कामुकता की इन्तेहा-17
(Kamukta Ki Inteha- Part 17)
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दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी के अगले भाग भेजने में हुई देरी के लिए माफी.
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं अपने यार ढिल्लों और उसके दोस्त काला से जम कर चुद रही थी. दोनों ने मेरी चूत के साथ साथ मेरी गांड भी चोद चोद कर खुली कर दी थी. मेरी गांड में 2-3 उंगलियाँ एक साथ जा रही थी.
तभी अचानक काले की आवाज़ आयी- दो उंगलियों से काम नहीं चलेगा इसका! चप्पा चढ़ा चप्पा!
काले की बात सुनकर मुझे यों लगा जैसे हमें नींद से जगाया हो किसी ने, उसके बारे में तो हम भूल ही चुके थे।
हम दोनों रुक गए। ढिल्लों की दोनों बीच वाली उंगलियां गांड में जड़ तक धंसी हुईं थी। हूँ तो औरत ही, मुझे थोड़ी शर्म आयी और मैंने जैसे तैसे चादर को दोनों के ऊपर खींच लिया।यह देख कर काला बोला- हा हा हा … साली अभी अभी तो दोनों से एक साथ चुदी है, अभी शर्म भी आने लगी, रुक जा आता हूँ, मुझसे भी रहा नहीं जा रहा।
यह कहकर काला उठा और हम दोनों के ऊपर ओढ़ी हुई चादर को उतार फेंका। इसके बाद उसने अपनी निक्कर उतारी। निक्कर उतारते ही उसका काला मोटा भुजंग तना हुआ खूबसूरत लौड़ा देख कर मैं एक बार फिर मस्त हो गयी। मेरा मुंह ढिल्लों की तरफ था इसीलिए वो मेरे पीछे आकर लेट गया और मुझे पीछे से जफ्फी डाल ली। अब एक बार फिर मैं दो मज़बूत सांडों के बीच थी।
तो दोस्तो, एक बार फिर पप्पियों और जफ्फियों का शानदार दौर शुरू हो गया। न कोई कुछ बोल रहा था न सुन रहा था। कमरे में चारों ओर कामवासना की महक बिखर चुकी थी। मेरा मुँह और ढिल्लों का मुंह एक था। उन दोनों की चार बांहें और चार टाँगें मेरे गोरे सुडौल जिस्म के हर एक हिस्से पर चल रहे थे। ढिल्लों का एक हाथ तो मेरी गांड पर ही रहता था।
5-7 मिनटों के अंदर ही मैं भट्टी की तरह तपने लगी। ऊपर से काला पीछे से अपनी एक जांघ मेरी जांघों के बीच में से लाकर मेरी फुद्दी के ऊपर घिसने लगा। पहले तो मुझे लौड़ों का इंतज़ार था लेकिन उसकी इस हरकत से में खुद को रोक न पाई और अपनी फुद्दी बेदर्दी से उसकी जांघ पर रगड़ने लगी।
यह देख कर काला भी अपनी जांघ और ज़ोर से मेरी फुद्दी के साथ बेहरमी से रगड़ने लगा।
मैं पागल हो गयी। मेरे मुंह से इतनी ज़ोरों से हाय … हाय … निकलने लगा कि शायद उसे कमरे के बाहर भी सुना जा सकता था। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी।
अचानक ढिल्लों ने मेरी फुद्दी से अपनी जांघ एकदम हटा ली और उतनी ही तेज़ी से अपनी तीन उंगलियाँ मेरी फुद्दी में पिरो दीं। फिर उसने बिजली की तेज़ी से उंगलियां यूं अंदर बाहर की कि जैसे मेरी फुद्दी के अंदर से कुछ निकालना चाहता है।
उसका यह वार बहुत ज़बरदस्त था जिससे मैं कमान की तरह अकड़ गयी और बुलंद आवाज़ में ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए झड़ने लगी। मेरा खुद के जिस्म और आवाज़ पर कोई काबू नहीं था। एक बार फिर जन्नत की सैर करने के बाद मैं निढाल हो कर ढिल्लों और काले की बाँहों में समा गई।
जब मेरी सांसें कुछ धीमी हुईं तो ढिल्लों ने मुझसे कहा- तुझे पता भी है कितने ज़ोर से चीख रही थी तू? बाहर भी लोगों को अच्छी तरह पता चल गया होगा कि अंदर क्या चल रहा है। आवाज़ थोड़ी धीमी रखा कर।
इस पर मैं थोड़ी शर्मा गयी और अपना मुंह ढिल्लों की छाती में छुपा लिया लेकिन काले ने मेरे मम्मों को सहलाते हुए मुझसे कहा- जवाब तो दो मेरी जान, इतनी ऊंची अवाज़?
मैंने शर्माते हुए धीमी सी आवाज़ में जवाब दिया- यारो, जब मैं झड़ती हूं तो मुझे कुछ पता नहीं चलता। अपने कंट्रोल से बाहर हो जाती हूँ मैं। आवाज़ धीमी करनी हो तो मेरे मुंह पर हाथ रख दिया करो। मैं कुछ नहीं कर सकती इसमें।
मेरी बात सुनकर दोनों ज़ोरों से हंसे।
कुछ देर बाद यूं ही कुछ हल्की फुल्की बातें और मेरे जिस्म के साथ छेड़छाड़ चलती रही। इसके बाद ढिल्लों ने काले को उठाया और उसके कान में कुछ कहा.
जिस पर काले ने कहा- भाई हमारा क्या, लौड़ा कंट्रोल से बाहर हो रहा है।
इस पर ढिल्लों ने जवाब दिया- कोई ना … वो भी मार लेना, लेकिन इसे इतना खुश करना है कि हमारे एक इशारे पर भागी भागी हमारे पास आये। ठीक है ना?
उनकी इन बातों की मुझे कोई समझ न आई।
इसके बाद काला आया, उसने मुझे अपनी मज़बूत बाँहों में उठा लिया और मुझे बाथरूम में ले गया। वहाँ लेजाकर उसने मुझे नीचे नहीं उतारा।
उसके पीछे ही ढिल्लों आया और उसने मुझसे कहा- ज़रा टाँगें चौड़ी कर, नीचे से धो देता हूँ.
मैंने उसका कहा माना और अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं। इसके बाद उसने शावर पाइप उठाई और मेरी फुद्दी में हल्के से घुसा दी और पानी छोड़ दिया। पानी का प्रेशर इतना तेज था कि वो मेरी धुन्नी तक पहुंच रहा था और पाइप बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन ढिल्लों की मज़बूत पकड़ ने ऐसा न होने दिया।
अभी मैं 10 मिनट पहले ही झड़ी थी लेकिन पानी के प्रेशर जो के मेरे दाने पर भी टकरा था, ने मेरे जिस्म में सनसनी पैदा कर दी और मैं बिल्कुल भी नहीं हिली। मेरी आँखें बंद हो गईं।
2-3 मिनट ढिल्लों ने इसी तरह पाइप फुद्दी में घुसेड़ कर रखी और जब उसे पूरा यकीन हो गया कि फुद्दी अंदर से पूरी तरह साफ हो गयी है तो उसने पाइप बाहर निकाल ली।
जब उसने पाइप बाहर निकाली तो मेरे मुंह से अनायास ही ‘ओह …’ निकल गया।
यह सुनकर दोनों हंसे और काले ने कहा- साली को इसमें भी मज़ा आने लग गया था, इसीलिए तो बिल्कुल भी नहीं हिली।
अब ढिल्लों ने मुझे नीचे उतरवा लिया और मेरे दोनों हाथ दीवार के लगा कर मुझसे गांड पीछे बाहर निकालने को कहा।
मैंने वैसा ही किया।
इस बार उसने पाइप उठायी और मेरी गांड में घुसेड़ दी। लेकिन मेरी गांड अभी तक इतनी नहीं खुली थी कि पाइप अंदर जा सके और ऊपर से पानी का प्रेशर भी बहुत था।
यह देख कर ढिल्लों ने अपनी दो उंगलियां पानी के साथ मेरी गांड में घुसा दीं और अंदर बाहर करने लगा। मैं पूरी तरह हिल गयी लेकिन मोर्चे पर डटी रही।
इस तरह जैसे तैसे ढिल्लों ने 5-7 मिनट लगा कर मेरी गांड को पानी और अपनी उंगलियों के साथ अंदर तक धो डाला. और जब उसकी पूरी तसल्ली हो गयी कि अब मेरी गांड बिल्कुल साफ है तो उसने तौलिये के मेरी फुद्दी और गांड अच्छी तरह साफ कर दी।
इसके बाद उसने मुझे मेरी जांघों से उठा लिया और लाकर बेड पर लेटा दिया। अब वो मुझे खींच कर बेड के किनारे तक ले आया जिससे मेरी दोनों टाँगें बेड से नीचे लटकने लगीं। इसके बाद उसने दो तकिए उठाए और मेरी पीठ के नीचे लगा दिए और मेरी टाँगें ऊपर करके तह लगा दी और खुद टांगों के बीच आकर कुर्सी पर बैठ गया।
अब मेरी लाल उभरी हुई क्लीन शेव फुद्दी का मुँह ऊपर की तरफ हो गया।
उसकी इन हरकतों को देख कर काला बोला- क्या हो गया ढिल्लों, लगता अब तू इसकी फुद्दी खायेगा।
इस पर ढिल्लों हंसा बोला- यार बड़ी देर बाद ऐसी शानदार लाल फुद्दी मिली है, आज सारी हसरतें पूरी करूँगा, तू देखता जा।
इसके बाद उसने अपने फोन में मेरी फुद्दी का एक क्लोज शॉट लिया और मुझे दिखाया।
दोस्तो, अपनी गोरी क्लीन शेव फुद्दी जिसका मुंह बीच में से हल्का सा खुल गया था, देख कर मन बाग बाग हो गया।
मैं यही सोच रही थी कि मेरे जिस्म में एक तेज़ लहर दौड़ गई। ढिल्लों ने अपने हाथों से मेरी फुद्दी को अच्छी तरह खोल कर नीचे से ऊपर तक अपनी जीभ फेर दी। मेरे मुंह से ‘ओहह …’ की एक बुलंद आवाज़ निकली।
ढिल्लों ने ये देख कर पांच सात बार और नीचे से ऊपर तक अपनी पूरी रूह से जीभ फेरी। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कोई मर्द इतनी शिद्दत से फुद्दी को चाट सकता है। मैं धन्य हो गयी।
मेरे मुंह से ‘हाय मेरी माँ, उन्ह मेरी माँ … माँ…’ की ऊंची आवाज़ें अपने आप निकलने लगीं। फुद्दी चटवाने में जो आनन्द है, वो सिर्फ उन्हीं औरतों को पता है जिनकी फुद्दी चाटी गयी हो। वैसे पतिव्रता औरतों को यह आनन्द कम ही मिलता है।
खैर अब ढिल्लों ने अपना पैंतरा बदला। अब उसने मेरी फुद्दी को बुरी तरह खींच कर जितनी चौड़ी ही सकती थी की, अपना पूरा मुंह खोला और फुद्दी को अपने मुंह में भर लिया और अपनी जीभ अंदर डाल कर पूरा जोर लगा कर स्मूच करने लगा।
मैं पागल हो गयी और अब मेरे मुंह से बुरी तरह हुँकारें निकलने लगी। मैं जोश में आकर ऊपर उठी और ढिल्लों का सर पकड़ कर अपनी फुद्दी पर जकड़ लिया.
हालांकि मुझे पता था वो अपना मुंह अलग नहीं करेगा।
उस कमरे में जो कुछ चल रहा था वो कोई सोच भी नहीं सकता। काला कमरे में एक तरफ बैठा सब कुछ होता देख रहा था और हैरान परेशान हो रहा था।
5-7 मिनट की ढिल्लों की कारवाई ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया और मेरा ज्वालामुखी फट गया। मैं बुरी तरह से हिल हिल कर झड़ने लगी लेकिन ढिल्लों ने अपना मुंह फुद्दी पर ज़ोर से कसे रखा और मेरे पानी की एक बूंद तक बाहर नहीं आने दी।
ढिल्लों ने मेरा पानी पी तो लिया था लेकिन उसके मुंह का ज़ायका बुरी तरह बिगड़ गया था और उसे उल्टी आने ही वाली थी कि उसने पीछे टेबल पर पड़ी दारू की बोतल को उठाया और नीट ही 5-7 घूंटें भर लीं।
दोस्तो मैं अभी अभी बहुत ज़ोरों से झड़ी थी लेकिन मुझे अपनी फुद्दी में ज़रा सी भी चिकनाई महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि ढिल्लों इतने ज़ोरों से फुद्दी के घूंट भर रहा था कि उसने फुद्दी पर बिल्कुल पानी नहीं आने दिया। हां, उसका थूक मुझे अपनी फुद्दी पर अच्छी तरह महसूस हो रहा था।
मेरे झड़ने के बाद भी ढिल्लों नहीं रुका और उसी तरीके से मेरी फुद्दी को चाटना जारी रखा। कुछ देर के लिए मैं टाँगें चौड़ी करके निढाल पड़ी रही।
लेकिन 5-7 मिनटों के बाद भी जब ढिल्लों नहीं रुका तो मैं फिर गर्म ही गयी। अब मुझे अच्छी तरह पता चल गया था कि इस कमरे में मैं अपनी फुद्दी के बूंद बूंद पानी तक नुचड़ कर जाऊंगी क्योंकि पिछले दो घण्टों में मैं 8-10 बार झड़ चुकी थी। वैसे कोई आम औरत शायद इतना न झेल पाए लेकिन नशे और मेरी फुद्दी की जबरदस्त दहकती आग मुझे मेरे काबू से ऊपर से ले गयी थी।
खैर मैं एक बार फिर गर्म हो गयी और मेरा जिस्म भट्टी की तरह तपने लगा। मैं फिर हूंकारने लगी और अब मुझे महसूस हुआ कि सिर्फ जीभ से काम नहीं चलने वाला क्योंकि अब मैं जीभ से नहीं झड़ना चाहती थी।
मैंने जैसे तैसे अपनी अपनी सांसों को इकट्ठा करके ढिल्लों से उखड़ उखड़ कर कहा- जानू … अंदर डालो जल्दी!
अब मुझे धुन्नी तक लौड़ा चाहिए था.
लेकिन ढिल्लों ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और मेरी फुद्दी के ऊपरी हिस्से को खींचा और मेरा दाना बाहर निकाल कर 4-5 बार जीभ फेर दी। मैं लौड़े के लिए बुरी तरह तरसती हुई फिर आ गयी और बिन पानी मछली की तरह छटपटाती हुई झड़ी।
लेकिन इस बार कुछ बूंदें ही पानी की निकलीं जिन्हें ढिल्लों ने चाट कर फुद्दी एक बार फिर सफाचट कर दी।
मुझे दो बार झड़ा कर ढिल्लों उठा खड़ा हुआ और उसने काले से कहा- भेनचो, मज़ा आ गया, बड़ी करारी फुद्दी है, चाट ले साले!
उसकी बात सुनकर काला उठा और मेरी तरफ बढ़ने लगा.
लेकिन मैंने ढिल्लों से फरियाद की- जानू बस करो, मैं पागल हो जाऊंगी, कुछ देर रुक जाओ प्लीज़, मेरी धड़कन बढ़ रही है, बहुत जोर लग जाता है मेरा।
लेकिन हैवानों के सामने फरियाद करने से क्या फायदा। काले को अपनी तरफ बढ़ते हुए देख मैंने उठने की कोशिश की लेकिन उसने आते साथ ही मुझे दबोच लिया और नीचे से टाँगें पूरी तरह खोल कर मेरी दहकती फुद्दी पर अपनी ज़बान रख दी।
दोस्तो, उस समय मैं किसी भी तरह का सेक्स करने के लिए तैयार नहीं थी लेकिन मेरी बहुत छटपटाहट के चलते भी काले ने ज़बान फुद्दी से अलग नहीं की और मेरी टांगों को ज़ोर से पकड़े रखा। हालांकि मुझे नीचे गुदगुदी सी हो रही थी।
खैर मैं कोई और रास्ता न देख कर टाँगें खोल कर लेटी रही और काला चुपड़ चुपड़ मेरी फुद्दी चाटता रहा।
लेकिन किसी औरत की फुद्दी इतनी तसल्ली से चाटी जा रही हो और वो गर्म न हो? यह तो मैं 8-10 बार झड़ चुकी थी कि मेरा मन नहीं था वरना किस लड़की या औरत को फुद्दी चटवाने में आनन्द नहीं मिलता। दरअसल उन दोनों की इन्हीं हरकतों के कारण मैं लंबे समय तक उनकी रखैल बन कर रही और उन दोनों ने मुझे पता नहीं किस किस से चुदवाया। और ढिल्लों की भी यही मंशा थी कि आज रात मुझे अपने पूरे बस में करना है, इसीलिए उसने खुद और अब काले को मेरी फुद्दी अच्छी तरह चूसने को कहा था।
खैर 8-10 मिनट तो मुझे बस गुदगुदी ही होती रही लेकिन अब एक बार फिर मुझे आनन्द आने लगा।
मेरी सिसकारियों को सुन कर काले ने मेरी टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर दीं और मेरी पूरी तरह से तह लगाकर फुद्दी का मुंह पूरी तरह हवा में लहरा दिया। फिर उसने दोनों हाथों से मेरी फुद्दी को इतनी बेदर्दी से चौड़ा कर दिया कि मेरा अंदर का सामान और दाना उसे साफ साफ दिखने लगा।
फिर उसने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली, सीधी की और फुद्दी के अंदर घुसेड़ दी। दरसअल ढिल्लों से जीभ अंदर नहीं घुसी थी लेकिन काले ने कमाल ही कर दिया। पूरी जीभ अंदर डाल कर जब बाहर से वो अपने होठों से चुपड़ चुपड़ करने लगा तो मैं सब कुछ भूल कर चिल्लाने लगी- हाय मेरी माँ … मेरी माँ … ये क्या है … मेरी माँ.. मैं मर जाऊंगी … हाय।
मेरी आवाज़ इतनी ऊंची थी कि ढिल्लों को एकदम उठना पड़ा और आकर उसने अपने हाथ से मेरा मुंह पूरी तरह ढक दिया। लेकिन फिर भी मेरे मुंह से “गूँ.. गूँ.. गूँ..” निकल ही रहा था।
मैं पागल हो गई थी। अब मुझे एकदम अपनी फुद्दी के अंदर खलबली के साथ एक बहुत बड़ा खालीपन महसूस हुआ। मुझे अपनी फुद्दी की गहराई के आखरी छोर तक कुछ चाहिए था। लेकिन काला तो लगा ही रहा।
उस वक़्त पता नहीं मुझमें इतनी ताकत कैसे आयी कि मैंने ढिल्लों के हाथ ओ एक झटके से अलग कर दिया और बुरी तरह हुंकारती हुई ने काले के सिर को पकड़ा और बड़ी बुरी तरह से अपनी फुद्दी पर कसने लगी और नीचे से खुद फुद्दी उसकी ज़बान पर बुरी तरह से रगड़ने लगी।
लेकिन काले ने हैरानी में अपना मुंह हटा लिया और मैं झड़ी नहीं तो मैं चीखने लगी- अंदर डालो सालो, बहन चोदो अंदर डालो, मर गयी मैं!
लेकिन वो दोनों मेरी ऐसी हालत देख कर एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखते हुए हंसने लगे।
मेरे मुंह से झाग निकल रही थी। ऐसा हाल मेरा उनके लगाए इंजेक्शन ने कर दिया था। मैंने अपने होशोहवास खोकर आस पास कोई चीज़ देखी लेकिन कोई भी अच्छी नहीं लगी तो मैंने अपनी 3-4 उंगलियां एक साथ फुद्दी में घुसेड़ लीं और तेज़ तेज़ हिलाने लगी।
ढिल्लों के रोकने के बावजूद भी काले को मुझ पर तरस आ गया और दोनों हाथों से मेरे हाथ फुद्दी से हटा कर अच्छे मेरी तह लगाई और ‘फड़ाच’ की आवाज़ के साथ अपना 9 इंच का मोटा काला लौड़ा एक ही बार में पूरी शक्ति के साथ अंदर पिरो दिया।
मेरी फुद्दी की अंदरूनी गर्माइश से हैरान होकर उसके मुंह से अनायास ही निकल गया- ओ मेरे रब्बा, इतनी गर्मी है साली के अंदर?
यह कहकर वो अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अंदर जड़ तक पेलने लगा।
मेरी फुद्दी के एकबार फिर परखच्चे उड़ने लगे। मैंने उसको ज़ोर से जफ्फी डाल ली और टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर ली ताकि उसका लौड़ा टट्टे तक अंदर जाए। मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर उसे हूँ हूँ करती हुई चाटने लगी।
इस बार 30-35 तीक्ष्ण घस्सों का काम था कि मेरी चूत ने एक बार फिर हल्का सा पानी छोड़ दिया और मेरे अंदर की गर्मी और जफ्फियों पप्पियों की वजह से काले जैसा हैवान भी 5-7 मिनट में मेरे अंदर झड़ गया।
यह कुश्ती इतनी जबरदस्त थी कि हम दोनों अल्फ नंगे सर्दियों के मौसम में भी पसीने से तरबतर हो गए और बुरी तरह हांफने लगे। न तो काले में और न ही मुझमें उठने की हिम्मत बची थी। इसलिए काला अपना 100 किलो का वजन लेकर मेरे ऊपर ही निढाल हो गया।
2-4 मिनट के बाद मैंने उससे मिन्नत करके नीचे उतारा और खुद उसको कस कर जफ्फी डाल कर हांफती हुई उसकी मज़बूत बाँहों में समा गई।
कहानी जारी रहेगी।
देरी के लिए माफी।
आपकी प्यारी रुपिंदर कौर
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