मलयालम आँटी

प्रेषक : सोनू कुमार

हाय ! मैं सोनू कुमार एक बार फिर आप लोगों को अपनी एक सत्य कथा लिखने जा रहा हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, हमारी किताबों की दुकान थी और एक आँटी उम्र में लगभग 25-27 की, जब भी वो मुझे अकेले दुकान में देखती थी, वो मुझे सच्चे किस्से, मनोहर कहानियाँ जैसी किताबें दिखाने को कहती थी। आँटी का नाम रमणी था और वो मलयालम थी, उनकी तब तक शादी भी नहीं हुई थी, वो स्टेट बैंक में काम करती थी। वो हमेशा मेरे साथ मजाक कर लिया करती थी और मैं जब भी उन्हें आँटी कहता था वो कुछ नाराज़ सी हो जाती थी।

एक दिन आंटी ने मुझे अपने घर आने को कहा। रविवार का दिन था, मैं आँटी के घर पहुँच गया। मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई तो आँटी ने दरवाज़ा खोला, मुझे देख कर कहा- अरे संजय तुम कब आए?

मैंने कहा- बस आँटी, अभी अभी आया हूँ, क्या घर में कोई नहीं है?

आँटी ने कहा- क्यों नहीं ! मैं और तुम तो हैं, आओ, अन्दर आ जाओ।

मैंने कहा – ओ के।

आँटी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी।

आँटी ने कहा- संजय तुम चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो… अन्दर सारी सहूलियत है…

मैं नहा कर आ गया फिर आँटी ने कहा- संजय मैं भी नहा कर आती हूँ, फिर खाना खायेंगे।

आँटी नहा कर आ गई और आँटी ने जानबूझ कर मेरे सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर मैं आँटी की तरफ़ चोर नज़र से देख रहा था। आँटी ने मेरी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्का सा टॉप डाल लिया। आँटी नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। आँटी ने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और आँटी एकाएक नंगी हो गई। आईने में आँटी ने देखा तो मुझे उनकी ओर देखता पाया, उसने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।

आँटी ने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मेरी नजरें बदल रही थी उन्हें निहार रहा था।

मेरा ध्यान तो उन पर लगा था …. और उनका ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।

उसने बातचीत शुरू की, उसने हालचाल पूछा, फिर वो पूछने लगी कि तुम हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?

मैंने कहा- यह बात आप अपने आप से पूछो !

तभी वो कहने लगी- सर दर्द हो रहा है।

मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके माथे पर थोड़ा बाम लगा देता हूं, आप मेरे गोद पर सर रख लीजिये !

उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ा बाम हाथ में लिया और धीरे धीरे उसके सर पर लगा कर सहलाना चालू किया। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।

मैं मौके को भाँपते हुए बिस्तर के ऊपर बैठ गया, मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?

उसने देखते ही देखते उठ कर मुझे पकड़ा और अपने साथ बराबर में मुझे ले कर लेट गई और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो ! सब तुम्हारा है। हम दोनों ही प्यासे हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं।

उसने मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए और फिर उसने अपनी टांगें फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।

मैंने उस पर लेट के उसको होटों को चूमना चालू किया। फ़िर मैं उसके चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे उसको कुछ होने लगा। वो मस्त हो के उछलने लगी। मैंने उसकी निपल को अपने दोनों दांतों के बीच दबा के जोर से चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरे स्तन को जोर से दबाने लगा।

मैं हब्शी की तरह उन पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कि किसी ने बरसों से खाना ना खाया हो। उनके स्तनों को मैं इतने ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था कि वो बुरी तरह काम्प रही थी।

कभी स्तनों को पीता तो कभी उनके होंठों को चूसता और दूसरे हाथ से स्तनों को मसल रहा था। मैं उनके स्तन को पूरा अपने मुँह में भर लेना चाहता था पर मेरी किस्मत ! स्तन बड़े थे और मेरा मुँह छोटा। पर कोई बात नहीं !

उसने मेरे लण्ड को, जो तन कर मोटा हो गया था, पकड़ लिया। वो हाथ में लेते ही बोली- ये तो बहुत बड़ा है मैं तो मर ही जाऊंगी, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो !

फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाली तो वो पूरी तरह भीग चुकी थी। मैंने उसकी चूत में हाथ घुमाना चालू किया वो अपने आप से बाहर हो गई थी।

मैंने उनके चूत पे अपना मुंह रख के उसमें अपनी जीभ रख दी तो वो मचल उठी और चिल्ला पड़ी- मर गई मेरे राजा।

फ़िर क्या था, मैंने आँटी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया ! लग रहा था कि मानो वो होंठ नहीं गुलाब की पंखुड़ियाँ हों। धीरे धीरे मेरा लण्ड मिनार की तरह खड़ा हो गया।

फ़िर मैंने उनके मुँह में अपना प्यारा और सेक्सी लण्ड रख दिया और 69 की अवस्था में हो गया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं उनकी चूत इतने प्यार से चूस रहा था कि उसके एक बार तो निकल भी गया।

उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये।

वो मुझसे बोली- अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।

मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाई मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया। पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया।

पर वो चिल्लाई- प्लीज, आराम से करो ! दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- ठीक है ! पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा !

उसने गर्दन हिलाई। मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया। मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।

वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है।

पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी- सोनू मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो !

मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथों से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।

“तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…”

“मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…”

और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था, मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए।

और इस तरह उस दिन हमने चार बार मजा लिया। फिर उसने मुझे प्यार से गले लगा कर विदा किया।

इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया। जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है।

मेरी कहानी कैसी लगी बताना।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top