भैया का दोस्त -1
(Bhaiya Ka Dost-1)
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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !
आप सबने मेरी पिछली कहानी ‘भैया भाभी का साथ’ पढ़ी और उन कहानियों को आपने बहुत पसंद किया, मुझे बहुत अच्छा लगा, उसके लिए मैं आप सभी का आभार प्रकट करती हूँ।
एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हुई हूँ, आशा करती हूँ कि आपको पसंद आयेगी।
यह घटना मेरी पिछली कहानी ‘भैया भाभी का साथ’ जो मैंने लिखी थी उसी के आगे की कहानी है। पिछली कहानी में मैंने आप से बताया था कि उस अनुभव को लिखते लिखते मैं फिर से उत्तेजित हो गई थी इसलिए अब इस उत्तेजक किस्से को यहीं समाप्त करती हूँ, इसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगी।
तो आज में आप सभी को उसी के आगे की कहानी बताने जा रही हूँ।
रात की चुदाई के बाद हम सुबह देर से सो कर उठे, 10 बज चुके थे। उठने के बाद हम तीनों फ्रेश हुए और साथ में नाश्ता किया तो लगभग 12 बज चुके थे।
तभी घर के दरवाजे की घंटी बजी तो भाभी ने मुझे कहा- रोमा, जरा जाकर देखो तो, कौन आया है।
मैंने दरवाजा खोला तो बाहर भैया की ही उम्र का एक आदमी खड़ा था, मैंने उनसे पूछा- किससे मिलना है?
तो उन्होंने कहा- मुझे गौरव अग्रवाल जी से मिलना है।
तब मैंने भैया को आवाज लगाई- भैया कोई आपसे मिलने आए हैं।
भैया ने कहा- रोमा, तुम उन्हें अन्दर बुलाओ, मैं अभी आता हूँ।
मैंने उनको अन्दर बुला कर बिठाया और मै अंदर चली गई। तब भैया बाहर हॉल में आए और उन्हें देखते ही कहा- अरे प्रदीप? तू यहाँ कैसे? बहुत दिन बाद मिल रहा है।
वो भैया के दोस्त थे।
प्रदीप- यार, मैं यहाँ काम के सिलसिले में आया हूँ तो सोचा तुझसे मिल लूँ इसलिए आ गया, और आज शाम की मीटिंग है।
भैया- चल अच्छा है, अब आया है तो यहीं रुकना। शाम को किस टाइम मीटिंग है?
प्रदीप- 5 बजे।
भैया- अभी तो बहुत टाइम है, तू फ्रेश हो जा और फिर खाना खाकर जाना मीटिंग के लिए।
तभी भाभी बाहर आई, प्रदीप ने भाभी को नमस्कार किया। तभी प्रदीप ने भैया से कहा- भाभी से तो मैं मिल चुका हूँ ! पर ये मोहतरमा कौन हैं?
उन्होंने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।
तब भैया ने बताया कि यह मेरे अंकल की बेटी रोमा है। मैं भी अभी घर से बाहर था तो यह पलक से साथ रह रही थी, मैं भी तो कल ही लौटा हूँ।
तब भाभी ने कहा- मैं कुछ नाश्ता लेकर आती हूँ !
मैं और भाभी रसोई में आ गये, हम सबने थोड़ा नाश्ता किया, फिर प्रदीप ने भैया से कहा- यार मेरी कार बाहर खड़ी है, उसे कहाँ पार्क करना है?
तो भैया ने कहा- तू कार की चाबी मुझे दे, में कार को पार्क कर देता हूँ।
भैया ने प्रदीप का सामान गेस्टरूम में रखा और उनसे कहा- तुम आराम से फ्रेश हो जाओ, फिर हम खाना खाते हैं।
मेरा समान भी उसी रूम में था, मैं और भाभी दोपहर के खाने की तैयारी करने लगे। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मेरा समान भी उसी रूम में है जिस रूम में प्रदीप है और पूरा समान बिखरा है, मेरे कपड़े पूरे खुले पड़े हैं।
तब भाभी ने कहा- तुम जाओ और कपड़ों को समेट कर अपने बैग में भर कर मेरे रूम में लाकर रख दो।
मैं गेस्ट रूम में गई, जैसे ही मैंने गेस्ट रूम का दरवाजा खोला, मैंने देखा कि प्रदीप सिर्फ अन्डरवीयर में खड़े थे, मेरे दरवाजा खोलने से उनको कुछ आवाज हुई तो वो मेरी तरफ मुड़े तो उनके हाथ में मेरी ब्रा थी। प्रदीप ने जैसे ही मुझे देखा तो ब्रा को वहीं नीचे फेंक दिया और मेरी तरफ आकर कहा- रोमा तुम?
तो मैंने कहा- मैं अपना सामान लेने आई हूँ।
तो उन्होंने कहा- यह तुम्हारा सामान है।
मैंने हाँ में अपना सर हिलाया और अपने कपड़े उठाने लगी। मैं चोर नजरों से उनकी तरफ देख रही थी क्यूंकि वो सिर्फ अन्डरवीयर में थे और उनकी अन्डरवीयर में लंड का उभार काफी बड़ा लग रहा था।
मैं जानबूझ कर धीरे धीरे कपड़े उठा रही थी और चोर नजरों से उनकी तरफ देख रही थी।
फिर प्रदीप ने कहा- रोमा, तुम अपने कपड़े उठा लो, मैं नहा कर आता हूँ।
मैंने अपने सारे कपड़े समेट लिए, मेरा मन बार बार प्रदीप को देखने को कर रहा था। तब मुझे याद आया कि मेरी एक ब्रा-पेंटी बाथरूम में ही है, तो मैंने सोचा कि अगर मैं वो प्रदीप से मांगूगी तो उसे बाथरूम का दरवाजा खोलना पड़ेगा जिससे मैं उसे देख सकती हूँ।
मैं बाथरूम के पास गई और कहा- प्रदीप जी, मेरे कुछ कपड़े अन्दर हैं, क्या आप मुझे वो दे दोगे?
तो प्रदीप ने कहा- रोमा तुम्हारे यहाँ कोई कपड़े नहीं हैं।
तो मैंने कहा- आप ध्यान से देखो, होंगे !
मैंने कहा- मेरी ब्रा-पेंटी है अन्दर, वो मुझे दे दो।
तो प्रदीप ने कहा- हाँ वो हैं।
और उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और मुझे ब्रा पेंटी दी। दरवाजा खुलते ही मैंने उसकी ओर देखा तो उसने अभी भी अंडरवीयर पहनी हुई थी जो पानी से गीली हो चुकी ही और उसकेशरीर से चिपक गई थी तो उसके लंड का उभार मुझे और भी आकर्षक लग रहा था।
मेरी नजरें उस पर से हट नहीं रही थी। फिर मैंने उसके हाथ से ब्रा-पेन्टी ली और उसे अपने बैग में रख कर रूम से बाहर आकर भाभी के रूम में अपना बैग रख दिया और किचन में आकर खाना बनाने में भाभी की मदद करने लग गई।
बातों ही बातों में मैंने भाभी को बताया- भाभी जब मैं गेस्टरूम में गई तो प्रदीप सिर्फ अन्डरवीयर में खड़े थे और उनके हाथ में मेरी ब्रा थी, उन्होंने मुझे देख कर ब्रा को नीचे फेंक दिया, शायद मेरे अचानक वहाँ जाने से वो घबरा गए थे तो उन्होंने ब्रा को नीचे फेंक दिया था और फिर वो बाथरूम में चले गये पर भाभी, मैं उन्हें सिर्फ अंडरवीयर में देख कर उनकी तरफ आकर्षित हो गई थी, वो मुझे बहुत अच्छे लग रहे थे, उनका लंड उनकी अंडरवीयर में काफी बड़ा लग रहा था।
तब भाभी ने मुझे ऐसे ही कहा- क्यूँ रोमा, प्रदीप से भी चुदाई करवाने का मन कर रहा है क्या?
तो मैंने भाभी से कहा- क्या भाभी, आप भी कुछ भी बोल रही हो? कल ही तो मैंने भैया के साथ चुदाई की थी।
तभी भाभी ने कहा- रोमा अगर तुम्हारा मन प्रदीप से भी चुदवाने का कर रहा हो तो बता दो, मैं तुम्हारे भैया को कह दूँगी तो वो उसे प्रदीप से कह देंगे ! वैसे भी वो प्रदीप भी कम नहीं है, जहाँ लड़की देखी नहीं कि उसे चोदने के सपने देखने लगता है। तुम्हारे भैया ने मुझे बताया है उसके बारे में ! मुझे तो लगता है कि शायद वो तुम्हें चोदने का सपना देख ही रहा होगा इसलिए वो रूम में सिर्फ अंडरवीयर में था और तुम्हारी ब्रा उसके हाथ में थी।
फिर भाभी और मेरी ऐसे ही बातें होती रही। खाना बन चुका था तो भाभी ने मुझे कहा- रोमा तुम इसे डाइनिंग टेबल पर लगाओ, मैं अभी आती हूँ !
और भाभी अपने रूम में चली गई, मैं डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने लगी। खाना लगाने के बाद जब मैं भाभी के रूम में जाने लगी तो मैंने भैया और भाभी को बात करते सुना, भाभी भैया से कह रही थी- रोमा जब गेस्ट रूम में अपने कपड़े समेटने के लिए गई थी न, तो प्रदीप वहाँ सिर्फ अंडरवीयर में था और उसके हाथ में रोमा की ब्रा थी, यह बात मुझे रोमा ने बताई, और वो कह रही थी कि उसका लंड अंडरवीयर में काफी बड़ा लग रहा था और रोमा को वो बहुत आकर्षित लग रहा था, और जब मैंने रोमा से पूचा कि क्या तुम उससे चुदना चाहती हो तो उसने मुस्कुरा कर बात को टाल दिया, मुझे तो लगता है कि प्रदीप भी कहीं रोमा को चोदने की फ़िराक में तो नहीं है?
तो भैया ने कहा- हाँ हो सकता है !
फिर मैं रूम के अंदर गई और भैया भाभी को कहा- चलो, मैंने टेबल पर खाना लगा दिया है !
तो भैया ने कहा- चलो, मैं प्रदीप को बुला लाता हूँ !
भैया चले गए और हम भी किचन में आ गए।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपको यह बात भैया को बताने की क्या जरुरत थी? मैंने आपकी बातें सुन ली हैं !
तभी भैया और प्रदीप भी आ गए। हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद प्रदीप और भैया तो हॉल में जा कर टीवी देखने लगे और इधर भाभी और मैं टेबल को साफ करने लगे। उसके हम दोनों रूम में चले गए, वहाँ भाभी ने फिर मुझसे कहा- रोमा, तुम्हें प्रदीप अच्छा लगा न?
तो मैंने बात को पलटते हुए कहा- भाभी मैं अभी आती हूँ।
मैं जब रूम से बाहर आई तो मैंने हॉल में प्रदीप और भैया की फिर बातें सुनी।
कहानी जारी रहेगी।
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