बहन की जवान बेटी की बुर चुदाई की लालसा-4

(Bahan Ki Jwan Beti Ki Bur Chudai Ki Lalsa- Part 4)

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अब तक आपने पढ़ा..
रोमा ने मुझे बड़ी सुबह जगा दिया और मुझे बाइक सिखाने चलने के लिए कहने लगी। मैंने भी उसकी मचलती जवानी को चोदने का मन बना लिया था।
अब आगे..

जब रोमा पैर फैला कर बैठ रही थी.. तो मैं थोड़ा आगे भी सरक गया.. जिससे मेरा खड़ा लंड रोमा की दोनों जाँघों के बीच में आ गया और रोमा मेरे लंड को अपनी बुर से दबाते हुए उसके ऊपर बैठ गई। लंड के ऊपर बैठते ही वो चिहुंक कर उठने ही वाली थी कि मैंने बाइक स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी, जिससे वो उसी पोज़ीशन में कसमसा कर बैठ गई।

रोमा जब मेरे लंड पर बैठी.. तब मुझे एहसास हुआ कि उसने भी पेंटी नहीं पहनी है.. क्योंकि मेरा लंड रोमा की बुर के दरार में फंस गया था।

क्या गर्म बुर थी उसकी.. मेरे लंड और उसकी बुर के बीच में सिर्फ़ एक पतला सा कपड़ा था.. जो रोमा पहने थी। इधर मेरा लंड तो नंगा ही था।

रोमा कुछ बोल तो नहीं रही थी.. पर रह-रह कर वो अपनी गांड हिला-हिला कर अपनी बुर की दरार से मेरे खड़े लंड को अलग करने की कोशिश कर रही थी, पर हो उसका उल्टा रहा था। उसकी गांड हिलने से मेरा लंड रोमा की बुर में कपड़े सहित धंसता जा रहा था।

अभी हम करीब 3-4 किलोमीटर ही गए होंगे कि मेरे लंड को गीला-गीला सा महसूस होने लगा, शायद रोमा की बुर ने पानी छोड़ दिया था। उसका बदन भी कंपकंपाने लगा था.. उसकी साँसें तेज हो गई थीं।

अब रोमा अपनी बुर को मेरे लंड पे दबा कर धीरे-धीरे अपनी गांड आगे-पीछे करने लगी थी। मेरे लंड का आधा सुपारा रोमा की बुर में कपड़े सहित घुसा हुआ था।

रोमा के मुँह से सिसकारी फूटने लगी थी-आह.. यससस्स.. आ आ आ एसस्स यसस्स आ अयाया आ..
उसने बाइक के हैंडल से दोनों हाथ हटा कर पेट्रोल टंकी पर रख लिए थे। अब मेरे दोनों हाथ बाइक के हैंडल पर थे, पर अब मैं भी अपनी कमर नीचे से धीरे-धीरे हिला कर ताल से ताल मिलाने लगा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं रोमा को डॉगी स्टाइल में चोद रहा हूँ.. क्योंकि रोमा मेरी गोद में बैठी थी और मेरा लंड रोमा की गांड से होता हुआ उसकी बुर के मुहाने पर टिका था, बस बुर के अन्दर घुसना बाकी रह गया था।

मैं यह मौका छोड़ना नहीं चाहता था.. इसलिए मैंने अपना एक हाथ हैंडल से हटा कर रोमा की जांघ पर रख दिया और जांघ को सहलाने लगा।
रोमा कोई विरोध नहीं कर रही थी.. यह देख कर मैं पजामे के ऊपर से ही रोमा की बुर को हाथ सहलाने लगा था। रोमा की बुर से लगातार पानी निकल रहा था.. जिससे उसका पजामा बुर के पास गीला हो चुका था।

मुझसे रहा नहीं गया और बाइक को रोड से किनारे एक पेड़ के तरफ ले गया और वहाँ बाइक को रोक कर बंद कर दिया।

रोमा को मैंने उसी पोजीशन में गोद में बैठाए रखा और अपने हाथ को नीचे से उसकी टी-शर्ट में घुसा कर रोमा की एक चूची को दबाने लगा, साथ ही अपना दूसरा हाथ रोमा के पजामे के अन्दर डाल कर उसकी बुर के बालों को खुजलाने लगा।

रोमा- आह.. यसस्स.. मामाजी वहाँ नहींईई.. बुर को खुजलाइए ना.. आह.. यसस्स आह मम्मी आ..
मैं- कैसा लग रहा है रोमा!
रोमा- आह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. आह.. यससस्स मामाजी..

मैं- मजा आ रहा है?
रोमा- हाँ मामाजी आह यससस्स बहुत मज़ा अआआ रहा है.. आह्ह..
मैं- और ज़्यादा मजा लोगी रोमा?
रोमा- हाँ मामाजी.. पर कैसे.. आह मैं आ मर जाऊँगी.. मेरी बुर को खुजलाइए ना..
मैं- चुदाई करोगी?
रोमा- हाँ चोदिये..

रोमा चुदने के लिए बहुत ही तड़पने लगी थी.. वो अपने हाथों से अपनी बुर पर मेरा हाथ दबा रही थी, साथ ही साथ अपनी गांड भी हिला-हिला कर मेरे लंड पर अपना बुर रगड़ रही थी।

मुझसे भी नहीं सहा जा रहा था.. सो उसी पोजीशन में मैं रोमा के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
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अब मैंने उसे बाइक से नीचे उतारा और उसे अपना पजामा खोलने को कहा, उसने तुरंत अपना पजामा खोल दिया। मैंने भी अपना पजामा खोल दिया और फिर से बाइक पर बैठ गया।

मैंने रोमा को मेरी ओर मुँह करके मेरी गोद में बैठने को कहा। उसकी बुर काफ़ी गीली हो चुकी थी.. इस कारण जब वो मेरी गोद में बैठने लगी.. तो मैंने अपना लंड से उसकी फूली हुई मक्खन जैसे चिकनी बुर के होंठों को फैला कर बुर के मुँह से लंड को सटाए रखा और उससे बैठने को कहा।

वो जैसे ही बैठी.. ‘फुच्च..’ की आवाज़ के साथ मेरा लंड उसकी बुर में आधा घुस गया। बुर में लंड के घुसने से शायद उसे दर्द हुआ.. इसलिए उसने ज़ोर से ‘मम्ममी..’ कहती हुई गोद से उठने की कोशिश की.. पर तब तक देर हो चुकी थी.. क्योंकि तब तक मैं उसकी गोल गोल गुब्बारे सी फूली हुई मुलायम गांड को दोनों हाथों से पकड़ चुका था। मैंने उसे कस कर अपने लंड पर दबा दिया.. इससे आधा बाहर बचा लंड भी पूरा बुर के अन्दर घुस गया।

‘ओ मम्मी..मर गई.. मामाजी छोड़िए.. ओह मम्मी..’ वो दर्द से चिल्लाने लगी.. साथ ही अपने मुक्के से मेरे सीने पर मारने लगी.. पर मैं उसे अपने लंड पे दबाए रहा और एक हाथ से उसकी चूचियों को खूब कस कसके दबाने लगा।

जब उसकी चूचियों में भी दर्द होने लगा.. तो वो बुर के दर्द को भूल सी गई और कहने लगी- धीरे से मामाजी.. धीरे से दबाइए ना.. दर्द होता है।
इतना सुनना था कि मैंने चूचियों को दबाना बंद कर दिया और उसकी एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, साथ ही दूसरी चूची के निप्पल को चुटकी से धीरे-धीरे मसलने लगा।

अब उसे अच्छा लगने लगा था.. वो अपनी बांहों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाने लगी थी और धीरे-धीरे अपनी गांड भी हिलाने लगी थी।

उसके गांड हिलाने से मेरा लंड उसकी बुर में अन्दर-बाहर होने लगा था.. मुझे भी मज़ा आ रहा था और रोमा को भी मज़ा आने लगा था।

करीब 5-7 मिनट बाद अचानक वो कस के मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी गांड को भी जल्दी-जल्दी और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी, जिससे उसकी बुर से ‘पुच्छ.. पुच्छ..’ की आवाजें आने लगी थीं, साथ ही उसके मुँह से भी ‘आहह.. आह..’ निकलने लगा था।

कुछ ही देर में उसका जिस्म अकड़ने लगा.. उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसके चोदने की स्पीड एकदम तेज हो गई थी।
तभी मुझे मेरे लंड पर गर्म-गर्म सा एहसास हुआ.. जिसे मेरा लंड झेल नहीं पाया और रोमा की बुर में ही मेरा पानी निकल गया। रोमा भी झड़ रही थी.. उसने अपनी बुर के होंठों से मेरे लंड को कस कर जकड़ा हुआ था और कुछ ही पलों में वो अपनी बुर को मेरे लंड पर दबाते हुए शांत हो गई।

उसकी इस अदा पर मुझे बहुत प्यार आया.. सो मैं उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके पूरे चेहरे को करीब दो मिनट तक चूमता रहा।

फिर हम बाइक से उतरे और वो पेशाब करने के लिए बैठने ही वाली थी कि मैंने उसे रोक दिया और उसे अपनी गोद में बिठा कर उसे पेशाब करने को कहा। वो एकदम से शर्मा गई और मुझसे गोद में बैठे-बैठे ही लिपट गई।

अगले ही पल वो उसी अवस्था में पेशाब करने लगी, उसकी बुर से निकलती हुई पेशाब सीधे मेरे लंड पर पड़ रही थी.. क्योंकि वो मेरे गोद में बैठी थी।

जब उसका पेशाब करना हो गया.. तो मैंने उसे खड़ा किया और उसके पीछे से अपना लंड उसकी दोनों जाँघों के बीच बुर के पास घुसाया और मैंने भी पेशाब की।

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और घर की ओर चल दिए। अब तक सुबह के 5:15 हो चुके थे और अंधेरा भी मिट चुका था।

शुक्रिया.. आपके मेल का इन्तजार रहेगा।
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