आपा का हलाला-2

(Aapa Ka Halala- Part 2)

This story is part of a series:

अब तक आपने जाना था कि इमरान के तलाक दे देने के बाद मेरी (कजिन सिस्टर) आपा हलाला के चंगुल में आ गई थी और अब उनका निकाह मेरे साथ हो गया था. आज उनकी सुहागरात मेरे साथ हो रही थी. सारा आपा ने मुझे बताया कि इमरान के कमजोर लंड के कारण उसकी सील अब तक नहीं टूटी है … और आज मैं उसकी सील तोड़ दूँ.
अब आगे:

मैंने कहा- जल्द ही यह काम भी कर दूंगा, ये तो क़िस्मत की बात होती है, तुम्हारी शादी हो गयी … फिर भी तुम कुंवारी रही और मेरी सुहागरात तुम्हारे साथ मन रही है. कसम से तुम्हारे साथ बहुत मजा आ रहा है. शायद किस्मत हमें मिलाना चाहती है.

फिर हम कुछ देर इधर उधर की बातें करते रहे. इस दौरान में उसके मोटे मोटे चूतड़ों पे हाथ फेरता रहा, जिससे वो आहिस्ता आहिस्ता फिर से मस्त होने लगी और उसने उठ कर फिर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, जो अब तक खड़ा हो चुका था. उसने चूस चूस कर मेरा लंड सुजा दिया था. चूसने से लंड बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था. जब वो लंड चूस रही थी, उस वक़्त वो अपनी चूत को मेरे पांव के अंगूठे से रगड़ रही थी.

फिर वो एकदम से उठी और बोली- आमिर, अब बस करो … मुझे आज भर दो.
मैं उठा और मैंने उसकी दोनों टांगों को फैलाया तो हैरान रह गया कि इतना भरा हुआ जिस्म होने के बावजूद भी इतनी लचक थी कि टांगें बिल्कुल बेड के साथ लग गईं और उसकी मोटी और सूजी हुई चूत खुल कर मेरे सामने आ गयी.

मैंने देखा कि उसकी खुली छाती पर तने हुए उरोज अपने सिरे पर गुलाबी छतरी ताने मुझे ललचा रहे थे. मैंने एक तरफ के गुलाबी चुचूक को अपने मुँह में रखा और दूसरे को उंगलियों के बीच फंसाकर हल्के से दबाने लगा. थोड़ी देर बाद दूसरे निप्पल को मुँह में भरा व इधर के निप्पल को उंगलियों से दबाने लगा.

मैंने चूत के सुराख़ पर लंड की टोपी रख दी और हल्का हल्का रगड़ने लगा. फिर मैं अपने लंड को उसकी चूत पर लगा कर अन्दर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन आधी टोपी तक कभी मैं लंड अन्दर करने की बजाए उसके दाने पे रगड़ देता, तो वह तो किसी कुतिया की तरह गुर्राने लगती. फिर तुंरत ही अपने चूतड़ों और घुटनों को ऊपर नीचे करके लंड को अपनी चूत पर टक्कर दिलवाने लगी.

फिर वो हाथ जोड़ कर बोली- आमिर प्लीज़ पेल दो ना … क्या मुझे मारने का इरादा?
सारा मेरे लिंग को अपनी चूत के प्रवेश पर बार बार रगड़ रही थी और शायद जैसे ही वो सही सीध में आया, मैंने धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया … पर या तो चिकनाई ज्यादा थी … या सारा का छेद सही नहीं बैठ पा रहा था … जिस वजह से मेरा लंड फ़िसल गया.

सारा ने अपना हाथ बढ़ाया और अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर फिर से रख कर फिर से नीचे दबाने को कहा. पर इस बार फिर से लंड नाभि की तरफ़ चला गया. तब मैंने ख़ुद ही अपने लिंग को पकड़ा और सारा की चूत में डालने की कोशिश की. जैसे ही मैंने एक हल्का सा धक्का लगाया, तो शायद वो थोड़ा अन्दर गया. क्योंकि सारा के हाथ और पाँव एकदम हवा में उठ गए और मुँह से सिसकारी निकल गई.

सारा के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहह अब लंड डाल दो … अब और इंतज़ार नहीं होता … प्लीज जल्दी करो ना … प्लीज आहहह …

अब मैं टोपी से लगातार उसकी चूत को छेड़ रहा था और वो ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी- आमिर ये तूने क्या कर दिया? अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, जल्दी से चोद दो, मेरी चूत में आग लग रही है.
वो ज़ोर-जोर से हाँफ रही थी और ‘आहह … एम्म … ओह … आआअ … डालो ना अन्दर …’ जैसी आवाजें निकाल रही थी.

अभी मैंने दो तीन ही धक्के मारे थे कि सारा ने दर्द से तड़फ कर मुझे रोक दिया, वो बोली- दर्द हो रहा है … आपका तो बहुत बड़ा है … मेरी चूत बहुत छोटी है फट जाएगी.
मैंने कहा- घबराओ मत आराम से करेंगे.

हम दोनों एक दूसरे को ‘आई लव यू…’ बोले जा रहे थे. मैंने टोपी एडजस्ट करके एक इतने ज़ोर का धक्का लगाया कि मेरा लंड चूत में सैट हो गया. मैंने अपने लंड के बाहर निकले हिस्से पर थूक लगाया और उसके दोनों पैरों को फैला दिया.

अब मैंने दबाव बनाते हुए अपने लंड को उसकी चूत में और अन्दर डाल दिया. वो मछली की तरह तड़फ उठी. तभी मैंने सारा की कमर पकड़ कर एक और जोरदार धक्का दे मारा. वो उछल पड़ी. मगर तब तक मेरे लंड का काफी हिस्सा उसकी चूत में फंस चुका था. मैंने फिर एक जोरदार धक्का मारा. पूरा कमरा सारा की चीख से भर गया. उसकी सील टूट गई थी. मैंने सारा की चुची को दबाना चालू कर दिया. मैंने सारा के दर्द की परवाह किए बगैर अगला झटका लगा दिया और अपना मूसल लंड चूत में घुसेड़ दिया.

इस बार सारा पहले से ज्यादा तेज़ चिल्लाई, सारा के आंसू निकल आये थे, पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने फिर एक और जोर से धक्का मारा. इस बार करीब आधा लंड अन्दर घुस गया था. जैसे ही लंड घुसा … वो बहुत जोर से चिल्लाने लगी- आह … फट गई … आहह आआअह … प्लीज़ इसे बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी … उफ़फ्फ़ आहह आआहह …

उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे लेकिन मैं नहीं रुका. मुझे लगा मेरा लंड उसकी झिल्ली से जा टकराया था क्योंकि इस बार मैंने कोई अवरोध महसूस किया था. मैंने हल्का ज़ोर लगाया लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

एक बार फिर मैं थोड़ा सा पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दबाव दिया. उसको दर्द हुआ तो मैंने थोड़ा सा लंड फिर से पीछे किया और कमर उठा कर फिर से धक्का मार दिया. मेरा लंड ज्यादा गहरायी तक अन्दर चला गया था. मुझे महसूस हुआ कि मेरे लिंग को सारा ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वजह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था.

अगली बार के धक्के में मैंने थोड़ा दवाब बढ़ा दिया. मेरी साँसें जल्दी जल्दी आ रही थीं. सारा आपा ने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों से और बाहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं और अपने नितम्बों को ऊपर की ओर उठा दिया था. अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था. लंड झिल्ली तक पहुँच चुका था. मेरा लंड सारा आपा की हायमन से टकरा रहा था और जब लंड ने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो सारा चिल्लाने लगी कि दर्द के मारे मैं मर जाऊँगी.

मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया. सारा की टांगों ने भी मेरे चूतड़ों की नीचे की ओर से कस लिया. ‘ओह अम्मी …’ सारा के मुँह से निकला.

जैसे ही मेरा मोटा मजबूत गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया, तो सारा आपा के बड़े बड़े स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया. लंड अन्दर और अन्दर चलता चला गया, चूत के होंठों को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ लंड पूरा का पूरा अन्दर तक चला गया था. सारा आपा की योनि मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी.

उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दबाव दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चुका था. पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और उसकी चीख निकल गयी. सारा की चीख इतनी बुलंद थी कि एक बार को तो मैं भी डर गया कि कोई पूछने ही न आ जाए … लेकिन तब भी मुझे सारा आपा की सील तोड़ने में बहुत मज़ा आया.

आपा भी दर्द के मारे चिल्लाने लगी … जो इर्द गिर्द गूँज उठी थी- आहहह आय मर गई … उउउइइ ओहह … बहुत दर्द हो रहा है … प्लीज इसे बाहर निकाल लो … मुझे नहीं चुदवाना तुमसे … तुम बहुत जालिम हो … यह क्या लोहे की गर्म रॉड घुसा डाली है तुमने मुझमें … निकालो इसे … नो प्लीज बहुत दर्द हो रहा है … मैं दर्द से मर जाऊंगी प्लीज निकालो इसे!

सारा आपा की आँखों से आंसू की धारा बह निकली. मैं उन आंसुओं को पी गया. मैं बोला- मेरी रानी … बस इस बार बर्दाश्त कर लो … आगे मजा ही मजा है.
सारा आपा चुप हो गई.

कुछ ही देर की कोशिशों के बाद लंड सैट हो गया और दर्द भी काफूर सा होने लगा था. अब सारा चीखने चिल्लाने लगी- हाआअ … राआआजा … आईसीईई और जोर से और जोर से चोदो. आज मेरी चूत को फाड़ दो, आज कुछ भी हो जाए लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना … आआह और ज़ोर से … उउउईईई अम्मी … आहह..

फिर तो झटकों का सिलसिला शुरू हो गया. अब मैं उसके ऊपर लेट कर उसे किस भी कर रहा था और एक हाथ से उसके मम्मों को सहला भी रहा था.

कभी कभी 2 उंगलियों में उसकी निप्पल को भी ले कर मसलता और कभी बहुत ज़ोर से खींचता, उसके निप्पल तने हुए थे. मैं भी मज़े से लंड को चूत के अन्दर बाहर कर रहा था. दस मिनट में वो 2 बार छूटी, कमरे में मेरे झटकों की आवाज़ बहुत बुलंद थी.

अब मैं उसकी चिल्लपों से कतई नहीं डर रहा था और न ही उसके बोलने की आवाज़ आ रही थी. खैर झटकों के एक लम्बे सिलसिले के बाद मैंने उससे बोला कि मैं झड़ने वाला हूँ.
तो उसने बोला- अन्दर ही डालो … मुझे तुमसे एक बच्चा चाहिए.
मैंने कहा- जो हुकम सारा बेगम!
मैं ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. अब सारा भी भरपूर साथ दे रही थी. फिर एक दर्दनाक झटके के साथ मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया और वहीं रुक कर पानी छोड़ने लगा. मैंने महसूस किया कि वो भी फारिग हो गयी थी. मैं सारा के ऊपर गिर गया.

मैं कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा … कुछ देर के बाद वो भी शांत हो गई. मैं ऐसे ही उसके ऊपर ही लेटा हांफता रहा और वो मेरी कमर और मेरे बालों को सहलाती रही. इतना खुमार था कि मेरी आंखें मजे के कारण बन्द हो रही थीं, मगर दिल करता था कि मैं यूं ही इसी हालत में ही सो जाऊं.

लेकिन … अभी तो बहुत मज़े लेने थे.

कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर से लुढ़क कर साइड पे बेड पे सीधा गिर गया और मेरा लंड भी बाहर आ गया. मेरे लंड पे खून लगा हुआ था. सारा की चूत से खून मेरा स्पर्म और उसका पानी बह रहा था. चादर लाल हो गयी थी. मैं साइड टेबल से सिगरेट का पैकेट उठा कर सिगरेट पीने ही लगा था कि उसने मुझे फ्लास्क से दूध निकाल कर गिलास को भर कर दिया … जो नीम गरम था. उसने खुद भी एक गिलास दूध पिया.

दूध पीने के बाद हम दोनों वाशरूम में पहुंचे. गर्म पानी का शावर लिया और फिर से बेड पर आ गए.

उसके बाद अगला राउंड शुरू हो गया. मैंने कहा- सारा इस बार तुम ऊपर आओ.
मैं सीधा लेट गया और सारा मेरे ऊपर आ गयी और मुझे लिप किस करने लगी. कुछ ही देर में सारा ने मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया और हम लिप किस करते हुए चुदाई करने लगे.

कुछ देर बाद सारा सीधी हो गयी और उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए. मैं उसके गोल सुडौल मम्मे चूसने दबाने लगा, तो वो खुद ब खुद मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी. मेरे भी चूतड़ चलने लगे थे. हर धक्के के साथ सारा के मुँह से आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी मादक लग रही थी.

लगभग आधे घंटे बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.

अगले राउंड में हमने पोज़ बदल दिया और मैंने सारा को घोड़ी बना दिया और लंड उसकी चूत में डाल दिया. मुझे लगा जैसे मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा अन्दर गया. फिर हम रिदम में चुदाई करने लगे. मैं उसके गोल मम्मे दबाने लगा और खुद आगे पीछे होने लगी. हर धक्के के साथ सारा के आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी प्यासी थी. फिर पन्द्रह बीस धक्कों के बाद पीछे से अन्दर डाले हुए ही मैंने उसे खड़ा कर किया और कस कस कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.

लगभग बीस मिनट बाद हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए.

उस रात मैंने सारा आपा या सारा बेगम, जो भी कह लो, लगातार 4 बार चोदा, जब मैं आखरी बार उसकी गांड में लंड डाल कर चोद रहा था तो फजर का टाइम हो गया और मामू ने डोर नॉक कर के हमें आवाज़ दी. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा ताकि मामू भी चुदाई की आवाज़ सुन लें और समझ जाएं कि हम जाग रहे हैं.

खैर फिर मैं फारिग हुआ. हमने एक बहुत लम्बी जफी लगाई और किस भी की.

फिर हम फ्रेश होने चले गए.

कहानी आगे जारी रहेगी.
आपका आमिर
अपने जवाब मेरे ईमेल [email protected] पर दे सकते हैं.

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