दिल्ली मेट्रो में मिली भाभी की चुदने की चाहत-3

(Delhi Metro Me Mili Bhabhi Ki Chudne Ki Chahat Part-3)

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अब तक आपने पढ़ा..
भाभी ने मुझे अपने घर बुलाया और अपने पति की बदसूरती के कारण संतान पर आए हुए असर को बताने लगी थीं। साथ ही वो दूसरे बच्चे के लिए सोच रही थीं और उन्होंने मुझे इसी लिए बुलाया था।
अब आगे..

इतना कहते ही भाभी एकदम से चुप हो गईं और अपनी नज़रें नीचे झुका लीं।

मैंने अपना एक हाथ भाभी के कन्धों के ऊपर से ले जाकर उनके सीने पर टिका दिया और धीरे-धीरे उनके मम्मों को मसलने लगा।
भाभी ने भी अपना एक हाथ मेरे दूसरे हाथ को जो कि मैंने अपनी जाँघों पर रखा था.. पकड़ लिया, भाभी बोलने लगीं- मैंने आज तक अपने पति के अलावा और किसी के साथ कुछ भी नहीं किया है। जब से आप मेट्रो में मिले और आपने अपना नम्बर दिया है तभी से कॉल करने के लिए रोज सोचती थी.. लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी कि क्या कहूँगी। आज मैंने बहुत हिम्मत करके आपको कॉल किया।

मैंने अपने हाथ को रोकते हुए भाभी से बोला- देखिए भाभी.. अगर आपको मेरे साथ ख़ुशी मिलती है.. तभी हम आगे कुछ करेंगे.. वर्ना आप जिस दुखी मन से बात कर रही हो.. उससे मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
भाभी बोलीं- कितनी हिम्मत करके मैंने आपको फ़ोन किया.. ये आप सोच भी नहीं सकते हो।

फिर से मैंने भाभी के मम्मों को पकड़ लिया और दबाते हुए बोला- आप अब खुश हो जाइए.. अब आपका आने वाला बच्चा काफी स्मार्ट होगा।

मैंने भाभी के गाल पर एक किस भी कर दिया, भाभी मेरी तरफ झूल गईं, अब मैं भाभी के मम्मों को आराम-आराम से दबा रहा था।
मैंने अपना सर भाभी के सर से बिल्कुल सटा रखा था। मैं कभी भाभी की गर्दन पर किस करता.. कभी उनके कान के पीछे अपने होंठ को रगड़ता।

यह मेरा किसी लड़की या औरत के साथ पहला अनुभव था।
हालांकि मैंने काफी सारी सेक्स कहानियाँ तथा बहुत ब्लू-फिल्म भी देख रखी थीं और ये सब करते हुए मुझे बहुत मजा भी आ रहा था लेकिन भाभी अभी भी चुपचाप बैठी थीं।

मैंने अपने हरकतों को रोकते हुए भाभी से पूछा- क्या हुआ भाभी.. आपको अच्छा नहीं लग रहा है?
भाभी बोलीं- आप मुझसे एक वादा करोगे?
मैंने कहा- आप पहले बताइए तो सही?

फिर भाभी बोलीं- मैं सिर्फ गर्ववती होने तक ही आपसे सम्बन्ध रखूंगी.. उसके बाद आप मुझे फ़ोन करने या मिलने की कोशिश तो नहीं करोगे.. और किसी भी प्रकर से ब्लैकमेल तो नहीं करोगे?
मैंने बोला- भाभी आप कैसी बातें कर रही हो..? मैंने आज तक किसी के साथ विश्वासघात या किसी को भी धोखा नहीं दिया है और यही मुख्य वजह है कि मैंने आज तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया है।

भाभी मुझे बड़ी आशा भरी निगाहों से सुन रही थीं।

‘जब मैं बारहवीं में पढ़ रहा था.. तभी मेरे एक दोस्त की दीदी ने प्रपोज़ किया था और मैंने उसको मना कर दिया था कि मैं अपने दोस्त के साथ धोखा नहीं कर सकता।’

मैं भाभी की तरफ देख रहा था और मुझे ऐसा लगा कि भाभी मुझसे कुछ आश्वासन चाह रही हैं, मैंने कहा- मैं आपको कभी कॉल नहीं करूँगा। जब आपको मुझसे बात करने का मन हो आप कॉल कर लीजिएगा।

अब भाभी बहुत खुश हो गईं और उनके दिमाग की उलझन भी काफी हद तक दूर हो गई।

फिर मैंने अपनी पेंट की चैन को खोला और भाभी का हाथ पकड़ कर अपनी चड्डी के ऊपर रख दिया। मेरा लंड जो कि पेंट में तम्बू बनाए हुए था.. वो चैन खुलते ही बाहर आ गया था।

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर चड्डी के ऊपर से ही मसलने लगीं। मैंने भाभी के मुँह को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया और उनके होंठों को चूसने लगा।

फिर मैंने अपने एक हाथ से भाभी का कुरता ऊपर किया और अपना हाथ अन्दर डाल दिया। मैं भाभी के पेट.. नाभि तथा पीठ से लेकर कमर तक को सहलाने लगा।

अब भाभी को भी मजा आने लगा था। भाभी ने मेरे लंड को छोड़ कर दोनों हाथों से मुझे पकड़ लिया और आँख बंद करके अपने नीचे वाले होंठ को दांतों के नीचे दबाते हुए कमरे में चलने का इशारा करने लगीं।

मैंने भाभी को गोद में उठाया और सामने के बेडरूम में लेकर चला गया। पर वहाँ भाभी की लड़की सो रही थी।
भाभी बोलीं- नहीं यहाँ नहीं.. श्वेता जाग जाएगी।
भाभी मेरी गोद से उतर कर दूसरे कमरे की तरफ चल दीं, मैं भी भाभी के पीछे-पीछे उस कमरे में आ गया।

कमरे में आकर पहले तो मैंने अपनी कमीज को उतारा.. जिसकी सारी क्रीज़ ख़राब हो चुकी थी।
फिर मैंने बनियान और अपना पेंट भी उतार दिया।

भाभी अपने पलंग पर बैठ कर मुस्कुरा रही थीं, मैंने कहा- भाभी आप भी तो अपना कपड़े उतार दीजिए।
भाभी हंस कर बोलीं- वो तो आपको ही उतारना पड़ेगा।

मैंने भाभी को एक किस किया और पहले ऊपर का कुरता और बाद में पजामी जो कि काफी टाईट थी.. भाभी के पैरों से बिल्कुल चिपकी हुई थी.. उसे उतार दिया।

अब भाभी सिर्फ ब्रा और कच्छी में थीं और मैं सिर्फ चड्डी में था। मैंने भाभी को पलंग पर लेटाया और मैं उनके ऊपर लेट गया।

मैं भाभी के रसीले होंठों को चूसने लगा और अपने हाथों से भाभी के शरीर को सहलाने लगा। कुछ देर ऐसे करने के बाद मेरी नज़र फिर से भाभी के मम्मों पर गई.. जहाँ पर वो काला सा तिल फिर से दिखाई दे रहा था। उस तिल को देखते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने तुरंत ही भाभी के जिस्म से उनकी ब्रा को अलग कर दिया।

अब मैंने सबसे पहले उस तिल को किस किया और फिर उसे चाटना शुरू किया। मैं उस तिल को चाटते-चाटते मम्मे के आगे वाले निप्पल को चूसने लगा। भाभी के मम्मों को देख कर कोई ये नहीं कह सकता कि भाभी एक बच्चे की माँ भी हैं।

अब भाभी भी गर्म हो चुकी थीं और उनके मन में पराये मर्द के लिए जो लज्जा थी.. वो भी खत्म हो चुकी थी, वो अपनी दोनों पैरों को मेरे दोनों पैरों में फंसा कर अजीब ढंग से मुझे जकड़ चुकी थीं।

भाभी अपने हाथों से मेरी पीठ को कभी सहलातीं.. तो कभी नाख़ून गड़ा देतीं.. और कभी जोरों से मेरी पीठ को दबा कर मुझे अपने शरीर से चिपका लेतीं।
ये सब मेरे लिए बिल्कुल नया था, मैं इतना खुश और आनंदित था.. जिसको मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।

आज मुझे असली सेक्स का मजा मिल रहा था। आज तक मैं इस सुख से वंचित था। मैं मन ही मन भगवान और भाभी दोनों को धन्यवाद दे रहा था।

मैंने भाभी के पैरों की जकड़न से अपने आपको छुड़ाया और भाभी की गीली हो चुकी कच्छी को निकाल दिया।

मैंने पहली बार इतनी नजदीक से वास्तविक बुर (चूत) के दर्शन किए थे। भाभी की चूत काफी फूली हुई थी और भाभी ने चूत के बाल भी शायद आज ही साफ किए थे.. जिसके कारण चूत बिल्कुल चिकनी और गुलाबी लग रही थी।

भाभी की चूत के ऊपरी हिस्से पर.. जो कि चूत के दोनों भागों को जोड़ते हुए एक दाना सा बना हुआ था.. उसका रंग श्यामल सा था.. जो कि बेहद ही खूबसूरत लग रहा था।

मैंने चूत को काफी गौर से देखा और फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों से उसे फैलाकर देखा, उसकी थोड़ी सी खुशबू को अपनी साँसों में खींचा।
इसके बाद मैं चूत के ऊपरी भाग को किस करते हुए फिर से भाभी के मम्मों तक पहुँच गया। अब मैं मुँह से भाभी के मम्मों को चूस रहा था और एक हाथ से उनकी चूत को सहला रहा था।
भाभी ‘आह.. आह..’ की आवाजें निकाल रही थीं।

उन्होंने फिर से अपने पैरों को ऊपर उठा कर मेरे पैरों को जकड़ लिया। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने अपने एक हाथ से चड्डी को थोड़ा नीचे को खींच दिया और अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ने लगा।

अब भाभी इतनी व्याकुल हो चुकी थीं कि वो चुदास के चलते जल्दी से अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत की छेद पर टिकाने लगीं।

मैंने ज्यों ही अपने लंड को उनकी चूत पर थोड़ा सा आगे किया कि भाभी ने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह में घुसड़वा लिया।

मेरे लंड का टोपा भाभी की चूत में फस गया। मैं फिर से उसे निकालना चाह रहा था.. लेकिन भाभी ने अपनी कमर उचकाई और दोनों हाथ तथा दोनों पैरों से मुझे कस कर अपने ऊपर दबा लिया।

भाभी बोलीं- इस बार आप जल्दी से शुरू हो जाइए.. बाकी जो आपकी मर्जी हो वो दूसरे राउंड में कर लेंगे।

मैंने भाभी की इस विनती को स्वीकार किया और एक काफी जोर का झटका मारा। ये झटका इतना तीव्र था कि मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में जड़ तक घुस गया। भाभी ने दर्द से अपने दोनों पैर हवा में लहरा दिए और आँख खोलकर ‘आह.. आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई..’ बोलते हुए कराहने के अंदाज के साथ साथ मुस्कुरा दीं।

मैंने ताबड़तोड़ शॉट मारना शुरू कर दिए, कुछ दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैंने पहली बार किसी की चूत में अपना माल गिरा दिया।

फिर कुछ देर बाद दूसरा राउंड हुआ जिसमें मैंने कई मिनट तक अलग-अलग आसनों में भाभी की चूत की चुदाई की।
रात का खाना खाने के बाद एक बजे रात तक तीन बार और चुदाई की।

भाभी मुझसे चुदने के बाद इतनी खुश हुईं कि मैं आपको बता नहीं सकता। भाभी की ये ख़ुशी उनके गर्भवती होने से बाहर आई। अभी भाभी 2 महीने की गर्ववती हो चुकी हैं। फिर भी सप्ताह में कम से कम दो दिन मुझे बुलाती हैं और मैं भाभी की खूब चुदाई करता हूँ। भाभी के पति 9 बजे रात में घर आते हैं और भाभी दो बजे से फ्री रहती हैं।

तो दोस्तो, यह सेक्स कहानी आपको कैसी लगी आप कृपया ईमेल जरूर कीजिएगा और कहानी लिखने में जो गलती हुई हो उसके लिए सुझाव भी दीजिएगा।
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