चुम्बन से शुरू गांड पे खत्म-5

(Chumban Se Shuru Gaand Pe Khatm- Part 5)

This story is part of a series:

आपने अब तक पढ़ा..

अंकिता मुझसे नाराज थी.. पर मज़बूरी में वो मेरे साथ बाथरूम में आ गई।

अब आगे..

मैंने उसके कान में धीरे से बोला- तुम एक बार और ट्रस्ट करके देखना.. अब नहीं तोडूंगा।
वो मुस्कुराई और पास में पड़ी बाल्टी के पानी को थोड़ा सा अपने हाथ में लिया और मेरे मुँह पर मुस्कुराते हुए पानी को फेंका।

मैं उठा और उसके कपड़ों को टांग दिया, अपनी जीन्स निकाली और वो भी टांग दी कि भीगे ना।

वो शायद समझी कि मैं सेक्स करूँगा, उसने अजीब सा मुँह सिकोड़ा.. मैं मुस्कुराया।

मैंने अंडरवियर नहीं निकाला, शावर चलाया उसके बदन पर पानी पड़ने लगा। ठंडे पानी की वजह से वो अपने बदन को अजीब सा बना रही थी और मुँह भी।

खूबसूरत सी सुबह थी वो.. उसका भीगा बदन देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.. जो अंडरवियर से साफ़ नजर आ रहा था.. और ठीक उसके आँखों के सामने था।

मैंने साबुन उठाया और उसके बदन पर लगाना शुरू किया। मैं जानबूझ कर अपने हाथों से साबुन उसकी चूचियों पर देर तक रगड़ता रहा।

वो बैठी हुई थी.. मैं भी बैठ गया और साबुन लगाने के बहाने उसके पैरों को रगड़ना शुरू किया, फिर उसकी जाँघों को सहलाया.. फिर उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर.. फिर हाथ उसके नीचे डाल उसके चूतड़ों के पास ले गया।

वो आँखें बंद किए हुए थी… उसे पता नहीं क्या हुआ.. वो मुझसे झट से गले लग गई।
मैंने भी उसको कसके जकड़ लिया।
दो मिनट बाद हम अलग हुए मेरी शर्ट पर पूरा साबुन लग गया था।

वो ये देख अपने हाथ से साफ़ करने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने मुँह के पास लाकर उस पर चुम्बन किया और उसकी आँखों में देखता रहा।
वो कुछ नहीं बोली।

मैंने शर्ट के बटन खोल कर उसे भी निकाल कर टांग दिया, मैं भी अब सिर्फ अंडरवियर में था।

मैंने शावर चलाया और उसके बदन को रगड़-रगड़ कर साफ़ किया, खास करके उसकी चूचियों को मसलते हुए रगड़ा, फिर उससे शैम्पू लगा कर उसको दो मिनट तक ‘हेड मसाज’ दिया.. उससे अच्छा लगा।
फिर शैम्पू साफ़ कर दिया।

इस बीच उसे शायद प्रेशर बन रहा था.. पर मेरे से वो शर्मा रही थी। मैंने धीरे से कहा- कोई बात बोलने में शर्म आ रही क्या?
वो कुछ नहीं बोली.. मैंने उसे खड़ा किया और उसकी पैन्टी को झटके से खींच कर निकाल दिया। फिर उसे टॉयलेट सीट के पास ले गया और बैठने को कहा।

वो धीरे से बोली- तुम्हें कैसे पता चला?
मैं बोला- प्यार करता हूँ और प्यार में हर चीज़ को बोला जाए तभी मैं बात को समझूँ.. ऐसा नहीं होता।

वो मुस्कुराई और बैठ कर पेशाब करने लगी

इसी के साथ ही में एक जोर से आवाज करते हुए खूब सारा पॉटी कर दिया.. मानो कब से रोकी हो।

अजीब सी बदबू थी.. पर आज मुझे वो भी बुरी नहीं लगी।
मैं वहीं बैठ कर उसे देख रहा था।

वो मुस्कुरा रही थी और इशारा कर रही थी कि इधर मत देखो।

उसने कुछ मिनट बाद धोने के लिए पानी भरा।

मैं उठा और जा कर उसके साइड में उसी की पोजीशन में बैठ गया।

वो इशारों में पूछने लगी।

मैं मुस्कुराया.. ‘कुछ नहीं’ में सर हिलाया उसने धोने के लिए पानी वाले डब्बे को उठाया।

मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उस डब्बे को हाथ में ले लिया।
उसने अजीब से चेहरे के साथ मुझे देखा मानो पूछना चाहती हो कि ‘क्या है?’

मैं खिसक कर थोड़ा और पास हुआ.. पानी को उसकी चूत पर गिराया, जोकि उसके बदन से सटता हुआ गांड तक जा पहुँचा। मैं दूसरा हाथ उसकी गन्दी गांड पर रख कर रगड़ते हुए धुलाने लगा।

वो मुस्कुराई.. मैंने बीच में अपनी उंगली को गाण्ड में डाल के साफ़ किया।
फिर मैं उठा तो वो भी खड़ी हुई और उसने फ्लश चला दिया।

मैंने साबुन से अपना हाथ धोए.. फिर उसकी चूत के पास तौलिए से रगड़ा, उसके बालों को सुखाया और तौलिया उसे दिया।

उसने तौलिया से अपने आपको लपेटा.. ‘आई लव यू’ बोली और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकली।

अब तक बाहर बैठी उसके कमरे के बगल वाली लड़की भी नहा कर आ गई थी।
उसके जाते ही प्राची बोली- तुम लोग कितना टाइम लगाते हो।

मैं अन्दर मुस्कुराया।
प्राची ने शायद अंकिता को इशारे में बताया कि ये बाहर नहीं जा रही।
अंकिता ने तेज़ आवाज़ में प्राची से बोला- जाओ अब तुम भी नहा लो.. क्लास जाना है ना?

वो मुझे बताना चाहती थी कि प्राची अन्दर जा रही है।
मैंने मन में सोचा कि इतना प्यार करके अंकिता को मनाया.. अब ये प्राची वापस अन्दर आ कर फिर उससे गुस्सा न दिला दे।

अंकिता को डर था कि उस पड़ोस की लड़की को शक न हो जाए या वो गलती से भी टॉयलेट ना चली जाए।

प्राची उठी और अपनी तौलिया लिया.. और अन्दर आ गई।
उसने दरवाजा बन्द करना चाहा, पर मैंने हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया।

दरवाजे को हिलता और लॉक न देख कर अंकिता समझ गई, उसने कहा- प्राची दरवाजा लॉक कर नहाया करो.. कितनी बार बोला है.. वरना कमरे में पानी आ जाता है।

दरअसल अंकिता ने ये मुझे सुनाया था कि दरवाजा बन्द कर लो।

शायद अब उसे मुझ पर ट्रस्ट हो गया था। बाथरूम बन्द हो गया.. अन्दर मैं और प्राची थे।
वो थोड़ा बेशरम सी थी.. या मेरी खिंचाई कर रही थी।
वो धीरे से मेरे पास आई और कान में फुसफुसाई- मुझे नहीं नहलाओगे?
उसने यह कह कर मुस्कुराते हुए मुझे देखा।

मैंने भी उसकी मुस्कान का जवाब देने के लिए हल्की मुस्कान पास की।
अब उसने खुद से अपनी मैक्सी निकाली और उससे टांग दिया।
वो पूरी नंगी हो गई थी।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. क्योंकि मुझे जोर से पॉटी लगी हुई थी।

मैं धीरे से बोला- अगर तुम घूम जाओ तो मैं हल्का हो लूँ।

वो तेजी से मुस्कुराई और मैं टॉयलेट सीट तक पहुँचा, अपनी अंडरवियर को पूरा निकाल कर बाकी दरवाजे के पास टंगें कपड़ों की तरफ फेंक दिया और बैठने के साथ ही तेजी के साथ शुरू हो गया ‘आहाह..’

अब जाकर थोड़ी राहत मिली।
प्राची अभी भी नंगी खड़ी मुस्कुरा रही थी।

मैंने इशारे से बोला- नहाओ।

उसने चूत को आगे करके छेद की तरफ इशारा करके धीरे से बोला- पेशाब लगी है। वो नहाते समय भी कर सकती थी.. पर शायद वो मेरे लंड को देखना चाहती थी या कुछ और चाहती थी.. ये तो सही से वही जाने।

मैंने उसे इशारा करके अपने पास बुलाया, वो झट से आई।
मैं थोड़ा सा सरक कर पीछे को हुआ और उससे बोला- इतनी जगह में कर सकती हो?

वो ‘हाँ’ बोली और मेरे सामने आई। ज़मीन पर बैठी.. उसने अपने दोनों पैरों को फैलाया, एक पैर को मेरे दाईं ओर फैलाया.. दूसरे को बाईं तरफ फैला कर पैरों को एकदम सीधा किया, जिससे उसकी चूत एकदम साफ़ दिख रही थी।
उसकी चूत के बाल उसकी चूत को पूरा घेरे हुए थे.. लाजवाब सा नजारा था।

वो सरक कर थोड़ा आगे हुई उसकी गाण्ड का छेद टॉयलेट सीट तक आया। वो आधी लेट चुकी थी.. उसने जैसे ही मूतना शुरू किया.. उसकी पेशाब की पतली सी धार सीधे मेरे लंड और गाण्ड को भिगोती हुई चली गई।

उसकी पेशाब गरम थी, मुझे इसका पूरा अहसास हुआ।
मेरे बदन में अजीब सी झनझनाहट हुई आह.. वो वहीं पॉटी भी करने लगी।

मैं धीरे से फुसफुसाया- दो मिनट रुक जातीं।
वो मेरी आँखों में आँखें डालकर सिर्फ मुस्कुराई, मैं भी मुस्कुराया।

अजीब सी इस कशमकश के बाद मैं बिना धुले खड़ा हुआ.. हाथ बढ़ा कर डब्बे में पानी भरा और फिर थोड़ा पीछे को बैठा और छप-छप पानी के साथ गाण्ड को साफ़ किया।

फिर वहाँ से मैं साइड में होते हुए फ्लश चला दिया।
प्राची मेरे नंगे बदन को निहारती रही।

फिर मैं वहाँ घुटनों पर बैठा और अपने दोनों हाथों को उसकी एक-एक जांघों के पास हाथ रखा और धीरे-धीरे उससे छूते हुए अपने हाथों को नीचे लाया, अपने पैर को थोड़ा टाइट पकड़ कर नीचे को खींचा। वो अब पूरा लेट गई, उसकी गाण्ड का छेद टॉयलेट सीट के नीचे था.. वो पॉटी कर रही थी। ऐसी पोजीशन को मैंने पहली बार देखा था।

मैं थोड़ी दूरी पर जा कर दीवार से टिक गया और पैर फैला कर बैठ गया।

मैं अब प्राची को देखने लगा और साथ ही अपना एक हाथ लंड पर रखते हुए उसे दबा रहा था।
उसने दो मिनट बाद इशारा किया कि धोने के लिए पानी डाल दो।

मैं उठा और डब्बे में पानी ले उसके पास बैठा और इशारे से कहा- बैठो..
वो बैठी.. मैंने पानी डाला।
उसने मुझे देखते-देखते अपनी गाण्ड रगड़ कर धोई।

मैं फिर जाकर बैठ गया और उससे कहा- अब नहा लो।

वो मेरे पास आई और उसने बैठ कर मेरे पैर को थोड़ा अपनी तरफ खींच कर मुझे लिटा लिया। अब वो मेरे पैरों पर बैठ गई मैं अपने पैर के अँगूठे से उसकी गाण्ड के छेद को सहला पा रहा था, तभी वो एक झटके से दोनों हाथों को मेरे खड़े लंड पर रख के दबाने लगी..
मेरा लंड और खड़ा हो गया, मुझे अजीब सी मदहोशी छा रही थी, मैं अपनी आँखें बंद करके उस पल का आनन्द उठाने लगा।

तभी वो थोड़ा आगे को हुई, मुझे यह अहसास हुआ.. फिर भी मैंने आँखें नहीं खोलीं।

उसने मेरे लंड को सीधा किया और अपनी चूत को मेरे लंड पर रख कर बैठ गई।
अगले ही पल मेरा लंड उसकी चूत में था।
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जब मैंने आँखें खोल कर देखा तो उसकी चूचियाँ मेरे सामने उछल रही थीं।
वो खुद उछल-उछल कर अपने आपको मेरे लौड़े से चुदवा रही थी।

मेरा लंड कह रहा था कि मैं भी शॉट पे शॉट लगाऊँ, पर मन रोक रहा था.. मैं अंकिता को धोखा नहीं देना चाहता था।

मैं थोड़ा सा उठा और उसके कंधे पर हाथ रख कर झटके से उसे पकड़ लिया और उसे चुदने से रोक दिया।
वह रुक गई.. पर इस वक़्त मेरा लंड उसकी गीली और नमकीन चूत में पूरा घुसा हुआ था।

‘चप.. चप..’ की आवाज़ तुरत बंद हो गई और मैंने प्राची से बोला- मैं अंकिता को धोखा नहीं दे सकता।
यह कहते हुए मैंने उसकी कमर से पकड़ कर उसे उठाया और साइड में किया, अपनी पास पड़ी अंडरवियर को जैसे ही पैर में डाल कर ऊपर को खींचा.. बाहर से अंकिता ने कहा- दरवाजा खोलो।

मैंने झट से दरवाजा खोला।
उसने अन्दर देखा.. प्राची पूरी नंगी फर्श पर पैर फैलाए बैठी थी। उसने अपने एक हाथ को चूत पर रखा हुआ था और एक ज़मीन पर अपने पीछे रख कर अपने को रोके हुए थी।

सब कुछ गड़बड़ होने से बच तो गया था, पर स्थिति ऐसी थी कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता था कि अंकिता को क्या लगेगा।

आपके ईमेल के इन्तजार में हूँ।
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कहानी जारी है।

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