कॉलेज गर्ल की इंडियन सेक्स स्टोरी-5

(College Girl Ki Indian Sex Story- Part 5)

This story is part of a series:

अब तक आपने इस इंडियन सेक्स स्टोरी के पिछले भाग में पढ़ा था कि मैं अपने गाँव गई हुई थी, मेरे गाँव में एक लड़के ने मुझे पकड़ लिया था और मेरी गांड की तरफ से मेरी जाँघों में लंड रगड़ कर माल निकाल कर भाग गया था.
अब आगे..

मैंने देखा कि मेरी पैंटी में कुछ बहुत सारा चिपचिपा सा लगा है. मैंने पैंटी सही की और सलवार कसके बांध ली कि अब फिर से आसानी से ना खुल जाए. मैं कुर्ता सही करने लगी तो मुझे लगा कि मेरी चुचियों में कुछ है. निकाला तो देखा 500 रूपये थे. रूपए निकाल कर मैंने कपड़े सही किए और सड़क पर आकर खड़ी हो गई.

मेरी चूचियां इतने जोर से दबाने पर दर्द सी करने लगी थीं और जो मेरी पैंटी में लग गया था, वो उस समय इतना ख़राब लग रहा था कि मैं क्या बताऊँ. इतना करवाने के मुझे 500 मिले थे. जबकि अमित ने केवल गले लगाने के 9000 की ड्रेस दे दी थी.

अब मैं परेशान हो रही थी कि तब तक अंजू आ गई. उसने आते ही मुझसे पूछा- कोई दिक्कत तो नहीं हुई दीदी?
मैंने भी हंस कर कहा- नहीं.. तुम क्या करने लगी थीं?
उसने बताया कि वो उससे प्यार करती है और बस दीदी उससे मिलने के लिए आई थी.
मैंने कहा- अब चलें?

हम दोनों घर चले गए. उसका ड्रेस मैंने निकाल कर तौलिया में लपेट लिया ताकि चिपचिपा वाला भाग दिख ना जाए. वो भी मेरे कपड़े निकाल कर अपने पहन कर चली गई.

मैंने वो कपड़े रखने के लिए उठाए तो देखा कि टॉप और जीन्स दोनों में वही चिपचिपा सा लगा था, जिसे वीर्य कहते हैं. फिर मैंने पैंटी निकाल कर उसे उसी टॉप से साफ किया. अपनी चूत को और गांड को भी पोंछा और फिर पैंटी, टॉप और जीन्स धुलने के लिए डाल दी.

मेरी चूचियां दबाने से लाल लाल हो गई थीं. दूसरे दिन मैंने सुबह कपड़े धोए और उस दिन मैं बाहर नहीं निकली. आज मुझे जाना था. शाम को मेरे भैया मुझे स्टेशन छोड़ने गए और कहा कि अच्छी तरह से पढ़ना और जब पहुँच जाओ तो कॉल कर देना.

मैंने हां कहा और ट्रेन ने अपनी सीट पर बैठ गई और थोड़ी देर बाद सो गई.

मैं सुबह 7 बजे दिल्ली पहुँच गई, उस दिन कॉलेज था तो दिव्या कमरे पर आ चुकी थी.

मैं स्टेशन से मेट्रो पकड़ के घर के पास पहुँच गई. वहां से एक रिक्शा करके घर पहुँच गई. कमरे में अन्दर जाकर मैं फ्रेश हुई और चाय पी.

फिर मैं और दिव्या कॉलेज चली गईं. वहीं से शाम को कोचिंग ज्वाइन कर ली.

मैंने 500 वाली बात किसी से नहीं बताई थी, लेकिन वो रूपये मैंने संभाल कर रखे थे. शाम को अवी से करीब 2 घंटे बात हुई. दूसरे दिन सिर्फ दस मिनट ही बात की. मैंने उसे भी नहीं बताया था.

शाम को मैंने अमित से बात की, वो भी दिव्या के मोबाइल से.. अपने से तो रोज ही या 2-3 दिन में होती रहती थी.
मैंने अमित को एसएमएस किया- और अब मिनी की कभी याद नहीं आती है क्या?
अमित- आती बहुत है पर अब उसका भी तो बॉयफ्रेंड है.. वो उससे भी बातें और सब कुछ करती होगी, जो हमारे बीच होता है.. है ना सही?

मैं सोचने लगी कि क्या होता है इन दोनों के बीच में? तब तक मैं सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी.. इसलिए मैंने सोचा जो अंजू ने किया था या उस लड़के ने जो मेरे पैरों के बीच में करके वाइट चिपचिपा निकाला था, वही होता होगा.
मैंने इस आधार पर सोचा था कि नहीं उनके बीच कुछ नहीं होता है, वो कुछ नहीं करती है.
मैं अमित से सिर्फ हम्म कहा.

अमित- अवी के बर्थडे में ऐसी लग रही थी कि उसकी पीछे की चैन खोल के किस कर लूँ.. बहुत रापचिक माल लग रही थी. अगर पैसे लेकर करने देती तो मैं दे देता, जितना वो लेती पर वो तुम्हारी सहेली है और सीधी भी है. मैंने उसके साथ पार्टी में डांस भी किया था. मेरे जीवन का सबसे हसीन लम्हा वही था और क्या सच में उसने अभी कुछ नहीं किया होगा?
मैं- अच्छा.. इतनी अच्छी लग रही थी? हाँ सच में अभी तक उसने कुछ नहीं किया है, केवल गले लगी है बस.
अमित- यार, तो जो मैंने एक बार कहा था, वो करवा दो ना मेरे लिए!
मैं- क्या करवाने का कहा था.. मैं भूल गई?
अमित- यार उसे गले लगाना और उसकी कमर पेट और गले में एक एक किस करना.. बस केवल एक ही बार करूँगा इसके सिवा कुछ नहीं करूँगा. इसके लिए पता नहीं मैं कब से तड़प रहा हूँ.

मैंने अपने मन में गांव का वो 500 के नोट के बारे में सोचा तो लालच सी आ गई. हां ये सही बात है कि अब तक मेरे मन में बहुत लालच आ गया था.
इसलिए मैंने लिख दिया- अच्छा करवा दूंगी ओके.
अमित- कब.. जल्दी बताओ?
मैं- तुम कब करना चाहते हो?
अमित- मैं तो अभी करना चाहता हूँ.. बताओ.
मैं- अच्छा इतनी बेचैनी? वैसे उसे इसके बदले में कुछ दोगे कि ऐसे ही कर लोगे?
अमित- मैं एक किस का एक हज़ार दूंगा और लिप किस के 5000 दे सकता हूँ पर वो लेगी कहां?

मुझे कॉलेज की फीस 10000 जमा करनी थी और मैं घर से बस 4000 लाई थी.

मैं- अरे जब देने का मन है तो दे देना, बताना मत बस और क्या?
अमित- ठीक है दे दूंगा.. पर कैसे वो कुछ करने को तैयार होगी और लेगी कैसे?
मैं- वो मैं कर दूंगी और कैसे देना है ये भी मैं बता दूंगी. अब तुम्हारे लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.
अमित- ठीक है मेरी जानेमन जी.. मैं दे दूंगा. अब जल्दी बताओ मुझे कब करने को मिलेगा और कैसे करूँगा? और कैसे उसे पैसे दूंगा?

मैं- तुम उसके लिए कोई एक गिफ्ट लो और उस गिफ्ट के अन्दर जितनी किस करनी है उसके रूपये जोड़ कर रख देना और एक चिट्ठी रख देना कि ये सब तुम्हारे लिए है.. तुम्हारा जानू.
अमित- ठीक है पर ये सब होगा कैसे?
मैं- कितनी किस करोगे.. ये जोड़ कर बताओ.. उससे ज्यादा एक भी किस नहीं होनी चाहिए. अभी भले ही एक ज्यादा बता देना.
अमित- एक कमर, एक पेट, एक ठोड़ी, तीन गले में और एक होंठों पर और दो दोनों जांघ में.. कुल 9 किस करूँगा बस.
मैं- ओके मतलब तुम केवल इस किस के 13000 रूपये खर्च कर दोगे पागल हो क्या? नहीं रहने दो..

ऐसा मैंने इसलिए कहा कि सच में ये इते पैसे देगा भी या नहीं?
अमित- मैं दे दूंगा.. पागल नहीं हूँ, तुम बस बताओ तो कैसे होगा?

मैं- ठीक है मैं बताती हूँ.. तुम 5000 का गिफ्ट ले लेना और बाकी के रूपये उसी में रख देना ओके.
अमित- ठीक है पर होगी कैसे?
मैं- दो दिन बाद मैं (मतलब दिव्या) एक पार्टी में जाऊँगी और मिनी नहीं जाएगी. तुम उस दिन रात को 11 बजे आना तुम्हें दरवाजा खुला मिलेगा. मैं उससे कह दूंगी कि सोने के पहले मुझसे बात कर ले. अगर मैं 20-25 मिनट में आने वाली होऊंगी तो दरवाजा खोल के सो जाए, अगर देर होगी तो बंद करके सो जाए.
अमित- ठीक है फिर..!
मैं- तो तुम आना, तुम्हें दरवाजा खुला मिलेगा, आकर अन्दर चले जाना वो सो रही होगी. उसी के पास तुम गिफ्ट रख देना और किस करके चले जाना और इस बात को दुबारा मुझसे पूछना भी मत और ठीक 11 बजे आ जाना.
अमित- ठीक है तुमसे दुबारा नहीं कहूँगा और मैं समय पर आ जाऊंगा.

ये बातें करके मैं बाय करके मोबाइल के एसएमएस मिटा दिए और लेट गया. अब मेरे मन में आ रहा था कि कमीने गांव में इतना किया, सिर्फ 500 दिया. यहाँ अमित से करवा लेती तो पता नहीं क्या दे देता. यही सोचते सोचते मैं सो गई.

सुबह जाग कर वही रोज के काम. फिर दूसरे दिन, जिस दिन दिव्या को पार्टी में जाना था.. और मुझे किस करवानी थी.. उस दिन की बात बताती हूँ.

हुआ कुछ ऐसे था.

शाम को दिव्या कोचिंग से आई और तैयार होने लगी. उसने मुझे जो अमित ने पहली बार ड्रेस दी थी, वही मांगी तो मैंने दे दी. फिर वो तैयार हो कर चली गई और बताया कि मैं कल सुबह आउंगी, तुम पढ़ने के बाद सो जाना.

पर मुझे सोना कहां था, मुझे तो किस करवा कर पैसे कमाने थे.

मुझसे इतना कह कर दिव्या चली गई. अब मैं अकेली थी तो मुझे ध्यान आया कि अमित ने कहां कहां किस करने को कहा था यानि मेरे सोने के नाटक में उतने अंग खुले होने चाहिए, नहीं तो वो किस कैसे करेगा. यही सोच रही थी कि अब कैसे जांघें कमर पेट और मम्मों के ऊपर का भाग, गले के पास.. वहां तो 3 किस करने वाला है, खुला रखूं.. कौन से कपड़े पहनूँ, यही देखने के लिए मैंने अपने सारे कपड़े निकाले. सारे कपड़े देखने के बाद मुझे वही ऐसा लगा जो अवी ने सुबह पहनने को दिया था. उसमें सब खुला रहता था. पेट भी और कन्धा भी और आधी पीठ और कमर भी और पैर भी सब कुछ ओपन रहता.

मैंने वही ड्रेस बाहर निकाल कर रख ली और सब कपड़े अन्दर रख दिए. उस समय 9 बज रहे थे तो मैं पढ़ने लगी. मैंने सोचा जब 10 बज जाएंगे, तब तैयार होना शुरू करूँगी. फिर 10 बजे का अलार्म लगा कर पढ़ने लगी.

दस बजे अलार्म बजा तो मैं उठी और हाथ पैर धोने चली गई. इसके बाद मैंने बाल सही किए.. हल्का सा मेकअप किया लेकिन फिर पता नहीं क्या लगा तो और गहरा मेकअप कर लिया. क्योंकि हल्की लाइट में अच्छी लग सकूँ. फिर कामसूत्र का बॉडी स्प्रे डाला, अपने जो कपड़े निकाल कर रखे थे, वो पहन लिए. इसमें मैंने ब्रा रबड़ वाली पहनी ताकि ऊपर कुछ ना रहे. इसमें मेरी चूचियां भी काफी उठी उठी नुकीली नुकीली लगती थीं. ऊपर टॉप पहना, पर उसके बटन बंद नहीं किए ताकि अमित को और ज्यादा आकर्षित कर सकूँ. फिर स्कर्ट पहन कर रूपये कमाने और किस करवाने के लिए तैयार हो गई थी.

अब वह क्या क्या करने वाला था, ये मैंने एक भी बार नहीं सोचा था. बस मेरे मन में यही था कि कुछ किस के बदले इतने रूपये मिलने वाले थे.
अब तक 10:45 हो गये थे तो मैं गई और दरवाजा खोल दिया और लाइट ऑफ कर दी. फिर आकर अपने बिस्तर पर लेट गई. लेटने के बाद मैंने घुटने तक चादर डाल ली और टॉप को ऊपर करके पेट और कमर खोल दी और ऊपर से हटा कर दोनों हाथों में कर दिया क्योंकि टॉप बड़े गले का था तो दोनों कंधे वैसे भी खुले रहते थे. मेरे ऐसा करने से और खुल गए.

अब टॉप केवल मेरे मम्मों पर था लेकिन इतना झीना था कि अन्दर का सब दिख रहा था, ब्रा की वजह से मेरी चूचियां माउंट की तरह उठी थीं. फिर मैं सोने का नाटक करने लगी.

ठीक 11:05 मिनट पर दरवाजा खुला तो मुझे लगा कि वो अमित आ गया है. वो अन्दर आया और दरवाजे को अन्दर से बंद कर लिया. फिर बहुत धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगा, वो ऐसे शायद इसलिए चल रहा था कि कहीं मैं जग ना जाऊं. वो मेरे पास आया कमरे की लाइट जला दी, लेकिन मैं वैसे ही लेटी रही. उसने गिफ्ट का डिब्बा मेज पर रख दिया और मेरे बेड पर मेरी कमर के पास आ कर बैठ गया.

अब वो मुझे देखता रहा फिर उसने धीरे से कहा- मादरचोद क्या क़यामत लग रही है.. मन करता है कि पूरा इसके मुँह में डाल दूँ… ओह गॉड तुम भी.. इसे मेरी गर्लफ्रेंड बनानी थी, साली वो बनी है.. मादरचोद.. उसकी बहन को चोदूं.. इतनी अच्छी नहीं है.

मैं मन ही मन हंस रही थी.

अमित- देखो कैसी लग रही है सोते हुए… जैसे खुद कामदेव आए है इसके रूप में.. चूची देखो इसकी.. कितनी उठान पर है और ये कमर..!

ये कह कर उसने कमर पर हाथ रख दिया.. मेरे पूरे शरीर में करेंट सा दौड़ गया.

देखो जैसे नागिन हो.. इतनी लचक डर आए हाय.. मेरी मिनी डार्लिंग, काश तुम मेरी गर्लफ्रेंड होतीं तो मजा आ जाता. फिर भी नहीं हो, तब भी मैं मजा तो तुम्हारा लूँगा ही, चाहे जो करना पड़े मुझे.. चाहे जितने पैसे खर्च हो जाएं लेकिन पूरी बॉडी का मजा लूँगा.

यह कह कर उसने मेरी कमर पर किस कर लिया, फिर पेट पर कर लिया और आगे मेरी क्लीवेज में तो जुबान ही लगा दी. मुझे गुदगुदी लग रही थी, मन करता था कि उठ कर गले से लग जाऊं.. पर फिर सब गड़बड़ हो जाता इसलिए मैं ऐसी ही लेटी रही. कुछ देर वो उसी में ज़ुबान घुमाता रहा.

इसके बाद उसने कहा- आह घाटी हो तो ऐसी इतनी गहरी और इतनी गोल.. उस दिव्या की बस नाम मात्र की है.. भगवान कुछ दिव्या को इसके गुण दे देते, सारी दुनिया की चीजें इसी में दे दी हैं. कोई कैसे रोके अपने आपको..

फिर उसने थोड़ा ऊपर बढ़ कर किस कर ली, जो उसने नहीं कहा था और फिर मेरे कंधे पर की.. गले के दोनों तरफ.. फिर थोड़ा और नीचे की.. फिर मम्मों के पास की क्लीवेज में 3-4 किस की. मेरी दूध-घाटी दोनों मम्मों के बीच में बहुत मस्त बनती है. अब एक होंठों पर किस होना बाकी था, लेकिन वो अभी ही 5 किस ज्यादा कर चुका था.

फिर वो मेरे पैरों के पास गया, चादर हटा दी और पैर पर हाथ रखके ऊपर की तरफ खिसकाने लगा. मेरे शरीर में एक लहर सी दौड़ रही थी. जब वो ऐसे कर रहा था, इसी के चलते मेरे लिप्स खुल गए थे.

उसने मेरे पैरों को देख कर बुदबुदाया कि देखो इसको इतने सेक्सी और साफ पैर हैं.. और वो है, जिसके हमेशा बाल ही रहते हैं. इसके तो जैसे एक्सप्रेस वे हों.. चलते जाओ, कहीं रुकना नहीं.

फिर उसने मेरे एक पैर पर नीचे से लेकर स्कर्ट तक 15-20 किस कर लीं और इसी तरह दूसरे पैर पर भी किस करने लगा.. और ऊपर तक किस कर लीं.

अब मेरे अन्दर उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. फिर वो मेरे मुँह के पास आया और मेरे माथे पर किस की. फिर दोनों गालों में.. फिर नाक पर.. फिर मेरे होंठों के बीच अपने होंठ रख दिए.

मैं खुद उत्तेजना में थी तो मैंने हल्के से दबा दिए. अमित मेरे होंठों को एक एक करके चूसने लगा. पहले नीचे का फिर ऊपर का और उसने मेरे मुँह में अपनी जुबान भी डाल दी. वो कई बार और ऐसे ही चूसता रहा. ऐसे तो अवी ने भी ना चूसे थे, जैसे कोई पका आम चूस कर उसका रस निकाल रहा हो.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था लेकिन जग भी नहीं सकती थी. फिर वो हट गया. मैंने आँख खोल कर देखा कि वो क्या कर रहा है.

वो अपने कपड़े निकाल रहा था, पहले शर्ट निकाली, फिर बनियान निकाली.. इसके बाद पैन्ट.. अब केवल वह अंडरवियर में था, जो कट वाली थी. उसमें कुछ बड़ा सा था, शायद यही गांव वाले ने लगाया था.

फिर उसने अपनी अंडरवियर भी निकाल दी. अब उसका लंड बाहर आ गया था उसका लंड कम से कम 8 या 9 इंच का लम्बा और 3.5 या 4 इंच का मोटा था.

अब मैं डर गई कि आखिर अमित क्या करने वाला है, कहीं मेरे साथ कुछ गलत ना करे… लेकिन उसने अपने लंड को 3-4 बार ऊपर नीचे किया. इससे उसके लंड में से कुछ लाल रंग का हिस्सा बाहर खुल कर आ गया था और कुछ बड़ा भी हो गया था. लेकिन अभी तक मुझे ये नहीं पता था कि इसका किया क्या जाता है. मैं तो सिर्फ गले लग कर किस करके पैसे कमाना चाहती थी.

मैं उसी तरह लेटी रही, अमित मेरे पास आया और मुझे करवट के बल लेटने के लिए थोड़ा सा धक्का दिया. मैं भी बिना हरकत किए एक तरफ घूम गई. अब अमित मेरे बदन से चिपक कर पीठ से लेटने लगा, उसका लंड पहले मेरी कमर में लगा तो डंडे जैसा लगा. फिर वो थोड़ा नीचे खिसक गया और अब मेरे पैरों में लग रहा था. लंड के स्पर्श से मुझे ऐसा लगा कि गांव वाले का कम मोटा और बड़ा था.. अमित का ज्यादा है.

अमित मेरे पीछे लेट गया और मेरी पीठ पर किस करने लगा. अब मेरा भी मन बढ़ता चला जा रहा था. फिर उसने मेरे टॉप को ऊपर कर दिया और पीठ पर नीचे की तरफ किस किया. लेकिन वो वाली बार थी तो उसे वो हटा भी नहीं सकता था, इसलिए उसमें उसने कुछ नहीं किया. तभी आगे एक हाथ मेरी चूची पर रख के सहलाने लगा, उसके चूची सहलाने से मुझे भी मजा आने लगा. गांव में तो मजा नहीं आया था लेकिन अब आ रहा था.

फिर वो थोड़ा थोड़ा चूची दबाने लगा. एक एक करके ऊपर हाथ से यही करता रहा और नीचे अपने लंड को पकड़ कर उसने मेरी स्कर्ट में घुसा दिया. वैसे भी इतनी टाइट स्कर्ट थी और इतनी छोटी थी कि शायद उसमें एक दो उंगली भी सही से ना जाएं. लेकिन अमित अपने इतने बड़े लंड को घुसा रहा था. उसने काफी जोर लगाया, तब धीरे धीरे अन्दर जाने लगा. मुझे वह अहसास अच्छा लग रहा था इतना बड़ा लंड था और वो अन्दर घुसाते घुसाते ऊपर की तरफ बढ़ा.

अब अमित का लंड मेरी गांड से लगने लगा था. वो मेरे मम्मों को धीरे धीरे से तेज़ तेज़ दबाने लगा और पूरी पीठ पर किस करने लगा. मैं अब भी सोने का नाटक कर रही थी. अगर रियल में सो रही होती तब भी जग जाती वो इतनी तेज तेज दबाता जा रहा था.

फिर वह थोड़ा ऊपर नीचे होने लगा और मेरी चुचियों को और तेज़ी से दबाने लगा. पहले मैं समझ नहीं पाई कि ये ऊपर नीचे क्यों हो रहा है, लेकिन उसके ऊपर नीचे होने से उसका मोटा लम्बा लंड भी ऊपर नीचे हो रहा और जब वह ऊपर आता तो उसका लंड मेरी गांड में लगता और नीचे जाने पर पैरों को रगड़ता हुआ नीचे चला जाता.

इस तरह उसने करीब 4-5 मिनट किया होगा कि अचानक उसने मेरी चुचियों को दबाना किस करने और अपने लंड को ऊपर नीचे करने की गति को तेज कर दिया.

अब अमित चूचियां इतने तेज दबा रहा रहा कि गांव में उस लड़के ने भी ना दबाई थीं. इसी तरह उसने एक मिनट किया होगा कि कुछ चिपचिपा गर्म गर्म सा उसके लंड से निकला और मेरी गांड और दोनों पैरों, पूरी स्कर्ट में फ़ैल गया. गांव वाले से दोगुना माल लगता था.

फिर अमित ने हर चीज करना अचानक से बंद कर दिया और धीरे से अपने लंड को मेरी स्कर्ट से निकाला और खड़ा हो गया. उसने मुझे सीधा किया और अपने लंड का जो वीर्य बचा था, वो उसने मेरी क्लीवेज में भर दिया. फिर हाथ से लंड को दबा कर बचा हुआ रस मेरी कमर मेरी गर्दन मेरी चुचियों के ऊपर के भाग में लगा दिया.

लंड को मेरे टॉप से पोंछ कर बोला- आह इतना सुख दिव्या मादरचोद ने कभी रियल में करने में नहीं दिया जितना आज मिल गया है..

इतना कहते हुए अमित ने कपड़े पहन लिए और फिर एक बार मेरे लिप्स पर किस किया और मेरे मुँह में एक उंगली डाल कर उसे मेरे होंठों के अन्दर करके पोंछ दिया.

इससे उसकी उंगलियों में लगा वीर्य मेरे मुँह में चला गया, नमकीन सा था और अमित ये सब करके बहुत तेजी के साथ दरवाजा खोल के चला गया.

अब मैंने आँखें खोलीं, मेरे मुँह में वीर्य का स्वाद नमकीन खट्टा सा था लेकिन मेरे मुँह में ज्यादा नहीं गया था, सिर्फ इतना सा गया था कि केवल स्वाद मिल गया. पहले लगा उल्टी हो जाएगी लेकिन बहुत रोका, तब रुकी. मैं मन में सोचने लगी कि अमित ने कितना करने का कहा था और कितना किया है.

मैं उठकर गई दरवाजा बंद किया और फिर आ कर खड़ी हो गई. मेरी पूरी स्कर्ट गीली हो गई थी. वैसे जो कुछ अमित ने किया, वो मुझे अच्छा बहुत लगा. मुझे अन्दर से ख़ुशी भी लग रही थी. मैंने अपनी कमर और कंधे को साफ किया जिधर वीर्य लग गया था.

इसके बाद मैंने टॉप और स्कर्ट निकाल दिया. स्कर्ट निकालने पर मैंने देखा कि पूरी गांड मेरी भीग गई थी. पैरों में दूर तक वीर्य लग गया था और स्कर्ट में पूरी तरह लग गया था. सच में उसका बहुत सारा वीर्य निकला था.

मैंने उसके वीर्य में एक उंगली लगाई और मुँह में किया, वही स्वाद लग रहा था. फिर मैंने एक तौलिया लाकर पूरा साफ किया और धो कर दूसरी पैंटी और लोअर पहन लिया.

मैंने वो ब्रा भी उतारी और अपने मम्मों को देखा तो मेरे बूब्स हद से ज्यादा लाल लाल हो गए थे. उसने काफी टाइट टाइट मसला था. जब शीशे में मम्मों को गौर से देखा तो जैसे लाल टमाटर रखे हों दोनों बूब्स इतने लाल हो गए थे. उसके चूसने से मेरे होंठ भी सूज गए थे. मैंने बिना ब्रा के फुल टॉप पहन लिया क्योंकि मेरे चूचे बहुत दर्द करने लगे थे. अपने उतारे हुए स्कर्ट टॉप एंड पैंटी ब्रा को उसी टाइम धो कर फैला दिया.. और वापस आकर अपने बिस्तर में लेट गई.

फिर तभी मुझे गिफ्ट का ध्यान आया. मैंने उठा कर उसे मेज पर से उठाया और खोलने लगी. जब गिफ्ट खोला तो देखा कि उसमें चिट्ठी थी.. जैसा मैंने कहा था वैसा ही लिखा था. उसके के साथ 10000 रूपये थे और दो ड्रेस थीं, दो घड़ी थीं, सैंडल थीं. ये सब उन दोनों ड्रेस से मैचिंग के थे और एक गुलाब का फूल भी था.

पहली ड्रेस लाल रंग की थी, जिसे पहनने पर मेरे शरीर की पूरी पीठ खुली रहती, वो जगह पीठ पर वहीं से थी, जहां से पैंटी पहनी जाती थी. आगे की तरफ ऊपर गले में एक पट्टी बांधने वाली थी, जो मेरे मम्मों के ऊपर से जाती. मम्मों की जगह थोड़ी चौड़ी पट्टी थी, लेकिन ऊपर के थोड़े चूचे दिखते रहते. दोनों हाथ और कंधे और पीठ और पेट के बीच वाली जगह पूरी नीचे तक खुली थी. मतलब वो पैंटी के नीचे चारों तरफ थी बाकी ऊपर केवल आगे की तरफ ऊपर दो पट्टी गई थीं, जिससे पूरा पेट खुला रहता. वो पट्टियां जहां से चूचे थे, वहां एक में मिल कर थोड़े से मम्मों को छुपा लेती थीं. बस ऊपर और इधर उधर से देखने पर दिख जातीं और उसमें कोई ब्रा नहीं पहन सकती थी.

नीचे केवल पैंटी को बंद करने भर तक की जगह थी. यदि उसे ऊपर बढ़ाते तो पैंटी दिख जाती, अगर नीचे खींचती तो चूचियां ज्यादा दिखने लगतीं.

दूसरी ड्रेस थोड़ा ज्यादा नीचे तक थी, घुटनों से थोड़ा ऊपर और इसकी खासियत यह थी कि इसमें बाईं तरफ वाला हाथ पूरी तरह से कपड़े दे ढका हुआ था. हां थोड़ा झीना था.. इतना कि बस थोड़ी थोड़ी बॉडी दिखती रहे. बाएं कंधे से ही आगे और पीठ दोनों तरफ कपड़ा कम होता चला गया. दाहिनी चूची थोड़ी सी खुली ही रह जा रही थी.. और वहीं पीछे पीठ तक कपड़ा मिला हुआ था. मतलब दाहिनी तरफ का हाथ पूरा बंद था लेकिन चूची के ऊपर का पार्ट और पीठ खुली थी. इधर बाईं तरफ वाली चूची थोड़ी खुली रह जा रही थी जैसे ऊपर दाहिनी तरफ वाली थी. उसी तरह आगे बढ़ते हुए पूरा पेट और बाईं तरफ की कमर खुली थी. इसी तरह पीठ भी खुली थी.. मतलब एक तिरछी बड़ी पट्टी सी थी, जो केवल चुचियों और उसी तरह पीठ को बंद करती थी. दाहिनी तरफ कमर पर एक बहुत पतली पट्टी नीचे आई थी और जहां से पैंटी स्टार्ट होती है, वहीं पर नीचे मिली थी. ये पट्टी वहां से स्कर्ट की तरह नीचे तक आती थी. अब जहां तक पैंटी रहती थी वहां तक तो दो कपड़े थे लेकिन इससे नीचे बहुत हल्का जाली की तरह का कपड़ा लगा था. ऐसा ही बाएं हाथ और पीठ पर भी लगा था जिसमें सब कुछ दिखे.

हो सकता है कि आपको मेरी ड्रेस की डिटेल से समझ में न आए तो बस इतना समझ लीजिएगा कि इस ड्रेस में केवल पैंटी और आगे से चूचे थोड़े थोड़े इतने खुले रहते थे कि अंग विशेष बंद रहें. दाहिनी तरफ एक चैन थी, जो मम्मों से लेकर नीचे तक लगी थी, जिससे ये ड्रेस पहनी जा सके.

दोनों ड्रेस के रंग की घड़ी भी गिफ्ट बैग में थीं, वो इन्हीं ड्रेस पर या इसी रंग की ड्रेस पर पहनी जा सकती थी. सैंडल भी ऐसी थीं कि दोनों ड्रेस की मैचिंग की थीं. दोनों ड्रेस मुझे बहुत अच्छी लगीं और पसंद भी आईं, पर इन किसी भी ड्रेस में ब्रा नहीं पहनी जा सकती थी. अगर पैंटी ना पहनो तो और ठीक है क्योंकि फिर अगर पैंटी बड़ी हुई तो दिखने लगेगी या कट वाली पहनना पड़ेगी.

चलो फिलहाल मुझे पसंद आई और फिर वो पैसे और ड्रेस, घड़ी आदि सब अपनी अल्मारी में रख के बंद कर दिए और आकर लेट गई. अब मैं ये सोचने लगी कि अमित इतना पैसा क्यों खर्च करने को कह रहा था और मेरे अन्दर ऐसा क्या है. मुझे वही सब सीन याद आने लगा जो अमित और गांव और अवी ने मेरे साथ किया था. मैंने सोचा कि मैं जरूर अच्छी दिखती हूँ, तभी तो दिव्या को कोई नहीं पूछता है. यहाँ तक कि अमित ने भी उसे आजतक इतना गिफ्ट नहीं दिया होगा, जितना मुझे दे दिया था.

इस तरह मेरे अन्दर का लालच बढ़ता जा रहा था. मैंने सोचा कि चलो अमित ने जो भी किया, उसमें मुझे भी तो अच्छा लगा है और कमाई भी हो गई. क्यों ना ऐसे ही किया जाए कि पैसे वाले लड़कों को पटाया जाए और उनसे पैसा कमाया जाए. अब यहीं से मेरे जीवन में पैसे पर लड़कों के मन का करने को राजी होने का सिलसिला जारी होने लगा. उस दिन यही सोचते सोचते सो गई.

मेरी इंडियन सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है.. अपने विचार मुझे बताएं!
कहानी जारी है.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top