चरित्र बदलाव-10

(Charitra Badlav- Part 10)

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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार और ढेर सारा प्यार! कहानी के बारे में जानने के लिए कहानी के पिछले भाग जरूर पढ़िए, मैं उम्मीद करता हूँ कि आप मित्रों और लड़कियों को मेरी कहानी जरूर पसंद आएगी.

नए पाठकों को बता दूँ कि मेरा नाम अमित अग्रवाल है और मैं रोहिणी, दिल्ली का रहने वाला हूँ, एथेलेटिक शरीर का मालिक हूँ और मेरा लण्ड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.

सोनम से अलग होने के बाद मैं अकेला-अकेला सा रहने लगा, मेरा किसी भी और काम में मन नहीं लगता था. मैंने नौकरी ढूँढना भी छोड़ दिया इसलिए मुझे कहीं नौकरी नहीं मिली. योगी और सोनम भी दिल्ली छोड़ कर जा चुके थे.

आखिर मुझे पिताजी की सिफारिश पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में लेक्चरार की नौकरी मिल गई. मैं भी जॉयन करने से मना नहीं किया क्योंकि डी.यू. की लड़कियाँ तो किसी मुर्दे को भी जगा सकती हैं, तो मैं क्या चीज़ हूँ. यही सोचकर कि शायद वहाँ मेरा मन लग जाए मैंने ज्वाइन कर लिया. मगर मुझे टीचर की नौकरी पसंद नहीं आ रही थी इसलिए मैंने स्वाति दीदी से सिफारिश लगाने के लिए कहा, तो दीदी ने कुछ दिनों तक इन्तजार करने के लिए कहा.
ऐसे ही कुछ और दिन बीत गए.

एक दिन मैं अपने घर पर बैठा था, तभी किसी का फोन आया. मैंने फोन उठाया तो वो स्वाति दीदी का था.
स्वाति दीदी बोली कि उन्होंने उनके पुराने बॉस श्यामलाल से मेरी नौकरी की बात कर ली है.

पर मैं उस आदमी के नीचे काम नहीं करना चाहता था जिसने मेरी बहन को अपने दूसरे नौकर के साथ मिलकर चोदा था, मगर मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था क्योंकि एक लेक्चरार की सेलरी पर काम करना मुश्किल था इसलिए अगले ही दिन मैंने कॉलेज से छुट्टी ली और श्यामलाल के ऑफिस चल पड़ा.

श्यामलाल के ऑफिस पहुँचने के कुछ ही देर बाद श्यामलाल ने मुझे बुलाया और बोला- अभी तो मेरे पास कोई काम खाली नहीं है, मगर तुम्हारी बहन की सिफारिश के कारण मैं तुम्हें खाली हाथ भी नहीं भेज सकता.

उसने मुझे उसकी बेटी को पढ़ाने के लिए रख लिया, मैं उसे मना करना चाहता था मगर पढ़ाने के लिए उसने काफी ज्यादा पैसे देने कि पेशकश की और मैं कॉलेज के साथ-साथ

उसकी बेटी को पढ़ा भी सकता था इसलिए मुझे कोई परेशानी नहीं थी और मैंने हाँ कह दी.

श्यामलाल ने बाहर कुछ देर इन्तजार करने के लिए कहा और बोला- कुछ ही देर में मेरी बेटी भी यहाँ आने वाली है तो तुम भी उससे मिल सकते हो और जल्द से जल्द पढ़ाना शुरू कर सकते हो.

मैं केबिन के बाहर बैठ कर इन्तजार करने लगा.

कुछ देर इन्तजार करने के बाद श्यामलाल ने मुझे अंदर बुलाया और मुझे अपनी बेटी से मिलवाया. उसकी बेटी को मैंने एक बार देखा तो देखता ही रह गया. वैसे तो श्यामलाल की बेटी ने सूट पहन रखा था मगर वो इतना कसा था कि उसमे से उस लड़की के शरीर के पूरे दर्शन हो रहे थे और उसके चूचे तो इतने मोटे थे कि मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था.

और उसके होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक जैसे उसकी ख़ूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी.

मगर मैंने अपने आप को संभाला और बोला- हाय! माय नेम इस अमित!

फिर उसने अपना नाम तान्या बताया, श्यामलाल ने अगले दिन से ही पढ़ाने की लिए कहा.

अगले दिन मैं ठीक पाँच बजे तान्या के घर उसको पढ़ाने के लिए पहुँच गया, वैसे तो तान्या बला की खूबसूरत थी मगर मेरे पास कोई और अच्छी नौकरी नहीं थी और मैं सेक्स के वशीभूत होकर यह नौकरी खोना नहीं चाहता था इसलिए मैंने संकल्प कर लिया कि मैं तान्या को पूरी ईमानदारी से पढ़ाऊँगा.

जब मैं घर के अंदर पहुँचा तो देखा कि घर बहुत ही शानदार है, मैंने नौकरों से तान्या का कमरा पूछा और सीधा कमरे में घुस गया.

तान्या उस वक्त मेक-अप कर रही थी. तान्या ने मुझे कुछ देर इन्तजार करने के लिए कहा जो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा मगर और कोई रास्ता ना होने के कारण मैंने इन्तजार करना ही ठीक समझा, मैंने सोचा चलो एक दिन की ही बात है.

मगर फिर रोजाना यही होने लगा.

एक दिन जब मैं तान्या के कमरे में पहुंचा तो तान्या रो रही थी. मैंने तान्या से इसका कारण जानना चाहा तो पता चला कि उसके बॉयफ़्रेंड ने उसको छोड़ दिया है.

तो मेरे दिल में ख्याल आया- कौन पागल लड़का है जो इतनी सुन्दर और अमीर बाप की इकलौती लड़की को छोड़ सकता है!

मगर शायद वो तान्या के नखरों से तंग आ गया होगा. मेरा काम तो उसको पढ़ाना था और मुझे इसी के पैसे मिलने थे तो मैं वही करने लगा. फिर कुछ दिनों तक यही चलता रहा.

एक शाम जब मैं तान्या को पढ़ा रहा था तो तान्या बेहोश हो गई, मैंने जल्दी से नौकरों को बुलाया तो उन्होंने बताया कि तान्या ने सुबह से कुछ नहीं खाया है, शायद उसी के कारण ऐसा हुआ.

मैंने तान्या को बाहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया, उसके बाद सारे नौकर वहाँ से चले गए. अब मैं और तान्या ही उस कमरे में थे, मेरा पूरा ध्यान तान्या के होंठो की तरफ था, मैं अपनी कुर्सी से उठा और तान्या का चेहरा पकड़ कर तान्या के होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया.

तभी तान्या की आँखें खुल गई और उसे पता चल गया कि मैंने उसे चूमा किया है, मैं घबरा कर पीछे हो गया. मगर मेरी इस हरकत से तान्या के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई, मैं समझ गया कि रास्ता साफ़ है और मैं फिर तान्या की तरफ बढ़ा और फिर तान्या के होंठों को एक बार फ़िर से चूम लिया.

इस बार तान्या भी मेरा साथ दे रही थी. तभी मुझे तान्या के पापा श्यामलाल की आवाज़ आई, शायद नौकरों ने तान्या के बेहोश होने की खबर श्यामलाल को कर दी थी, इसलिए मैंने वहाँ से निकलना ही ठीक समझा और तान्या से अगले दिन का कह कर वहाँ से निकल गया.

अगले दिन मुझे तान्या के घर पहुँचने की जल्दी थी, शाम के करीब पाँच बजे मैं तान्या के घर पहुँच गया और सीधा तान्या के कमरे में घुस गया. मगर वहाँ कोई नहीं था.

मैंने बाहर आकर नौकरों से पूछा तो उन्होंने कहा- तान्या मेमसाहब अभी बाहर गई हैं. आपको इन्तजार करने के लिए कहा है.

मैं वहीं तान्या का इन्तजार करने लगा, कुछ ही देर में तान्या एक नीले रंग की नाइटी पहन कर मेरे सामने आई, उस नाइटी में तान्या क़यामत लग रही थी और वो क़यामत मेरे ऊपर क़यामत गिरा रही थी.

उस नाइटी में से उसके स्तन बाहर झाँक रहे थे. शायद तान्या ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और तान्या का वक्षाकार भी इतना बड़ा था कि अगर ब्रा भी होती तो भी उसके चूचे बाहर ही झांकते.

उस नीले रंग की नाइटी के साथ-साथ तान्या ने अपने होंठों पर भी नीले रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी, तान्या के इस रूप को देखकर मैं इतना मस्त हो गया कि मैं सब कुछ भूल गया, मैं उसकी तरफ इतना आकर्षित हो चुका था कि मैंने उठकर जबरदस्ती उसे बाहों में भर लिया और अपने होंठो से उसके होंठ बंद कर दिए.

तान्या ने भी इसका विरोध नहीं किया और वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी.

मैं तान्या के बारे में ज्यादा नहीं जानता था मगर उसकी हरकतों को देखकर लग रहा था कि उसे पहले भी यह सब करने का अनुभव था. उत्तेजनावश तान्या ने मेरी टी-शर्ट फाड़ दी और मेरी पेंट की ज़िप खोल दी और मेरा लण्ड बाहर निकाल कर चूसने लगी.

मैं भी उसकी उत्तेजना देखकर पागल हो गया और अपनी पैंट और अंडरवियर उतार फेंकी, तान्या मेरा लण्ड चूसे जा रही थी. तान्या के चूसने की कारण मेरा लण्ड बिल्कुल फ़ूल कर हो गया.

मैंने तान्या को उठाया और उसकी नाइटी खोल दी, सचमुच तान्या ने अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी. शायद वो पहले से ही इसकी योजना बना कर आई थी. मैंने तान्या को बाल पकड़ कर उठाया और एक रण्डी की तरह बिस्तर पर पटक दिया. उसके बाद तान्या अपनी चूत में अपनी उंगली डालने लगी उसको ये करते देखकर तो मैं पागल हो गया और बिना कंडोम पहने ही उसके ऊपर लेट गया. मैं उसके ऊपर चढ़

कर उसके चुचे दबाने लगा और अपना लण्ड फिर से उसके मुंह में डाल दिया, तान्या बिल्कुल एक रण्डी की तरह मेरा लण्ड चूसे जा रही थी. 15 मिनट तक लण्ड चुसवाने के बाद मैंने उसके मुँह से अपना लण्ड निकाला और उसकी चूत के कोने पर रख दिया और एक जोर का झटका मारा.
तान्या इतने जोर से चिल्लाई कि उसकी आवाज से पूरा कमरा गूँज उठा मगर दरवाजा बंद होने की वजह से आवाज बाहर नहीं गई. मैं लगातार झटके मारता रहा और तान्या यूँ ही चिल्लाती रही.

15-20 मिनट तक झटके मारने के बाद मैं तान्या की चूत में ही झड़ गया मगर इस बीच तान्या पहले ही झड़ चुकी थी. हम दोनों काफी देर तक एक-दूसरे के ऊपर ही लेटे रहे.
कुछ देर के बाद मुझे किसी के आने की आवाज आई, फिर हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने और हम दोनों नीचे आ गए.

श्यामलाल घर में आ चुका था. उसके बाद कुछ दिनों तक मैं तान्या को उसके घर पढ़ाने नहीं जा सका.

फिर एक दिन श्यामलाल का फोन आया और वो गुस्से में बोला- तान्या तेरे बच्चे की माँ बनने वाली है.

और मैं सीधा तान्या के घर चल दिया. श्यामलाल के पास कोई विकल्प नहीं था इसलिए उसने मेरे माता-पिता के सामने मेरी और तान्या के शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे मेरे माता-पिता ने मान लिया. वैसे भी श्यामलाल की तान्या के अलावा कोई और औलाद भी नहीं थी इसलिए कानूनी तौर पर उसकी सारी जायदाद पर भी मेरा अधिकार था.
कुछ दिनों के बाद मेरी और तान्या की शादी हो गई.

आपको मेरी कहानी का यह अन्तिम भाग कैसा लगा जरूर बताइयेगा.
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