बेइन्तिहा प्यार.. सत्य प्रेम कहानी-2

(Beintiha Pyar.. sachi prem kahani- Part 2)

This story is part of a series:

अब तक आपने जाना था कि प्रीति के बर्थडे पर जब उसने मुझसे गिफ्ट माँगा तो मैंने उसको होंठों पर चूम लिया जिससे वो गुस्सा हो कर प्रिंसीपल के ऑफिस की तरफ चली गई।

अब आगे..

मेरी तो फट कर हाथ में आ गई थी.. पर उसने किसी को नहीं बताया। मैं घर गया तो पूरा दिन और रात प्रीति के बारे में सोचता रहा।
अगले दिन स्कूल जाते ही मैं सभी स्टूडेंट के सामने ही प्रीति के पास गया, अपने घुटनों पर बैठ कर बोला- प्रीति आई लव यू.. मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. मैं तुम्हें हमेशा बहुत खुश रखूँगा… आई लव यू प्रीति.. कुछ तो बोलो प्रीति आई लव यू!
प्रीति- ये क्या कर रहे हो.. सब देख रहे हैं।
मैं- देखने दो आई लव यू प्रीति।
प्रीति- क्या बेहूदगी है ये?

प्रीति वहाँ से जाने लगी.. सभी स्टूडेंट मुझ पर हँसने लगे।

तभी अचानक वो पीछे मुड़ी और मेरी तरफ अपना हाथ किया, मैं हाथ पकड़ कर खड़ा हुआ.. पर जैसे ही उसे गले लगने को हुआ.. उसने हाथ छुड़ाया और चली गई।

मुझे बहुत शर्म आई.. इतनी शर्म कि मैंने स्कूल जाना भी छोड़ दिया। मम्मी-पापा बहुत डांटने लगे कि ये स्कूल क्यों नहीं जाता।

मैं फिर भी स्कूल नहीं गया, टयूशन क्लास जाने लगा और पढ़ाई पर पूरा ध्यान देने लगा.. ताकि फैमिली वाले स्कूल जाने पर ज़ोर न दें।

कुछ दिनों बाद मेरे फर्स्ट सेम के एग्जाम आ गए।
मैं एग्जाम देने जाने लगा.. मेरा सेंटर शहर के ही एक स्कूल में आया। जब मैं एग्जाम देने गया तो मुझे वहाँ पर प्रीति मिली।

पता नहीं क्यों उससे नजर मिलाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई। ऐसे ही चलता रहा और मैंने अपने 4 एग्जाम दे दिए.. अब लास्ट एग्जाम देने गया।

उस दिन जैसे ही एग्जाम देकर मैं बाहर निकला.. तो प्रीति भी जल्दी से एग्जाम दे कर बाहर आई और मेरे पास आकर बोली- सॉरी एसके..

मैं एकदम से चौंक गया, मैंने देखा वो प्रीति है।
मैंने कहा- सॉरी तो मुझे कहनी चाहिए।
मैं इतना कह कर तेजी से वहाँ से आ गया।

कुछ दिन और बीत गए।
जैसे ही अगले सेशन की क्लास चालू हुई.. तो मॉम और डैड ने जबरदस्ती मुझे स्कूल भेज दिया।

पहले दिन तो मुझे शर्म महसूस हो रही थी.. पर सभी मेरे साथ फ्रेंड्ली पेश आए।
फिर मैं भी रेगुलर स्कूल जाने लगा.. पर अब मैं प्रीति से दूरी बना कर रखता था। वो सामने से आती हुई मिलती.. तो मैं रास्ता बदल लेता।

एक दिन मैं गेम पीरीयड में बैठा था। रूम में और कोई नहीं था.. तभी प्रीति रूम में आई और मेरे पास बैठ गई।
मैं उठ कर चल पड़ा।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया- सॉरी यार.. कितनी बार बोलूँ..
मैं- हाथ छोड़ो प्रीति.. कोई देख लेगा।
प्रीति- देखने दो.. तुम मेरी आँखों में देखो.. लुक एट माय आइज़।

मैंने जैसे ही उसके चेहरा देखा.. तो मुझे उसकी आँखों में मेरे लिए बहुत प्यार दिखा। मैंने उसी वक्त प्रीति की पीठ दीवार पर लगाई और अपने हाथ उस पर बड़े प्यार से रखे।
प्रीति आँखें बन्द करते हुए अपने कांपते हुए होंठों को मेरे होंठों की तरफ कर रही थी।

मैंने भी अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह चूसने लगा। मेरा मन कर रहा था कि बस खा जाऊँ.. मेरे हाथ प्रीति के कूल्हों को सहला रहे थे और मैं उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर पागलों की तरह चूम रहा था।

मेरे हाथ प्रीति के जिस्म को नापने लगे, उसकी कमर को दबाते-दबाते मेरे हाथ उसकी दूधों पर गए, जैसे ही मैंने उन्हें दबाया.. तो उसके मुँह से एक ‘आहह..’ निकली पर उसके होंठ मेरे होंठों में कैद थे।

क्लासरूम में ही मैंने प्रीति का कुर्ता ऊपर किया और उसकी चूचियों को चूसने लगा। प्रीति कामुक सिसकारियाँ ले रही थी, उसके हाथ मेरे बालों में चल रहे थे।
प्रीति बिल्कुल पागल हो गई थी, उसकी आँखें बन्द थीं और मैं भी उसे बहुत प्यार कर रहा था।

मैंने प्रीति को बाँहों में उठाया और खिड़की के पास ले गया और प्रीति से कहा- खिड़की से बाहर जाओ।
प्रीति बिना बोले चली गई।

मैं भी खिड़की से बाहर आया और बाहर आते ही प्रीति को बाँहों में उठाया और उसे खिड़की के रास्ते से बन्द बड़े रूम स्टोर में ले गया। अन्दर बहुत अंधेरा था और धूल मिट्टी थी.. पर मुझे तो बस प्रीति नजर आ रही थी।

मैंने प्रीति को फिर से बाँहों में भरा और उसके होंठों को चूसने लगा। उसके होंठों को चूसते-चूसते मैंने अपना एक हाथ प्रीति की सलवार में घुसेड़ कर उसकी चूत को सहलाने लगा।

प्रीति को अजीब सी बेचैनी सी हो गई, उसकी चूत भी गीली हो गई थी। मेरा लण्ड भी फटने को था।
मैंने एकदम से प्रीति की सलवार खोल दी।

प्रीति ने मुझे धक्का दिया और दूर करते हुए बोली- नहीं.. ये गलत है.. किस कर लो.. कहीं भी हाथ लगा लो.. लेकिन सेक्स नहीं।
मैंने ‘ओके’ कह कर फिर से प्रीति को पकड़ा, प्रीति की सलवार अब भी उसकी टाँगों में थी।

मैंने भी धीरे से अपना लण्ड बाहर निकाला और किस करना जारी रखा। अब मेरा लण्ड बार-बार प्रीति की चूत पर लग रहा था।

मैंने धीरे से थूक लगा कर अपना लण्ड प्रीति की चूत पर रखा.. तो प्रीति मुझे अलग करने लगी। मैंने प्रीति को दीवार के सहारे लगाया और उसके दोनों हाथों को ज़ोर से पकड़ कर दीवार से लगा दिया और लण्ड चूत में डालने की कोशिश करने लगा।
लेकिन लौड़ा नहीं घुस पा रहा था।

फिर मैंने उसके हाथ को छोड़ कर ज्यादा सा थूक लण्ड पर लगाया और चूत पर टिकाया।

अब मैंने प्रीति के होंठों को अपने होंठों में लिया और एक ज़ोरदार धक्का मारा.. मेरा आधा लण्ड मुश्किल से अन्दर गया होगा।
प्रीति की आँखों से आंसुओं की गंगा बहने लगी, वो बुरी तरह से सिर पटकने लगी.. रोने लगी।

मुझे पता नहीं क्या हुआ.. मेरी आँखों से भी आंसू आने लगे और बार-बार मुँह से ‘सॉरी जान.. सॉरी’ निकलने लगा।
मैं उसकी आँखों को चूमने लगा.. वो रोए जा रही थी.. मुझे भी रोना आ रहा था।

फिर मैंने कहा- सॉरी जान.. सॉरी.. मैं बाहर निकाल लेता हूँ।
प्रीति ने धीरे से कहा- अब दर्द कम है।

मैंने नीचे देखा तो बहुत खून निकल रहा था।
मैंने कहा- तो मैं करूँ?
तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया।

मैं फिर पीछे को हुआ और एक ज़ोरदार धक्का दे मारा और इस बार पूरा लौड़ा चूत के अन्दर कर दिया।
प्रीति के मुँह से चीख निकल गई।
वो तो उसके होंठों पर मेरे होंठ थे वरना सभी आ जाते।

मैंने देखा तो प्रीति की हालत भी बहुत खराब हो गई थी, मैंने उसकी तरफ देखा.. पर उसने धीरे से कहा- तुम करो.. मैं ठीक हूँ।
मैंने धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू किया।

दो मिनट बाद मैंने प्रीति की तरफ देखा.. तो उसने बहुत कस कर आँख बन्द कर रखी थीं।
मैंने कहा- क्या हुआ.. दर्द हो रहा है ना?
उसने कहा- हूँ..
मैंने कहा- फिर बोल क्यों नहीं रही हो?
उसने कहा- मैं ये दर्द सह लूँगी.. तुमको मजा आ रहा है ना.. तुम करो..

मुझे अपने आप पर बहुत शर्म आई, मैं रुक गया और उसे बुरी तरह से किस करने लगा।
मैं प्रीति को हर जगह ऐसे ही किस करता रहा, कभी चूचियों पर.. कभी गालों पर..

फिर देखा कि वो अब नॉर्मल लग रही थी, तो मैं फिर से अन्दर-बाहर करने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. प्रीति की चूत लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़ रही थी, बहुत मजा आ रहा था।

फिर मैंने देखा कि प्रीति को भी मजा आने लगा.. उसका चेहरा चमक रहा था, आँखें बन्द थीं।
मैं ऐसे ही चोदता रहा.. वो भी मेरा साथ दे रही थी।
उसने मुझे सीने में दो-तीन बार काटा भी.. फिर वो झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया।

काफ़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही चिपके खड़े रहे।

उसके बाद हमने कभी सेक्स नहीं किया आज हमारी दोस्ती को छह महीने हो गए हैं।
प्रीति मुझसे बहुत प्यार करती है और मैं भी उसे दिलोजान से चाहता हूँ।

लेकिन एक बात जिसके कारण मैंने यह कहानी आपसे शेयर की.. मैं जानना चाहता हूँ कि हम दोनों में प्यार सेक्स के कारण हुआ या प्यार के कारण सेक्स हुआ.. कृपया मुझे बताएँ.. मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ।

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