मेरी सहकर्मी वंशिका
प्रेषिका : शालिनी
मेरे ऑफिस की जन संपर्क अधिकारी का नाम वंशिका है। चूँकि हम दोनों हमउम्र हैं इसलिये एक दूसरे से कई प्रकार के मजाक भी कर लेती थीं। उसने बहुत बार मुझे अपने घर चलने को कहा और एक दिन मैं ऑफिस के बाद उसके घर चली गई।
उसके माता-पिता ने मेरा बहुत सत्कार किया और बहुत आदर मान से रात को उनके यहाँ रुकने को कहा। मैं उनका आग्रह टाल नहीं सकी और मैंने पूजा को फोन करके बता दिया कि मैं रात को अपनी सहकर्मी वंशिका के घर पर रुकूँगी।
रात को खाना खाने के बाद हम दोनों वंशिका के कमरे में चली गईं। वंशिका ने मुझे अपनी एक टी-शर्ट और पायजामा दिया तो मैंने सिर्फ टी-शर्ट पहन ली और अपनी पैंटी में ही उसके साथ बिस्तर में घुस गई और हम दोनों बातें करने लगी।
बातों बातों में वंशिका मुझसे लड़कों के साथ चुदाई के बारे में बातें करने लगी। हम दोनों ऑफिस के लड़कों और दूसरे लड़कों के बारे में बातें करते रहे। मैंने उसे पूजा के साथ अपने यौन सम्बंधों के बारे में बता दिया और यह भी बताया कि किस प्रकार हम दोनों बहुत बार एक ही लड़के के साथ चुदाई करती हैं।
मैंने देखा कि हम दोनों थोड़ी सी उत्साहित हो गई थीं। वंशिका मुझे सैक्स के बारे में लगातार छेड़ रही थी और मेरी जांघ को सहला रही थी। मैं उत्तेजित होने लगी और लड़के के लण्ड के बारे में सोचने लगी। मेरी साँस कुछ भारी हो गई थी और मेरी चूत भी गीली हो गई थी।
कुछ देर बाद हम दोनों लेट गईं तो मैंने देखा कि वंशिका भी गहरी साँसें ले रही थी और उसके मोम्मे उसके साँस लेने से ऊपर नीचे हो रहे थे। मेरा दिल किया कि उनको दबा दूँ परंतु चूँकि आज से पहले तक हम दोनों के बीच में कभी कोई अंतरंग बातचीत नहीं हुई थी, केवल हँसी मजाक ही हुआ था, इसलिए मुझे डर था कि कहीं वंशिका बुरा ना मान जाए।
थोड़ी देर में मुझे लगा कि वंशिका सो गई है। तभी वंशिका ने करवट लेकर अपना चेहरा मेरी ओर कर लिया और अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख कर सो गई।
“वंशिका ! सो गई क्या?” मैंने धीरे से उसे आवाज़ दी।
जब कोई जवाब नहीं मिला तो मैंने सोचा कि वंशिका सो गई है और अब मैं बाथरूम में जाकर अपनी चूत को उंगली से शांत कर सकती हूँ।
मैंने बड़े आराम से उसकी बाँह को अपने ऊपर से हटाना चाहा ताकि वंशिका की नींद ना खुल जाए और मैं बाथरूम जा सकूँ।
तभी वंशिका हिली और बोली,”शालू कहाँ जा रही है?”
“नहीं कहीं भी तो नहीं!” और मेरी बाथरूम में अपनी चूत को शांत करने की आशा पर पानी फिर गया।
“फिर ठीक है!” वंशिका ने कहा और उसने मेरे गाल को चूम लिया।
मैंने भी करवट लेकर उसकी ओर मुँह कर लिया और अब हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे। वंशिका ने अपनी एक बाँह मेरी गर्दन के नीचे डालने की कोशिश की तो मैंने अपनी गर्दन थोड़ी सी उठा कर उसको अपनी बाँह मेरी गर्दन के नीचे डालने की जगह दे दी। मैंने अपनी गर्दन उसकी बाँह पर रख दी और अपनी दूसरी बाँह उसके ऊपर लपेट कर उसके थोड़ा और पास हो गई। अगर मैं घर पर पूजा के साथ होती तो कोई समस्या नहीं थी क्योंकि वहाँ उसके सामने भी मैं अपनी चूत में उंगली डाल कर अपनी चूत को शांत कर सकती थी परंतु यहाँ वंशिका के घर पर उसके सामने अपनी चूत कैसे शांत करूँ मुझे समझ नहीं आ रहा था इसलिए मैं चुपचाप लेटी रही।
मैंने धीरे से वंशिका के चेहरे को चूम लिया,”शुभ रात्रि !”
अचानक मुझे पूजा की याद आ गई और मैंने एक बार फिर से वंशिका को चूम लिया। फिर मुझे लगा कि शायद मैंने यह ठीक नहीं किया और तभी वंशिका ने मेरा सिर अपने और पास करने की कोशिश की। एक बार मुझे लगा कि शायद वंशिका भी यही चाहती है और मैंने उसे फिर से चूम लिया।वंशिका ने अपनी आँखें खोल लीं और मुझे होंठों पर चूम लिया। मेरी एक हल्की सी आह निकली और मेरा दिल जोर से धड़कने लगा।
वंशिका ने अपना चेहरा मेरे और पास किया और मेरे होठों को चूसने लगी। अब मैं समझ गई कि वंशिका भी उत्तेजित है, मैं उसका साथ देने लगी,”ओह वंशिका ! तुझे नहीं पता कि तू कितनी सैक्सी है और तेरे यह गुलाबी होंठ कितने स्वादिष्ट हैं !”
वंशिका कुछ नहीं बोली और मुझे चूमती रही। फिर उसने मुझे इशारे से अपने ऊपर आने को कहा। मैं उसके ऊपर आ गई और अपनी चूत को वंशिका की चूत पर दबाने लगी। मैं अपना चेहरा थोड़ा नीचे कर के बिल्कुल वंशिका के चेहरे के सामने ले आई और उसकी आँखों में देखने लगी। मैं वंशिका के होठों के आस पास चाटने लगी और उसके होठों को हल्के हल्के काटती हुई उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगी।
मैंने थोड़ा ऊपर हो कर अपनी टी-शर्ट उतार दी तो वंशिका ने अपने हाथ मेरे पीछे कर के मेरी ब्रा के हुक खोल दिये और मैंने उसे उतार कर फ़ेंक दिया। वंशिका ने मेरी गाण्ड पर हाथ फेरते हुए मेरी पैंटी भी नीचे कर दी तो मैंने उसे भी उतार दिया और फिर से वंशिका के होठों को चूसने लगी।
हम दोनों पलटी, मैंने वंशिका के कपड़े भी उतार दिये और उसको फिर से नीचे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत से उसकी चूत पर धक्के देने लगी।
वंशिका ने मेरे एक चुचूक को अपनी उंगली से दबा दिया। मैं जोर से चिंहुकी तो वंशिका हँस कर कहने लगी,”शालू तुझे ऐसे मज़ा आता है?”
मैंने हाँ में सिर हिलाया तो उसने दोबारा मेरे चुचूक दबा दिये।
“तेरी चूत तो बहुत गरम हो गई है ! तेरी चूत के पानी से मेरी चूत गीली हो रही है ! मुझे पता है कि अब तेरा दिल चुदाई का कर रहा है ! है ना?” कहते हुए वंशिका ने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी।
वंशिका अपने दोंनों हाथों से मेरे मोम्मे दबा रही थी। मेरी चूत बहुत गीली थी और मैं एक हाथ से वंशिका के बालों को सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी। वंशिका धीरे-धीरे अपना मुँह मेरे मोम्मों तक ले गई और उन पर टूट पड़ी,”शालू तेरे मोम्मे कितने बड़े हैं ! मोटे मोटे गद्दे जैसे ! लड़कों को इनको चोदने में मज़ा आता होगा ना?” वंशिका का पूरा ध्यान मेरे मोम्मों पर था, मेरी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं,”आह्ह! वंशिका, चूस, और जोर से चूस मेरे मोम्मे ! काट ले इनको !”
और वंशिका मेरे मोम्मों को और जोर से दबाने और चूस चूस कर काटने लगी। मैंने अपने दोनों हाथों से वंशिका की गाण्ड को दबाना शुरू कर दिया। धीरे से मैंने अपना एक हाथ वंशिका की चूत पर रखा और उसकी चूत को सहलाने लगी।उसकी चूत भी बहुत गीली थी। मैं अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल कर हिलाने लगी। वंशिका मेरे ऊपर से उतर कर मेरे साथ लेट गई और उसने भी मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी। मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी वंशिका की चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी। वंशिका ने अपनी उंगली मेरी चूत से निकाल कर मेरे बालों को खींचते हुए मेरे होंठों को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया तो मैं समझ गई कि अब वो मस्त हो गई है। मैं अपनी उँगलियों को उसकी चूत के अंदर-बाहर करने की गति धीरे धीरे बढ़ाने लगी। जैसे जैसे मेरे हाथ की गति बढ़ती वंशिका की सिसकारियों की आवाज़ भी उतनी जोर से आती।
मैं धीरे धीरे उसके चेहरे गर्दन और मोम्मे चूमती हुई उसके पेट से होते हुए नीचे तक आकर ठीक उसकी चूत के कुछ ऊपर उसको चूमने लगी। कुछ देर तक वहाँ चूमने-चाटने के बाद मैं उसकी चूत के बिलकुल ऊपर चाटने लगी। मुझे बहुत मादक सुगंध आ रही थी।
मैंने जोर से वहाँ सूँघा और बोली,”वंशिका, तेरी चूत की खुशबू से तो किसी भी लड़के का लण्ड खड़ा हो जाएगा !”
मैंने उसकी चूत को उँगलियों से चोदने की गति बढ़ाई और साथ ही उसकी चूत को जोर जोर से चाटने लगी।
वंशिका ने मेरे सिर को अपनी जांघों में दबा रखा था और दबी आवाज़ में जोर जोर से साँसें भर रही थी। तभी वंशिका झड़ गई और अपना सिर इधर उधर हिलाते हुए ओह आह की आवाजें निकालने लगी।
मैंने अपनी उँगलियाँ बाहर नहीं निकालीं और उसकी चूत को चाट चाट कर साफ़ करने लगी। जब उसका झड़ना शांत हो गया तो वो मेरा सिर पकड़ कर ऊपर खींचने लगी। मैं उसके शरीर को अब नीचे से ऊपर की ओर चूमती हुई उसके चेहरे पर पहुँच गई और उसके होंठों को चूम कर बोली,”वंशिका तेरी चूत तो बहुत स्वादिष्ट है ! दिल कर रहा है कि एक बार और चाट लूँ !”
वंशिका अपनी साँसें संयत होने के बाद मेरा चेहरा चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे नीचे की ओर जाने लगी। मेरी गाण्ड को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए मेरे मोम्मों तक पहुँच कर उनको चूसने लगी। उसने मेरे चुचूक काटने शुरू कर दिये। फिर नीचे आते आते वो मेरे पेट को चाटती हुई मेरी चूत तक पहुँच गई और मेरी जांघों को चाटने लगी।
मैं अपनी गाण्ड को आगे पीछे करते हुए अपनी चूत को उसके मुँह पर मारने लगी। वंशिका मेरी चूत से लेकर मेरी गाण्ड के छेद तक चाटने लगी और फिर उसने भी अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और उन्हें मेरी चूत के अंदर-बाहर करने लगी।
कुछ देर वहाँ चाटने के बाद वंशिका ने मुझे घोड़ी की तरह बनने को कहा।
मैं घोड़ी बन गई तो वंशिका पीछे से मेरी चूत में अपनी उँगलियाँ डाल कर मेरी गाण्ड को चाटने लगी। मैं अपनी गाण्ड को कभी आगे पीछे और कभी ऊपर नीचे कर रही थी। वंशिका ने अपना मुँह बिल्कुल मेरे नीचे कर के अपनी उँगलियों से मेरी चूत को चोदते हुए मेरी जांघों को चाटना शुरू कर दिया।
“आह्ह आह्ह वंशिका ! मेरी वंशिका !” मेरी आहें निकल रहीं थीं,”वंशिका, तू यह क्या जादू कर रही है?” मैं अपनी सांस संयत रखने की कोशिश कर रही थी।
“वंशिका, प्लीज़ ! अब बस कर, मैं झड़ने वाली हूँ !!!” मैंने कहा।
“झड़ जा शालू मेरी जान !!! आज इतनी जोर से झड़ जा ताकि तुझे झड़ने का मज़ा आ जाए !!!” वंशिका कहने लगी।
मेरी आँखें आनंद और उन्माद से पूरी खुली हुई थीं। मैं जोर जोर से अपनी गाण्ड को आगे-पीछे कर रही थी। मेरी गाण्ड का छेद स्वयं खुल और बंद हो रहा था और मेरा दिल कर रहा था कि इस समय कोई लड़का अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दे।”आह्हह्ह !!! ओह्ह्ह्ह !!! वंशिका !!!” मैंने अपना मुँह तकिये में दबा लिया ताकि मेरी चीख की आवाज़ बाहर ना जाए। परंतु वंशिका मेरी जांघों को सहलाते हुए मुझे उँगलियों से चोदती रही और मैं झड़ने लगी। मेरा पानी मेरी चूत से निकल कर वंशिका के हाथों को भिगो रहा था और नीचे बिस्तर पर गिर रहा था।
थोड़ी देर के बाद मैं वैसे ही बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से हांफने लगी।
वंशिका मेरे ऊपर लेट कर मुझे चूमते हुए कहने लगी,”शालू, अब किसी दिन दोनों मिल कर लड़कों के साथ मज़ा करते हैं !”
फिर वंशिका ने मेरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी और हम दोनों एक बार फिर से एक दूसरे की बाँहों में आ गईं।
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