं? साढ़े पांच बज गए शैला नहीं आई?” “बुढ़ऊ झिला रहा होगा।” “तू तो ऐसे बोल रही है, जैसे तेरे वाले की जवानी फूटी पड़ रही हो।” […]

यह कैसा मोड़-2

By विजय पण्डित On 2010-10-03 Tags:

प्रेषक : विजय पण्डित “यह तो गार्डन है… किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी होगी…” “तो फिर…?” “मौका तलाशते हैं… किसी होटल में चलें…?” “अरे हाँ… मेरी सहेली का एक होटल है वहाँ वो लंच के बाद आ जाती है… उसके पति फिर लंच पर चले जाते हैं… वहाँ देखती हूँ…” रोहित और शिखा […]

यह कैसा मोड़-1

By विजय पण्डित On 2010-10-02 Tags:

प्रेषक : विजय पण्डित सिनेमा हॉल में महक का हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया। मुझे एक झटका सा लगा। मैंने धीरे से महक की तरफ़ देखा। उसकी बड़ी बड़ी आँखें मेरी तरफ़ ही घूर रही थी। फिर उसने बलपूर्वक मेरा हाथ मेरी सीट पर ही गिरा लिया ताकि एकदम कोई देख ना सके। […]

लिंगेश्वर की काल भैरवी-5

(एक रहस्य प्रेम-कथा) मैं उसे चूमता हुआ नीचे मदनमंदिर की ओर आने लगा। पहले उसके सपाट पेट को उसके पश्चात उसकी नाभि और श्रोणी प्रदेश को चूमता चला गया। उसके योनि प्रदेश तक पहुंचते पहुँचते मेरा कामदण्ड (लिंग) तनकर जैसे खूंटा ही बन गया था। रोम विहीन रतिद्वार देख कर तो मैं मंत्र मुग्ध हुआ […]

लिंगेश्वर की काल भैरवी-4

(एक रहस्य प्रेम-कथा) मंदिर आ गया था। बाहर लम्बा चौड़ा प्रांगण सा बना था। थोड़ी दूर एक काले रंग के पत्थर की आदमकद मूर्ति बनी थी। हाथ में खांडा पकड़े हुए और शक्ल से तो यह कोई दैत्य जैसा सैनिक लग रहा था। उसकी मुंडी नीचे लटकी थी जैसे किसी ने काट दी हो पर […]

लिंगेश्वर की काल भैरवी-3

(एक रहस्य प्रेम-कथा) आज हमारा खजुराहो के मंदिर देखने का प्रोग्राम था। रात के घमासान के बाद सुबह उठने में देर तो होनी ही थी। सत्यजीत का जब फ़ोन आया तब आँख खुली। वो बोल रहा था “ओह … क्या बात है गुरु ? रात में ज्यादा स्कोर कर लिया था क्या ?” “अरे नहीं […]

लिंगेश्वर की काल भैरवी-2

(एक रहस्य प्रेम-कथा) लिफ्ट से नीचे आते मैं सोच रहा था कि ये औरतें भी कितनी जल्दी आपस में खुल कर एक दूसरे से अपने अंतरंग क्षणों की सारी बातें बता देती हैं। मधु मेरे सामने तो लंड, चूत और चुदाई का नाम लेते भी कितना शर्माती है और इस जीत रानी (रूपल) को सब […]

गंधर्व विवाह

प्रेषक : अन्नू निशा मेरी एक मात्र लंगोटिया दोस्त है। एक दिन की बात है, जब मैं निशा के बुलाने पर उसके घर गया तो उसके घर वाले कहीं बाहर गए हुए थे। घर में हम दोनों ही अकेले थे, उसके जान-पहचान के कोई बाबा उसके घर पर आये हुए थे। निशा बोली- ये बहुत […]

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