वीर्यदान महादान-6
विक्की कुमार
जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया तो सोचा कि उसकी चूत मारूँगा पर इस बार नीता उल्टी लेट गई व एक तेल की शीशी को मुझे पकड़ाते हुए कहा- इसे मेरी गाण्ड के छेद में लगाओ।
मैंने तब से पहले कभी गाण्ड नहीं मारी थी… अजी गाण्ड तो छोड़ो मैं तो शालिनी की चूत भी ढंग से नहीं मार पाया था।
मैंने सोचा कि जब यह गाण्ड मरवा रही है, तो फिर मुझे भी मजे ले ही लेना चाहिये, मैंने उससे कहा- जानू, आज से पहले मैंने कभी गाण्ड नहीं मारी है।
तो उसने कहा- ट्राई करो, मजा आयेगा।
अब मैंने उसकी गाण्ड में तेल की शीशी में से थोड़ा तेल डाला व उंगली से रास्ता बनाने लगा। जब जब मेरी उंगली अंदर जाती तो नीता उछल पड़ती, व चिल्लाने लगती।
जब मुझे उंगली अंदर बाहर करते बहुत देर हो गई तो फिर वह मुझसे बोली- क्या उंगली से ही गाण्ड मारेगा, लण्ड का क्या अचार डालेगा?
मैं समझ गया कि अब इसकी भाषा बदल रही है, मतलब इसकी जवानी अब बेकाबू हो रही है।
इसके पहले मैंने भी कभी गाली नहीं दी थी, पर मजे बढ़ाने के लिये मैंने उससे कहा- आता हूँ गंडमरी, अब मेरे लण्ड से तेरी गाण्ड ही फाड़ दूँगा… साली चूत होने के बाद भी अभी तक चूत नहीं मारने दे रही है।
तो नीता ने भी उत्साहित होकर कहा- आजा मेरे गाण्डू राजा, बजा दे मेरा बाजा !
मैंने नीता को समीप में रखी मेज पर उलटा मुँह कर खड़ा कर दिया, डागी स्टाईल में, उसके चूतड़ मेरी तरफ हो गई, व आहिस्ते से अपने लण्ड का टोपा उसकी गाण्ड के मुहाने पर रख कर जगह बनाने की कोशिश करने लगा।
हालांकि उसकी गाण्ड बहुत संकरी थी, तो मैंने एक झटका में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।
अब नीता मारे दर्द के चीख पड़ी, बोली- लौड़ूदीन, थोड़ा रुकता तो सही, बाप का माल समझ रखा है क्या जो सीधे पेल दिया…
मैंने कहा- तेरी ही गाण्ड में खुजाल मच रही थी, मैंने सोचा कि चल, मिटा दूँ।
तो उसने कहा- थोड़ा तेल ओर डाल दो, व फिर रुककर शुरु करो।
अब मैंने तेल डालकर उसकी गाण्ड चिकनी करी व फिर उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेलना शुरु कर दिया।
नीता मीठे दर्द के कारण ओर चिल्लाने लगी- हाँ हाँ राजा मजा आ रहा है। बढ़ाओ स्पीड बढ़ाओ।
अब मैं अपने दोनों हाथ से उसके स्तनों को मसलने लगा व उसकी गाण्ड को चूत समझकर चोदने लगा।
सच में बहुत मजा आ रहा था, वह भी पक्की गाण्डू थी, थोड़ी देर बाद मजे लेकर मेरे लण्ड ने फिर से पानी छोड़ दिया।
नीता ने तीन बार मेरा लण्ड खाली करवा दिया लेकिन अभी तक अपनी फ़ुद्दी नहीं चुदने दी। साली पक्की खिलाड़िन दिख रही थी।
अब दोपहर हो चली थी, भूख लगने लगी थी, उधर देखा संजय सोफे पर पसरा बैठा हमारा तमाशा देख रहा था।
हम दोनों ने उससे पूछा- खाना खा लें?
तो उसने कहा- हाँ, भूख लग रही है।
सबसे पहले हमने कपड़े पहने व कमरे को व्यवस्थित किया, वेटर को अंदर बुला कर खाने का आर्डर दिया। कुछ देर बाद खाना खाने के बाद वेटर खाली प्लेटें उठाकर चला गया।
अब मैंने संजय से पूछा- सच बताना कैसा महसूस कर रहे हो क्योंकि मैं तुम्हारे सामने तुम्हारी बीवी को नंगी कर उसकी चूत चोद कर मजे ले रहा हूँ।
उसने जवाब दिया- तुम निश्चिंत रहो, अगर मुझे बुरा लग रहा होता तो हम यहाँ तक नहीं आते, अब चूंकि मैं लम्बे समय से नीता को संतुष्ट नहीं कर पा रहा हूँ, तो यह ठीक ही है कि यह मेरे सामने ही चुद रही है। अन्यथा अगर यह मेरी पीठ पीछे किसी से चुदेगी, उससे तो अच्छा ही है।
मैंने फिर शिष्टाचार निभाते हुए संजय से कहा- मैं सोफे पर बैठता हूँ, व इस बार आप जाओ।
तो उसने फिर मना करते हुए कहा- अभी तो तुम जाओ, मैं बाद में आऊँगा।
मैंने भी सोचा कि ‘पहले आप ! पहले आप !!’ वाले इस नवाबी शिष्टाचार को निभाने में चूत की गाड़ी ही छुट जायेगी, नीता किसी तीसरे के लण्ड को पकड़ कर चुदवा लेगी।
मैंने फिर नीता को अपनी बाहों में ले लिया और पूछा- बतलाओ डार्लिंग, अब कौन सा तीर है तुम्हारे तरकश में, या करती हो, अपनी चूत मेरे हवाले?
वह हंसी और बोली- ठीक है मेरी गीली चुदक्कड़ चूत के चोदू राजा, अब यह फुद्दी तुम्हारे हवाले !
मैंने फिर से उसके कपड़े खोले, इस बार साली ने ब्रा व पेंटी पहनी ही नहीं थी, कि फिर खोलना पड़ेगी, नीता मेरे सामने मादरजात नंगी खड़ी थी, मन हुआ कि सीधे ही लण्ड उसकी चूत में पेल दूं, लेकिन सोचा ‘नहीं, थोड़ा इसके भी मजे लेना चाहियें।’
अब मैंने उसे पलंग पर लेटा दिया, व उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। सबसे पहले उसके दाने को चूसना शुरु किया, तो वह तो उछलने लगी, गालियाँ देकर मुझे उकसाने लगी।
फिर मैंने देखा कि यह पूरी गर्म हो गई है तो, अपनी जीभ को गोल घुमाकर उसे चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
नीता तो पागलों की तरह बिस्तर पर उछलने लगी।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गये। अब मेरा लण्ड उसके मुंह में था, मैं अपनी जुबान को तेजी से अंदर बाहर उसकी चूत में करने लगा जैसे उसकी चुदाई हो रही हो।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि उसने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया, व मेरे जीभ लिसलिसी हो गई, मैंने उसका जीह्वाचोदन कर दिया था, वह झड़ गई थी।
इसके साथ ही मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया।
फिर कुछ देर बाद जब हम तैयार हुए तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में प्रविष्ट करा दिया, उसकी चूचियों को चूसना शुरु कर दिया।
कुछ ही क्षणों में उसकी चूत की प्यास फिर जाग गई, वह मुझे आगे पीछे कर धक्के देकर मेरा उत्साहवर्धन करने लगी।
फिर अचानक देखा कि संजय भी अपना लण्ड लेकर सामने आकर खड़ा हो गया। मैंने सोचा नीता उसकी बीवी थी, उसका पहला हक है। उसने पास आकर नीता के उरोजों पर हाथ फिराना शुरु कर दिया।
मैंने देखा कि संजय का लण्ड पूर्ण रूप से खड़ा है, तो मैंने अपना लण्ड नीता की चूत में से निकालते हुए संजय से कहा- चलो, अब तुम शुरु कर दो।
संजय खुश होते हुए बोला- ठीक है।
वह नीता के नंगे बदन पर चढ़ गया, उसने नीता की चुदाई शुरु कर दी।
मैं यह देखकर सोफे पर जाकर बैठ गया, सामने चल रही संजय व नीता की ब्लू फिल्म देखने लगा।
नीता भी उसका चिल्ला चिलाकर उत्साहवर्धन कर रही थी। कुछ देर बाद संजय व नीता दोनों एक साथ ठण्डे पड़ गये।
फिर दोनों बाथरुम से आकर मुझे धन्यवाद देने लगे, कहा- सच में आज करीब दो साल बाद मैं नीता को चोद कर संतुष्ट कर पाया हूँ।
उसके अनुसार मेरे कारण ही यह सब हुआ है।
फिर नीता ने मुझसे माफी माँगते हुए कहा की सारी तुम्हें भूखा रखा।
मैंने कहा- इसमें क्या हुआ, तुम दोनों की खुशी में ही मेरी खुशी है।
फिर हम दोनों कुछ देर तक बातें करते रहे, व फिर अचानक संजय हमसे बोला कि मैं थक चुका हूँ, अतः अपने रूम में जाकर सोना चाहता हूँ।
मैं समझ गया कि अब यह हमें एकांत देना चाहता है।
मैं बोला- जैसे आपकी मर्जी !
फिर नीता संजय को उसके कमरे तक छोड़ने गई व कुछ समय बाद आकर बोली- आज संजय बहुत खुश है, आज वह मेरी पूर्ण चुदाई कर पाया।
अब शाम हो चुकी थी, मैंने कहा- नीता डार्लिंग, अब मुझे भूख लग रही है, क्या हम नीचे गार्डन में चल कर खाना ले लें।
तो वह तैयार हो गई क्योंकि उसे भी भूख लगने लग गई थी।
हम दोनों तैयार होकर नीचे जाने लगे तो मैंने नीता से पूछा- संजय को भी साथ ले लें?
तो उसने मना कर दिया- आज की रात तो हम दोनों अकेले ही गुजारेंगे। वह मुझे कल ही मिलने का बोल गया है।
शाम का समय बेहद सुहाना था, हम दोनों गार्डन के एक कोने में हाथ में हाथ डाले बैठ गये।
नीता बेहद बातूनी थी, वह अपनी पूरी जिन्दगी के बारे में बतलाती रही, उसने मेरे सामने स्वीकार किया कि संजय पिछले पांच साल से उसे संतुष्ट नहीं कर पा रहा था, तो संजय इस बात को लेकर शर्मिंदा था।
संजय स्वयं नीता की चूत की तड़फ को महसूस करने लगा तो उसने स्वयं ही आगे रहकर प्रस्ताव रखा कि तुम चाहो तो किसी से चुदवा कर अपनी कामेच्छा को शांत कर सकती हो।
पर नीता ने बड़े ना-नुकुर के बाद मुझसे चुदवाना स्वीकार किया। दोनों ने आपसी सहमति के बाद ही मुझसे सम्पर्क किया।
फिर कुछ देर बाद हम अपने कमरे में लौट गये।
अब सिर्फ हम दोनों अकेले थे। फिर हमने रात भर चुदाई का आनन्द लिया, हम दोनों ही भूखे थे, एक दूसरे की भूख मिटाने की पूर्ण कोशिश की, व सफल भी हुए।
अगले दिन खाना खाने के बाद संजय एक बार और हमारे साथ चुदाई के प्रोग्राम में शामिल हुआ और संतुष्ट दिखा।
फिर शाम होने पर विदाई का समय आ गया, मैंने नीता से पूछा- क्या भविष्य में फिर से मुलाकात हो सकती है?
तो नीता ने प्रसन्न होते हुए कहा- हाँ, बिल्कुल हो सकती है पर तुम्हें इसके लिये दिल्ली आना होगा।
फिर वही बात हुई, वह दिल्ली में और मैं मुम्बई में। हम कितना भी कोशिश कर लें पर साल में दो चार बार से ज्यादा तो क्या मिल पायेंगे।
फिर शाम को हम अच्छी यादें लेकर रवाना अपने अपने शहरों के लिये रवाना हो गये।
शिमला से मुम्बई लौटने के कुछ दिनों तो सब ठीक रहा। इधर फिर मेरा लण्ड राजा खड़ा होकर कुलांचे मारने लगे, पर उधर शालिनी का व्यवहार जस का तस ही रहा, वह हमेशा की तरह अपनी चूत का प्रसाद मुझे देने में कंजूसी करती है।
अब प्यारे से पाठकगणों, कृपया मुझे बतलायें कि अगर मेरी इस कथा को सुनकर यदि कोई भूखी प्यासी चूतात्मा, मुझसे वीर्यदान की अपेक्षा रखते हुए सम्पर्क करती है, तो मुझे क्या करना चाहिये? मुझे चूत पर ताला लगाकर रखने वाली अपनी निष्ठुर पत्नी की परवाह नहीं करते हुए, उस चूत की खुजली मिटाते हुए वीर्यदान करना चाहिये या नहीं?
क्योंकि कामसूत्र के रचयिता आचार्य श्री वात्सायन भी कह गये हैं कि वीर्यदान महादान है। अतः पौष्टीक वीर्य की आकांक्षा रखने वाली किसी सुपात्र नारी को वीर्यदान करने में देरी नहीं करनी चाहिये।
शुभस्य शीघ्रम् !
आपकी राय की इन्तजार में
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