योगा से योनि तक-3
(Yoga Se Yoni Tak Part-3)
कहानी का पहला भाग : योगा से योनि तक-1
कहानी का दूसरा भाग : योगा से योनि तक-2
मेरी कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने गोवा में अपनी बीवी को योगा टीचर से चूत की चुदाई कराते देखा.
अब आगे:
सुबह नींद खुली 8 बजे तो मोना मेरे साथ बेड पर सोई थी.
मैंने उसको जगाया- मोना, उठो भी यार.. रात को 10 बजे ही हम सो गए थे.. अब कितनी देर तक यहां पड़ी रहोगी?
मोना- सोने दो ना रवि, रात को बड़ी देर से नींद आई थी. कल पूरा दिन घूम लिया था सो थक गई हूं. तुम ऑफिस चले जाओ.
मैंने भी उसे सोने देना मुनासिब समझा. मैं भी मेरे दूसरे वाले कमरे में चल दिया. वो दोनों आज भी घूमने गए, मैं भी पीछे पीछे गया. वो किसी अनजान बीच पर गए, वहां पे कोई नहीं था. वहां पर दोनों ने जमकर चुदाई की.
शाम को वो वापस होटल आ गई.
थोड़ी देर में मैं भी आ गया. दरवाजा खोला तो मोना मेरे सामने सती सावित्री बन कर साड़ी पहन कर खड़ी थी. फिर मैं फ्रेश हुआ और हमने डिनर किया. उसने फिर नाइटी पहन ली.
मैं- अपनी सखी के साथ आज कहां गई थी?
मोना- आज तो उसने मुझे कई बीच दिखाए और पैदल चला चला कर बॉडी की बैंड बजा दी.
मैंने मोना को किस किया, फिर उसकी नाइटी उतारने लगा तो मुझको दूर कर दिया.
वो- आज तो मैं थक गई हूं. आज नहीं रवि.. कल करना.
मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया क्योंकि उसका आनन्द की ओर झुकाव बढ़ रहा था.
मैं- कल सुबह पैकिंग कर लेना, दोपहर को हमें निकलना है.
इतना बोलते ही उसकी थकान दूर हो गई.
वो- क्यों क्या हुआ? तुम तो चार दिन की बात कर रहे थे, अभी तो सिर्फ 2 हुए हैं.
मैं- ऑफिस का काम खत्म हो गया है.
दूसरे दिन मैं उसके साथ वापस आ गया, पर वो नाराज थी. मैं ऑफिस चला गया. वैसे ही कुछ दिन बीत गए. मैं रोज रात को उसे किस करने जाता, तो कोई न कोई बहाना करके मना कर देती.
एक दिन मैंने सोचा कि उसे सरप्राईज दूँ. मैंने मूवी की टिकट ले ली फिर हाफ लीव लेकर घर गया. जैसे ही मैं घर पहुँचा, दरवाजा बंद था पर किचन की विंडो थोड़ी खुली हुई थी. मैं तो अन्दर का दृश्य देख कर हैरान हो गया.
आनन्द ने मेरी बीवी को अपनी बांहों में कस के पकड़ कर खड़ा था, मोना चाय बना रही थी.
आनन्द- उतार दो न ये ब्लाउज मोना डार्लिंग.
मोना- अरे बाबा तुम खुद क्यों नहीं उतार देते.
मोना का ब्लाउज उतर गया तो मैं हैरान रह गया क्योंकि मोना ने पिंक कलर की ब्रा पहनी थी जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं थी, ऐसा उसने मुझे बताया था. तो फिर आज क्यों पहनी?
मैं फिर दरवाजे का लॉक खोल कर चुपके से अन्दर आ गया और पर्दे के पीछे छिप गया. वो दोनों हॉल में आए.
आनन्द- जानू, मैं तुम्हारे लिए रेड वाइन लाया हूं और तुम चाय बना रही हो.
मोना- ये क्यों लाए.. मेरे पति को पता चला तो? मैंने उससे झूठ बोला है कि मुझे वाइन पसंद नहीं.
आनन्द- तुम्हारे पति को तो बहुत कुछ पता नहीं जानू.
मोना- मेरे परिवार वालों ने मेरी शादी जबरदस्ती कर दी थी. मुझे वो पसंद नहीं थे. पर फिर सोचा कि कोई तो ऐसा बंदा मिलेगा जो मुझे समझे, उसे ही मैं अपनी पसंद नापसंद बताऊँगी.
मैं ये सब सुनकर हिल गया. इतना बड़ा धोखा?
आनन्द- छोड़ो इन सब बातों को.
यह कह कर उसने मोना की साड़ी को अलग कर दिया. दोनों ने टीवी चालू किया और ब्लू फिल्म लगा ली. मुझे तो शॉक पे शॉक मिल रहे थे. मेरी बीवी ब्लू फ़िल्म का नाम सुन कर चिढ़ जाती थी, आज वो ही देख रही थी. फ़िल्म में 2 आदमी एक औरत को बेरहमी से चोद रहे थे. ये देख दोनों की आंखों में वासना का नशा दिख रहा था.
तभी मोना ने पीछे दरवाजे की ओर देखा, उसकी नजर पर्दे के पीछे खड़े में जूतों पर गई. शायद उसे मेरी हाजिरी का पता चल गया था इसीलिए उसने पर्दे के सामने थोड़ी स्माइल दी.
फिर आनन्द ने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को मसलने लगा. फिर उसने ग्लास में पड़ी रेडवाईन को स्तनों पर डाल दिया, वो नीचे जाती हुई उसके पेटीकोट के अन्दर चली गई. फिर वो मोना के स्तनों को बेरहमी से चूसने लगा.
मोना उसका सर दबा कर मेरी ओर देखते हुए सिसकारियां निकलने लगी- आह आनन्द, आह..
अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. मैंने पर्दा हटाया और चुपके से वहां आकर मोना के दूसरे स्तन को चूसने लगा. ये देख आनन्द हड़बड़ाहट से दूर हो गया. मोना ने भी नाटक किया.
मैं- ये सब क्या है आनन्द?
वो- सॉरी, आज मैं बहक गया.
मोना- आनन्द आओ.. कस कर मसलो मेरे स्तनों को.. ये तो कब से हमें देख रहा है.
वो दो पल रुका और अचानक ही नार्मल हो गया. आकर स्तनों को मसलने लगा.
मैं- ये सब क्यों किया मोना?
मोना- तो फिर क्या करती मैं रवि? मुझे भी तो अपनी लाइफ एन्जॉय करनी थी. रोज रात को तुम मुझे तड़पती छोड़ कर सो जाते थे. आनन्द ने मुझे पहली बार सही मायने में औरत का सुख दिया.
मैं- ये सब कब से चल रहा है?
मोना- आनन्द, तुम अब चले जाओ कल आना.
आनन्द- ओके जान.
वो किस करके निकल गया.
मैं बहुत अपसैट था. रात को हमने डिनर किया फिर मैं बेड पे लेट गया. बच्चे भी दूसरे कमरे में सो गए थे. फिर मोना रात को ब्लैक नाइटी पहनकर आई और मेरे साथ लेट गई.
मोना- तुमको एक बात बतानी थी रवि. मुझको आज जी भरकर प्यार करो.
मैं- क्यों? क्या हुआ? पछतावा हो रहा है?
मोना- बताती हूँ.. पहले मेरी चूत को चाट ना..
मैं उसकी पैंटी को हटाकर उसकी योनि को चाटने लगा.. वो मचलने लगी.
मोना- आह रवि, आह जी भर के चूसो. आज रात मैं तुम्हारी हूँ. कल से मुझ पर आनन्द के पूरा हक होगा. वो जो कहेगा, वही मुझे करना पड़ेगा.
उसकी इस बात से मुझ पर से तो सेक्स का नशा ही उतर गया.
मैं- ये क्या कह रही हो तुम?
मोना- वो मुझे बहुत खुश रखता है. उसने तो मुझे तुम्हें ना छूने देने को कहा था पर तुम मेरे पति हो, इसलिए सोचा कि एक बार तो तुम्हारा मुझपे हक़ बनता है. इसीलिए में कह रही हूँ कि जी भरके आज रात प्यार कर लो.
मुझे ये सब बातें सुनकर रोना आ गया और मैं रोने लगा. तो उसने मेरा सर पकड़ कर अपने सीने पे रख दिया. मेरे बालों को सहलाने लगी. फिर उसने अपनी ब्रा को उतार फैंका.
फिर वो बोली- अब रोने से क्या होगा रवि, तुम मेरे पति हो इसलिए मैं आनन्द को एक रात धोखा दे रही हूँ.
फिर उसने मेरे मुँह में अपना एक स्तन दे दिया. वापस ना चाहते हुए भी मेरी वासना मुझ पर हावी होने लगी. मैं उसके स्तन को चूमने लगा.
मोना- आह रवि, चूसो इसको.
फिर मैं मोना का दूसरा स्तन भी चूसने लगा और जमकर चुदाई की. बाद में मैंने अपना लिंग मोना की गांड पे रखा और वो कुछ बोले, मैंने लंड को पेल दिया. उसकी गांड आनन्द की मेहरबानी से थोड़ी खुली हुई थी.
मोना- आह, आज तक तुमने मेरी गांड क्यों नहीं मारी. चूत से ज्यादा गांड में मज़ा आता है.
मैं बिना कुछ बोले उसकी गांड मारने लगा.. और अन्दर ही झड़ गया. फिर दोनों ने अपने आपको साफ किया और बेड पर लेट गए.
मोना- कल से मैं थोड़ा गुस्सा कर दूँ तो बुरा मत मानना.
फिर हम दोनों सो गए. सुबह उठकर फ्रेश हुए. तभी दरवाजे पर घंटी बजी. मैंने दरवाजा खोला तो देखा आनन्द एक बैग लेकर खड़ा था.
मैं- तुम यहां?
आनन्द- अबे लौड़े, ये मेरा घर है यहां मेरी बीवी रहती है, जब मेरा मन करेगा, मैं इधर आ सकता हूँ.
मोना- अरे आनन्द तुम कब आए, ये बैग अपनी बीवी को दे दो. मैं उसे हमारे बेडरूम में रख देती हूं.
मैं- ये सब हो क्या रहा है बताएगा कोई?
मोना- कुछ नहीं रवि, अब से आनन्द यहां रहेंगे.
मैं- अब कमीने..
मोना- तमीज से बात करो रवि, मैं अपने पति की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकती.
फिर वो दोनों कमरे में गए और सामान एडजस्ट कर दिया. मैं रोज रात को बच्चों के साथ सो जाता और मोना के कमरे से ‘आह आह आह..’ की सिसकारियां और चीखें सुनता और रोकर सो जाता. मुझे गोवा की ट्रिप बड़ी ही महंगी पड़ गई.
मोना सुबह जल्दी उठकर नंगी ही किचन में चाय बनाने जाती और मैं रोज उनकी ओर देखता रहता. वो अब बिंदास लाइफ एन्जॉय कर रही थी. वो एक दूसरे को मेरे सामने भी किस करते और अंगों को मसलते.
मैंने एक दिन अपना आपा खो दिया. जैसे ही मोना किचन में गई और चाय बनाने लगी. मैं पीछे से जाकर अपना मुँह सीधा ही उसके योनि पर रख दिया और चूमने लगा. उसको लगा कि आनन्द है.
वो आँखें बंध कर मेरा सर दबाने लगी- आह आनन्द, पूरी रात तो चूत को चाटा अब भी जी नहीं भर रहा, आह…
फिर मैंने खड़ा होकर अपना लिंग उसकी चूत में पीछे से पेल दिया और जैसे ही एक धक्का लगाया कि उसे पता चल गया कि मैं हूँ.
वो चीखने लगी- आनन्द..
तभी मैंने उसके मुँह पे हाथ रखकर उसकी आवाज को रोक दिया और बोला- तुम्हारे पापा को या परिवार को बता दूँ ये सब तुम्हारे अच्छे कर्म? अगर नहीं तो फिर शांति रखो और जो हो रहा है उसे होने दो.
मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया तो वो चुप रही और रोते हुए मेरे धक्कों को सहने लगी.
“ये क्या कर दिया तुमने रवि, अब मैं आनन्द को क्या कहूंगी?”
मैं- ज्यादा शानपट्टी मत करो, मैं भी उसी दिन ऐसे ही रो रहा था, पर तुम पर तो आनन्द का भूत ही सवार था. ना तो बच्चों के बारे में सोचा ना तो परिवार के बारे में.
फिर वो रोते हुए अपने कमरे में गई और कमरे को बंद कर लिया. आनन्द को जगाया और कुछ बात करने लगी. क्या बात हुई वो पता नहीं चला. दो घंटे बाद दरवाजा खुला और देखा तो आनन्द अपना बड़ा बैग लेकर बाहर आया और उसकी आंख में भी आंसू थे.
मैं सोफे पर बैठा था. वो मेरे पास आया और बोला- सॉरी यार, हो सके तो मुझे माफ कर देना. मैं क्या करने यहां आया और मैंने क्या कर दिया. तुम्हारी जिंदगी उजाड़ कर रख दी, सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए.
मैं- मुझे कुछ नहीं सुनना, तुम यहां से चले जाओ, यही मेहरबानी कर दो मुझ पर.
फिर वो चला गया. मोना भी रोते हुए आई और मेरे कंधे पे सर रखके रोने लगी. मैंने उसे हग किया और फिर कहा कि ये सब मेरी वजह से हुआ.
मोना- नहीं रवि, मैं ही वासना की आग में अंधी हो गई थी. मुझे कुछ नहीं दिखाई दिया.
मैं- देखो जो हुआ, उसे बदल नहीं सकते, पर हमें ये सब भूलने की कोशिश करनी चाहिए.
कुछ दिन लाइफ ऐसे ही चली बाद में थोड़ी धीरे धीरे नार्मल हुई. फिर हमने एक रात संभोग किया, उस रात उसने पहली बार मुझे अपना पति स्वीकार किया. फिर हम पहले की तरह लाइफ एन्जॉय करने लगे, पर जब भी हम आनन्द नाम सुनते तब वो समय कांटे की तरह चुभता.
तो दोस्तो ये थी मेरी यानि कि रवि की कहानी.
यह कहानी सुनकर तो मेरी आँख में भी आंसू आ गए थे. आपको कैसी लगी.. ये हमको इस ईमेल पर अपने प्रतिभाव जरूर भेजिएगा.
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