घर के लौड़े-1
(Ghar ke Laude-1)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_right घर के लौड़े-2
-
View all stories in series
हाय दोस्तो, आपकी दोस्त पिंकी दोबारा आप लोगों के मनोरंजन के लिए एक नई कहानी लेकर आ गई है।
दोस्तो, इतने दिन गायब रहने के लिए मैं आपसे माफी चाहती हूँ मगर क्या करूँ मेरे साथ एक दुर्घटना हो गई थी, इसलिए डॉक्टर की सलाह पर बिस्तर पर पड़ी पड़ी आराम कर रही थी।
इसी दौरान मेरे एक दोस्त ने मुझे ईमेल किया कि उसको मुझसे मिलना है।
मैंने कहा- मिलना तो मुश्किल है हाँ फ़ोन से बात हो सकती है।
मैंने उससे फ़ोन पर बात की, तब उसने कहा कि उसके साथ जो घटना घटी है, वो सबके साथ बांटना चाहती है।
इसलिए उसने मुझ से निवेदन किया- प्लीज़ मेरी आप मेरी घटना को कहानी के रूप में लिख दो।
तो आज मैं आपके सामने उसकी कहानी लेकर आई हूँ, मुझे उम्मीद है कि आपको मज़ा आएगा।
दोस्तो, हमेशा की तरह मैंने इसमें थोड़ा मसाला ही मिलाया है ताकि आप सबको सेक्स का भरपूर आनन्द मिले।
तो आइए रानी की कहानी उसी की ज़ुबानी आपको सुनाती हूँ।
हाय दोस्तो, मैं रानी हूँ, मेरी उम्र 20 साल है मेरा रंग गोरा है और लंबे बाल हैं। मेरे होंठ पतले हैं और ऊपर के होंठ के दाहिनी ओर एक तिल है।
मेरी सहेलियां कहती हैं कि उस तिल से मेरी सुंदरता में चार चाँद लग गए हैं।
मेरे चूचे अभी 36 इन्च के हो गए हैं। मेरी कमर 32 इन्च की है और मेरे चूतड़ बहुत ज़्यादा बाहर को आ गए हैं।
क्या करूँ सभी मेरी गाण्ड में ही लौड़ा डालने को मरते हैं, इसलिए मेरी गाण्ड उभर कर बाहर को आ गई है।
आज मेरी ये हालत है कि मेरी चूत और गाण्ड में गधे का लौड़ा भी घुस जाए क्योंकि वक़्त और हालत ने मुझे इतनी बड़ी चुदक्कड़ बना दिया है कि मैं आपको क्या बताऊँ।
मैं एक सीधी-सादी लड़की थी पर जब आप कहानी पढ़ेगे तो सब जान जाएंगे कि कैसे हवस के पुजारियों ने मेरी जिंदगी बर्बाद की है।
अब आपको ज़्यादा बोर नहीं करूँगी, चलो सीधे मेरी बर्बादी की दास्तान आपको सुनाती हूँ।
यह बात 14 जून 2006 की है, जब मैं कमसिन थी, मेरे पापा की बीमारी के कारण मौत हो गई थी तो माँ एकदम टूट सी गई थीं।
उनका बस मैं ही अकेली सहारा थी।
इस हादसे ने हमारी जिंदगी बदल थी, पैसों की तंगी रहने लगी थी, तब हमारे दूर के रिश्तेदारों ने माँ पर दबाव डाला कि वो दूसरी शादी कर लें। मगर माँ न मानी, मगर वक़्त के साथ माँ भी टूट गईं और आख़िर एक साल बाद माँ ने दूसरी शादी कर ली।
मेरे नए सौतेले पापा शराबी थे, उनके दो बेटे थे जो करीब मेरी ही उम्र के थे या शायद मुझसे थोड़े बड़े थे।
शुरू में तो सब ठीक तक चलता रहा मगर साल भर में ही पापा माँ को मारने लगे और वे मुझे भी पसन्द नहीं करते थे सो मेरी पढ़ाई भी बन्द हो गई थी।
मेरे दोनों भाई भी हमेशा मुझे मारते रहते थे, घर का सारा काम हम माँ-बेटी मिल कर करती थे और धीरे-धीरे माँ टूट सी गई और बीमार रहने लगी।
आख़िरकार 12 फरवरी 2010 को माँ भी मुझे छोड़ कर चली गईं। अब तो मुझ पर ज़ुल्म बढ़ने लगे। मैं भी धीरे-धीरे इनकी मार की आदी हो गई।
सॉरी दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि यह तो पका रही है, मगर क्या करूँ ये सब कुछ सत्य है और आपको इसके बारे में बताना जरूरी भी है।
अब आपको मेरी चुदाई की कहानी बताती हूँ।
8 सितम्बर 2010 को मेरा जन्मदिन था अब कौन मेरा जन्मदिन मनाता, कहाँ नए कपड़े थे, कहाँ पार्टी थी और कहाँ प्यार.. बस मैं काम में पिस रही थी।
उस दिन तक मैं पूरी जवान हो गई थी। मेरे सीने के उभार दिखने लगे थे। मेरा सौतेला भाई अजय जो 18 साल का था, अक्सर मुझे मारने के बहाने मेरे चूतड़ों को दबा देता तो कभी मेरे सीने पर हाथ रख देता था।
दोपहर को मैं छत से कपड़े उतारने गई तो अजय वहाँ आ गया और मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। उस वक़्त मैंने एक पुरानी सी सलवार-कमीज़ पहनी हुई थी, दुपट्टा मैंने एक तरफ रख दिया था।
आपको बता दूँ मैं हमेशा दुपट्टा ही अपने सीने पर रखती हूँ।
अजय- अरे रानी, आज ये दुपट्टा तूने एक तरफ क्यों रखा है नहीं तो इसके बिना तू रहती ही नहीं है?
रानी- वो क्या है ना भाई, आज मुझे गर्मी लग रही है इसलिए मैंने सोचा छत पर हवा अच्छी आ रही है, थोड़ी हवा खा लूँ।
अजय- अरे मेरी रानी, बहना आज तो मस्त लग रही हो आओ आज तुम्हें एक चीज दिखाता हूँ।
अजय ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे घूरने लगा।
मुझे अच्छा नहीं लगा तो मैं घूम गई। तभी वो मेरे पीछे चिपक गया।
रानी- भाई क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे प्लीज़…
मैंने उसको हटाने की लाख कोशिश की, मगर वो माना नहीं और छत पर बने कमरे में मुझे जबरदस्ती ले गया।
वहाँ वो मेरे होंठ चूसने लगा और एक हाथ से मेरी गाण्ड सहलाने लगा।
मैं छटपटा रही थी मगर वो मेरी एक ना सुन रहा था इतने में विजय जो मेरा बड़ा भाई है, वो आ गया, वो करीब 20 साल का था।
विजय- क्या हो रहा है यहाँ?
अजय- क.. क.. कुछ नहीं भाई.. देखो ये रानी है.. मुझसे चिपक रही है.. पता नहीं क्या चाहती है?
रानी- न.. न.. नहीं भाई.. अजय झूठ बोल रहा है।
अजय ने झट से मुझे एक थप्पड़ मारा।
अजय- चुप साली मुझे झूठा बोलती है.. भाई इसने खुद ही मुझे यहाँ बुलाया और मुझसे चिपक गई। मुझसे बोल रही है, मुझे गर्मी लग रही है।
विजय ने मुझसे पूछा- क्या अजय सही बोल रहा है?
रानी- वो तो दुपट्टे की बात पर मैंने कहा था, मगर मेरा मतलब ऐसा कुछ नहीं था।
विजय- अच्छा यह बात है साली छिनाल हमने सोचा तू जैसी भी है हमारी बहन है.. तुझे खाना देते हैं मगर तू तो पता नहीं किसका गंदा खून है.. रुक आज मैं तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा और तेरे सारे मतलब पूरे कर दूँगा।
रानी- भाई प्लीज़.. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…
पर असल में तो मैं सब समझ रही थी कि ये दोनों भाई मुझे चोदने के ख्याल से यह नौटंकी कर रहे हैं। जवान तो मैं भी हो चुकी थी, मेरे बदन में भी वासना की अग्नि तो उठती ही रहती थी, कहीं मेरे अन्तर्मन में भी कुछ तमन्ना थी नर-नारी के तन के मिलन का मज़ा लेने की, पर मैंने विरोध तो करना ही था ना अपने सौतेले भाइयों की हरकतों का।
अजय वहाँ खड़ा मुस्कुरा रहा था और विजय से नजरें चुरा कर मुझे चिढ़ा रहा था।
विजय- अजय तू नीचे जा और ऊपर मत आना.. आज मैं इसको बताता हूँ कि मैं क्या चीज हूँ।
अजय वहाँ से चला गया और विजय ने मुझे कपड़े निकालने को कहा।
मेरे मना करने पर विजय ने मेरे कपड़े फाड़ दिए। मैं एकदम नंगी हो गई क्योंकि उस वक़्त मुझे कौन ब्रा-पैन्टी लाकर देता.. बस पुराने कपड़े ही नसीब में थे।
अब मैं एकदम नंगी दीवार के पास खड़ी थी, मेरे बेदाग गोरे बदन को देख कर भाई की आँखों में चमक आ गई थी।
मेरे मम्मे उस वक्त कोई 28 इन्च के रहे होंगे।
भाई की पैन्ट में तंबू बन गया था, उनका लौड़ा मेरे जिस्म को देख कर फुंफकार मार रहा था।
विजय- वाह.. साली तू तो बड़ी ‘हॉट-आइटम’ है.. तभी तुझमें गर्मी ज़्यादा है.. आजा आज तेरी सारी गर्मी निकाल देता हूँ।
रानी- नहीं भाई.. प्लीज़ मुझे जाने दो.. मैं आपकी बहन हूँ प्लीज़…
विजय- चुप साली.. छिनाल की औलाद.. तू कहाँ से मेरी बहन हो गई.. हाँ.. आज तुझे अपनी बीवी जरूर बनाऊँगा।
इतना बोलकर भाई मुझ पर टूट पड़ा। मेरे होंठों को चूसने लगा, मेरे मम्मों को दबाने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था मगर उस पर भूत सवार था, वो कहाँ मानने वाला था। मैंने उससे छूटने की कोशिश की, उसको गुस्सा आ गया और वो मेरे गाल पर थप्पड़ मारने लगा।
विजय- क्या हुआ.. साली अब आया समझ में.. कुतिया बहुत नाटक कर रही थी।
इतना बोल कर भाई अपने कपड़े निकालने लगा। धीरे-धीरे वो पूरा नंगा हो गया, उसका 6 इन्च का लौड़ा एकदम तना हुआ मेरी आँखों के सामने लहरा रहा था।
मैं घबरा गई और जल्दी से पलट गई यानि पेट के बल लेट गई।
विजय- अरे वाह.. तेरी गाण्ड तो बड़ी मस्त है.. साली आज इसी का मुहूर्त करूँगा।
इतना बोलकर वो बिस्तर पर चढ़ गया और मेरे मम्मे दबाने लगा, अपनी ऊँगली से मेरी गाण्ड के छेद को खोलने लगा।
मैं थोड़ी कसमसाई तो उसने ज़ोर से मेरी गाण्ड पर मार दिया, मैं दर्द के कारण सिहर गई।
अब मुझे समझ आ गया था कि यह हरामी मुझे पीछे से ही चोदने वाला है, इसकी मार खाने से अच्छा है अब चुपचाप पड़ी रहूँ।
भाई ने काफ़ी देर मेरे चूतड़ सहलाए अब मैं चुप पड़ी थी उसने अपने लौड़े पर ढेर सारा थूक लगाया और मेरे छेद पर भी थूक लगाया।
विजय- हाँ.. अब आई ना लाइन पर बस ऐसे ही चुपचाप पड़ी रह.. नहीं तो मार खाएगी.. आहह.. क्या मस्त गाण्ड है। अब अपना बदन ढीला छोड़ दे.. मैं लौड़ा डाल रहा हूँ अगर जरा भी हिली ना तो तेरी खैर नहीं…
भाई ने लंड की टोपी गाण्ड के छेद पर रखी और ज़ोर से एक धक्का मारा.. एक ही बार में आधा लौड़ा मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
रानी- आआ.. उईईई माआ..मर गई.. आआआ आह.. भाई आह.. मेरी जान निकल रही है.. आह निकाल.. लो..
विजय कहाँ मानने वाला था उसने एक और जोरदार झटका मारा अबकी बार पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड की गहराइयों मैं खो गया और मेरा दर्द के मारे बुरा हाल हो गया।
मैं चीखती रही वो झटके मारता रहा.. मज़ा लेता रहा।
विजय- आ उह..साली तेरी गाण्ड तो बड़ी मस्त है.. आह मज़ा आ गया उह ले आह उह उह उफ़ क्या कसी गाण्ड है.. आह आह आह…
मैं चिल्लाती रही.. 20 मिनट तक वो मेरी गाण्ड मारता रहा और आख़िरकार उसके लौड़े ने लावा उगल दिया, जो मेरी गाण्ड के कोने-कोने में समा गया।
कहानी जारी है।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
What did you think of this story??
Comments