पड़ोसन का चोदन देख कामुकता जागी-2

(Padosan Ka Chodan Dekh Kamukta Jagi- Part 2)

चोदन कहानी का पिछला भाग : पड़ोसन का चोदन देख कामुकता जागी-1

>अब तो अक्सर उस्मान भाई और मेरे बीच नज़रों के तीर चलते ही रहते थे, इशारे बाज़ी भी शुरू हो चुकी थी। वो अक्सर अपनी लूँगी में झूलते अपने लंड को हिला कर मुझे दिखाता और मैं भी समझ जाती के वो क्या कह रहा है, और मैं भी मुस्कुरा देती।< दिवाली आने वाली थी तो मैंने सोचा कि घर की थोड़ा साफ सफाई कर लूँ। एक दिन बच्चे जब अपने स्कूल कॉलेज गए हुये थे, मैंने घर को पानी से धोया, जो सामने वाला कमरा था, उसमें हमने कुछ ज़्यादा ही समान रख रखा था। अब भरी समान था जो मुझसे हिलाया नहीं जा रहा था। सुर्ख लाल रंग का कमीज़ और गहरे नीले रंग की सलवार पहने मैं अपना घर साफ कर रही थी। दुपट्टा मैंने ले नहीं रखा था और सलवार को ऊपर उठा कर अपने नाड़े में ठूंस रखा था, जिससे मेरी घुटने के नीचे की गोरी गोरी टाँगें दिख रही थी। पहले तो मैंने सोचा कि इस कमरे को रहने देती हूँ, इसमें सामान ज़्यादा है, डबल बेड भी है, ड्रेसिंग टेबल भी है, बड़ा मेज़ भी है, कैसे मैं ये सब हटाऊँगी। अभी मैं खड़ी ये सोच ही रही थी कि तभी मुझे सामने अपने घर में उस्मान भाई खड़े दिखे। अपने यार को देखते ही मेरे बदन में तो झुरझुरी सी उठी, मैंने कुछ सोचा और फिर उस्मान भाई को इशारा करके बुला लिया। वो तो जैसे मेरा इशारा ही चाहते थे, झट से हमारे घर का गेट खोल कर अंदर आ गए- कहिए भाभी जान, क्या खिदमत करूँ? मैंने कहा- माफ कीजिये आपको जहमत दी, दरअसल मैं थोड़ा समान इधर उधर हिलाना चाहती थी ताकि थोड़ी सफाई हो सके घर की! वो बोले- बताइये क्या करना है? मैंने उन्हें बहुत कुछ सामान जो हल्का था उठा कर बाहर रखने को कहा, मैं खुद भी उनकी मदद कर रही थी, मगर मैंने देखा के उस्मान भाई का ज़्यादा ध्यान मेरे कमीज़ के गले में से दिख रहे मेरे गोरे मम्मों पर ही था। हर बार जब मैं झुकती तो मैं उनकी नज़र मेरे बदन पर ही फिसलती देखती, मगर मुझे उनका इस तरह मेरे बदन को घूरना अब मुझे बुरा नहीं लगता था। मगर वो तो एक पठान हैं, मर्द हैं, कब तक एक औरत के खूबसूरत जिस्म को देख कर खुद पर काबू रख पाते। जब मैं उनके साथ ड्रेसिंग टेबल को दूसरी जगह पर धकेल रही थी, तो मेरे झुके होने के कारण मेरे कमीज़ के बड़े से गले से मेरे मम्मे उफन कर जैसे बाहर आ रहे हों, और उस्मान भाई बस अब मेरे मम्मों को ही घूरे जा रहे थे, मगर तभी अचानक मेरी नज़र उनकी लुंगी पर पड़ी। उनकी लुंगी में मुझे कुछ हिलता हुआ सा नज़र आया। अब मैं भी शादीशुदा औरत हूँ, तो समझते देर न लगी कि उस्मान भाई का औज़ार होशियारी पकड़ रहा है और अब उनके बस से बाहर हो कर साँप की तरह सर उठा रहा है। अब लंड तो उनका मैंने पहले भी देखा था, मगर दूर से! मगर आज तो उनका लंड मेरी जद में था, उसे मैं छू सकती थी। बस सिर्फ इतना सोचना था कि मैं उनका लंड छू सकती हूँ, मुझे जैसे फिर से करंट लगा, मेरी चूत में एकदम से गीला गीला सा हो गया। मैं खुद को संभालना चाहती थी, अपने दिमाग और सोच को काबू में रखना चाहती थी, मगर मुझे तो बार उस्मान भाई का काला लंबा लंड ही नज़र आ रहा था। मेरा सारा ध्यान उस्मान भाई की लुंगी पर और उस्मान भाई का सारा ध्यान मेरे मम्मों पर! मैं एक एक सेकंड अपने आप पर काबू खो रही थी। जब ड्रेसिंग टेबल हमने साइड पे कर दिया और उस्मान भाई सीधे खड़े हुये तो उनका तना हुआ लंड उनकी लुंगी को तो तम्बू बना दिया। यह नज़ारा तो मुझे बेकाबू कर गया। मुझे महसूस हुआ के मेरी चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी है, और अब या तो उस्मान भाई आकर मुझे पकड़ लें, नहीं तो मैं खुद आगे बढ़ कर उनकी लुंगी में खड़ा उनका लंड पकड़ लूँगी। मैं बेचैन हो गई, मुझे ऐसे लग रहा था कि आज अगर उस्मान से मैंने न चुदवाया, तो मैं शायद मर ही जाऊँगी. इसी परेशानी में मैं अपना काम बीच में ही छोड़ कर कमरे के एक कोने में जा कर खड़ी हो गई। उस्मान भाई की तरफ मेरी पीठ थी। मैं वहाँ खड़ी इंतज़ार करने लगी कि कब उस्मान भाई आयें और मुझे पीछे से दबोच लें। 1-2 मिनट तक कुछ नहीं हुआ। मैं चुपचाप खड़ी थी, फिर मुझे लगा के कोई मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, मैंने अपनी आँखें ज़ोर से बंद कर ली, और अपनी तेज़ सांस को रोकने की कोशिश की, क्योंकि मेरा दिल बहुत तेज़ धडक रहा था और इसी वजह से मेरी सांस भी तेज़ हो गई थी। फिर मुझे महसूस हुआ, उस्मान भाई ने अपने दोनों हाथ मेरे दोनों कंधो पर रख दिये, मैं कुछ नहीं बोली। उस्मान भाई ने धीरे से कहा- भाभीजान! मैं फिर भी चुप रही तो उन्होंने बड़े हल्के से मुझे अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया। "आह..." कितना सुकून मिला जब उनका पूरा तना हुआ लंड मेरी पीठ से टकराया। यही तो चाहती थी मैं! पहले थोड़ा हल्के से मगर फिर एकदम बड़ी तेज़ से उस्मान भाई ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। मजबूत मर्दाना ताकतवर बाज़ू और पीछे से मेरे पीठ से सटा हुआ उनका हड्डी की तरह सख्त लंड। पीठ से लगने से ही मैं समझ गई कि मुझे इस जैसा ही दमदार मर्द चाहिए था। मेरे खामोश इकरार ने उस्मान भाई को और हिम्मत दे दी, अब जब एक औरत आपकी बाहों में है और वो कुछ नहीं बोल रही है, तो मतलब साफ है कि उसको आपकी किसी भी बात से इंकार नहीं है। उस्मान ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और अपने गले से लगाया। मैंने भी अपनी बाहें खोल दी और उस्मान को अपनी आगोश में लेकर चिपक गई उसके साथ। अब उसका तगड़ा लंड सीधा मेरे पेट से लग रहा था। उस्मान ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया, मेरी आँखें बंद थी, वो बोला- आँखें खोलो जानेमन! मैंने ना में सर हिलाया। वो बोला- आँखें खोलो, नहीं तो मैं तुम्हारे लब चूम लूँगा। मैंने फिर भी आँखें नहीं खोली तो अगले ही पल उस्मान ने मेरे होंटों को अपने होंठों में पकड़ लिया। शायद गुलूकन्द खा कर आया, मेरे मुँह में भी गुलाब का सा स्वाद आया, मगर मुझे ज़्यादा स्वाद तो उसके होंठ चूसने पर आया। मेरे दोनों होंठ उसने अपने होंठों में पकड़ रखे थे और अपनी जीभ से मेरे होंठों को चाट रहा था। मेरे होंठ चाटते चाटते उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में भी घुमा दी। मैं तो चुपचाप अपना सब कुछ उसके हवाले कर चुकी थी। होंठ चाटते हुये उसने अपने हाथों से मेरे दोनों मम्मे पकड़ दबा दिये, ऐसे दबाये जैसे नींबू का रस निचोड़ते हैं। वही बेदर्दी, जो मैं उसे अपनी बीवी के साथ करते देखती थी, अब मुझ पर होने वाली थी। उसने एक हाथ मेरे चूतड़ पर मारा ज़ोर से और फिर मेरी जांघ को सहलाया और अपना हाथ आगे ला कर मेरी सलवार का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया। नाड़ा खुल गया और सलवार नीचे सरक गई, उसने मेरी चूत के होंठ अपने हाथ में पकड़े और उन्हें भी मसल दिया, मेरे मुँह से एक सिसकी निकली जो वो खा गया, क्योंकि मेरे होंठों को अभी उसने अपने होंठों से आज़ाद ही नहीं किया था। दो तीन बार और उसने मेरी चूत को भी मसला तो मेरी चूत का पानी उसके हाथ को लग गया। उसने मेरे होंठ छोड़े और अपने हाथ पर लगा मेरी चूत का पानी अपनी जीभ से चाट गया, और चाट कर खुश हो कर बोला- आप तो बहुत लज़ीज़ हो भाभीजान! मैंने अपनी आँखें खोली और उस्मान की और देखा। काला भयानक चेहरा, मगर कितना प्यारा। मैंने आगे बढ़ कर खुद उसके होंठ चूम लिए। उस्मान तो खिल उठा, उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और सीधा बेड पे गिरा दिया। मेरी सलवार तो पता नहीं कब उतर गई। मुझे बेड पे लेटाते ही वो मेरे ऊपर आ गया, अब मेरी भी नखरे दिखाने की वजह नहीं थी। मैंने उसके ऊपर आते ही अपनी टाँगें खोल दी, तो उसने अपनी कमर मेरी दोनों टाँगों के बीच में रख दी, मेरे दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़े और अपने काले होंठों से मेरे दोनों गुलाबी होंठ फिर से कैद कर लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी कि ले चूस इसे भी। दोनों मम्मों को मसलते हुये अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ते हुये वो मुझे अपने जिस्म के वज़न से दबाये जा रहा था, जैसे मेरा कचूमर निकाल देगा। फिर वो उठा और उसने अपना कुर्ता उतार दिया। काला जिस्म, सीने पर घने काले स्याह बाल... मेरे पति का सीना बिल्कुल साफ है, कोई बाल नहीं उनके। आज पहली बार लग रहा था, जैसे किसी मर्द को मिली हूँ। उसने मेरी कमीज़ भी पकड़ कर ऊपर को खींची, मैंने भी उसकी हेल्प करी और अपनी कमीज़ उतार दी। काली ब्रा में मेरे दोनों गोरे मम्मे देख कर उसकी आँखों में चमक आ गई। ये शुद्ध वासना थी, इसमें कोई प्यार नहीं था, सिर्फ एक खूबसूरत पराई औरत को चोदने की वासना। वो खड़ा हुआ- अब तुम्हें वो दिखाऊँगा, जिसे इतने दिनों से तुम देख कर तड़प रही थी! वो बोला। मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता कि मैं इसे देखने को तड़प रही थी? वो बोला- अगर तड़पती नहीं तो मुझे छुप छुप कर नहीं देखती रातों को! फिर उसने अपनी लुंगी खोली। आज पहली बार मेरी आँखों के सामने एक सात इंच लंबा, मोटा और बिल्कुल सीधा तना हुआ लंड आया, जिसे मैं दूर से देखती थी। मैं उठ बैठी, मैंने उसके सख्त लंड को अपने हाथ में पकड़ा, गरम और सख्त, आज मेरी मूली और बैंगन की प्यास खत्म हो गई थी। यही वो चीज़ थी, जिसे मैं कब से पाना चाहती थी। मैंने उसका ऊपर को उठा हुआ लंड नीचे को किया और उसका गहरा चॉकलेटी टोपा अपने मुँह में ले लिया। मोटा, गोल और थोड़ा सख्त टोपा। मैंने टोपे के सिरे पर अपनी जीभ फेरी, नमकीन स्वाद से मुँह भर गया। उस्मान ने पीछे से अपनी कमर का धक्का मारा तो उसका लंड थोड़ा और मेरे मुँह में घुस गया। मेरे मुँह से बस "उम्म...." ही निकल पाया। "चूस इसे जानेमन, खा इसे। अपने यार के लौड़े को जे भर के चूस। बुझा अपने तन की प्यास इस काले लंड से आज इस काले लंड से तेरी वो चुदाई करूंगा कि ज़िंदगी भर तू किसी और से चुदने का नहीं सोचेगी। चूस साली, चूस" उस्मान बोलने लगा। मैं चूसती रही, वो अपनी कमर हिला हिला कर अपना और लंड मेरे मुँह में घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था, मगर ये मेरा मुँह था, मेरी चूत नहीं थी कि घुसाते ही जाओ। कई बार मुझे उबकाई सी भी आई, मुझे लगा कि ये तो अपना लंड मेरे गले में उतार देगा। जितना मैं ले सकती थी, अपने मुँह में ले रही थी, मगर वो और धकेलता जा रहा था। "चूस साली, लेती क्यों नहीं। मादरचोद, चूस, और अंदर ले इसे" वो बोला। वाह, क्या मज़ा आया, मर्द से गालियां खा कर। "हरामज़ादी, कुतिया, अपने यार का लौड़ा चूसने में दिक्कत है, साली छिनाल, खा इसे, भैंनचोद, चूस साली रंडी!" वो फिर से गरजा। मैंने उसका लंड अपने मुँह से निकाला और पूछा- अपनी बीवी को भी ऐसे ही गालियां देते हो? वो बोला- हाँ, अगर उसकी माँ बहन एक न करूँ तो उसको तो चुदाई का मज़ा ही नहीं आता। मैंने कहा- तो मुझे भी गालियां दो, बहुत सारी, जितनी तुम्हें आती हैं, मुझे भी गाली खा कर चुदना अच्छा लगता है। वो खुश हो गया और उसने मेरे ब्रा की हुक खोली और मेरी ब्रा भी उतार कर फेंक दी। बिल्कुल नंगी करके वो बोला- अब देख नज़ारा। और वो बेड से नीचे उतरा, मुझे कमर से पकड़ा और ऐसे घुमाया कि मैं उल्टी होकर हवा में लटक गई। उसने मेरी दोनों जांघें अपने कंधों पर रख ली। उसका तना हुआ लंड बिल्कुल मेरे मुँह के सामने था, जिसे मैंने अपनी मर्ज़ी से ही चूसना शुरू कर दिया। उसने भी मेरी दोनों जांघों के बीच में मुँह लगा लिया और मेरी चूत को अपने मुँह में भर कर चाटने लगा। मैं तो पहले ही भड़की हुई थी, चूत पे जीभ लगते ही मैं तो और भी बदहवास हो गई। मैं उसका लंड भी चूस रही थी और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर भी हिला रही थी क्योंकि मैं इस सब को बर्दाश्त ही नहीं कर पा रही थी। और वही हुआ जिसका डर था, 2 मिनट की चूत चटाई में ही मैं झड़ गई, और वैसे ही उल्टी लटकी लटकी बस तड़प कर शांत हो गई। उस्मान को भी पता चल गया कि मैं अपना पानी छोड़ चुकी हूँ तो उसने मुझे नीचे उतार दिया और बेड पे लेटा दिया। मैं बेड पे लेटी उसे देखने लगी। वो मेरे ऊपर आ गया और मेरी टाँगें खोल कर अपना लंड मेरी चूत पे रखा। मैंने अपनी आँखें बंद करके इस खूबसूरत पल को जिया और उसका मजबूत लंड अपनी चूत में घुसते हुये महसूस किया। उसके हर धक्के के साथ मैं और खुलती जा रही थी। मेरे जिस्म की जिस गहराई तक आज तक कोई नहीं पहुँच पाया था, उस्मान ने अपना लंड मेरे जिस्म में उस गहराई तक उतार दिया। यह मेरे जीवन का पहला ऐसा एहसास था, जब मैंने महसूस किया जैसे उसका लंड मेरे पेट के अंदर तक जा पहुंचा हो। कितना मजा था, पहली बार मुझे मुकम्मल सेक्स का एहसास हुआ। आज मुझे ऐसा लगा, जैसे मर्द चाहे काला कलूटा, बदसूरत ही क्यों न हो, मग उसका लंड जोरदार होना चाहिए। लंबा मोटा और मजबूत ताकि वो अपने तगड़े लंड से अपनी औरत की अच्छे से तसल्ली करवा सके। उसके बाद उस्मान अपनी औकात पर आ गया। फिर उसने इतनी ज़ोर से मेरी चुदाई की कि मेरे अगले पिछले जन्म भी निहाल कर दिये। अगले आधे घंटे तक वो मेरे जिस्म को रोंदाता रहा। "क्या बोलती है मादरचोद, बहुत खिड़की में छुप छुप कर देखती थी, इशारे करती थी, अब मुँह खोल कुतिया, तेरी बहन के लंड काले कुत्ते का। साली अपने आप को बहुत रंडी समझती थी, अब बात कर अपने यार से, हराम की जनी, साली छिनाल, तेरे तो सारे खानदान को चोद दूँ मैं अपने इस करमाती लंड से, बोल किस किस को चुदवाएगी?" मैं भी मस्त हो रही थी, मैंने कहा- मेरे घर की, मेरी रिश्तेदारी की हर चूत तुझ पर कुर्बान मेरे यार, जिस भी चूत पे उंगली रखेगा, उसको तेरे सामने बिछा दूँगी रे, बस मुझे ऐसा रगड़, ऐसा रगड़ के मेरी जनम जनम की प्यास बुझ जाए। उस्मान ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मुझे अपने बाजू के ज़ोर से पलट दिया, और मेरी कमर पकड़ पीछे को खींची और एक सेकंड में ही मुझे घोड़ी बना दिया। "अब देख, मैं तेरी क्या माँ चोदता हूँ, साली छिनाल। यह ले!" कह कर उस्मान ने बड़े ज़ोर से अपना कड़क लंड मेरी चूत में दे मारा, उसके लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर जा कर ज़ोर से टकराया, तो मेरे मुँह से चीख निकल गई- आई उम्म्ह… अहह… हय… याह… ! मैं बोली तो वो हंसा- साली हरामज़ादी, नखरे करती है, और ले! उसके बाद तो उसने इतनी ज़ोर ज़ोर से अपना लंड मेरी चूत में मारा कि उसके हर एक वार पर मेरी चीख निकल जाती थी और वो कभी मेरी चूतड़ों पर ज़ोर से चपत मारता, कभी मेरे कूल्हों के मांस को अपनी मुट्ठियों में भर कर भींचता, कभी मेरे मम्मों को निचोड़ डालता। हर तरह से वो मेरे बदन को नोच रहा था, गालियां अलग से सुनने को मिल रही थी, मैं खुद एक बहुत गरम औरत हूँ, और अगर लगातार चुदाई मिले तो मैं सिर्फ 5-7 मिनट में ही झड़ जाती हूँ। मगर इस शानदार चुदाई से तो मैं जैसे उस से भी आधे समय में झड़ गई। उसके लंड का सख्त टोपा जब अंदर घुसता तो अंदर जा कर तीखा चुभता, और जब बाहर आता तो उसके टोपे का सख्त किनारा मेरी चूत के मांस को अंदर से रगड़ता हुआ बाहर आता। मैंने कई बार गाजर और मूली ली है अपनी चूत में मगर इतनी सख्त तो कभी वो भी मुझे नहीं लगी, उस्मान का लौड़ा तो सच में बड़ा भयंकर था। पसीने पसीने हुआ वो अभी भी लगा हुआ था, और मेरी चूत पानी छोड़ छोड़ कर थक चुकी थी। आधा बदन मेरा उसने नोच नोच कर लाल कर दिया था, गालों तक को उसने चूस चूस कर गुलाबी कर दिया, गर्दन के आस पास जो उसने अपने होंटों से चूस चूस कर निशान ही निशान कर दिये थे। इतनी मुकम्मल चुदाई मैंने आज तक नहीं भोगी थी। मैं महसूस कर रही थी कि अब मेरी चूत से जैसे पानी आना बंद हो गया था और चूत खुश्क होने की वजह से और टाईट हो गई और उसका लंड और पत्थर की तरह मेरी चूत को जैसे अंदर तक ज़ख्मी कर रहा था। फिर वो बोला- अब मैं झड़ने वाला हूँ, और तेरे अंदर ही पिचकारी मारूँगा। मैंने कहा- मार मेरी जान, अंदर बाहर कहीं भी मार। जबकि मैं खुद चाहती थी कि अब मेरी बस हो गई है, अब इसे झड़ना चाहिए। फिर उसने अपने माल के गरम फव्वारे मेरी चूत के अंदर मारे। गर्म गर्म माल अंदर गिरा तो बड़ी तसल्ली मिल मन को, बहुत ही आनन्द आया, मैं निहाल हो गई, पूर्ण हो गई। मैं थक चुकी थी तो मस्त हो कर लेटी रही। वो भी मेरे ऊपर ही लेट गया। कितनी देर उसका लंड मेरी चूत में धीरे धीरे सिकुड़ता रहा, मुझे महसूस हो रहा था। फिर वो उठा- मज़ा आ गया जानेमन। आज रात को तैयार रहना, आधी रात के बाद छत टाप कर आऊँगा। मैंने कहा- नहीं नहीं, आज नहीं, अब मैं और नहीं कर सकती। मैं तुमको बताऊँगी कि कब आना है। वो हंसा और बोला- क्यों क्या हुआ, एक बार में ही हाँफ गई? मैंने कहा- मुझे इतना तेज़ चलने की आदत नहीं है न, इसलिए हाँफ गई। पर तुम चिंता न करो, एक दिन तुम्हारी सांस न उखाड़ दी तो कहना। वो बहुत खुश हुआ, अपने कपड़े पहने और मेरे होंठ चूम कर चला गया और मैं वैसे ही अपने बिस्तर पर नंगी लेटी, अपनी इस लाजवाब चुदाई को याद कर कर मुस्कुराती रही। कामुकता भरी मेरे चोदन की कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल करें! [email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top