मुँह बोले भाई का लण्ड देख मेरी चूत गीली हुई -2

(Munh Bole Bhai Ka Lund Dekh Meri Chut Gili Hui- Part 2)

कहानी का पिछला भाग : मुँह बोले भाई का लण्ड देख मेरी चूत गीली हुई -1

आपने अब तक जाना कि मेरा मुँह बोला भाई मेरे साथ चूत चुदाई का खेल खेलने के लिए लगभग तैयार हो चुका था।
अब आगे..

मोनू मेरी चूत की तरफ देखने लगा, मैं अपने बाल हमेशा साफ करके रखती हूँ, मोनू बोला- दीदी आपके तो एक भी बाल नहीं हैं..
वो चूत पर हाथ लगाने लगा.. मैंने कहा- देख ले अपनी रीमा दीदी की चूत।

मोनू आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा और बोला- दीदी आपका छेद तो बहुत छोटा है।
मैं बोली- इसमें 6 महीने से कुछ भी घुसा नहीं है.. इसलिए ये छोटा हो गया है। जब तेरा बड़ा लंड अन्दर जाएगा तो यह चौड़ा हो जाएगा।
मोनू शर्मा गया।

मैंने कहा- मोनू मेरी चूत चाट..
मैंने उसका सर पकड़ कर चूत पर टिका दिया.. वो लप-लप कर मेरी चूत चाटने लगा.. मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।
मैंने कहा- मोनू मेरे क्लिट भी चाट..

मेरी क्लिट आधा सेंटीमीटर लंबी है, मोनू क्लिट देख कर बोला- दीदी यह तो बिल्कुल मेरे उसके जैसा कांप रहा है।
मैं गुस्से से बोली- उसके किस के जैसा? देख मोनू अब हम दोनों नंगे हैं यह शरम-वरम छोड़ और साफ-साफ खुल कर बोल.. कि किसके जैसा है?
मैं उसके मुँह से चूत.. लंड.. जैसे शब्द सुनना चाहती थी।

मोनू शरमाते हुए बोला- मेरे लंड जैसा..
उसके मुँह से ‘लंड’ शब्द सुन कर मैं और गरम हो गई और मैंने कहा- चल अब अपनी रीमा दीदी की चूत और क्लिट चाट।
मोनू ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा, वो कभी-कभी अपनी जीभ मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर देता था।

मैं बोली- शाबाश मोनू.. अपनी जीभ से चोद.. अपनी दीदी की चूत.. आह्ह.. शाबाश..
मैंने अपने बड़े और चौड़े चूतड़ों को ऊपर उठा दिए.. ताकि मोनू आराम से चटाई कर सके।
मोनू समझ गया और लपलप चाटने लगा।

मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ, मैंने कस कर मोनू का सर पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी- ओह्ह.. शाबाश मोनू.. चाट.. चाट.. पूरी जीभ डाल दे.. अपनी दीदी की चूत में ऊओह.. ईईसस्सस्स.. हाआनन्न.. ऐसे ही आह.. आह.. आह.. आह.. मैं झड़ने वाली हूँ.. ज़ोर से.. ज़ोर.. ऊऊए ऊऊओईई.. मैं गई गइईई.. इईई.. हान्णन्न् ऊऊईईए माआअमाआ..

और मैंने ज़ोर से अपना पानी मोनू के मुँह पर छोड़ दिया, मोनू जीभ से चाट चाट कर पानी पीने लगा।
झड़ चुकने के बाद मैंने पूछा- कैसा स्वाद लगा?
‘बहुत बढ़िया था दीदी..’

मैंने मोनू को धक्का देकर सीधे लिटा दिया और कहा- चल अब मैं तुझे मज़ा देती हूँ।
मोनू का लंबा लंड तन्नाया हुआ था, मैंने लंड हाथ में लिया.. अपने गुलाबी होंठ गोल किए और लौड़े को किस किया।
मोनू के बदन मैं झुरझुरी से दौड़ गई।
फिर धीरे से लंड की चमड़ी हटा दी.. माय गॉड.. सुपारा बहुत ज्यादा मोटा और चमकदार था.. एकदम टमाटर सा..

मैं जीभ से सुपारे को चाटने लगी.. मोनू सिसकारियाँ लेने लगा। अचानक मैंने पूरा सुपारा मुँह में ले लिया। सुपारा मोटा होने के कारण मेरा पूरा मुँह भर गया।
धीरे-धीरे मैं लंड मुँह में लेने लगी.. लेकिन आधे से ज्यादा अन्दर नहीं ले पाई.. अपने पति का मैं हमेशा पूरा लंड मुँह में लेती हूँ।

उसके लौड़े की गर्माहट से अब मैं फिर से गर्म होने लगी, मैंने अपनी टाँगें मोनू के मुँह के अगल-बगल कर दीं और बोली- तू मेरी चूत चाट।
मोनू तुरंत अपनी जीभ से चाटने लगा और पूरी जीभ चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा और एक उंगली से मेरे क्लिट को सहलाने लगा।

मैंने मोनू का लंड हाथ में कस कर पकड़ा हुआ था।
मैं बोली- तू तो एक्सपर्ट है!
वो बोला- दीदी.. ब्लू-फ़िल्मों में मैंने ऐसा ही देखा है।
मैंने कहा- शाबाश.. तू बहुत होशियार है.. चाट.. चाट.. अपनी रीमा दीदी की चूत को..

मुझे बड़ा मजा आ रहा था, मुझे लगा.. मैं फिर से झड़ने वाली हूँ लेकिन मैं इस बार चूत में लंड घुसवा कर झड़ना चाहती थी, मैंने कहा- मोनू.. बस अब और नहीं सहा जा रहा.. तू जल्दी से अपना लंबा मोटा लंड मेरी चूत में डाल दे.. वरना तेरी रीमा दीदी मर जाएगी।
मैं सीधा लेट गई और मोनू को अपनी टाँगों के बीच आने को कहा।

एक बार तो मैं उसका लंड देख कर सोचने लगी कि जिस चूत में हमेशा इससे कहीं छोटा लंड जाता था.. क्या उसमें आज इतना बड़ा जा पाएगा।
मैंने टाँगें फैला दीं और कहा- मोनू धीरे-धीरे डालना.. तेरा लंड बहुत बड़ा है।

मोनू ने लंड को चूत के छेद पर टिकाया और हल्का सा धक्का दिया.. लेकिन लंड फिसल गया.. उसने फिर कोशिश की लेकिन इस बार भी लंड फिसल गया।
मोनू बोला- रीमा दीदी आपका छेद बहुत छोटा है.. इसमें मेरा लंड नहीं जा पाएगा।
मैंने हँसते हुए हाथ बड़ा कर लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर लगा कर कहा- चल अब धक्का दे..

मोनू ने धक्का लगाया.. इस बार लंड फिसला नहीं.. लेकिन थोड़ा सा अन्दर जाने लगा।
मुझे लगा कि मेरी छूट फट रही है.. उसी तरह जिस तरह पहली बार फटी थी।
मैंने कहा- मोनू थोड़ा ज़ोर से धक्का मार..

उसने ऐसा ही किया और पूरा सुपारा अन्दर जा कर अटक गया और मेरी चीख निकल गई।
मोनू भी चीखा.. बोला- दीदी दर्द हो रहा है..
मैंने कहा- तू पहली बार चोद रहा है.. इसलिए दर्द होता है.. थोड़ी देर बाद बड़ा मज़ा आएगा।

मोनू ने पूछा- लेकिन आप क्यूँ चीखीं?
मैंने मुस्कराते हुए कहा- भोसड़ी के… इतना मोटा लंड किसी की चूत में जाएगा तो चीखेगा ही।

मोनू मेरे मुँह से गाली सुन कर थोड़ा शर्मा सा गया।
मैंने कहा- क्या बात है.. मेरे मुँह से गाली अच्छी नहीं लगी?
वो कुछ नहीं बोला।
हम पति-पत्नी चुदाई के समय बहुत गालियाँ निकालते हैं। इससे मज़ा दुगना हो जाता है।

मैंने कहा- अच्छा.. अब नहीं निकालूंगी।
वो बोला- नहीं.. निकालिए।
मैंने कहा- अच्छा तो साले अब अपनी दीदी की चूत चोदना शुरू कर।
वो हल्के-हल्के धक्के मारने लगा।

इस तरह आधा लंड अन्दर चला गया, मैं तो अब पूरा लंड अन्दर ले कर ही चुदना चाहती थी।
मैंने कहा- मोनू थोड़ी ज़ोर से धक्का मार..
इस बार तो मोनू ने पूरा ज़ोर लगा कर धक्का मारा और इसके साथ ही पूरे का पूरा 7 इंच का लंड मेरी चूत में जाकर फिट हो गया।

मैं चिल्ला उठी- ओए.. तेरी दीदी की चूत में साले पूरा घुसा दिया.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. शाबाश मोनू ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार.. तेरी दीदी की चूत में आज तक इतना बड़ा लंड नहीं गया.. चोद भोसड़ी के चोद अपनी रीमा दीदी की चूत.. बन जा दीदीचोद..

मोनू को जोश आ गया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा, मैंने उसे अपनी चूचियों पर भींच लिया, मोनू मेरी चूचियाँ चूसने लगा.. मैं सातवें आसमान पर उड़ने लगी, मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और नीचे से धक्के मारने लगी।

मैं बोली- मोनू इतना मज़ा तो आज तक कभी नहीं आया.. तू बहुत अच्छा है.. बड़ी अच्छी तरह से अपनी दीदी को चोद रहा है.. अब तू जितने दिन यहाँ रहेगा मैं डेली तुझसे चुदूँगी।

यह सुन कर मोनू और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा, मैं तो बस जन्नत की सैर करने लगी- मोनू बहुत अच्छे.. चोद.. चोद.. चोद आह.. आअहह.. ऐसे ही फाड़ डाल.. अपनी दीदी की चूत.. हाआंन्न.. शाबाश तेरा लंड बहुत जानदार है.. चोद.. साले.. चोद.. मुझे.. ऊऊओईए.. ऊऊईए.. मोनू के बच्चे.. भोसड़ी के.. तेरी दीदी की चूत साले.. कमीने चोद आहह ओह.. ओईए माँ.. ऊऊईए माँ ओईए मैं गई.. मैं गई मोनू आईं झड़ने वाली हूँ।

मोनू बोला- दीदी मेरा भी छूटने वाला है..
मैंने कहा- चोद डाल अपनी दीदी की चूत.. अपने वीर्य से.. भर दे साली को.. कई दिनों से तड़फ़ रही थी..
मैंने कस कर मोनू को छाती से भींच लिया। मोनू के लंड ने मेरी गुलाबी चूत में गरम-गरम फव्वारा सा चला दिया और मैं बहुत ज़ोर से झड़ गई.. आज तक इतनी ज़ोर से नहीं झड़ी थी।

थोड़ी देर मोनू ऐसे ही मेरे ऊपर पड़ा रहा.. फिर धीरे से उठा। मैंने देखा उसका लंड वीर्य से सना पड़ा था और नीचे लटक गया था। उसका लटका हुआ लंड भी मुझे काफ़ी बड़ा लग रहा था।
मैंने दर्पण में अपनी चूत की तरफ़ देखा.. ‘ओह माय गॉड..’ मेरे मुँह से निकल गया.. क्योंकि यह तो बहुत चौड़ी हो गई थी और ढेर सारा वीर्य बाहर आ रहा था।

मैंने मोनू से पूछा- तूने मुठ्ठ कब मारी थी।
उसने कहा- दो महीने पहले.. एक्साम्स की टेन्शन की वजह से इस तरफ ध्यान ही नहीं गया।

मैंने आगे बढ़कर उसे किस किया और कहा- इसीलिए तेरा इतना ज्यादा निकला.. तू हफ्ते में दो-तीन बार हाथ से निकाल लिया कर..
मोनू ने सर झुका लिया..

मैंने हंसते हुए कहा- मोनू सच में आज तूने वो मज़ा दिया है.. जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।
मोनू बोला- मैं भी आज बहुत खुश हूँ मैंने इतनी खूबसूरत अपनी रीमा दीदी को चोदा.. मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि ऐसा कभी होगा।

फिर हम दोनों फ्रेश होकर एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
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