अतृप्त वासना का भंवर-4
मैंने कुछ पल सोचा कि कम से कम ये चाट कर ही मुझे झड़ने में मदद करे, तो कुछ राहत मिले. तो मैंने उसकी बात मान ली और अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पैंटी निकाल दी.
विवाहित जीवन में पति और पत्नी को एक दूसरे से पूर्ण यौन संतुष्टि, तृप्ति ना मिले तो आपस के सम्बन्धों में खटास आने लगती है. मन भटकने लगता है. यह कहानी इसी विषय पर है.
मैंने कुछ पल सोचा कि कम से कम ये चाट कर ही मुझे झड़ने में मदद करे, तो कुछ राहत मिले. तो मैंने उसकी बात मान ली और अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पैंटी निकाल दी.
मेरी कामवासना भी इतनी बढ़ती जा रही थी कि मैं सुखबीर के आगे झुकती जा रही थी. बातों के बढ़ते ही उसने फिर से मुझे अपने प्रति रिझाने के प्रयास शुरू कर दिया.
मेरी दोस्ती अपनी एक पड़ोसन से हो गयी जो अपने पति से यौन सम्बन्धों से खुश नहीं थी, वो चुदाई का पूर्ण आनन्द नहीं ले पाती थी. मैंने उसे कुछ टिप्स दी जिससे वो सेक्स का मजा ले सके.
मेरे पति शुरू से ही यौनक्रिया में थोड़े फिसड्डी रहे हैं, मैं अक्सर अतृप्त ही रही. इसी कारण ना चाहते हुए भी मेरे शारीरिक सम्बन्ध गैर मर्दों से बनने लगे थे. इसी सिलसिले में अगली घटना आपके लिए लाई हूँ.