सुपर स्टार -21

(Super Star-21)

This story is part of a series:

This is more a Love Story than a Sex Story

निशा ने बहुत कोशिश की कि मैं उसके साथ घर चलूँ.. पर मैं सबके जाने के बाद अकेला ही सड़कों पर पैदल अपने घर की ओर निकल पड़ा।
एक हाथ में शराब की एक बोतल और दूसरे में गिलास। बरसात की हल्की फुहारें अब तेज़ हो गई थीं। मैं वहीं सड़क पर बैठ गया। बोतल से गिलास में पैग डालता और बारिस उस जाम को पूरा भर देती।
बरसात की बूंदों में.. मेरे आंसू भी खो गए थे जैसे.. तभी एक कार मेरे ठीक सामने आकर रुकी।

ड्राईवर नीचे उतरा और मुझे उठा कर उस कार में बिठा दिया। मैंने अपनी बोझिल होती आँखों से उसे पहचानने की कोशिश की..
श्वेता थी वो..
उसे देखा और बेहोश हो कर वहीं उसकी गोद में गिर पड़ा।

न जाने कितने वक़्त तक मैं ऐसे ही बेसुध पड़ा रहा। आखिरकार मुझे होश आया तो फिर से आज मेरे सर में तेज़ दर्द हो रहा था और टेबल पर सर दर्द की दवा और एक गिलास पानी रखा था। मैं दवा खा कर जैसे ही बिस्तर से उठने को हुआ कि चक्कर की वजह से फिर से गिर पड़ा।

‘लोगों के प्यार में गिरने की बात तो सुनी थी, पर आज देख भी लिया।’
यह कहते हुए श्वेता कमरे में दाखिल हुई।

मैं- मुझे पता था कि मेरे दोस्त मुझे थाम लेंगे.. थैंक यू..!
श्वेता- तोड़ दिया न दिल तुमने? ‘थैंक यू’ मत बोलो.. अब बताओ कि कल मरने का इरादा था क्या? मैं तुम्हें नहीं पहचानती.. तो पता नहीं क्या हो जाता!
मैं- वो तृषा की बातों ने बेचैन कर दिया था मुझे.. तुमने उसे तो कुछ भी नहीं बताई हो न? वो बेकार में ही परेशान हो जाएगी।

मैं बात कर ही रहा था कि निशा वहाँ आ गई।

निशा- श्वेता जी ने मुझे बताया कि कल तुम किस हाल में थे.. कैसे तुम किसी पर इतना भरोसा कर लेते हो..! वो तुम्हारे लायक नहीं थी.. सो तुमसे अलग हो गई। तुम भी बिल्कुल पागल हो।
मैं- अरे तुम लोग गलत समझ रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। बस उसे थोड़ा काम का टेंशन होगा.. इसीलिए मुझे इग्नोर कर रही होगी। मुझे पता है.. वो आज भी मुझे उतना ही चाहती है।

निशा- तुम्हें कुछ भी नहीं कहा उसने?
मैं- तुम किस बारे में बात कर रही हो?
श्वेता- कल कुछ ख़ास लोगों को एक पार्टी दी गई थी। तृषा ने वो पार्टी होस्ट की थी.. ब्रेकअप पार्टी थी वो…

फिर से मेरी साँसें बढ़नी शुरू हो गईं।

मैं- कौन है वो?

श्वेता- वहीं जिसके साथ मेरी पार्टी में तृषा को देख कर तुम बेचैन हुए थे और उसी के साथ अभी उसने दो और फ़िल्में साइन की हैं।

मैंने कुछ भी नहीं कहा और बाहर जाने लगा।

निशा ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- कहाँ जा रहे हो?.. अभी यहीं रुको.. तुम और कुछ भी बेवकूफी मत करो।
मैं जबरन अपना हाथ छुड़ाता हुआ बाहर आ गया। मैंने टैक्सी ली.. और उस स्टूडियो की ओर निकल पड़ा.. जिसने तृषा को साइन किया था। वहाँ अभी मीडिया वाले भी आए हुए थे। कोई प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी शायद..

तृषा और उसका नया ब्वॉयफ्रेंड वहीं बैठा हुआ था।

मैं बेहद गुस्से में था। गेट कीपर को धक्का देता हुआ मैं अन्दर दाखिल हुआ। तृषा अब तक मुस्कुराते हुए हर सवाल का ज़वाब दे रही थी। मुझे वहाँ देखते ही उसकी हंसी जैसे गायब ही हो गई।

मैं सामने से लोगों को हटाता हुआ ठीक उसके सामने मेज़ पर हाथ रख कर खड़ा हो गया- एक्टिंग बहुत अच्छी कर लेती हो। अब ज़रा इन सब के सामने हंस कर दिखाओ।

उसका ब्वॉयफ्रेंड- अबे चल भाग यहाँ से। अपनी औकात में रह तू.. एक मिनट में यहाँ से गायब करवा दूँगा तुझे..।

मैंने उसके ब्वॉयफ्रेंड को इग्नोर करते हुए, तृषा से चिल्लाते हुए कहा- मैंने हंसने को कहा न.. दिखा न.. कितनी बड़ी एक्ट्रेस है तू..

उसका ब्वॉयफ्रेंड ने मुझे धक्का दे दिया। मेरा गुस्सा अब सातवें आसमान पे था। मैंने पास में रखा माइक उसके सर पर दे मारा।
मेरा इतना करना था कि वहाँ खड़े कुछ लोग मुझे उनसे दूर करने की कोशिश करने लग गए।

मैं अब तक जोर-जोर से चिल्ला रहा था- अब दिखा न साली.. कितनी बड़ी एक्ट्रेस है तू..

पुलिस वहाँ आ गई थी और मुझे अपने साथ ले जाने लगी। मैं एक पजामे और गंजी में था.. जैसे-जैसे मैं आगे पुलिस की गाड़ी की ओर बढ़ रहा था.. प्रेस रिपोर्टरों के सवाल और भी तीखे होते जा रहे थे।

मैं लगभग गाड़ी की ओर पहुँच ही चुका था कि एक रिपोर्टर ने चिल्लाते हुए पूछा- तुझे आग क्यूँ लग रही है.. उसकी मर्ज़ी.. वो किसी के भी साथ सोए।

इतना सुनना था कि मेरे बदन में आग सी लग गई। मैंने उस रिपोर्टर को बालों से पकड़ कर ज़मीन पर गिरा दिया और लातें मारने लगा। मैं साथ में कह रहा था- साले तेरी बीवी.. किसी के साथ सो जाए तो तुझे फर्क नहीं पड़ेगा क्या?

अब पुलिस मुझे लगभग घसीटते हुए वहाँ से ले गई।

मैं थाने में था और पुलिस वाले एक-दूसरे से कह रहे थे ‘इसके तो स्टार बनने से पहले ही ऐसे तेवर हैं… बाद में क्या होगा..’
फिर मुझे कमिश्नर के ऑफिस में बिठा दिया गया।

कमिश्नर- जानता हूँ कि जवानी में खून कुछ ज्यादा ही खौलता है। तूने जिसे मारा है न.. वो इंडस्ट्री के सुपरस्टार का बेटा है। यहाँ से तो तू छूट भी जाएगा.. पर तेरे कैरियर का क्या होगा। ये तो सोच लेता।

मैं- लड़कियों का दलाल समझा है मुझे क्या? जो धंधे के लिए अपनी बीवी को भी कोठे पर बिठा दे। अब मार दिया तो मार दिया.. तू उपदेश मत दे मुझे।

इतने में निशा वकील के साथ कमरे में दाखिल हुई। थोड़ी फॉर्मेलिटी के बाद मैं वहाँ से बाहर आ चुका था। श्वेता की लिमो कार वहाँ खड़ी थी। चिल्लाते हुए प्रेस रिपोर्टरों के बीच से मैं गुज़रता हुआ कार तक पहुँचा और गेट खोल कर खड़ा हो गया।

सब कार में बैठ गए। मैंने बहुत कोशिश की कि मैं किसी एक सवाल का जवाब तो दे दूँ.. पर सब एक साथ कह रहे थे तो बस शोर ही सुनाई दे रहा था।

बांयें हाथ से दो तीन रिपोर्टरों के माइक को पकड़ कर दांये हाथ से बीच वाली ऊँगली से इशारा किया और माइक के करीब जाकर बोला ‘फ़क ऑफ…’

अब मैं कार में बैठ चुका था। चारों तरफ से जैसे पूरी फ़ौज कार पर गिर रही हो। मुझे अन्दर से उनके बस चेहरे ही दिख रहे थे। अगर कुछ सुनाई दे रहा था तो अन्दर कार में बजने वाला धीमा संगीत।

मैं श्वेता के घर पर पहुँचा। श्वेता मुझे गले लगाते हुए बोली- मेरी सुनते ही कहाँ हो.. रुक जाते तो ये सब नहीं होता न।

मैं- आज रुक गया होता तो मेरी जिंदगी भी शायद यहीं थम गई होती। अब जाकर सुकून मिला है।
निशा- हमारी फिल्म के निर्माता बहुत नाराज़ हैं। कितने लोग अब हमारी फिल्म का विरोध करेंगे.. उसका अंदाजा भी है तुम्हें?

श्वेता- या ये भी तो कह सकती हो कि आज के बाद कितने ही लोग तुम लोगों की फिल्म के बारे में जान जायेंगे और वैसे तो मुझे कुछ और ही पता चला है।

निशा- क्या?
श्वेता- तुम्हारी इस फिल्म का ट्रेलर कब लांच होना था।
निशा- परसों.. इस आखिरी शूट के ख़त्म होने के बाद।

श्वेता- वो ट्रेलर आज मीडिया को लीक कर दिया गया है और तुम तो जानती ही हो.. जब लांच से बेहतर मार्केटिंग लीक करके की जा सकती है.. तो कुछ भी ये ही करेंगे ही.. तुम निश्चिन्त रहो.. यशराज प्रोडक्शन में अभी भी वैसे लोग हैं.. जो इस इवेंट से पैसे बनाना जानते हैं।

मैंने टीवी ऑन किया। हर न्यूज़ चैनल पर बस मैं ही मैं था.. और मेरे लीक हो चुके फिल्म के ट्रेलर चल रहे थे। तभी मुझे ख्याल आया कि ये न्यूज़ मेरे घर पर भी तो सब देख रहे होंगे। अब वक़्त आ चुका था.. मुझे अब घर पर बात कर लेनी चाहिए थी।

मैंने अपना फ़ोन लिया और एक कोने में चला गया। मेरे हाथ कांप रहे थे.. मैं एक-एक बटन बड़ी मुश्किल से दबा पा रहा था।
आखिर फ़ोन लग ही गया.. पर दो रिंग के बाद मैंने फ़ोन काट दिया। मुझे बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।

आज रविवार भी था.. मुझे पता था कि सब घर पर ही होंगे।
तभी मेरे घर से कॉल आ गया, मैंने रिसीव का बटन दबा दिया, पहली आवाज़ पापा की थी- हैलो.. ये किनका नंबर है..? अभी इस नंबर से एक मिस्ड कॉल आया था।

मैं- जी मैं बोल रहा हूँ।

उनकी आवाज़ अब भारी हो गई थी।
‘अब याद आई हमारी?’

मैं- मैं टिकट मेल कर रहा हूँ.. मैं आप सबको देखना चाहता हूँ। मैं फ़ोन पर ज्यादा बात नहीं कर पाऊँगा।
पापा- टीवी पर हमने न्यूज़ देखा है.. तुम परेशान मत होना। हम सब हैं तुम्हारे साथ और कल हम सब आ रहे हैं और बेटा.. दो टिकट एक्स्ट्रा भेज देना.. तुम्हारे चाचा-चाची भी तुमसे मिलना चाहते हैं।
मैं- ठीक है। आप सब अपना सामान पैक करें और एअरपोर्ट पर दो घंटे में पहुँचें, मैं प्राइवेट जेट भेज रहा हूँ।

पापा ने शायद फ़ोन लाउडस्पीकर पर किया हुआ था। तभी मम्मी की आवाज़ आई।

‘कैसे हो बेटा.. ठीक तो हो न..? और हम सब कल आ रहे हैं। तुम बिल्कुल भी चिंता मत करना।’
मैं- ठीक है। मैं अब बात नहीं कर पाऊँगा, आप सब बस आ जाईए..’

मैंने फ़ोन काट दिया।

ऐसा क्यूँ होता है कि जब भी कुछ बुरा होता है मेरे साथ.. तो मेरी हर बुरी याद फ़्लैश बैक की तरह मेरे सामने से गुज़र जाती है।

आज भी वैसा ही हो रहा था। मेरी आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और मैं पागल हुआ जा रहा था। जैसे-तैसे मैंने खुद को काबू में किया और अन्दर जहाँ श्वेता और निशा बैठे थे.. मैं वहाँ पहुँचा।

श्वेता- क्या हुआ?
मैं- मेरी फैमिली आ रही है मुंबई.. उनके रहने का इंतजाम..?
श्वेता- मैं मैंनेज करवा देती हूँ।

कहानी पर आप सभी के विचार आमंत्रित हैं।
कहानी जारी है।
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