कुछ अधूरा सा-1

(Kuchh Adhura Sa- Part 1)

हैलो, कैसे है सब, मेरा नाम है जग! मैं राजस्थान के जयपुर शहर से हूँ। मेरी उम्र 24 है। मेरी लंबाई 5’4″ है। दिखने में भी ठीक ठाक हूँ, अभी में मुम्बई में हूँ, यहाँ मेरा खुद का छोटा सा बिजनेस है।

मैं अन्तर्वासना की हिंदी सेक्सी स्टोरी बहुत सालों से पढ़ता आ रहा हूँ, मैं इसका नियमित पाठक हूँ।

यह सेक्सी कहानी मेरी और मेरी मामी की है। पहचान गुप्त रखने के लिए व्यक्तिगत और जगहों के नाम में बदलाव किया गया है।
यह मेरी पहली कहानी है और बिल्कुल सच्ची है, आप पढ़ेंगे तो समझ जायेंगे।
कहानी लिखने में कुछ गलती हो तो माफी चाहूँगा।

कहानी शुरू करने से पहले आपको थोड़ी और जानकारी देना चाहूँगा जिससे आपको कहानी समझने में आसानी होगी।
मेरा ननिहाल जयपुर के पास ही एक गांव में है। कुछ कारणों की वजह से मेरे घर वालों को जयपुर छोड़ कर मुम्बई में आना पड़ा।

उस साल मेरी 10th की बोर्ड परीक्षा थी तो मुझे मेरी नानी के यहाँ छोड़ दिया। मेरी नानी के घर में नानी, मेरे दो मामा और उनकी पत्नियाँ और दोनों मामा के दो-दो बच्चे थे। सब बहुत ज्यादा अच्छे थे, मेरा बहुत ख़्याल भी रखते थे।

मैं बहुत चुपचाप रहता था क्योंकि पहले में नानी के यहाँ ज्यादा जाता नहीं था तो थोड़ा सा शरमाता था।

जैसे तैसे परीक्षा खत्म हुई, मैं मुम्बई आ गया घर वालों के पास!
उसके बाद रिजल्ट आया, मैं पास हो गया था, सब खुश थे, मैं भी बहुत खुश था। तब तक मेरे दिल में किसी के लिए कुछ भी गलत नहीं था और होता भी कैसे… मेरा दिल ही नहीं लग रहा था वहाँ!
जब दिल ही सुकून में नहीं तो कुछ और ख्याल कैसे आये।

सबने सोचा कि नानी के पास रह कर भी जब मैं इतने अच्छे अंक ला सकता हूँ तो फिर क्यों न आगे की भी पढ़ाई वहीं रह कर करनी चाहिए। मैंने भी हाँ कह दिया।

अब मैं वापस नानी के घर आ गया आगे की पढ़ाई पूरी करने।

अब मैं असली बात पर आता हूँ, मेरी दोनों मामी बहुत खूबसूरत है। उस मोहल्ले में शायद ही उन दोनों जैसा कोई और हो, मगर थी दोनों घरेलू!
मेरी दोनों मामी बहुत अच्छे बदन की मालकिन थी। बड़ी वाली का नाम कविता था, उनका फिगर लगभग 34-28-36 होगा।
छोटी वाली का नाम सोनिया था, सब उन्हें सोना बुलाते थे, उनका फिगर 38-30-36 था।
मेरे दोनों मामा विदेश में नौकरी करते हैं।

मैं यहाँ मजे से रह रहा था और अब मेरा दिल भी यहाँ लगने लगा था, कुछ अच्छे दोस्त भी बन गए थे।

वक़्त बहुत तेजी से जा रहा था, मैं रोज कॉलेज जाता दोपहर में आ जाता। खाना खाकर थोड़ी देर टीवी देखता और सो जाता।
शाम में दोस्तों के साथ खेलता, बाद में घर आता खाना खा कर थोड़ी देर पढ़ाई करता और सो जाता।
यही मेरी दिनचर्या बन गई।

इसी दौरान एक रात करीब 3 बजे मेरी आँख खुली, पेशाब करने के लिए मैं उठा और पेशाब कर के अपने बिस्तर पर आया ही था कि मेरी नज़र मामी पर गई जो एकदम गहरी नींद में सो रही थी।
यहाँ मैं आप सबको एक बात बताना भूल गया कि मैं मेरी छोटी मामी के कमरे में सोता था।
हम लोगों के साथ नानी भी उसी कमरे में सोती थी।

जब मेरी नज़र मामी पर गई तो मैंने देखा कि उनके दोनों स्तन आधे से ज्यादा बाहर दिख रहे थे।
मैं उनके बेड के पास गया और उनके सर की तरफ से थोड़ा झुक कर उनके स्तनों को कमीज के अन्दर तक देखने की कोशिश करने लगा।

बहुत देर तक ऐसे देखने के बाद भी मुझे सन्तुष्टि नहीं मिल रही थी। इसके पहले मैंने कभी मामी को गलत नजर से नहीं देखा मगर आज नजर हटाने का दिल नहीं कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि मामी पर चढ़ाई कर के दोनों को खा जाऊँ।

अब शांत होने का एक ही तरीका था, मैंने अपना लंड निकाला और वहीं पर मुट्ठी मारने लगा।
मगर मैंने अपना पानी नहीं गिराया।

मामी के स्तन देख कर मैं काफी उत्तेजित हो रहा था, मैंने थोड़ी हिम्मत की ओर मामी के माथे पर एक चुम्बन कर दिया।
मामी ने कोई हलचल नहीं की, वो अब भी गहरी नींद में सो रही थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई मगर मुझे डर भी बहुत लग रहा था क्योंकि करीब ही नानी खटिया पर सो रही थी, अगर थोड़ी भी आवाज होती तो नानी जग जाती। इसलिए मैं सबकुछ बहुत धीरे-धीरे और आराम से कर रहा था।

मैंने मामी के कमीज को गले से हल्का सा अंगूठे और एक उंगली से ऊपर उठाया जिससे मुझे उनकी काली ब्रा दिखने लगी।
फिर मैंने वैसे ही हल्के से उनके कमीज को छोड़ दिया।

मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा था, मेरी वासना बढती जा रही थी, मुझे अब पूरे स्तन देखने थे, उनके साथ खेलना था और उनका दूध पीना था।
इसके लिए मैंने सबसे पहले उनका दुपट्टा हटाने की सोची जो उनके गले में था।
मगर यह इतना आसान नहीं था क्योंकि दुपट्टा उनके गले में आगे से पीछे कमर की ओर गया था।

मैंने जैसे ही दुपट्टा हटाने के लिए पकड़ा। मामी थोड़ा हिली मैं बेड के नीचे झुक गया, मैं एक बार तो डर गया कि आज तो गया। मगर फिर मामी करवट बदल कर सो गई।

मैं फिर उठा इधर उधर देखा सब सो रहे थे। मैंने फिर से दुपट्टा पकड़ा और धीरे-धीरे और आराम से दुपट्टा खींचने लगा। इस बीच मामी 2-3 बार हिली मगर आंख नहीं खोली।
लगभग पुरा दुपट्टा खींचने के बाद जब थोड़ा ही दुपट्टा रहे गया। तो मैंने सोचा क्यूँ ना इसे झटके से निकाला जाए क्योंकि वैसे बहुत समय लग रहा था और मुझसे इंतजार नहीं हो रहा था, या यूं कहें डर लग रहा था।

मैंने जैसे गले के पास से दुपट्टा खींचने के लिए पकड़ा, मामी करवट बदलने के लिए हिली जिससे मेरा हाथ उनके स्तनों पर लग गया। मैं फिर बेड के एक तरफ नीचे झुक गया।
मैं डर गया था।

अब की बार मामी की नींद खुल चुकी थी, मामी अपने बेड पर बैठी और इधर उधर देखने लगी, फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा।
मेरी तो फट गई थी… उन दो सेकेंड में न जाने मेरे मन में क्या क्या आ गया था।

मामी ने कहा- यहाँ क्या कर रहे हो? और अभी थोड़ी देर पहले क्या कर रहे थे?
वो गुस्से में थी लेकिन चिल्ला कर नहीं बोल रही थी, शायद वो भी नहीं चाहती थी कि नानी उठे।

मैं बोला- वो मैं पानी पीने के लिए उठा था।
वो बोली- फिर यहाँ क्या कर रहे हो?
मैं बोला- पानी पीने के बाद जब मैंने आप की तरफ देखा। तो आपका गला बहुत खुला हुआ था, मुझे सही नहीं लगा तो मैं दुपट्टा डालने आ गया।
वो बोली- ठीक है, कल सुबह बात करेंगे, अभी तुम सो जाओ।

मैं चुपचाप आकर अपनी जगह सो गया और ऊपर वाले का धन्यवाद करने लगा कि उसने मुझे बचा लिया, वरना आज तो मेरी इज्जत लुट जाती।

अब टेंशन थी कल सुबह की… क्या होगा, क्या नहीं?
इसी सब बातों में मेरा ध्यान घड़ी की तरफ गया जिसमें 4:15 हो रहे थे।
यही सब सोचते-सोचते कब मेरी आंख लग गई, मालूम ही नहीं चला।

सुबह उठा और रोज की तरह कॉलेज के लिए तैयार हो रहा था मगर मैं मामी से नज़र नहीं मिला रहा था, एक अजीब सा डर लग रहा था लो अगर मैंने उनकी तरफ देखा और उन्होंने कुछ पूछ लिया तो मैं क्या जवाब दूंगा।

मगर जब मैं कॉलेज के लिए घर से निकला और सीढ़ियों में पहुंचा ही था कि मामी ने मुझे आवाज दी और कहा- नीचे रूकना, मुझे कुछ काम है तुझसे!
मेरी तो पहले से ही फटी पड़ी थी, अब और हालत खराब हो गई, फिर भी मैंने कहा- ठीक है।

मामी नीचे आई और मुझसे बोली- मैं जो भी पूछूँ उसका सही-सही जवाब देना।
मैंने कहा- ठीक है।

उन्होंने कहा- कल रात को क्या कर रहा था मेरे बेड के पास?
मैं थोड़ा घबराते हुए बोला- वही जो कल रात को मैंने आपको बताया था।
मामी बोली- क्या?
मैं बोला- यही कि आपका गला बहुत खुला हुआ था तो मैं दुपट्टा डालने आ गया और उसी समय आपकी नींद खुल गई तो मैं घबरा कर बेड के एक तरफ छिप गया।

मामी बोली- सच बोल रहा है ना?
मैंने हाँ में सर हिलाया।
मामी बोली- ठीक है, अब तू कॉलेज जा, लेट हो रहा होगा।

मैं वहाँ से चुपचाप निकल गया और अपने आप को भाग्यशाली समझने लगा।
फिर मैं दोपहर में कॉलेज से आया खाना खाया और सो गया।

शाम में दोस्तों के साथ खेलने चला गया, फिर वहाँ से आकर खाना खाया और सो गया। पूरे दिन में ना मैंने सोना मामी से बात करने की कोशिश की और ना ही उन्होंने!
मैं तो अब जैसे उनकी नजरों से बचता फिरता कि अगर उनको मुझ पर शक हो गया तो!
2-3 दिन ऐसा ही चला।

फिर एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं अपने बिस्तर पर ही करवटें बदल रहा था। अचानक मेरा ध्यान खर्राटों पर गया जो गहरी नींद में होने के कारण मामी को आ रहे थे।
इतना ख्याल आया ही था कि मेरा दिल जोर-शोर से धड़कने लगा, ना चाहते हुए भी मुझे मामी की काली ब्रा में कैद उनके स्तन याद आने लगे।

मैं उठा, पहले नानी की तरफ देखा, वो सो रही थी, फिर मैं मामी के बेड के पास गया और उनके स्तनों को देखने लगा।
मुझसे ऐसे दूर से देख कर सब्र नहीं हो रहा था मगर करीब जाने और कमीज को ऊपर करने में मेरी फट रही थी क्योंकि पिछली बार इन्हीं कारणों से मरते-मरते बचा था।

फिर मुझे एक विचार आया, मैं अपना मोबाईल फोन लाया और उससे मामी के स्तनों और गांड की फोटो लेने लगा वो भी ज़ूम कर कर के…
सुकून तो नहीं मिला मगर एक बार काम चलाने के लिए तो ठीक था।

और ऐसा कई महीनों तक चलता रहा, उस दरमियान मैंने बहुत बार मुट्ठी भी मारी मगर पानी हर बार अपने ही बिस्तर पर गिराता था।

मामी की गहरी नींद का मुझे बहुत फायदा हुआ।
एक बार तो मैंने हद कर दी, उस रात जब मैं मामी के स्तनों को देखकर उनकी फोटो खींच रहा था तो मुझसे सब्र नहीं हुआ और मैंने वहीं पर अपना पजामा निकाल कर मुट्ठी मारना शुरू कर दिया।
मगर मैं अपना पानी वहाँ नहीं निकालना चाहता था इसलिए मैंने थोड़ी देर में जब पानी निकलने वाला था अपने लंड को छोड़ दिया जिससे थोड़ी देर तो मैं शांत रहा मगर फिर मेरी वासना बढ़ने लगी।
मेरी मामी का नशा मुझ पर पूरी तरह चढ़ गया था, मुझे अपने आप को संतुष्ट करने के लिए कुछ तो करना था।

फिर मुझे एक विचार आया, मैंने अपना लंड पकड़ा और मामी के होंठों पर लगाने लगा। मुझे पता नहीं क्या हो गया था, सब कुछ भूल कर मैं अपने लंड की आग को शांत कर रहा था।
शायद इसी को जिस्म की भूख कहते हैं जिसमें खोकर इंसान सब कुछ भूल जाता है।

2-3 बार ऐसा करने के बाद मुझे मजा आने लगा। तो मैंने सोचा क्यूँ ना लंड को पूरा मुंह में डाला जाये।
मैंने अपना लंड पकड़ा जो अब एकदम सख्त हो चुका था, मामी के होंठो पर लगाया, उम्म्ह… अहह… हय… याह… फिर जैसे ही हल्के दबाव से लंड अन्दर किया, मेरा लंड मामी के दांतों से टकराया।
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अब मामी थोड़ा हिली तो मैं डर गया और अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया।
मामी ने करवट बदली और वैसे ही सोई रही।

मगर यहाँ मेरी डर के मारे हालत खराब थी और उसी डर की वजह से फिर से उठने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
मैंने अपना पजामा पहना और चादर तान कर सो गया।

सुबह उठा तो पहले तो मैं डर रहा था कि पता नहीं मामी क्या बोलेगी। मगर जब मैं मामी के पास गया तो मामी मुझसे ऐसे बात कर रही थी जैसे रात में क्या हुआ, इन्हें पता ही नहीं।

अब मेरी घर में सबसे बहुत बनती थी और सबसे ज्यादा तो दोनों मामी से! अब मुम्बई भी में कम ही जाने लगा था। कभी मम्मी ज्यादा ही जिद करती बुलाने की तो 15 दिन के लिए चला जाता था।
अब मैं पहले से ज्यादा बोलने लगा था, हंसमुख हो गया था, जैसा बाहर रहता था, वैसे ही घर में रहने लगा।

सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था। मैं दिन में दोनों मामियों के आस पास ही रहता था जब वो कपड़े धोती या झाड़ू लगाती या ऐसा ही कुछ काम जो बैठ कर या झुक कर किया जाए।
मेरे दिन मजे से जा रहे थे और रात का तो आपको मालूम ही है।

ऐसे में ही एक दिन सुबह खबर आई कि मेरे मौसा जी की मौत हो गई जो रतलाम में रहते थे। तो इसलिए मेरी नानी को तत्काल ही उधर जाना पड़ा, अकेले जा नहीं सकती थी तो मेरी दूसरी मौसी को लेकर चली गई जो मेरी नानी के घर से लगभग 1 किमी. दूर रहती थी।
मैं उन दोनों को जयपुर स्टेशन छोड़ने गया। वहाँ करीब 2 बजे की एक ट्रेन थी जो मुंबई जाती है। मैंने दोनों को ट्रेन में बैठाया और घर आ गया।
उस दिन सब कुछ इतना जल्दी-जल्दी हुआ।

फिर मैं घर पहुंचा तब तक 4 बज चुके थे, मैंने खाना खाया और बाहर चला गया। शाम में भी बस ऐसे ही सब कुछ हुआ, सब बहुत उदास थे, कोई ज्यादा बात भी नहीं कर रहा था।
ऐसे ही मैं सो गया।

सुबह उठा, फिर वही रोज वाला सब कुछ… शाम में भी बाहर नहीं गया, घर पर ही था।

फिर रात हुई, मैं अपने बिस्तर पर था मगर सोया नहीं था।

अचानक मुझे मामी का ख्याल आया जो ऊपर बेड पर सो रही थी और आज उनके बच्चे भी नानी वाली खटिया पर सो रहे थे।
मैं उठा और मामी के बेड पर जाकर बैठ गया, बहुत देर तक उन्हें देखता रहा, कभी उनके स्तनों को देखता, कभी उनकी गांड… मगर इस सब से बेखबर मामी गहरी नींद में सो रही थी।

मैंने पहले बहुत सारी फोटो मामी की अपने मोबाइल में ले ली और अपने बिस्तर पर आ गया।
मैं मामी की फोटो को ज़ूम कर-कर के देख रहा था और साथ में अपने लंड को सहला रहा था।

फिर अचानक ही मेरे दिमाग में ख्याल आया, आज मामी अकेली है, क्यों न एक बार कोशिश की जाये। पकड़ा गया तो माफी मांग लूँगा, कह दूँगा कि बहक गया था, जानबूझ कर नहीं किया।

और शायद कुछ भी ना कहे क्योंकि मामा को विदेश गए लगभग 3 साल हो गए थे। भले ही मामी बोलती नहीं थी मगर प्यासी तो वो भी थी और अभी 2-4 महीने और मामा के आने की कोई खबर नहीं थी।

यह कहानी जारी रहेगी।
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