वरिन्द्र सिंह

Indian Sex Story on Hindi Sex at zolotayaribkaclub.ru Read my Indian Sex Stories

होली आई रे, खुशियाँ लाई रे

उफ़्फ़ ! जब उसने अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर फेरी तो मेरे तो बदन में जैसे बिजलियाँ दौड़ गई। मैंने अपनी दोनों जांघों में उसका सर दबा लिया और अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर फिराने लगी।

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भोला पंछी

मैं चुपके से उसके पास गई, धीरे से उसके पायजामे का नाड़ा खोला। पायजामे के नीचे उसने चड्डी पहन रखी थी, मैंने उसकी चड्डी हटाई तो अंदर कुल्हाड़ी के दस्ते जैसा मोटा लम्बा लण्ड खड़ा था।

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मेरे एक चाहने वाले का कारनामा

मैंने अपनी ओर ध्यान दिया तो पाया कि नाईटी के नीचे खिसक जाने से मैं तो ऊपर से लगभग नंगी ही लग रही थी। मेरी गोल-मटोल, गोरी-गोरी चूचियों के सिर्फ निप्पल ही ढके थे बाकी ऊपर का सारा बाहर झाँक रहा था।

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