मेरे जन्मदिन पर मेरे यार ने दिया दर्द-4

(Mere Janamdin Pe Mere Yaar Ne Diya Dard- Part 4)

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फिर मैं उठ कर खड़ी हो गयी और साइड में ड्रेसिंग टेबल पर रखी बोतल से पानी पीने लगी।
मैं चल कर करन के पास आई और उसे भी पानी दिया। उसने भी बोतल से पानी पिया और मुझे वापस कर दी।

मैं जैसे ही बेड पर वापस आई तो वह बोला- रुको, वहीं रुको!
और वो मेरे पीछे आया और बोला- एक पैर बेड पर रख लो खड़े खड़े और थोड़ा आगे झुक जाओ।
तो मैं वैसे ही झुक गयी।

करन पीछे से मेरी चूत पर आया और अपना लन्ड मेरी चूत के मुंह पर रगड़ने लगा तो मुझे बड़ी बैचनी सी होने लगी।
मैं बोली- डालो न, रगड़ क्या रहे हो?
तो करन ने घपाक से लन्ड घुसा दिया और मैं हल्की सी आउच की आवाज के साथ आगे को झटके से हिली.

अब करन ने मेरी कमर को हाथों से पकड़ा तो धक्के मार मार के चोदने लगा। मैं आह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह… कर के ज़ोर ज़ोर से आवाजें कर रही थी और मेरे बूब्स, बाल सारा शरीर उसके धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था।

करन भी हम्म… हम्म… हम्म… कर के चोदे जा रहा था और पट्ट पट्ट की आवाज आ रही थी।

अब तक करन ने बहुत स्पीड बढ़ा दी थी और 8-9 मिनट से लगातार चोदे जा रहा था। मैं भी झड़ने के करीब पहुँचने लगी थी तो बहुत ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी ‘आहह … आहह … बेबी और तेज़ … और तेज़ …’
करन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और तेज़ तेज़ चोदने लगा, ऐसा करने से वो भी झड़ने के करीब पहुँचने लगा।

थोड़ी देर बाद ही मेरी टांगें अकड़ने सी लगी तो मैंने पीछे हाथ लगा के करन को रोक लिया और फच्छ… फच्छ कर के उसके लन्ड और जांघों पर ही झड़ गयी और बेड पर उल्टी ही गिर गयी।
करन उस वक़्त झड़ने के करीब था तो तुरंत मेरी चूत पर आ के पीठ की तरफ से ही आखिरी झटकों से उम्मह… ओम्महह… मह्ह… करता हुआ चोदने लगा और अपनी 3-4 पिचकारियाँ छोड़ता हुआ आहह… करते हुए चूत में झड़ गया और मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।

मैं भी उल्टी पड़े पड़े उसकी तरफ देखते हुए हूंह… हूंह… हूंह… कर के हाँफ रही थी। उसका लन्ड खुद के वीर्य और मेरी चूत के पानी में सना हुआ था और मेरी चूत से भी पानी और उसके वीर्य के बूंदे टपक रही थी जो उसने चूत में ही डाल दी थी।

मैं कोहनी बेड में रखते हुए सिर को हाथ के टेक लगा के उसकी तरफ घूम गयी और पूछा- मजा आया ना?
उसने लेटे लेटे ही मेरे लटके हुए बालों में हाथ फिराया और बोला- बहुत मजा आया जानू, एक बार फिर से हॅप्पी बर्थडे।

मैंने मुसकुराते हुए उसके होंठों पर एक किस की और अपनी एक टांग उसके टाँगों पर रख के लेट गयी और हम तेज़ तेज़ सांस लेते हुए दोनों सुस्ताने लगे।

लगभग आधा एक घंटा हम ऐसे ही नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, मैंने अपने सर उसके सीने पर रखा हुआ था कान लगा के और हम इधर उधर की बात करते रहे। फिर मैं उठी और बाथरूम करने चली गयी और खुद को साफ भी किया।
फिर कमरे में वापस आकर कपड़े पहनने लगी.

तो वो बोला- बस एक बार ही? यार प्लीज अभी मत पहनो ना, एक बार और चुदाई करेंगे।
मैं बोली- अभी दिल नहीं भरा क्या?
करन बोला- जिस लड़के का तुमसे दिल भर जाए वो दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया होगा।
मैं बोली- अच्छा बाबा लो नहीं पहनती!
और कमरे में अपने बिखरे हुए कपड़े समेटे और साइड में रख दिए।

अब तक हम दोनों को भूख भी लग चुकी थी तो डिनर करने हाल में आ गए। अब क्योंकि घर में कोई नहीं था हम दोनों के अलावा तो हम नंगे ही घूम रहे थे पूरे घर में। हमने डिनर किया और इधर उधर की बातें करते रहे। फिर मैंने और करन ने मिलकर ही बर्तन भी साफ कर दिए। बीच बीच में हम एक दूसरे के जिस्म पर हाथ रख के छेड़ भी देते थे एक दूसरे को, कभी मैं उसके लन्ड को सहला देती तो कभी वो मेरी गांड को भींच देता और हम दोनों हंसने लगते।

हमें चुदाई करे हुए 2-3 घंटे हो चुके थे। मैंने कहा- चलो अब सोते हैं।
करन बोला- यार, इतने वक़्त बाद तुमसे मिला हूँ आज तो बिल्कुल नहीं सोने दूंगा।
मैंने मज़ाक करते हुए कहा- सोने नहीं दोगे तो क्या करोगे?
करन बोला- आज तो जी भर के प्यार करूंगा, जी भर के चोदूँगा … पता नहीं फिर कब मुलाक़ात हो।
मैंने कहा- अच्छा बाबू, कर लेना प्यार खुश, आज तुम जो चाहे मांग लो मैं मना नहीं करूंगी, पक्का प्रॉमिस।

करन खुश हो गया और बोला- सोच लो, बाद में मना मत कर देना?
मैंने कहा- नहीं करूंगी यार सच्ची।
उसने कहा- ठीक है, चलो फिर बेडरूम में!

और हम बेडरूम में आ गए।

मैं बेड पर आकर बैठ गयी और वो दरवाजे पर खड़ा होकर मुझे बड़े प्यार से देखने लगा. और देखता भी क्यूँ न … उसके सपनों की रानी उसके सामने उसके बिस्तर पर बिना कपड़ों के पैर क्रॉस कर के बेड पर हाथ टिकाये बैठी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ, क्या देख रह हो ऐसे?
करन बोला- देख रहा हूँ, कभी कभी भगवान हम पर कितना मेहरबान होता है, तुमसे मिलने से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी ज़िंदगी में इतना खूबसूरत दिन भी आएगा, वो भी इतनी जल्दी।
“मतलब सिर्फ दिन ही खूबसूरत है और मैं नहीं?” मैंने मज़ाक में चिढ़ सी के मुंह बना लिया।
करन बोला- अरे बाबू, आप तो सबसे ज्यादा खूबसूरत हो इस दुनिया में, ये ये रेशम की तरह खुले हिलते और उड़ते बाल, इतनी प्यारी और बड़ी बड़ी आँखें … मन करता है इनमें ही देखता रहूँ, ये नर्म मुलायम गाल, ये सुर्ख लाल होंठ, रेशम की तरह चमकता हुआ दूध की तरह सफ़ेद बदन, ये बड़े बड़े गोल गोल बूब्स, ये भरी भरी कोमल जांघें और बीच में जन्नत जाने का रास्ता! ऐसा लगता है, भगवान ने तुम्हें बनाने में सारी मेहनत लगा दी है।

अब मैं इतनी तारीफ की उम्मीद नहीं कर रही थी तो मुस्कुरा के शर्मा के नीचे देखने लगी।

इस पर करन बोला- ऊपर से जब तुम शर्मा के नजरें झुकाती हो तो इतना प्यार आता है कि बस बांहों में भर लूँ और कभी न छोड़ूँ।
मैं उठकर उस के पास गयी और बोली- तो भर लो न बांहों में … किसने रोका है.
और करन ने मुझे अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया।

हमारे जिस्म एक दूसरे के संपर्क में आते ही और गर्म होने लगे और हम वासना की मदहोशी में खोने लगे. हम दोनों की आँखें बंद थी और गले लगे लगे एक दूसरे के जिस्म को जिस्म से रगड़ के आनन्द ले रहे थे।
मैंने आँखें खोली और करन को देखा, करन बोला- जब तुम इन खूबसूरत आंखों से ऐसे प्यार से उठाकर देखती हो तो ऐसा लगता है कि ये दुनिया यहीं रुक जाए और मैं इनमें डूब जाऊँ।

मैं इमोशनल सी हो गयी थी और शायद आँख में एक दो आँसू भी आ गया था।
करन बोला- अरे अरे क्या हुआ?
मैंने शिकायत भरे लहजे में कहा- देखो तुमने मुझे रुला दिया!
और नीचे देखने लगी।

करन ने मेरा चेहरा अपनी तरफ उठाया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम आँखें बंद कर के उम्महह… म्न्हह… करके किस करने लगे। धीरे धीरे चुम्बन और गहन होता चला गया और मैं दीवार से सटा के करन के होंठों को ऊपर नीचे चूसे जा रही थी और वो मेरे।

अब तक करन का एक हाथ मेरे बूब्स को मसल रहा था और मेरा एक एक हाथ उसके लन्ड तक जा पहुंचा था। मैं धीरे धीरे हथेली फैला के उसके लन्ड को ऊपर नीचे मसल रही थी और वो उत्तेजित होता जा रहा था। हम दोनों की चुम्बन करने की उम्म… उम्म… म्म्ह्ह… की आवाजें कमरे में ज़ोर ज़ोर से आ रही थी।

करन मुझे चूमते हुए धकेल के बेड पर ले आया और हम दोनों बेड पर गिर गए। करन मुझे किसी वहशी की तरह किस कर रहा था और मेरे जिस्म के एक एक हिस्से पर किस कर रहा था. मैं उसके चुम्बन से मछली की तरह तड़प के मचल रही थी।

अब करन ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल के हिलानी शुरू कर दी और मैं आनन्द से भरने लगी। मैं मंद मंद आवाज में उम्म्ह… अहह… हय… याह… कर रही थी.

कुछ ही देर में मेरी चूत चिकनी हो चुकी थी और लन्ड लेने को तड़प रही थी। मैंने करन से कहा- अब किसका इंतज़ार कर रहे हो, डाल दो ना अपना लन्ड।
करन बोला- इस बार नहीं लोगी मुंह में?
तो मैंने कहा- तुम डालो ना यार, रुका नहीं जा रहा।
करन ने कहा- अच्छा बाबा, डालता हूँ एक मिनट!

फिर वो उठ के तेल लेने चला गया, तेल की बोतल लाकर अपने लन्ड को चिकना करने लगा और बोला- अब ठीक है, डालूँ क्या?
मैं बोली- इसकी जरूरत नहीं थी, चूत वैसे ही बहुत चिकनी हो चुकी है, तुम बस डालो।

लेटे लेटे ही करन ने मेरी चूत पर लन्ड सेट किया और झुक के मेरे ऊपर आ गया। मैं उसकी आँखों में देख रही थी और हाँ में सिर हिला के इशारों इशारों में भीख मांग रही थी लन्ड डालने को। हल्का सा धक्का करन ने लगाया तो चिकनाहट के कारण लन्ड चूत में धीरे धीरे फिसलता चला गया और मैं सीईईई … सीईईई … सीईईई … करते हुए धीरे धीरे आँखें बंद किए ऊपर को खिसक गयी।

करन शुरू में धीरे धीरे पूरा लन्ड अंदर डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था और मैं आँखें बंद किए बेड में लेटे लेटे उम्मह… म्महह… उम्महह… करती हुई ऊपर नीचे हो रही थी। उसका लन्ड मेरी चूत की गहराई नापते हुए मेरे जी-स्पॉट तक रगड़ मार रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था।

वो भी हम्ममम… हम्ममम… हम्ममम… करते हुए प्यार से चोदे जा रहा था और मेरी आँखों में देखे जा रहा था।
मैंने बेड में ऊपर नीचे हिलते हुए देखा तो पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?
करन बोला- मैं देख रहा हूँ कि मेरी आँखों के सामने एक बला सी खूबसूरत लड़की नंगी लेटी हुई है और मेरा लन्ड उसकी चूत में जगह बनाता हुआ धीरे धीरे अंदर जाता है और जब वो आँखें बंद कर के इतनी मादक सिसकारियाँ लेती है तो कितनी खूबसूरत लगती है। शायद जन्नत यहीं पर है।

मैंने कहा- जन्नत का सुख आने में टाइम है, तुम चुदाई करते रहो।

अब करन ने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी थी और मैं आहह… आहह… करते हुए तेज़ तेज़ चुद रही थी। लगभग 5 मिनट बाद करन की सांस फूलने लगी तो ज़ोर ज़ोर से आन्हह… उन्न्हह … करने लगा।
मैंने कहा- थक गए हो तो आराम कर लो थोड़ा सा।
तो वो मेरे बगल में आ के गिर गया।

हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ करवट ले ली और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए बात करने लगे, साथ ही साथ मैं उसके लन्ड को सहला रही थी और वो मेरी जिस्म पर हाथ फिरा रहा था, कभी मेरे बूब्स पर से हाथ ले जाता हुआ मेरी कमर पर और फिर मेरी गांड पर ले गया.

मुझे कुछ बैचनी सी होने लगी तो मैं बोली- क्या कर रहे हो?
करन बोला- चलो न सुहानी, पीछे से कोशिश करते हैं आज।
मेरा माथा ठनका तो मैं बोली- तुम्हारा मतलब तुम मेरी पीछे से चोदना चाहते हो?

उसने शैतानी भरी मुस्कुराहट से हाँ में सर हिलाया।
मैं बोली- नहीं यार, आगे से जितना चाहे चोद लो, पर पीछे से नहीं प्लीज।
करन बोला- देखो, तुम्हारा मन नहीं है तो मैं ज़िद नहीं करूंगा पर एक बार कोशिश तो कर सकती हो न, प्लीज मेरे लिए, हम सब कुछ ट्राई कर सकते है ना, तुमने ही तो कहा था कि आज मैं कुछ भी मांग सकता हूँ।

मैं उठकर बैठ गयी और बोली- यार, समझ नहीं रहे तुम, पीछे से दर्द होता है बहुत।
करन बोला- तुम्हें कैसे पता कि दर्द होता है? करवाया है क्या तुमने पहले?

अब मैं उसे हर्षिल वाली बात नहीं बता सकती थी तो बोल दिया- नहीं यार, तन्वी ने बताया था।
करन बोला- अरे तुम डर क्यूँ रही हो, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा, प्लीज प्लीज प्लीज!
और करन अब बहुत ज़िद करने लगा।

कहानी जारी रहेगी.
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