रीटा की तड़पती जवानी-7
(Rita Ki Tadapti Jawani- Part 7)
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रीटा अपनी ठुकाई से पूरी तरह सन्तुष्ट थी. भयंकर ऐतिहासिक चुदाई के बाद रीटा की प्यासी जवानी तरोतर हो उठी और वह कली फूल बन गई.
इस तरह रीटा और राजू का चौदम चुदाई का सिलसिला जारी रहा और रीटा को तो सही मायनों में चुदाई की लत लग गई थी. कई कई बार तो रीटा सुबह सुबह स्कूल की बस चढ़ने से पहले लोगों की नजर बचा कर राजू के कमरे में घुस कर जिद्द करके खड़े खड़े एक टांग उठा कर चुपचाप चुदवा लेती थी. शाम को स्केटिंग करने के बहाने राजू से चुदवाती रहती थी.
रीटा ने अपनी कई सलवारों को नीचे से उधेड़ के रख दिया. कई बार तो रीटा सबके सामने सबकी नजरें बचा कर राजू से घोड़ा घोड़ा खेल खेल कर अपनी उधड़ी सलवार में से ही राजू का लण्ड अपनी चूत में सरका लेती थी.
कभी कभी सब घर वालों और राजू के साथ टेलीवीज़न पर पिक्चर देखते तो रीटा राजू की गोद में टैडीबियर लेकर बैठ जाती और टैडीबियर के नीचे रीटा के हाथ राजू के लण्ड को खूब सहलाती और राजू रीटा की चूत रगड़ता रहता.
कई बार तो रीटा बैठे बैठे बिना हिले ही राजू के पप्पू को अपनी चूत में भींच भींच कर पप्पू के पसीने निकाल देती थी.
कभी कभी मस्ती में अकेले में रीटा नन्गी होकर राजू को लण्ड पर बैठ झूले लेती तो कभी राजू रीटा को अपने खड़े लण्ड से खूब पीटता. कई बार तो रीटा लण्ड से पिटती पिटती ही झड़ जाती थी. कभी कभी रीटा लजीज गालियों के साथ राजू के थप्पड़ शप्पड़ भी ठोक देती थी, तो राजू ने हिंसक रीटा की गाण्ड को झाड़ू, बैट, चप्पल और बैल्ट से भी खूब पीटा और जंगली रीटा को भी पीट कर चुदने में खूब मजा आता था. ना जाने कितनी बार रीटा ने राजू को शावर के नीचे अपने मूत से नहलाया और कई बार तो रीटा दीवाने राजू को अपना पेशाब भी पिला चुकी थी.
रीटा हर बार नये नये अन्दाज और आसन में चुदना पसन्द करती थी. राजू ने रीटा को अलग अलग जगह पर दिन रात खूब चौदा मारा.किचन में मक्खन लगा कर, डायनिंग टेबल पर टमेटो केचअप लगा कर, गैराज में कार के बोनट पर ग्रीस लगा कर, शावर के नीचे और टब बाथ में तेल लगा कर, छत पर रात को चान्दनी के नीचे थूक लगा कर, लैदर के सोफे पर जूतों की पालिश लगा कर, घास पर झाड़ियों के पीछे क्रीम से और ना जाने कहाँ कहाँ भौंसड़ी की रीटा चुदती रहती थी. रीटा की वासना दिन दुगनी और रात चौगनी होती जा रही थी. मस्त रीटा ने राजू को लण्ड को एक महीने में ही निचौड़ कर रख दिया. कभी कभी रीटा राजू से जिद कर के पाँच पाँच बार चुदवाने के बाद भी और चुदवाने की जि़द करती. अब राजू रीटा से अब कतराने लगा था. रीटा को अब समझ आया कि हर महीने मतवाली मोनिका नये आशिक से चूत क्यों मरवाया करती थी. फिर राजू के डैडी की ट्रांसफर किसी और शहर में हो गया और राजू वहाँ से दूसरे शहर में चला गया.
तनहा रीटा अपनी मासूम चूत की ठरक पूरा करने के लिये ना जाने क्या क्या अपनी चूत और गाण्ड में सटका चुकी थी- बैंगन, कमल-ककड़ी, हेयर ब्रश, हेयर ड्रायर, सैंडल, कोका-कोला की बोतल, मोमबत्ती, केला, घीया, खीरा, छल्ली, तौरी, कचालू, टेलीवीज़न रीमोट, टैलीफ़ोन का हैंडसेट, फ़्लॉवरपॉट, पैन और पैंसिल.
ये सब करते करते और गुदगुदे बिस्तर पर नंगी हो लुढ़कियाँ लगाते लगाते रीटा को अपने अंग ही चुभने लगते थे. ऊपर से मोनिका के दिये हुई ब्ल्यू मूवीज़ और मस्त राम के सैक्सी नावल देख और पढ़ कर रीटा की चूत ने ‘चोदा मरवाओ- चोदा मरवाओ!’ की बगावत कर दी.
फिर एक दिन स्कूल बस खराब होने की वजहा से रीटा के डैडी ने अपने नये चपड़ासी को साईकल से रीटा को स्कूल छोड़ने और लाने की ड्यूटी लगा दी.चपड़ासी नया नया गाँव से शहर आया था, खूब जवान, हटाकटा और खूब तन्दरूस्त था. गौरखा होने से उसका रंग भी साफ व गोरा था. और सब उसे बहादुर के नाम से पुकारते थे.
सुबह सुबह मम्मी ने बहादुर को रीटा के कमरे में रीटा का स्कूल बैग तैयार करने के लिये भेज दिया. जब बहादुर अन्दर आया तो ताज़ी ताज़ी नहाई रीटा ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बालों को संवार रही थी. ना जाने क्यों बहादुर की जवानी को देख रीटा की चूत में मीठी सी सरसरी सी दौड़ गई.
कुछ सोच कर रीटा ने बहादुर को अपने जुराबें और हील वाले सेन्डिल पहनाने को कहा.
बहादुर रीटा के सामने बैठा तो शरारती रीटा ने अपना अपने नन्हे नन्हे सुडौल और सुन्दर पैर बहादुर की गोदी में रख दिये.
बहादुर के रीटा की मरमरी पिडंली पकड़ कर सेन्डिल पहनाने लगा.
मर्द के खुरदरे हाथों के स्पर्श मात्र से ही रीटा की चूत फड़फड़ा उठी और झट से पनीया गई.
शैतान रीटा लापरवाही से गुनगुनाती हुई अपने बालों में कंघी करने लगी. रीटा ने महसूस किया कि बहादुर भी कुछ ज्यादा ही रीटा की टाँगों पर हाथ फ़ेर रहा था. बहादुर रीटा की मलाई सी चिकनी टाँगों पर हाथ फ़ेर रात को मुठ मारने का सामान बना रहा था.
रीटा ने भी नौकर को शह देने के लिये अपना पैर से बहादुर के लण्ड को सरेआम दबा दिया और पैर से सहला कर बहादुर के लण्ड को खडा कर दिया. फिर बेशर्म रीटा ने बहादुर के लण्ड की टौटनी को पैर के अंगूँठे और उंगली में लेकर जोर से दबाया तो बहादुर चिंहुक पड़ा. रीटा के चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट आ गई.
फिर स्ट्रेप बांधने के लिये रीटा ने अपना स्कर्ट ऊपर उठा पैर ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया. रीटा तिरछी निगाहों से बहादुर की झुकी झुकी नजरों को अपनी स्कर्ट कर अंदर अपनी पेंटी से चिपकी देख समझ गई कि चूतिये को आसानी से पटाया जा सकता है.
फिर रीटा अपना स्कूल बैच को बहादुर के हाथ थमा कर चूच्चे को आगे बढ़ाती हुई बोली- जरा यह भी लगा दो.
बहादुर घबरा कर पिन की तरफ इशारा कर बोला- बेबी यह चुभ जायेगा तुम खुद ही लगा लो.
रीटा टाई बांधती बोली- अरेऽऽ कैसे चुभेगा? एक हाथ अन्दर डाल कर लगाओ नाऽऽ.
बहादुर थूक सटकता, रीटा की शर्ट में हाथ डाल कर बैच लगाने लगा तो रीटा प्यार से बोली- ठहरो बहादुर, ऐसे नहीं!
फिर रीटा ने लाहपरवाही से अपनी शर्ट के अगले तीन बटन खोल दिये और बोली- अब लगाओ, बड़ी आसनी से लगेगा.
रीटा ने शर्ट के अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था और उस नवयौवना की आवारा रसभरी छातियों की गोलाइयाँ व कटाव सरेआम नुमाया हो रही थी.
रीटा के गोरेपन और जवानी के कसाव कटाव से रीटा की पुष्ट उरोजों में गुलाबी और नीली गुलाबी नसें साफ दिखाई दे रही थी. खुले गले में से उफनते उरोजों की छोटी छोटी गुलाबी चुचकियाँ बहादुर की आँखों से लुका छिप्पी खेल रही थी.
रीटा भी नम्बर एक की मां की लौड़ी थी, अपनी शर्ट के ऊपर से, अपने चुच्चे की चौंच पे उंगली लगाती बोली- बहादुर बिल्कुल यहाँ लगाना है, टिप पे, जरा जल्दी करो.
घबराये और हड़बड़ाये बहादुर ने अपना पूरा का पूरा हाथ रीटा की शर्ट में डाल दिया. पर बहादुर अब थोड़ा संभल चुका था, वह रीटा को लाहपरवाह समझ हाथ निकालते निकालते रीटा के ठोस स्तन को भींच कर खींच सा दिया. रीटा समझ गई कि बहादुर जाल में तो फंस गया है पर बहादुर का डर को दूर करने के लिये कुछ करना पड़ेगा.
रीटा का स्कूल बैग साईकल के पीछे रख बहादुर ने रीटा की बगलों में हाथ डाल कर रीटा को उठा अगले डण्डे पर बैठाया. ऐसा करते बहादुर ने बहुत चालाकी से रीटा की चूचों की सही ढंग से दुबारा मालिश कर दी. मस्त रीटा स्कर्ट को खूब ऊपर उठा के सायकल के डण्डे पर बैठ गई. रीटा ने सोचा काश बहादुर की लेडी सायकल होती और वह शान से बहादुर के लण्ड पर बैठ कर स्कूल जाती.
रास्ते में रीटा की जवान चूचों और टाँगों को देख देख कर बहादुर का लण्ड फुंफकार उठता.
बातों बातों में रीटा बहादुर से और बहादुर रीटा से खुलता चला गया. बहादुर ने बताया कि उसकी शादी नहीं हुई और वह अकेला रहता है.तो रीटा की जोरों से गाण्ड कसमसा उठी और चूत में सितार सी बजने लगी. रीटा की प्यासी चूत में अब जैसे असंख्य बुलबुले से फूटते जा रहे थे, रीटा बोली- बहादुर तुम मुझे बहुत पसन्द हो.
रास्ते में बहादुर ने इशारा करके बताया कि वो उस का घर है, तो रीटा के दिमाग में बिजली सा विचार आया. फटाक से अपनी टांगों के बीच को हाथ से दबाती बोली- हाय बहादुर, मुझे बड़ी जोर से पेशाब आया है, प्लीज़ जरा जल्दी से अपने घर ले लो, नहीं तो यहीं निकल जायेगा.
‘ओह अच्छा बेबी!’ यह कह बहादुर ने साईकल तेज चला कर अपने घर के आगे रोक दी. मौका देख बहादुर ने रीटा की बगल में हाथ डाल कर रीटा के चूचों को सरेआम अपनी मुट्ठियों में भींच कर रीटा को साईकल से नीचे उतारा तो रीटा के मुंह से मदभरी सिसकारी निकल गई.
‘आह बहादुर! जल्दी! मुझे लगता है कि मेरी फट ही जायेगी.’ रीटा अपनी चूत को जोर जोर से स्कर्ट के ऊपर से रगड़ती बोली.
‘तुम साईकल को ताला लगाओ और मैं ताला खोलती हूँ.’ हरामज़ादी रीटा ने चाबी निकालने के बहाने बहादुर की पैंट की पाकीट में हाथ डाल कर बहादुर का अधअकड़ा लण्ड का आकार भांपा तो सिहर उठी.
बहादुर का लण्ड भी कन्या के हाथ का स्पर्श से और तन गया.
रीटा ताला खोल, ठरक में हाँफती और लड़खड़ाती सी कमरे अंदर घुसी. बहादुर टायलट की तरफ इशारा कर बोला- बेबी, टायलट वह है.
हरामी रीटा मासूमीयत से बोली- बहादुर, मुझे अकेले जाते तो बहुत डर लगता है, तुम साथ आ जाओ नाऽऽऽ!
यह सुन कर ठरकी बहादुर के लण्ड की बांछें खिल गई और वह रीटा के पीछे कुते सा दुम हिलाता चल पड़ा. राजू से गाण्ड मरवा मरवा कर रीटा की चाल अब और भी मस्तानी हो गई थी. ऊपर से रीटा बहादुर को उकसाने के लिये अपनी स्कूल स्कर्ट ऊपर उठा कर अपने चूतड़ जानबूझ कर दायें बायें उछालती बहादुर के आगे आगे चलने लगी.
रीटा टायलट के आगे ठिठकी तो बहादुर का लण्ड रीटा की हाहाकार करती गाण्ड में भिड़ गया.
‘आऊचऽऽऽ सारी बहादुर, लाईट कहाँ है?’
बहादुर ठिठकी हुई रीटा के पीछे से हाथ बढ़ा कर टायलट की लाईट का बटन टटोलते टटोलते रीटा की गाण्ड पर अपना लण्ड घिस कर उचक कर एक घस्सा मार दिया- यही तो थी कहाँ गई? ये है लाईट.
रीटा को बहादुर का सूखा घस्सा बहुत ही प्यारा लगा और जवाब में रीटा ने भी अपनी शानदार गाण्ड को थोड़ा सा पीछे उचका कर बहादुर के खड़े लण्ड को गुदगुदा दिया.
अचानक रीटा मुड़ी और अपनी मम्मे बहादुर के चौड़े चकले सीने से भिड़ा दिये और अपनी स्कर्ट हल्की सी ऊपर उठा कर बोली- जरा मेरी कच्छी तो उतार दो.
रीटा जैसी सुन्दर लौंडिया की चूत देखने के चक्कर में बहादुर बैठ कर कांपते हाथों से रीटा की कच्छी को कमर से नीचे खिसका कर घुटनों तक सरका दी.शरारती रीटा ने बहादुर के कन्धे का सहारा लेते हुए अपनी सुडौल चिकनी टांग को सुकोड़ कर कच्छी से पांव बाहर खींच कर बहादुर को अपने गुलाबी गदराये यौवन को झलकी दिखा दी. तीर निशाने पर लगा और बहादुर का लण्ड कच्छे में फड़फड़ा कर घायल हो गया.
फिर रीटा बहादुर के हाथ में अपनी कच्छी पकड़ा कर बहादुर को टायलट के दरवाजे पर ही रोकती बोली- बहादुर, तुम यही ठहरो नहीं तो मेरी शेम-शेम हो जायेगी. मैं अंदर अकेली ही मूत के आती हूँ.
अब रीटा की पीठ बहादुर की तरफ थी. रीटा ने अपना स्कर्ट ऊपर उठा कर अपने चाँद से गोल गोल चूतड़ों की नुमायश लगा दी. काले हाई हील वाले सेन्डिल और लम्बी मरमरी टांगें और मलाई सी गाण्ड देख बहादुर के मुँह से लार टपकाता सोचने लगा- क्या गज़ब की गाण्ड है, अगर इसकी गाण्ड पटाका है, तो चूत तो धमाका होगी.
बैठते ही रीटा की फुद्दी ने फीच्च शीऽऽऽऽऽऽ से पिशाब का शिशकारे की मस्त आवाज सुन बहादुर के लण्ड ने ‘चोद डालो, चोद डालो!’ के नारे लगाने शुरू कर दिये. फिर रीटा ने खड़े होकर स्कर्ट नीचे कर दी तो बहादुर के लण्ड ठण्डी सांस भर कर रह गया.
फिर रीटा बहादुर के हाथ से अपनी कच्छी लेकर अपने चूतड़ों को सहलाती बोली- उफ तुम्हारे डण्डे ने तो मेरा बुरा हाल कर दिया है. हाय बहादुर, मुझसे तो अब चला भी नहीं जा रहा! उई मांऽऽऽ’.
रीटा अपनी स्कर्ट पीछे से ऊपर उठा कर अपने गोरी गोरी गाण्ड पीछे उचका कर साईकल के डण्डे के निशान बहादुर को दिखाती बोली.
रीटा की गोरी चिट्टी जांघों के पीछे साईकल के डण्डे के लाल लाल निशान पड़े हुए थे.
‘बहादुर थोड़ा सहला दो नाऽऽऽ!’ रीटा बहादुर को आँखों ही आंखों में पी जाने वाली नजरों से देखा तो बहादुर के लण्ड में झुरझुरी सी दौड़ गई.
बहादुर ने रीटा को सामने पड़ी चारपाई पर उल्टा लिटा कर रीटा की जांघों को डरते डरते सहलाते बोला- बेबी, कुछ आराम आया?
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