क्लासमेट की गांड मारी: मेरी गे सेक्स स्टोरी-2

(Classmate Ki Gand Mari: Meri Gay Sex Story- Part 2)

राज कुमार 2017-07-18 Comments

दोस्त की गांड मारी: मेरी गे सेक्स स्टोरी-1

यह गे सेक्स स्टोरी उस समय की है जब मैं एक क्लास आगे आ गया था और मुझे अब ‘गे’ सेक्स की आदत सी पड़ गई थी। आप तो जानते ही हो कि लंड को चूसने और गांड मारने में कितना मजा आता है। अब मुझे रोज़ सेक्स करने का मन करता था.. पर हॉस्टल में इतनी आसानी से लंड या छेद नहीं मिलता था।

हमारी क्लास में एक लड़का था रामू.. उसके बारे में मैंने सुना था कि किसी ने उसकी गांड मारी थी, पर उन दोनों को देख लिया था। इसके बाद सब रामू से मज़े लेने लगे थे। तो मैंने सोचा क्यों ना इसको ट्राई किया जाए.. शायद लंड की गरमी शांत हो जाए।

मैं उसके बिस्तर के पास गया.. वो चादर ओढ़ कर सो रहा था। मैं चुपके से उसके पीछे जाकर लेट गया और चुप रहा। थोड़ी देर बाद पेंट के ऊपर से ही मैंने उसके लंड को सहलाना चालू कर दिया।

फिर मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी अंडरवियर में डाल दिया और लंड को पकड़ कर हिलाने लगा.. थोड़ी देर में ही उसका लंड खड़ा हो गया।

रामू- कौन है यार.. क्या कर रहा है.. रहने दे ना..!
मैं- चुप रह बे..!

इतना कह कर मैंने उसके हाथ में अपना लंड दे दिया। मेरा लंड उसके लंड से बड़ा था.. उसने लंड पकड़ कर हिलाना चालू कर दिया। कुछ ही पलों में वो जोर-जोर से लंड को हिलाने लगा। मैंने उसकी पैंट निकाल कर उसे नंगा कर दिया।
अब वो नीचे की ओर हो गया और मेरे लंड को मुँह में ले लिया, इससे मेरे मुँह से ‘अह्ह्ह.. ऊई.. उह..’ की मादक आवाजें निकलने लगीं। वो बड़े आराम से एक रंडी की तरह मेरे लंड को चूसने लगा।
मैं भी उसके लंड को हिला रहा था और थोड़ी देर में ही उसने अपना माल मेरे हाथ पर निकाल दिया।

माल निकलने के बाद वो दूसरी ओर मुँह करके सो गया। पर मैं क्या करता.. तो मैंने अपना लंड उसकी गांड में लगा दिया। उसने कुछ नहीं कहा और अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी गांड में सैट कर लिया। फिर वो अपनी गांड को हिलाने लगा.. वो मुझसे उम्र में छोटा जरूर था.. पर उसकी गांड बहुत बड़े लंड को आराम से ले लेती थी, सो मेरा लंड भी आराम से घुस गया।

मैंने कहा- तुझे दर्द नहीं हुआ?
तो बोला- अपना काम कर यार.. तू स्पीड बढ़ा.. मजा आ रहा है।

मैंने सोचा ये सब बाद में पूछ लूँगा.. अभी तो गांड मारने पे ध्यान देता हूँ। मैं जोर-जोर से धक्के देने लगा.. उसके मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ आने लगी। मैं उसे आराम से चोदने लगा पर वो मेरा साथ नहीं दे रहा था, इसलिए मुझे थोड़ा कम मजा आ रहा था।

मैंने कहा- यार मजा नहीं आ रहा है, यहाँ से कहीं और चलते हैं।
उसने कहा- जहाँ भी ले चलना है, ले चलो.. बस मेरी गांड में जो आग लगाई है.. उसे शांत कर दो।

फिर मैं उसे नीचे बाथरूम में ले गया और गेट बंद कर लिया। उसने जल्दी से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। मुझे ऐसा लग रहा था कि बस ये मेरे लंड को ऐसे ही चूसता रहे।

मैंने पहले भी लंड चुसवाया था.. पर न जाने क्यों उस दिन कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था। शायद उसके लंड चूसने का तरीका अलग था। वो मेरे लंड को किसी बच्चे की तरह चूस रहा था। मुझे लगा जैसे कोई रंडी मेरे लंड को चूस रही हो।

वो कभी मेरे लंड को गले के अन्दर तक ले जाता.. उसके मुँह से ‘घुघु.. घुघूऊऊ..’ की आवाज आती.. पर वो लंड को बाहर नहीं निकालता। फिर मैंने उसे पलटने को कहा तो वो समझ गया कि अब मैं उसकी गांड मारना चाहता हूँ।

मैंने उसे घोड़ी की तरह नीचे झुकाया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रख कर घिसने लगा। मैं देखना चाहता था कि उसे लंड की कितनी तड़प है। उसने पीछे मुड़ कर देखा। मुझे उसकी आँखों में चुदाई का मंजर दिखाई दे रहा था। बस फिर क्या था मैंने जल्दी से अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया। उसके मुँह से बहुत तेज़ आवाज निकली मुझे लगा कि शायद हमारी आवाज को कोई सुन ना ले, पर उस समय तो मुझ पर चुदाई का भूत चढ़ा हुआ था।

मैंने उसकी गांड में धक्के देने चालू कर दिए। हम दोनों के मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं। वो जोर-जोर से चिल्ला रहा था- अह.. और जोर से राजा और जोर से.. आआह.. मजा आ गया यार.. और जोर.. फाड़ दे आज इस साली गांड को भोसड़ा बना दे इसका.. अह.. मजा आ गया।
इतना सुन कर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं और जोर-जोर से धक्का देने लगा।

तभी मुझे लगा कि गेट से हमें कोई देख रहा है.. मैं समझ गया कि इसकी चीख जरूर किसी ने सुन ली थी।
इतने में ही गेट खुलने लगा तो मेरी गांड फट गई.. मुझे डर लगने लगा। वह एक बड़ा लड़का था.. उसने पहले तो मेरी ओर देखा.. फिर वो आगे कुछ कह पता इससे पहले ही रामू उसकी चैन खोल कर उसका लंड बाहर निकाल कर जल्दी से मुँह में लेकर चूसने लगा।

‘अबे देख क्या रहा है.. दे मादरचोद की गांड में लंड.. ये बहुत बड़ा चोदू है.. तू कब से ले रहा है इसकी?’
मैंने कहा- भाई मैंने तो आज ही ली है।
‘तो डर क्यों रहा है.. दे साले की गांड में..’

इतना सुन कर मैं और जोर से धक्के मारने लगा। हम तीनों चुदाई में व्यस्त थे। अगर उस समय कोई देख लेता तो भी हम रुकने वाले नहीं थे। उस दिन उसे चोदने में अलग ही मजा आ रहा था।
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थोड़ी देर बाद उस लड़के का माल निकल गया।

रामू ने उसकी ओर देखा- तू मादरचोद मत आया कर.. साले से कितनी बार मना किया है कि तू भी गांड मराया कर.. तेरे लंड में गांड मारने का दम नहीं है.. पर मादरचोद मानता ही नहीं।

इतना कह कर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे जोर-जोर से मुँह के अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही मुझे लगा कि मेरा माल निकलने वाला है।

‘कहाँ निकालूँ इसे?’
‘निकालना कहाँ है.. आने दे मुँह में ही..’

मेरे लंड ने गरम लावा उगल दिया और वो मेरे माल की एक-एक बूंद को चाट गया।

‘यार आज मजा आ गया..’ इतना कह कर वो वहाँ से चला गया।

तो दोस्तो, गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी.. अपने जबाव जरूर दें ताकि मैं आगे की गे सेक्स स्टोरी लिख सकूं।

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