गलती का एहसास

एक आदमी अपने गुनाह कबूलने के लिए चर्च में गया…
आदमी- फादर, मैं अपने गुनाह कबूल करना चाहता हूँ…
फादर- उस कन्फेशन बॉक्स में जाकर सब कह दो…

आदमी कन्फेशन बॉक्स में जाकर बोलना शुरू करता है..
आदमी- फादर…! मैं अपनी चार साल पुरानी गर्ल फ्रेंड से मिलने गया पर वो घर पर नहीं थी पर उसकी बहन घर में अकेली थी… मैंने उसके साथ सेक्स कर लिया…
फादर- गनीमत है कि तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है…

आदमी- यही नहीं… मैं कुछ दिन पहले अपनी गर्ल फ्रेंड से मिलने शाम को उसके ऑफिस में गया तो सभी जा चुके थे… सिर्फ उसकी सहेली अकेली थी ऑफिस में और मैंने उसके साथ भी सेक्स कर लिया..
फादर- यह ठीक नहीं किया तुमने… पर कोई बात नहीं तुम्हें अपनी गलती का एहसास तो हुआ…

आदमी- यही नहीं… फादर, पिछले हफ्ते मैं अपने दोस्त के घर उससे मिलने गया तो उसकी बहन के अलावा कोई नहीं था घर पर और मैंने उसके साथ भी सेक्स कर लिया…
फादर- यह तो तुम गलती पर गलती करते जा रहे हो… पर कोई बात नहीं तुम्हें अपनी गलती का एहसास तो हुआ…

तभी फादर कन्फेशन बॉक्स छोड़ कर जाने लगे…
आदमी- फादर…!! रुक जाइए…अभी मुझे एक दो कन्फेशन और करने हैं…
फादर- नहीं मैं रुक नहीं सकता… मुझे अपनी गलती का एहसास हो चुका है…
आदमी- किसी गलती फादर…??
फादर- मुझे अभी अभी एहसास हुआ है कि पूरे चर्च में आज मैं भी अकेला ही हूँ…

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