नीली आँखों वाली कुंवारी छोकरी

Nili Aankhon Vali Kunvari Chhokri

मेरा नाम राम चौधरी है, मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर सम्भल का रहने वाला हूँ।

मेरी उम्र 20 साल है, मैं अन्तर्वासना का एक बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ मैं इसे पिछले 3 साल से पढ़ रहा हूँ और जो कहानी मैं आपके सामने ला रहा हूँ वो मेरी जिन्दगी की एक सच्ची घटना है।

मैं ज्यादातर अपने शहर से बाहर ही रहता हूँ, अपने घर कुछ दिन ही ठहर पाता हूँ।

एक बार मैं जब मैं घर पर आया हुआ था तब मैंने देखा कि हमारे घर पर एक किरायेदार रहने के लिए आए हुए हैं और उनकी एक लड़की भी है जो कि बहुत सुन्दर है, उसका शरीर गठा हुआ था, उसकी आँखें नीली थी।

वो हमेशा अपने बालों को सवांरती रहती थी और ये सब करते हुए वो और भी अच्छी लगती थी।
उसके पास एक सुन्दर काया थी और मेरे पास उसे पाने की असीम इच्छा।

उसका नाम गीता था।

वो मुझे बहुत आकर्षित करती और मैं उसे पाने का हर वक्त ख्वाब देखता रहता इसीलिए मैं उससे बात करने का कोई ना कोई बहाना ढूंढता रहता।

कुछ दिनों में शायद उसे भी पता चल गया कि मैं उसे चाहता हूँ, वो भी दिल ही दिल में मुझे चाहने लगी पर शायद मुझसे कहने में हिचकिचाती थी।

जब मुझे इस बात का पता चला तो मैं उसे अपने दिल की बात बताने के लिए सही वक्त का इन्तजार करने लगा।

तभी कुछ दिनों बाद मेरे घर वालों ने मेरी नानी के घर जाने का प्लान बनाया तो मैंने जाने से इन्कार कर दिया।

तब मेरे अलावा घर के सभी सदस्यों ने जाने का प्लान बना लिया और मुझे घर रहने के लिए कहा गया।

मैं मन ही मन इस बात से बहुत खुश था कि अब मैं घर पर अकेला रहूँगा।

जब दो दिन बाद घर वाले चले गये तो गीता की माँ ने ही मेरे लिए खाना बना लिया और गीता मुझे खाना पहुँचाने के लिए मेरे कमरे में आई।

वो शायद जानबूझ कर खुद ही मुझे खाना देने आई थी।

जब वो कमरे में आई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

इससे वो घबराकर थोड़ा सिमट सी गई और अपना हाथ छुड़ाने का असफल प्रयास करने लगी।

मैंने उसे अपने पास बैठाया और बिना वक्त गंवाये उसे अपने दिल की सारी बात बता दी।

इस पर वो थोड़ा शरमाई और हंसकर कमरे से भाग गई।

मैं उसके इस इशारे को समझ गया था और इसके लिए मुझे उससे कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं थी।

फिर जब वो दोबारा बर्तन लेने कमरे में आई तो मैंने उसे पकड़कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके होठों को लगभग 15 मिनट तक चूमता रहा।
जिससे वो गर्म तो हो गई थी पर उसे अपनी माँ का खतरा भी था, तब वो थोड़ा डरकर बोली- मैं बाद में आऊँगी, अभी मेरी मम्मी मेरा इन्तजार कर रहीं हैं।

यह कहकर वो चली गई।

इसके बाद मैं उसका काफी देर तक इन्तजार करता रहा।
अचानक मेरे कमरे के किवाड़ खुलने की आवाज आई, मैं समझ गया कि वो ही है।

कमरे में थोड़ा अन्धेरा था जिससे वो मुझे साफ नजर रहीं आ रही थी मगर मुझे पता था कि वो कहाँ है।

मैं तुरन्त उठा और उसे गले लगा लिया और अन्धेरे में ही उसे चूमता रहा।

मैं उसे बहुत पसन्द करता था शायद इसीलिए मेरा उसे छोड़ने को मन नहीं हो रहा था।
उसे चूमते हुए ही मैं अन्दर ले आया क्योंकि मैं कोई भी पल खराब नहीं करना चाहता था।

फिर ऐसे ही उसे अपने बिस्तर पर लेटाते हुए मैं उसके पूरे जिस्म का मुआयना करने लगा।

उसका जिस्म तराशा हुआ था और मैं इस जिस्म की एक-एक बून्द को निचोड़ लेना चाहता था।

उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उसके जिस्म से अलग किए और उसके उरोजों को चूसने लगा जिससे उस पर एक नशा सा होने लगा और वो अपने पूरे जोश में आने लगी।

मैं भी उसके उरोजों को जोश में आकर इतने जोर से दबा रहा था कि वो दर्द से कराहने लगी।
मगर मस्ती उस पर इस कदर सवार थी कि वो इसका कोई विरोध नहीं कर रही थी।

हम दोनों एक साथ मस्ती के सागर में गोते लगा रहे थे।

मैंने फिर उसके उरोजों को हाथ में पकड़ा और धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसके पेट को चूमने लगा जिससे वो अपने शरीर को इधर उधर हिलाने लगी और वो अपने मुँह से मस्ती भरी सिसकारी मारने लगी और अपने हाथ से मेरे बालों को सहलाने लगी।

मैं उसके पेट को जी भर कर चूमने लगा और कहीं कहीं पर हल्के से अपने दांत गड़ा देता जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ।
तो एक झटके के साथ उठी और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और कहने लगी- विशाल मुझे इतना प्यार मत करो कि अपने आप को संभाल ना सकूँ… तुमने ये सब करके मेरे अन्दर एक आग पैदा कर दी है जिससे मेरा शरीर जला जा रहा है… तुम प्लीज इस आग को शान्त कर दो, नहीं तो कहीं मैं आज मर ना जाऊँ!

यह कह कर वो दोबारा मेरे गले लगी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।

वो धीरे धीरे मेरे भी सारे कपड़े मेरे बदन से अलग करने लगी।

इससे मेरा लण्ड मेरी पैंट फाड़कर बाहर आने को तैयार था।
उसे बस अब गीता की योनि का चखना था।

तभी गीता ने मेरी पैंट उतारी और मेरा लण्ड उसके ठीक सामने सलामी देने लगा, लेकिन वो थी कि मेरे लण्ड को छोड़कर मेरी टांगों को चूम रही थी।

मेरा लण्ड उसके चेहरे पर बार बार लग रहा था।

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसके मुँह को पकड़ा और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और आगे पीछे करने लगा।

कुछ देर में वो भी मेरा साथ देने लगी।

वो नई थी इसीलिए जल्दी थककर मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बस कहने लगी।

मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए उसे लिटाकर उसकी योनि पर अपना मुँह रख दिया।

उसकी योनि काफी गीली हो चुकी थी मगर उसकी योनि की सुगन्ध ने मुझे मदहोश कर दिया जिससे मैं उसकी योनि को पागलों की तरह चाटने लगा।

मैं अपनी जीभ उसकी योनि के भीतर डालने लगा तो वो भी मदमस्त हो गई और अपने कूल्हे उठा-उठा कर मेरे पूरा साथ देने लगी और कुछ देर बाद वो अपने आप को जकड़ते हुए मेरे मुँह में ही स्खलित हो गई जिससे इसकी योनि अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

फिर मैं भी हटकर उसके होंठों को चूमने लगा।

उसने मुझे बताया कि ये सब उसके साथ पहली बार हो रहा है और मुझे कसम देने लगी कि मैं उसे अब कभी नहीं छोड़ूंगा।

मैंने भी उसे विश्वास दिलाया और उसे अपने गले से लगा लिया।

अब मुझे पता था कि वो एक कुँवारी है और मैं अब कोई जल्दबाजी नहीं कर सकता।
इसलिए मैंने उसे चित लेटाया और उसकी योनि में धीरे-धीरे अपने हाथ की छोटी अँगुली डालने लगा।

वो हल्के हल्के कराह रही थी मगर मैं उसे नजरअन्दाज करते हुए अपनी अँगुली उसकी योनि में धकेलता गया।

अब लगभग मेरी पूरी अँगुली उसकी योनि में समा चुकी थी और अब वो भी शान्त थी तो मैंने इसे ही सही मौका समझकर अपने लण्ड पर थोड़ा थूक लगाया और उसकी योनि पर रखकर उससे पूछा- क्या कोई दर्द तो नहीं हो रहा?

उसने न में अपनी गर्दन हिलाई तब मैं अपना लण्ड धीरे धीरे उसकी योनि पर रगड़ने लगा।
मैं कोई भी गलती नहीं करना चाहता था।

फिर हल्के से मैं अपना लण्ड उसकी कुँवारी योनि में डालने लगा।
जैसे ही मैंने अपना लण्ड थोड़ा अन्दर करने की कोशिश की तो वो जोर से कराह उठी।
मैंने उसे समझाया कि वो थोड़ा वर्दाश्त करे, वो भी थोड़ी शान्त हुई तो मैंने दोबारा अपना लण्ड उसकी योनि में डाला, थोड़ा जोर लगाकर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में धकेल दिया।

इससे उसे दर्द तो हुआ पर वह शान्त ही रही।

मैंने उसे उसकी सहमति समझकर एक और हल्के से झटका लगाया।

अब मेरा लण्ड उसकी योनि में लगभग 2 इन्च तक चला गया।

उसे भी हल्का सा दर्द था मगर वो उसे सहन कर सकती थी शायद इसीलिए अभी तक शान्त थी।

उसे शान्त पाकर मैंने एक जोरदार झटका लगाया और मेरा लगभग 3 इन्च लण्ड अन्दर चला गया।
मगर वो इस बार बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसके मुँह से न चाहते हुए भी एक हल्की सी चीख निकल गई और वो अपनी चीख को दबाते हुए छटपटाने लगी।

तो मैं थोड़ा रुक गया और उससे बोला- मुबारक हो, तुम अब कुँवारी नहीं रही।

यह कहकर मैंने एक और जोरदार झटका मारा और इस बार मेरा लगभग 5 इन्च लण्ड उसकी योनि में समा गया।

वो छटपटा रही थी और छूटने का असंभव प्रयास करने लगी।

मैंने अपने आप को संभाला और एक और जोरदार झटके के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी योनि में डाल दिया।

वो अब बहुत ज्यादा छटपटा रही थी इसीलिए मैं थोड़ी देर तक रुका रहा और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर पागलों की तरह चूमने लगा।

जब वो थोड़ा शान्त हुई तो मैंने भी धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये।

थोड़ी ही देर में देखते देखते वो अपने दर्द को भूलकर पूरे सुरूर में आ गई और अपने कूल्हे ऊपर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।

जब मैंने उसे इस हालत में देखा तो मेरे जोश की कोई सीमा नहीं रही, वो इतनी मादकता के साथ सम्भोग के उन पलों का आनन्द ले रही थी कि उस आनन्द को शब्दों में बंया नहीं करा जा सकता है।

मैं तो उसे देखकर ही इतना रोमांचित हो रहा था कि मैंने अपने धक्कों की गति इतनी बढ़ा दी कि हांफने लगा।

मगर वो अब मंजिल के करीब पहुँच चुकी थी तो मेरा भी रुकने का कोई सवाल नहीं था, मैं अपनी पूरी ताकत से उसे चोद रहा था।

जब वो अपने चरम पर पहुँची तो उसने मुझे अपनी टांगों से बुरी तरह जकड़ लिया और धीरे धीरे स्खलित हो गई।

तब मैंने भी थोड़ी राहत की सांस ली और हांफते हुए उसके ऊपर गिर गया और उसे अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा।

मगर मैंने अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला और ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।

थोड़ी सांस आने के बाद मैं उसे घोड़ी बनाकर फिर उसे चोदने लगा।

वो भी थोड़ी देर में फिर जोश में आने लगी और फिर से मेरा साथ देने लगी।

इस बार मैंने उसे कई स्टाइलों से चोदा।

फिर मैंने अपने धक्कों की गति को बढ़ाया और थोड़ी देर बाद मैं भी स्खलित होने लगी।

तभी मेरे साथ गीता भी चरम पर पहुँच गई। वो मुझसे पहले स्खलित हुई मगर फिर भी वो लगातार मेरा साथ दे रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं भी स्खलित होकर उसके ऊपर गिर गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा।

इसके बाद उस रात हमने तीन बार और सेक्स किया।

बाद में जब सवेरा हो गया तो वो मुझे थोड़ी देर चूमकर मेरे कमरे से चली गई।

जब वो कमरे से जा रही थी तो उसके कदम लड़खड़ा रहे थे।

फिर भी वो अपने लड़खड़ाते हुए कदमों से मेरे कमरे से बाहर चली गई।

उस दिन मैं और वो पूरे दिन सोते रहे वो अब भी मुझसे बहुत प्यार करती है।

मैं जब भी अपने घर जाता हूँ तो उसके साथ संभोग जरूर करता हूँ।

यह थी मेरी कहानी…

मेरी जिन्दगी में और भी ऐसे हसीन हादसे हुए हैं जो मैं आपको अपनी अगली कहानियों में बताता रहूँगा।

मैं राम चौधरी आपका अपना दोस्त !

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