एनिमेशन क्लास

प्रेषक : शंकर आचार्य

मेरा नाम शंकर है, बंगलोर में जॉब करता हूँ। आज आपको मैं अपनी पहली चुदाई की कहानी बता रहा हूँ।

जब मैं इंस्टिट्यूट में था तो मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी, उसका नाम है निशा।

बिल्कुल मस्त माल है। उसकी उम्र 19 साल थी जब मैंने उसे चोदा था।

तो चलिए आपको शुरू से कहानी बताता हूँ।

बंगलोर में ही एनिमेशन की क्लास में मेरी मुलाकात निशा से हुई। एकदम मस्त लड़की थी। जब हमारा 3डी मॉडलिंग की क्लास शुरु हुई तो सर ने हमें लड़की का मॉडल बनाने को दिया।

मैं लैब में बैठ कर मॉडल बना रहा था तभी निशा मेरे पास आई।

“शंकर, बहुत अच्छा बना रहे हो?”

मैंने उसे देखा।

वो मुस्कुराई- मेरी भी मदद कर दो ना? मुझे ज्यादा समझ नहीं आया !

“क्या परेशानी है?”

“वो जरा…… तुम खुद चेक कर लो।”

और वो शरमा गई।

मैंने उसकी फाइल देखी तो उसने चूची नहीं बनाई थी।

“तुम्हें ये बनाने नहीं आते?”

“नहीं !”

“ओ के, यह फेस सेलेक्ट करो और ओके करो !”

“ओके !”

वो मुस्कुराई, लेकिन शरमा भी रही थी। उसकी आँखें लाल हो रही थी। उसको इस तरह देख मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मुझे वो अच्छी लगने लगी।

“अगर ज्यादा परेशानी हो तो लैब के बाद मेरे कमरे पर चलो, वहाँ विस्तार से समझा दूँगा।”

“ओ के शंकर, तुम्हारे कमरे पर ही चलते हैं !”

क्लास के बाद हम दोनों कमरे में आ गए। उसकी आँखें अभी भी लाल थी।

“चाय या काफी?”

“आई लव यू !”

“व्हाट……….. ” मैं एकदम से बोला,”यह तुम क्या बोल रही हो?”

उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया, मेरे ओंठों को चूसने लगी।

“मुझे पता है तुमने मुझे कमरे में क्यों बुलाया !”

“ओ के निशा !”

मैं उसके ऊपर के ओंठों का रसपान करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। करीब दस मिनट तक हम एक-दूसरे के ओंठों का रसपान किया।

मैं उसके चूचे दबाने लगा। वो मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही दबा रही थी। हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरु किए। कुछ ही पलों में हम बिल्कुल नंगे थे।

वो मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरा लण्ड बिल्कुल मस्त हो चुका था लेकिन बहुत जल्दी ही मैं झड़ गया, मैंने सारा वीर्य उसके मुँह में ही गिरा दिया।

“पहली बार है?”

“हाँ !”

“इसलिए इतनी जल्दी झड़ गए !”

उसने मुझे अपनी बुर चाटने के लिए कहा। मैंने उसकी बुर को चाटना शुरू किया।

“आह बहुत मज़ा आ रहा है !”

फिर से वो मेरा लण्ड चूसने लगी। मेर लण्ड फिर से खड़ा हो गया।

“मेरा भी पहला है ! अब इसे मेरी बुर में डाल दो, मगर धीरे से !”

“ओके डीयर !”

मैंने अपना सुपारा उसकी बुर में डाल दिया।

“धीरे से शंकर ! दर्द हो रहा है !”

मैंने उसकी चूची को मुँह में ले लिया और चूसने लगा। अपना लण्ड भी धीरे धीरे अंदर डाल रहा था लेकिन लण्ड जा नहीं रहा था। मैंने थोड़ा जोर लगा दिया।

“मर गई….. जल्दी निकालो !”

मैंने लण्ड निकाला तो उसमें खून लगा था, मैंने खून को साफ़ किया।

“बहुत दर्द हो रहा है?”

“हाँ !”

मैं उसके ओंठों को चूसने लगा, चूची को भी दबा रहा था। करीब दस मिनट बाद मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी बुर में डाला।

“अब कैसा लग रहा है निशा?”

“हल्का दर्द है, पर मज़ा आ रहा है ! तुम डालो !”

“ओके !”

मैं अपना लण्ड उसकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर में वो भी साथ देने लगी। करीब बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा।

“निशा मेरा निकलने वाला है !”

“बाहर करना !”

“ओके !”

और मेरा सारा वीर्य उसकी नाभि में गिर गया। कुछ देर तक हम ऐसे ही रहे, उसके बाद फ्रेश होकर निशा को उसके घर छोड़ दिया।

हम हर रोज़ क्लास के बाद सेक्स करते रहे।

आज मैं कंपनी में जॉब करने लगा हूँ और निशा की शादी हो चुकी है।

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