मेरे जन्मदिन पर मेरे यार ने दिया दर्द-1

(Mere Janamdin Pe Mere Yaar Ne Diya Dard- Part 1)

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मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे हैं आप सब! मुझे यह जान कर बहुत अच्छा लगता है कि आप सबको मेरी कहानियाँ बहुत पसंद आ रही हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इसी तरह मुझे प्यार और समर्थन देते रहेंगे और मेरी कहानी को पसंद करते रहेंगे।

जिन पाठकों ने मेरी पिछली कहानियाँ नहीं पढ़ीं हैं और पहली बार मेरी कहानी पढ़ रहे हैं, मैं उन्हें एक बार फिर से अपने बारे में बता देना चाहती हूँ। मेरा नाम सुहानी चौधरी है और मेरी उम्र 22 साल है, मैं दिल्ली में ही पढ़ाई करती हूँ। वास्तव में मैं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से हूँ पर अब दिल्ली में ही हॉस्टल में रहती हूँ अपनी सहेली तन्वी के साथ।

मैं बचपन से ही उन कुछ भाग्यशाली इन्सानों में से हूँ जो शायद कभी गणित में फ़ेल नहीं हुए, कभी कुछ गलत करते पकड़े नहीं गए, चेहरे पे हल्के से भी दाग धब्बे नहीं हैं और रंग गोरा और बिलकुल चिकना है और चेहरा बहुत हंसमुख है. उस पर जवानी की एक अलग ही चमक है। शरीर बिलकुल सही कद काठी का है.

काफी लोग मेरा फ़िगर पूछते रहते हैं तो उनकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मेरा फ़िगर पहले सामान्य ही था पर अब 36-26-36 हो गया है। मैं शक्ल से बचपन से ही काफी सुंदर और मासूम सी दिखती हूँ और पिछले साल तक तो थी भी। मेरे कुछ दोस्त तो यहाँ तक कहते थे कि सब बड़े हो गए पर सुहानी सिर्फ शरीर से बड़ी हो गयी पर शक्ल से तो अब भी बच्चों जैसे मासूम ही दिखती है।

मेरा स्वभाव भी काफी नर्म है और मैं सबसे प्यार से बात करती हूँ, कोई एट्टीट्यूड नहीं, कोई नखरा नहीं, पर जब कोई मुझे ज्यादा ही परेशान करने लगता है तो बस मैं बात करना बंद कर देती हूँ।

मेरा एक बॉयफ्रेंड है जिसका नाम करन है पर वो दूसरे शहर में रहता है। मेरे बारे में और अधिक जानने के लिए नए पाठकों से अनुरोध है कि मेरी पिछली कहानियों को भी पढ़ें और अगर आपको अच्छी लगे तो लाइक भी जरूर करें, इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है।
तो चलिये आगे की कहानी में आगे बढ़ते हैं।

हर्षिल के यहाँ से आए हुए हमें एक हफ्ते से ज्यादा हो गया था और मैं और तन्वी अपनी कॉलेज लाइफ में व्यस्त हो गए थे। पढ़ाई का दबाव काफी बढ़ गया था और इधर उधर की बातों में पढ़ाई से ध्यान भी भटक गया था।
अगले महीने मेरा जन्मदिन आने वाला था, तो तन्वी ने पूछा- इस बार जन्मदिन पे क्या प्लान कर रही है, कहाँ पार्टी दे रही है?
मैंने कहा- यार कैसी पार्टी, पढ़ाई करनी है वरना इस बार तो फ़ेल हो जाऊँगी पक्का। बर्थडे तो हर साल आता है, फिर कभी मना लेंगे।

मेरा ज़्यादातर वक्त करन के साथ फोन पे बात करते हुए बीतता था, हम हमेशा या तो फोन पे या चैट पे लगे रहते थे। जिन पाठकों ने मेरी पिछली कहानी
भाई की शादी में सुहागरात मनाई
नहीं पढ़ी, मैं उन सबको करन के बारे में थोड़ा सा बता दूँ।

मैं और करन मेरे मामा के लड़के की शादी में मिले थे, करन लड़की वालों की तरफ से था और जॉब करता था। वो दिखने में बहुत क्यूट और हैंडसम है। मैं भी बहुत क्यूट और मासूम सी दिखती हूँ तो तन्वी हम दोनों को क्यूट कपल कह के बुलाती थी। तभी से हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे।

अब प्यार सच्चा था या नहीं ये तो नहीं कह सकते … पर हम दोनों को एक दूसरे से बात करना बहुत पसंद था, हम लगभग हर बात शेयर करते थे। बस मैंने उसे हर्षिल वाली बात का नहीं बताया था, नहीं तो उसका दिल टूट जाता।

मेरे जन्मदिन पर वो दिल्ली आने वाला था। मैं उससे अब तक सिर्फ शादी में ही मिली थी एक बार, और उतने में ही हमारे बीच वो सब हो गया था।

धीरे धीरे वक़्त बीतता गया और अगला महीना भी आ गया, मेरा जन्मदिन दो दिन बाद ही था, करन भी दिल्ली आ चुका था और अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ रुका हुआ था। मुझे उसका फोन आया तो उसने बताया- बेबी, मैं दिल्ली आ गया हूँ, चलो मिलते हैं कल।
मैंने उसे ऐसे ही तड़पाने के लिए कहा- नहीं बाबू, अभी नहीं, पेपर आने वाले हैं, परसों ही मिल लेंगे थोड़ी देर के लिए।
उसने कहा- प्लीज यार … मैं इतनी दूर से सिर्फ तुम्हारे लिए आया हूँ, चलो कल मिलते हैं।

मैंने कहा- नहीं यार, समझा करो, अगर कल बाहर निकली हॉस्टल से तो परसों की परमिशन नहीं मिल पाएगी, रोज़ रोज़ बाहर नहीं जाने देती हॉस्टल की वार्डन, इस बार जन्मदिन मैं तुम्हारे साथ मनाना चाहती हूँ।
करन बोला- अच्छा ठीक है, हॉस्टल के गेट के बाहर तो मिलने आ सकती हो 10 मिनट के लिए?
मैंने कहा- हाँ, वो कर सकती हूँ।

अगले दिन शाम को करन का फोन आया तो मैं और तन्वी उससे मिलने हॉस्टल के बाहर चले गए। करन अपने रिश्तेदार की गाड़ी लेकर आया था और मेन गेट से थोड़ी दूर पे इंतज़ार कर रहा था। तकरीबन 2 महीने बाद हम एक दूसरे को आमने सामने देख रहे थे.

मैं उसे देख के भाग कर उससे लिपट गयी और गले लगा लिया ज़ोर से। हम ऐसे ही 30-40 सेकंड तक गले गले रहे.
तन्वी बोली- मैं भी हूँ करन, मैं और सुहानी साथ ही आए है, तुम लोग तो मुझे भूल ही गए शायद?
मैं शर्मा के मुस्कुराने लगी और नीचे देखने लगी।

करन भी मुस्कुरा दिया और बोला- बिलकुल तन्वी जी, आप का तो बहुत बड़ा हाथ है हमें मिलाने में।
फिर करन और तन्वी भी गले मिले और हम वहीं खड़े खड़े इधर उधर की बातें करने लगे।

हमें बात करते करते कब आधा घंटा हो गया पता ही नहीं चला, सूरज ढलने लगा था और दूर बादलों में डूबता हुआ दिखाई दे रहा था।
तन्वी ने कहा- चल अब चलते हैं वरना वार्डन कल बर्थडे पे कहीं नहीं जाने देगी।

मैं करन से दूर नहीं जाना चाहती थी पर कोई और चारा नहीं था, मैंने करन से कहा- मुझे जाना होगा।
करन ने कहा- चलो कोई नहीं, कल मिलेंगे, अपना ख्याल रखना।
मैं ज़ोर से करन के गले लग गयी और फिर अलग होकर बोली- चल तन्वी।
करन बोला- बस सिर्फ गले? एक गुडबाइ किस तो दो।

मुझे तुरंत शादी वाली रात की बात याद आ गयी, मैंने कहा- बिलकुल नहीं, ये तरकीब यहाँ नहीं चलेगी।
तन्वी भी हंसने लगी और बोली- अभी तो शाम ही है करन जी, रात के 3-4 बजने में बहुत टाइम है।
वो मुस्कुराने लगा और बोला- ठीक है, मैं 3 बजे तक यहीं रुक जाता हूँ फिर।

मैं समझ गयी कि करन बिना किस लिए नहीं जाएगा। मैं करन के पास तेज़ तेज़ आयी और उसके कान के पास से उसका सर अपने दोनों हाथों में पकड़ के ज़ोर से अपने होंठ उसके होंठ पे रख दिये और ज़ोर से किस कर दी और हम दोनों गाड़ी के सहारे टिक गए।

करन को इसकी उम्मीद नहीं थी शायद … तो उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी. फिर धीरे धीरे हम दोनों एक गहरी और लंबी किस करने लगे। तन्वी आंखें फाड़ फाड़ के देख रही थी चुपचाप, वो पक्का सोच रही होगी कि मैं कितनी बेशर्म होती जा रही हूँ।

लगभग एक मिनट बाद वो बोली- कहो तो कार की सीट खोल दूँ करन की, आगे का कार्यक्रम भी यहीं कर लो।
हम अपनी सुधबुध में वापस आए तो अलग हुए और मैं हड़बड़ा के पलटी और बाय बोल के चलने लगी और हॉस्टल में आ गयी।
थोड़ी देर में तन्वी भी वापस आ गयी।

मैंने तन्वी को बोला- तुझे शर्म नहीं आती, कोई अपने रोमांटिक पलों का लुत्फ ले रहा है और हर बार तू बीच में बोल के सारा मजा किरकिरा कर देती है।
तन्वी बोली- अच्छा जी … इतनी ही आग है तो कल जी भर के चुदवा लियो, वैसे बर्थडे पार्टी तो बहाना है, असल में तो उसे तुझे चोदना ही है, हैं ना?
मैं हंस कर बोली- तू सुधरियो मत, हमेशा एक ही चीज़ सोचियो।
फिर हमने रात को खाना खाया और सो गई।

रात को ठीक 12 बजे करन का फोन आया और उसने बोला- हैप्पी बर्थडे में डियर सुहानी चौधरी।
मैं बोली- थैंक यू वेरी मच।
फिर करन बोला- गिफ्ट कैसा लगा?
मैं बोली- कौन सा गिफ्ट?
उसने बोला- चादर से निकलो और साइड में मेज पे देखो।
मैंने देखा तो वहाँ एक गिफ्ट बॉक्स रखा था, मैं बोली- अरे !!, थैंक्स यू डियर, मैं समझ गयी थी कि उसने यह गिफ्ट तन्वी के हाथों रखवाया है।

तन्वी भी उठ चुकी थी और उसने भी मुझे जन्मदिन की बधाई दी।
करन फोन पे बोला- गिफ्ट खोल के तो देखो!
तो मैंने खोला, उसके अंदर एक लाल रंग की बहुत खूबसूरत साड़ी थी. तभी तन्वी ने एक बॉक्स मेरे हाथ में रख दिया और बोला- ये मेरी तरफ से गिफ्ट।
मैंने उसे खोला तो उसमें मेरे लिए साड़ी के मैचिंग रंग का ब्लाउज़ और पेटीकोट था।

मैंने दोनों शुक्रिया कहा. फिर करन ने कहा- अगर कल तुम ये पहन के आओगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा, मैं कल तुम्हें अपनी बीवी के रूप में देखना चाहता हूँ।
मैंने कहा- अरे, मैं ऐसे कैसे पहन के आ जाऊँगी, अभी तो ब्लाउज़ की फिटिंग भी नहीं हुई होगी.
तो तन्वी बोली- तू उसकी चिंता मत कर मैंने तेरे साइज़ के हिसाब से सब फिटिंग करवा दी थी। करन ने मुझे पहले ही बता दिया था कि मैं इस साड़ी के हिसाब से खरीद दूँ ये सब।

मैं खुश हो गयी और बोली- अच्छा गिफ्ट पहले ही प्लान कर लिया था तुम दोनों ने।
करन ने फोन पे कहा- हाँ डियर, चलो अब तुम चाहो तो सो सकती हो, कल मिलते हैं पार्टी के लिए।
मैंने कहा- ठीक है जी! और मुझे गिफ्ट बहुत पसंद आया तुम दोनों का ही।

शायद पहली बार मुझे किसी ने साड़ी गिफ्ट की थी।
फिर मैं सब समान रख के मुसकुराते हुए सो गयी।

धन्यवाद।
[email protected]
कहानी जारी रहेगी.

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