मेरा पहला साण्ड-2

(Mera Pahla Saand-2)

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दोस्तो, हालांकि मेरी बहुत सी कहानियाँ हमारी प्यारी साइट पर प्रकाशित हो चुकी हैं और आपको मेरी सभी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी, इसके लिए मैं आपका और अन्तर्वासना का तहे-दिल से शुक्रिया करना चाहती हूँ।
परन्तु मेरी यह कहानी मेरी सबसे पहली कहानी ‘मेरा पहला साण्ड’ के बाद की है।

जैसा कि आपने पढ़ा होगा कि मेरा नाम जूही परमार है, मैं मुरैना की रहने वाली हूँ, पढ़ने में होशियार और होनहार लड़की हूँ।
मैं एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखती हूँ इसलिए एक बड़े शहर इंदौर में पढ़ने आई हूँ। इस शहर में मेरा कोई जान-पहचान वाला नहीं है तो मेरे पापा ने मुझे हॉस्टल में रुकने की अनुमति दे दी थी।

मैं मुरैना की रहने वाली थी और मैं इंदौर में पढ़ने आई थी, पर मेरी किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था, तभी तो मैं हॉस्टल आई और अच्छे दोस्त बनाए जिन्होंने मेरा बहुत ख्याल रखा। मैं आज भी उनका यह एहसान कभी नहीं भूल सकती।

मेरी पहली चुदाई में भी इनका बड़ा योगदान रहा है, पर सबसे बड़ा योगदान तो मेरे सांड सुनील को ही मिलना चाहिए, जिसने मेरी पहली चुदाई को एक ऐसा खुशनुमा अहसास बना दिया था, जिसने मुझे इंदौर में पढ़ने के अलावा कुछ और करने और मज़ा लेने की वजह दे दी।

मैं आज भी सुनील की दीवानी हूँ खैर छोड़ो पुरानी बातों को, और अब मेरी कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
अब जबकि मुझे लंड का स्वाद मिला चुका था, मेरे दिल और दिमाग में ढेर सारी बातें चलने लगी थी, उस रात में मुझे बहुत अच्छी नींद आई।

ऐसी नींद शायद ही मुझे काफी समय बाद आई होगी, जब से मैं इंदौर आई हूँ। उस रात मैंने खाना भी नहीं खाया और जाकर सो गई।
दर्द तो बहुत कर रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था।

सुबह के 5 बजे होंगे और मेरी नींद खुल गई। मैंने रात में जल्दी सो गई थी, इसलिए मुझे सुबह उठते ही भूख लग आई, पर सुबह के 5 बजे हॉस्टल में क्या मिलेगा, इसलिए मैं कमरे में इधर-उधर टहलने लगी।
तभी मैंने देखा कि मेरी सहेली का मोबाइल नीचे गिरा हुआ था, मैंने सोचा ऊपर रख देती हूँ, नहीं तो किसी का पैर पड़ गया तो इतना महंगा फ़ोन टूट जाएगा।

मैंने फ़ोन उठाया और रख रही थी, तभी सुनील का मैसेज आया- ‘गुड-मॉर्निंग जान’ मैंने फौरन अपनी सहेली की तरफ देखा।
वो सो रही थी तो मैंने सोचा मैं ही रिप्लाई कर देती हूँ, मैंने रिप्लाई कर दिया- ‘गुड-मॉर्निंग जान’
उसके तुरन्त बाद उसका मैसेज आया- तुम आज इतनी जल्दी कैसे उठ गईं?
मैंने कहा- क्यों नहीं उठ सकती क्या?

उसने कहा- उठ तो सकती हो, पर इतनी जल्दी तो आज तक तुम पहले कभी नहीं उठीं न, इसलिए कहा।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर सुनील का संदेश आया- क्या कर रही हो?
मैंने सोचा लिख देती हूँ- तुम्हें मिस कर रही हूँ..!

सो मैंने लिख दिया, फिर उसका रिप्लाई आया- तो आ जाऊँ क्या..!
मैंने मन ही मन सोचा, आ जा.. वैसे ही बहुत भूख लग रही है, कुछ खाने को नहीं है.. तेरा लंड ही खा लेती हूँ और मन ही मन मुस्कुराने लगी।

मैंने लिखा- सुबह-सुबह मजाक मत किया करो।
उसने कहा- मैं सच में आ जाऊँगा।
मैंने लिख दिया- सुबह-सुबह चूतिया बनाने को कोई नहीं मिला, जो मुझे बना रहे हो?
उसने कहा- ठीक है, अब तो मैं आकर ही दिखाता हूँ।

मैंने जैसे ही यह मैसेज पढ़ा, मैं घबरा गई कि अगर सच में आ गया, तो वो तो सो रही है, सुनील मेरे बारे में क्या सोचेगा।
मैंने तुरन्त मैसेज किया- सॉरी यार मैं जूही हूँ शिवानी तो सो रही है। मैं जल्दी उठ गई थी और शिवानी का फ़ोन नीचे गिरा था। मैं उसे ऊपर रख ही रही थी कि तुम्हारा मैसेज पढ़ा तो सोचा रिप्लाई कर दूँ, तुम्हें क्या पता चलेगा, अब तुम ऐसा करोगे तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगी। सॉरी यार प्लीज उसको मत बताना और तुम अभी मत आओ।

तभी सुनील का मैसेज आया- तुम इतनी जल्दी क्यों उठ गईं?
मैंने कहा- यार रात में जल्दी सो गई थी, खाना भी नहीं खाया था, इसलिए सुबह एकदम से नींद खुल गई, अब भूख लग रही थी और यहाँ कुछ खाने को भी नहीं है। इतनी सुबह कुछ मिलेगा भी नहीं।

सुनील ने कहा- तुम्हें क्या खाना है, यह बताओ?
मैंने कहा- जो मिल जाए, यार बड़ी भूख लगी है।

सुनील ने कहा- मैं आ रहा हूँ, तुम हॉस्टल के नीचे आ जाओ, तुम्हें कुछ खिला कर वापस छोड़ दूंगा।
मैंने कहा- इतनी सुबह कुछ नहीं मिलता यार।
सुनील ने कहा- तुम सिर्फ वो करो, जो मैं कहता हूँ। तुम्हें जो खाना है वो खा लेना, ठीक है..! बस तैयार होकर नीचे आ जाओ और ऊपर से जैकेट पहन लेना, तो वार्डन को लगेगा कि घूमने जा रही हो।
मैंने कहा- ठीक है।

मैं बहुत खुश हो गई और तुरन्त जाकर बाल सही किए, कपड़े पहने और खिड़की से देखने लगी, कब आएगा सुनील।
तभी सुनील आ गया और मुझे इशारे से बोला- आगे चौराहे पर मिलते हैं, यहाँ आया तो वार्डन को शक हो जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है, रुको मैं आती हूँ।
मैंने तुरन्त सूट के ऊपर जैकेट पहनी और बाहर चली गई।

चौराहे पर सुनील मेरा इंतज़ार कर रहा था, उससे मिली।
फिर उसने पूछा- क्या खाना है?
मैंने कहा- सुबह-सुबह कहाँ जाओगे, पोहे खा लेते हैं।
फिर हम दोनों सर्राफा गए और वहाँ जाकर पोहे खाए।

फिर उसने कहा- हॉस्टल जाने की जल्दी तो नहीं है न?
मैंने पूछा- क्यों..?
उसने कहा- मेरे साथ टाइम बिताना अच्छा नहीं लगता क्या..?
मैंने कहा- ऐसा कुछ भी नहीं, चलो आज जब तुम बोलोगे मैं तभी हॉस्टल जाऊँगी, ठीक है… अब खुश हो…!
यह सुन कर सुनील खुश हो गया।

बोला- हाँ ये हुई न बात, चलो अच्छा कहाँ जाना है?
मैंने सोचने लगी, फिर उसने बाइक स्टार्ट की और अपने फ्लैट पर ले आया।
सुनील बहुत रईस था। उसका खुद का फ्लैट था जहाँ वो अकेला रहता था। हम दोनों उसके फ्लैट पर गए, उसका फ्लैट बहत बड़ा था। मेरा घर भी उसके फ्लैट से छोटा था।

मैंने कहा- तुम इतने बड़े फ्लैट में अकेले क्यों रहते हो?
उसने कहा- कोई और नहीं है न.. मैं एकलौता हूँ और मेरे मम्मी-पापा दिल्ली में रहते हैं।

फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गया। उसके कमरे में एक बड़ी सी एलसीडी दीवाल में लगी हुई थी। उसने रिमोट से उससे ऑन किया और पूछा- टीवी देखती हो तुम?
मैंने कहा- हाँ कभी-कभी..!
‘और मूवीज?’
मैंने कहा- हाँ, पर उसमें प्रचार बहुत आते हैं, इसलिए बोर हो जाती हूँ।

तभी सुनील ने कहा- चलो आज मैं तुमको मूवी दिखता हूँ, उसमें एक भी विज्ञापन नहीं आएगा।
मैंने कहा- अच्छा… बताओ ज़रा..!
तभी सुनील ने ब्लू-फिल्म की सीडी लगा दी और मेरे पास आकर बैठ गया, मेरी आँख नीचे झुक गई।

उसने कहा- शरमा क्यों रही हो? आज तक ब्लू-फिल्म नहीं देखी क्या?
मैंने कहा- देखी तो है पर..!
‘पर पर छोड़ो और देखो और अगर मुझसे शरमा रही हो तो बता दो, मैं दूसरे कमरे में चला जाता हूँ।’
मैंने कहा- अरे ऐसा कुछ नहीं है, तुम बैठो।

फिर वो मेरे पास आकर बैठ गया और हम दोनों साथ बैठकर ब्लू-फिल्म देख रहे थे।
सुनील ने पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा।
मैंने पूछा- कौन सा दर्द?
वो सुन कर हँसने लगा।
मैं भी हँस दी।

फिर उसने पूछा- तो फिर कैसा लगा?
मैंने कहा- अच्छा था और यह भी यकीन हो गया कि मेरी सहेली क्यों तुम्हारी दीवानी है।
‘अच्छा क्यों तुम्हें पसंद नहीं आया था?’
‘अरे मैंने ऐसा कब कहा, आया तो मज़ा भी बहुत आया..!’

‘तो फिर से करने का मूड है या नहीं मेरे साथ..!’
मैंने कहा- अभी कुछ सोचा नहीं !
और हँसने लगी।
वो भी मेरे साथ हँसने लगा और फिर मेरे पास आकर बैठ गया।

उसने कहा- अब तुम जैकेट उतार सकती हो और मेरे घर में कोई वार्डन नहीं, यहाँ तुम जैसे चाहे घूम सकती हो, बिना किसी रोक टोक के..!
मैंने जैकेट उतार कर साइड में रख दी और फिल्म देखने लगी।

फिर मैंने एकदम से सुनील से पूछा- अच्छा यह बताओ तुमने आज तक कितनी लड़कियों को चोदा है और कौन सी तुम्हें सबसे अच्छी लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

सुनील ने कहा- सच बताऊँ..!
मैंने कहा- हाँ !
‘तुम..!’
मैंने पूछा- क्यों..?
‘क्यूंकि तुम्हारा फिगर उन सभी लड़कियों से अच्छा है।’
मैं खिलखिला कर हँस पड़ी।

फिर उसने कहा- पर मुझे ऐसा लगता है कि तुम बस आगे से ही अच्छी हो।
मैंने कहा- ओ हैलो… मैं सिर्फ आगे से नहीं, आगे-पीछे ऊपर-नीचे सब जगह से अच्छी हूँ… समझे तुम..!
सुनील ने कहा- अच्छा दिखाना ज़रा..!
मैंने खड़ी हो गई और घूम-घूम कर खुद को दिखाने लगी।

तभी सुनील ने मेरी कमर पकड़ी और मुझे अपनी गोद में खींच लिया और बोला- आज तो देख ही लिया जाए, तुम आगे-पीछे, ऊपर-नीचे से कितनी अच्छी हो..!
मैंने कहा- हाँ..हाँ.. देख लो..!

तभी उसने मेरे सूट के अन्दर हाथ डाला और मेरे दुद्धू को मसलने लगा। आज तो मैं भी बेशर्मो की तरह मज़े ले रही थी। मैंने भी उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और आँखें बंद करके मज़े ले रही थी।
फिर उसने मेरा कमीज़ उतार दिया और मुझे लेटा दिया। मैंने भी उसके सर को पकड़ा और उसके होंठों को अपने होंठों से सटा दिया और और उसे चूसने लगी।

इस बार तो मैं नौसीखिया भी नहीं थी, क्योंकि मैं एक बार चुदाई कर चुकी थी, इसलिए मैंने आनन्द लेना भी शुरू कर दिया।
इधर मैं उसके होंठों को चूस रही थी, उधर वो मेरे मम्मों को ऐसे मसल रहा था जैसे मानो कोई गेंद को दबाता है।
करीब 5 मिनट तक हमने यह किया। फिर वो अपने मुँह को मेरे मम्मों के पास ले गया और उन्हें चूसने लगा।

मैंने उसके बाल पकड़ लिए और इसका मज़ा लेने लगी। उसने मेरे मम्मों को बहुत देर तक चूसा।
फिर जब मुझसे रहा न गया तो मैंने कहा- अब मेरी बारी है, तुम चुपचाप लेट जाओ मुझे बहुत देर से भूख लगी है और अब मुझसे इंतज़ार भी नहीं हो रहा।

मैंने सुनील को नीचे लेटाया और उसकी जीन्स खोल दी। जीन्स में से उस साण्ड के लाण्ड ने नाग की तरह मुझे फन मारा।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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