गलतफहमी-7

(Galatfahami- Part 7)

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दोस्तो, अब तक आपने एक पाठिका और उसकी दीदी से मेरी मुलाकात गलतफहमियों और नजदीकियों के साथ, काल्पनिक चुदाई की शुरुआत और औरत के दर्द के बारे में उनके विचारों को पढ़ा। इस कहानी पर मुझे आप सबके विचार प्राप्त हो रहे हैं, ऐसा ही प्यार बनाये रखिए।
अब आगे…

कल्पना भी चुदाई के लिए बेचैन हो रही थी, उसने आभा को मेरे लंड से हटने को कहा। पर इस बार हमने अलग ही पोजीशन सैट की, आभा जमीन में लेट गई और कल्पना ने अपना मुंह उसकी चूत के पास ले जाते हुए खुद को कुतिया बना लिया और मैं कल्पना की चूत में पीछे से खडे होकर लंड घिसने लगा.
कल्पना के नर्म गद्देदार और रस बहा चुकी चूत के मुहाने पर मेरा लंड इतरा रहा था, मैं लंड को सेट किया हुआ ही था कि कल्पना ने खुद को पीछे धकेल दिया और लंड का सुपारा सहित लगभग दो इंच चूत में घूस गया मेरे मुंह से आहहह निकल गई.. और कल्पना के मुंह से ईस्स्स्स्…

शायद हम दोनों की ही आंखें मजे से बंद हो गई थी, मेरी आंखें तो पक्का बंद हुई थी और कल्पना का मुंह दूसरी ओर था इसलिए मैं कुछ कह नहीं सकता।

मैंने भी अपनी गति बहुत आहिस्ते से बढ़ानी शुरू की, कल्पना आनन्द के सागर में खोते जा रही थी और आभा, जिसने अपनी बहन के लिए लंड का त्याग किया था, उसे भी उसकी छोटी बहन ने तड़पने नहीं दिया।
उसने पहले बहुत अच्छे से उसकी चूत में उंगलियाँ घुमाई, फिर डिल्डो से चुदाई करने लगी।

अब हम तीनों ने गति पकड़ ली थी। मैंने पीछे से सामने हाथ बढ़ा कर कल्पना के बड़े-बड़े हिलते हुए मम्मों को थाम लिया, इससे मेरी पकड़ और अच्छी हो गई तो मेरी गति भी और बढ़ने लगी। कल्पना की खुली चूत में मेरा लंड सटासट फिसल रहा था और उसके कूल्हों से नगाड़े की थाप जैसी आवाज आने लगी, मेरी गोलियां भी हिल-हिल कर उसकी चूत से टकरा रही थी, जिससे हम दोनों ही और ज्यादा उत्तेजित हो रहे थे।
पूरा हाल आहहह ओहह आआउउच ईईस्स्स की मधुर ध्वनि में डूबा हुआ था।

‘और जोर से करो… आहहह बहुत मजा आ रहा है… कितना मजबूत और शानदार लंड पाल रखा है तुमने.. आह संदीप तुमने तो मुझे पागल कर दिया..’ और जाने ऐसे ही क्या-क्या बड़बड़ाते हुए मेरी मदमस्त कल्पना कंपकंपाने लगी, शायद वो झड़ने वाली थी और उसका सारा ध्यान स्खलित होने में था, इसलिए उसने आभा की चूत में डिल्डो पेलना भी रोक दिया।

लेकिन आभा भी चरम पर पहुंचने ही वाली थी, इसलिए उसने डिल्डो खुद पकड़ कर अंदर तक पेलना शुरू किया। हम तीनों क्या-क्या बड़बड़ा रहे थे, हमें ही नहीं पता था।

अब हम सब एक लय में रति क्रिया करते हुए झड़ने लगे। सबसे पहले आभा अकड़ने लगी और डिल्डो को बिजली की तेजी से घुसाने लगी फिर अचानक आहहह करते हुए अपने आपको करवट लिए जैसा अकड़ा लिया और डिल्डो की गति अचानक कम हो गई और अब वो डिल्डो से महज चूत को सहला रही थी। उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डिल्डो में सफेद लसदार द्रव्य चिपका हुआ था। पसीने और कामरस की हर एक बूँद शबनम की तरह चमक रही थी।

अब कल्पना का भी कुछ ऐसा ही हाल था, वो भी पसीने से तरबतर अपनी आंखें बंद करके झड़ने का प्रयास कर रही थी, उसके शरीर में भी ऐंठन होने लगी मुझे लंड में अचानक ही कसाव महसूस होने लगा, मेरी गति भी विद्युत की गति को मात देने वाली थी।
कल्पना अपना सर आभा के पेट में टिका के झुक गई।

अब मैंने उसके उरोजों को छोड़ कर उसकी कमर को थाम लिया और उरोजों को आभा ने अपने हाथों से दबाकर आराम दिया।
अचानक ही ईस्स्स्स् की लंबी आवाज आई। और फिर संदीप… शब्द को रबर की तरह खींचते हुए.. कल्पना ने भी रस बहा दिया।

मैंने अपने लंड पर एक गर्म लावे के भण्डार को महसूस किया, वही कल्पना का यौवन रस था, कल्पना अब किसी मासूम बच्चे जैसी हल्की और शांत होने लगी, पर मेरा स्खलन अभी बाकी था.
तो मेरी गति और तेज होने लगी, मेरे पाँव भी थरथरा रहे थे, सांस फूलने लगी, लंड में दर्द होने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड की नसें फटने वाली हैं।

अब मैंने कल्पना के कूल्हों पर चपत लगानी शुरु कर दी, कल्पना एकदम सफेद गोरी नहीं थी फिर भी उसके चूतड़ों पर मेरे थपेड़ों से बने उंगलियों के निशान स्पष्ट नजर आ रहे थे.
मैं ‘आहह उऊहह कलल्पना… ओहहह जान… तुम बहुत अच्छी हो, मैं आने वाला हूं… आहहह मैं आने वाला हूं… वोहह मेरा निकलने वाला है… कहते हुए… मैंने लंड निकाल कर हाथ से हिलाना शुरू कर दिया और दोनों ही हसीनाओं ने पलक झपकते ही पोजीशन संभाल कर मेरे लंड के सामने मुंह खोल लिया और वीर्य की पिचकारी का इंतजार करने लगी।

उनको ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पडा, बस दस बारह झटकों बाद ही मेरा लावा फूट पडा और मैं अकड़ने लगा, कांपने लगा, मेरी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा, सब कुछ शांत, सुखद, लगने लगा, आत्मा की तृप्ति, संसारिक मोह माया से परे होकर मैं बस अपने अमृत की बूंदों को बांट रहा था।

मेरी पिचकारी ने सीधा कल्पना के आंखों को निशाना बनाया, कल्पना को इस हमले की वजह से चेहरा पीछे खींचना पड़ा। आभा ज्यादा प्रशिक्षित थी इसलिए उसने अपनी आंखें बंद ही रखी थी, फिर कुछ और झटकों के साथ मैंने दोनों के चेहरे और मम्मों में वीर्य गिरा दिया।

मेरा वीर्य औरों के मुकाबले कम निकलता है पर गाढ़ा होता है और पिचकारी भी आज अति उत्तेजना की वजह से तेज छोड़ी थी। जो बूँदें उनके मुंह में गई उन्होंने उन्हीं बूंदों को गटका बाकी सब उन्होंने पास रखे दुपट्टे से साफ कर दिया।

हम तीनों खुद को बहुत हल्का और खुश महसूस कर रहे थे पर थकावट भी बहुत लग रही थी।

हमने अनमने ढंग से ही अपने-अपने अंडरवियर पहने और फिर आभा ने बेडरूम चलने को कहा.
मैं वहां जाकर तकिया लगाकर लेट गया, फिर कल्पना जल्दी से वाशरूम होकर आई और मेरे सीने पर सर रख कर लेट गई। फिर आभा आई और मेरे जांघों पर अपना सर रख कर लेट गई।
हमारी आंखें कब लगी, हमें पता ही नहीं चला।

रात को मेरे लंड पर मैंने किसी रगड़ या छुवन को महसूस किया और मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा कि आभा मेरा लंड सहला रही है, जिसे उसने मेरे अंडरवियर के बीच वाले छेद से निकाल रखा था.
कल्पना नींद में थी और वो मेरे सीने से ढलक कर बगल में सोई हुई थी।

मैंने घड़ी पर नजर घुमाई, इस वक्त रात के एक बजे थे और मेरा मन था सोने का… कल्पना तो पूरी ही गहरी नींद में थी लेकिन आभा ने लंड के साथ अपना स्खलन नहीं किया था और शायद इसीलिए उसकी तड़प ने उसे जगा दिया था।

हमें सोये हुए एक डेढ़ घंटा हुआ होगा।

आभा मेरे साथ बगल में आई.. और मेरे ऊपर अपना पैर लाद दिया, फिर मेरे कान को काटते हुए थैंक्स कहा और मेरे सीने को सहलाते हुए नजर नीची कर के धीरे से मेरी गांड में डिल्डो पेलने के लिए सॉरी कहा.
मैंने ‘कोई बात नहीं…’ कहते हुए उसके बाल सहला दिये तो उसने कहा- ओह, तो और डाल दूँ?

अब मैं आप लोगों को क्या बताऊं यार कि उस समय मेरी गांड कितनी जोर से फटी.. मैंने कंपकपाते हुए जोर से कहा- नननहही यार.. मैंने ऐसा नहीं कहा।
तो वो मुस्कुराते हुए कहने लगी- जानती हूं जान, मैं तो बस मजाक कर रही थी।
उसकी इस बात से डर थोड़ा कम हुआ।

अब हमने कल्पना को सोने दिया और उससे थोड़ा सरक कर उसी बेड पर चुसम-चुसाई का खेल शुरू कर दिया। हम ऐसे ही एक दूसरे को सहलाते हुए गर्म होने लगे, मेरा लंड फिर अकड़ने लगा, और आभा ऐसे ही लेटे हुए उसे सहलाने लगी।

फिर उसने मुझे मेरे माथे से चूमना चालू किया, वह बहुत आहिस्ते नीचे उतर रही थी, मैं उसके पीठ, कंधे बालों और चूचियों को सहला रहा था।
आभा ने अपनी पेंटी पहले ही उतार फेंकी थी। कमरे में बरामदे की दूधिया रोशनी आ रही थी और नाईट लैंप में लाल कलर की लाईट लगी थी जो गुलाबी प्रकाश फैला रही थी। ऐसे हल्के प्रकाश में आभा का खूबसूरत तराशा हुआ जिस्म ऐसा लग रहा था मानो किसी संगमरमर की मूर्ति में जान पड़ गई हो… पर अहसास बिल्कुल रुई जैसा मुलायम!

आभा की जीभ जब मेरे शरीर पर चल रही थी तब मुझे गुलाब की पंखुडियों की छुअन का अहसास हो रहा था। पर अचानक ही मुझे गुलाब के कांटे का भी अहसास हुआ.. मेरा मतलब आभा के नाखूनों से है।
उसने उत्तेजना में आकर अपने नाखून मेरे कमर में गड़ाये और अपने पैरों को मेरे दोनों तरफ करके अपनी चूत मेरे मुंह से टिका दिया, उम्म्ह… अहह… हय… याह… और मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया.
हम दोनों ने रसास्वादन के साथ-साथ हाथों से भी एक दूसरे को सुख पहुंचाने का प्रयत्न किया।
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तभी आंखों से एक तेज रोशनी टकराई, हम दोनों चौंक गये, देखा तो कल्पना हाथ में अपने जीजू का डी एस एल आर कैमरा लिये खड़ी थी।
आभा ने कहा- तू कब उठ गई? और हमारी फोटो खींच कर हमें मरवायेगी क्या?
कल्पना ने कहा- यार बिस्तर पर कोई बेखौफ चुदाई करे और बगल वाले की नींद ना खुले… ऐसा हो सकता है क्या? और आप पिक की चिंता ना करो! तुम लोगों की पोजीशन ऐसी है कि चेहरा छिपा जा रहा है.. तो दीदी जी.. बात ऐसी है कि.. आप बेधड़क होके चुदाई कीजिये और मैं फोटो खींचती हूं..

कल्पना की इस बात पर हम सभी एक साथ हंसे… और अपने कामों में लग गये। हमारी पहचान सामने नहीं आ रही थी, इसलिए डरने की कोई बात नहीं थी, ऐसे भी हम कल्पना पर पूरा भरोसा कर सकते थे, और हम फोटो को डिलीट भी कर सकते थे और फोटो खिंचवाते हुए चुदाई करने से खुद के अंदर पोर्न स्टार जैसी फीलिंग आ रही थी।

हमारा उत्साह दोगुना हो गया.. आभा ने अपने जौहर दिखाने शुरू कर दिये… और अपने गले तक लंड डालकर चूसने लगी।
फिर वो वैसे ही मेरे पैरों की तरफ सरक गई और मेरे लंड को अपनी चूत में सैट कर लिया, आभा की पीठ मेरे मुंह के तरफ थी। इस बार उसने अपनी गीली चूत में लंड एक ही बार में…

कहानी जारी रहेगी,..
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