एक भाई की वासना -23

(Ek Bhai Ki Vasna-23)

जूजाजी 2015-08-30 Comments

This story is part of a series:

सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
जाहिरा उठ कर रसोई में चली गई, उसके जाने के बाद फैजान बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आते हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..

फैजान बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
वो रसोई में गया और जाहिरा को बाहर भेज दिया।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
जाहिरा बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
अब आगे लुत्फ़ लें..

मैं- अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..
जाहिरा- भाभीइई..

मैं हँसने लगी।

फिर मैं अपने बेडरूम में आ गई और जाहिरा अपने कमरे में चली गई। मैंने जल्दी से अपनी शर्ट उतारी और फिर अपनी ब्रा भी उतार कर वो झीना सा खुला हुए ड्रेस पहन लिया। मेरी चूचियाँ बड़ी थीं.. तो उस ड्रेस में और भी खुलासा हो रही थीं.. चूचियों के बीच की दरार भी काफ़ी ज्यादा दिख रही थी।

मेरी आधी चूचियाँ तो नंगी दिख रही थी, मैंने वो पहना और बाहर आ गई.. इतने में फैजान भी पिज़्ज़ा गरम करके आ गया।
मुझे देख कर उसने लार टपकाई.. और अपनी आँख दबा दी।

फिर हम दोनों बैठ कर जाहिरा का वेट करने लगे।
जब वो बाहर नहीं आई.. तो मैंने उसे आवाज़ दी- जाहिरा आ भी जाओ अब.. जल्दी से.. पिज़्ज़ा फिर से ठंडा हो रहा है..

तभी जाहिरा ने हौले से दरवाज़ा खोला और बाहर क़दम रखा.. तो हम दोनों की नज़रें उस पर ही थीं। उस छोटी से शॉर्ट सेक्सी ड्रेस में वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी। उस का कुंवारा खूबसूरत गोरा-चिट्टा जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
कदेखने वाले का फ़ौरन ही उसे अपने बाँहों में लेने के लिए दिल मचल जाए..

जाहिरा बेहद शर्मा रही थी.. इससे पहले कि वो चेंज करने के लिए वापिस जाती।
फैजान ने पिज़्जा का बॉक्स खोला और बोला- चलो आ जाओ जल्दी से ले लो..

जाहिरा शरमाती हुई हौले-हौले क़दम उठाते हुई आई और मेरे पास फैजान के सामने ही बैठ गई।

अब हम तीनों ही पिज़्ज़ा खाने लगे।

मैं और फैजान की बहन दोनों ही फैजान के सामने इस तरह अधनंगे हालत में बैठे हुए थे और दोनों के ही खूबसूरत जिस्म.. फैजान पर बिजलियाँ सी गिरा रहे थे।
ुज़ाहिर है कि फैजान की नजरें ज्यादातर अपनी बहन ही को देख रही थीं।

मैं भी इस चीज़ को नोट कर रही थी जैसे ही जाहिरा सामने टेबल पर रखे हुए पिज्जा का पीस उठाने के लिए आगे को झुकती.. तो उसका ड्रेस सामने से नीचे को हो जाता और उसकी खूबसूरत चूचियों की घाटी नज़र आने लगती।

जाहिरा ने अपनी ब्रेजियर नहीं उतारी थी और उस ड्रेस के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा की स्ट्रेप्स बिल्कुल खुली हुई दिख रही थीं।
ुथोड़ी देर बाद फैजान बोला- जाहिरा जाकर रसोई में फ्रिज से कोक निकाल कर ले आओ।

जाहिरा उठी और रसोई की तरफ बढ़ गई। उसकी पीठ पर वो ड्रेस इस क़दर नीचे तक खुला हुआ था कि उसकी ब्रा की पट्टी से भी नीचे तक वो ड्रेस खुली हुई थी।

जाहिरा की ब्रेजियर की पट्टी और उसके हुक बिल्कुल साफ़ नज़र आ रहे थे।

यूँ समझो कि जाहिरा की पीठ पर से उसकी पूरी की पूरी ब्रेजियर बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी। काली ब्रेजियर की अलावा जाहिरा की पूरी की पूरी गोरी-गोरी चिकनी कमर भी बिल्कुल नंगी नज़र आ रही थी। उसकी गोरे-गोरे सफ़ेद कन्धे बिल्कुल ओपन थे.. उस ड्रेस से नीचे उसकी टाइट जीन्स थी.. जिसमें उसकी गोल-गोल चूतड़ बहुत ही अधिक फँस कर बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहे थे।

फैजान बोला- इसकी पिछली तरफ का हिस्सा कुछ ज्यादा ही लो नहीं है क्या?
मैं- हाँ है तो सही.. लेकिन यह असल में बिना ब्रेजियर की पहनने वाली ड्रेस है ना.. जो कि तुम्हारी बहन ने गलती से ब्रा के साथ पहन ली है।

इतने में जाहिरा कोक ले आई, दूर से चल कर आते हुए भी वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।

जाहिरा वापिस आकर दोबारा अपनी जगह पर बैठ गई। पिज़्ज़ा खाते हुए मैंने उससे कहा- जाहिरा.. तुमने यह ड्रेस की नीचे ब्रा क्यों पहनी है.. इसे तो ब्रा के वगैर पहनना होता है.. देखो सारी ब्रा साफ़ नज़र आ रही है।

मेरी बात सुन कर जाहिरा घबरा गई।
फैजान बोला- अरे यार क्यों तंग कर रही हो इसे.. पहली बार तो पहना है उसने यह ड्रेस.. आहिस्ता-आहिस्ता पता चल जाएगा इसे भी.. कि कौन सा लिबास कैसे पहना जाता है।

जाहिरा चुप कर गई.. खाने के बाद हम दोनों ने बर्तन रखे और फिर मैं जाहिरा को पकड़ कर अपने कमरे में ले आई।

उसने बहुत कहा कि वो ड्रेस चेंज करके आएगी.. लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और बोली- जब है ही यह नाईट ड्रेस.. तो रात को ही पहनोगी ना..

मैं उसे उसके कमरे में ले गई और उसे पैन्ट चेंज करके उसे दिया हुआ फैजान का बरमूडा पहनने को कहा। कल रात की बात से मुझे यक़ीन था कि वो ज़रूर पहन कर आएगी.. क्योंकि उसे भी अपने भाई के छूने से आख़िर मज़ा जो आ रहा था।

मैंने अपने कमरे में आकर फैजान के सामने ही खड़े होकर अपनी पैन्ट उतारी और फिर एक बरमूडा पहन लिया। अब मेरा ऊपरी और नीचे का जिस्म दोनों ही बहुत ज्यादा नंगा नज़र आ रहा था।

मैं खामोशी से जाकर फैजान के पास बैठ गई और उससे बातें करने लगी।
फैजान बोला- डार्लिंग आज तुम इस ड्रेस में बहुत ही हॉट लग रही हो।

मैं मुस्कराई और बोली- हॉट तो तुम्हारी बहन भी लग रही है.. लेकिन कहीं उसे ना कह देना ऐसा.. शरमिंदा हो जाएगी। पहले ही बड़ी मुश्किल से मैंने उसे पेंडू माहौल से आज़ाद किया है।
फैजान भी हँसने लगा.. इतने में शरमाती हुई जाहिरा कमरे में आ गई.. जहाँ उसका अपना सगा भाई उसकी आमद का मुंतजिर था।

जाहिरा कमरे में दाखिल हुई तो अभी मैंने लाइट बंद नहीं की थी.. ट्यूब लाइट की सफ़ेद रोशनी में जाहिरा का खूबसूरत चिकना जिस्म चमक रहा था, उसके गोरे-गोरे कंधे और छाती के ऊपर खुले मम्मे बहुत प्यारे लग रहे थे। नीचे उसके गोरे-गोरे बालों से बिल्कुल पाक-साफ़ टाँगें.. घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थीं।
अपने भाई के बरमूडा में जैसे ही वो अन्दर दाखिल हुई.. तो फैजान की नजरें उसी के जिस्म पर थीं।

आज मेरे ज़हन में एक और ख्याल आया था। आज मैंने फैजान से कहा- वो बिस्तर पर हम दोनों के बीच में लेटेगा और हम दोनों तुम्हारे बगल में लेटेंगी।

फैजान और जाहिरा दोनों ही मेरी इस बात को सुन कर हैरान हुए लेकिन फैजान तो फ़ौरन ही बिस्तर पर दरम्यान में होकर लेट गया। मैं उसकी एक तरफ लेट गई और फिर ज़ाहिर है कि जाहिरा को फैजान के दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटना पड़ा।

कुछ मिनटों तक सीधे लेटने के बाद मैंने करवट ली और फैजान के ऊपर अपना बाज़ू डाल कर उसे खुद से चिपकाती हुए लेट गई।

मैंने अपनी एक टाँग भी फैजान के ऊपर उसकी टाँगों पर रख दी। जाहिरा भी सीधे ही लेटी हुई थी.. और यह सब देख रही थी।

मैं आहिस्ता-आहिस्ता फैजान के गालों पर जाहिरा की तरफ से हाथ फेर रही थी और कभी उसकी नंगे कन्धों पर हाथ फेरने लगती।
मैं जाहिरा को भी और फैजान को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं फैजान को गरम कर रही थी।
मैं अपनी जाँघों के नीचे फैजान के लंड को आहिस्ता आहिस्ता सहला भी रही थी।

कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. हस्ब ए मामूल और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।
मैं अपना हाथ फैजान की छाती पर ले आई और आहिस्ता आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी।

मेरा हाथ सरकता हुआ फैजान की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो फैजान मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग जाहिरा है.. इधर देख लेगी वो..

आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top