विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-44
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-44)
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दीपाली- अरे मेरे आशिक.. तेरी किस्मत में आज भी मेरी चूत नहीं लिखी.. जा मैडी से मिल.. उसका कल का प्लान पता कर.. नया बदलाव में फ़ोन पे बता दूँगी तुम्हें ओके…
दीपक- मेरी जान अब कोई टेन्शन नहीं है.. जब चाहूँ तुझे चोद लूँगा.. फिलहाल तो मैं जाता हूँ.. उस हरामी सोनू के रहते मैं कोई ख़तरा मोल नहीं ले सकता.. तुम दोनों यहीं रहो.. मैं जाता हूँ.. जल्दी आने की कोशिश करूँगा।
दीपक के जाने के बाद दीपाली आराम से बिस्तर पर लेट गई।
दीपाली- आह.. बड़ा सुकून मिल रहा है आज तो कमर दुखने लगी।
प्रिया- तू तो सर के लौड़े से चुद कर आई है मेरी चूत की हालत खराब है.. ये सोनू कुत्ता भी ऐन मौके पर आ गया.. नहीं तो दीपक क लौड़े से अब तक मेरी चूत ठंडी भी हो जाती।
दीपाली- शुक्र कर.. कुछ शुरू होने के पहले वो आ गया.. नहीं तो तुम दोनों को भारी पड़ जाता और दीपक के साथ वो भी अभी तेरी चूत के मज़े ले रहा होता।
प्रिया- लेता तो ले लेता.. मगर मेरी चूत की आग तो शान्त हो जाती.. अब पता नहीं दीपक वापस आएगा भी या नहीं…
दीपाली- मैंने तो तुझे कहा था सर के लौड़े से चुद ले.. मगर तू नहीं मानी.. क्या मज़ा आया आज.. बेचारे मुझे रोक रहे थे.. मैं ही ज़बरदस्ती आई हूँ.. सोचा था कि आज दीपक के लौड़े से भी चुद कर देख लूँ.. उसमें कैसा मज़ा आता है.. मगर यहाँ तो तू ही सूखी बैठी है.. चल निकाल कपड़े.. मैं ही तेरी चूत चाट कर तुझे मज़ा देती हूँ.. क्या याद करेगी कि किस से पाला पड़ा है।
प्रिया- अरे चाट ले मेरी जान.. तू चाट कर बड़ा मज़ा देती है.. तूने तो आज बड़े पोज़ बदल-बदल कर चुदाई करवाई सर से.. अब मेरी चूत भी चाट कर मज़ा दे मुझे।
दीपाली- हाय.. तुझे कैसे पता.. मैं सर से कैसे चुदी..?
प्रिया- अंदाज लगाया यार.. अब सर तेरी जैसी कली को चोदेंगे तो पोज़ बदल बदल कर ही चोदेंगे ना…
दीपाली- ओह.. अच्छा चल हो ज़ा नंगी.. अभी तुझे आराम देती हूँ…
प्रिया ने जल्दी से कपड़े उतार दिए और बिस्तर पर चित्त लेट गई।
प्रिया- अरे तू भी निकाल ना अपने कपड़े…
दीपाली- नहीं.. मैं नहीं निकालूंगी.. तुझे मजा देती हूँ.. मेरा अभी मन नहीं है।
प्रिया- ओके ओके.. चल आ जा यार.. चूत में बड़ी खुजली हो रही है…
दीपाली अपने काम में लग गई.. प्रिया आहें भरने लगी और चूत चटाई का मज़ा लेने लगी।
दोस्तो, दीपक जब बाहर गया.. तो क्या हुआ चलो देखते हैं।
सोनू घर के बाहर ही खड़ा था.. जब दीपक आया.. उसके चेहरे पर सवाल आ गया कि दीपक मेन गेट से बाहर आया है यानि वो दीपाली से मिलकर आ रहा है।
दीपक- अबे साले.. ऐसे क्या घूर कर देख रहा है.. चल अब..
सोनू- अरे कुछ नहीं सोचा मेरे बाप.. अब मैं जाता हूँ.. मगर जाने के पहले बस एक बार दीपाली को देख लूँ.. मेरे मन को तसल्ली मिल जाएगी।
सोनू- वो दोनों तो अन्दर हैं क्या बात हुई दीपाली से मिले क्या तुम…?
दीपक- अबे साले सारे सवाल यहीं पूछ लेगा क्या.. प्रिया उसको समझा रही है.. काम बन जाएगा.. चल चाय पीकर आते हैं.. वो साले मैडी को भी बुला लेंगे मिलकर बात करेंगे।
दोनों वहाँ से चल पड़ते हैं.. अभी थोड़ी दूर ही गए होंगे कि सोनू के पापा रास्ते में मिल गए और कुछ जरूरी काम है बोलकर सोनू को अपने साथ ले गए।
दीपक ने कहा- शाम को मिलते हैं।
उनके जाने के बाद दीपक ने अपने आप से बात की।
दीपक- चल बेटा दीपक.. साला कबाब में हड्डी चला गया.. अब तो दीपाली भी आ गई है आज साली की चूत का मज़ा ले ही लूँ।
दीपक जाने लगा तो प्रिया के पापा यानि दीपक के चाचा उसे दिखाई दे गए और वो वहीं रुक गया।
दीपक- अरे अंकल आप कहाँ से आ रहे हो?
अंकल- तेरा कोई पता ठिकाना भी है क्या.. बेटा कितने समय से तेरे पापा के पास बैठ कर आया हूँ.. वो दरअसल मैं और तेरी चाची प्रिया की नानी से मिलने जा रहे हैं.. उनकी तबीयत खराब है.. शाम को जाएँगे.. प्रिया के
इम्तिहान हैं तो उसको नहीं ले जा रहे हैं.. तेरे पापा को बोलने गया था उसे अपने पास रख ले।
दीपक- ओह.. आप बेफिकर होकर जाओ हम है ना.. प्रिया को संभाल लेंगे…
चाचा- हाँ बेटा सही है.. अच्छा चलता हूँ.. शाम को मिलेंगे अभी थोड़ा काम है…
दीपक की ख़ुशी दुगनी हो गई.. प्रिया भी रात को उसके घर रहेगी.. वो तेज रफ़्तार से सुधीर के घर की ओर जाने लगा।
आपको याद नहीं तो मैं याद दिला दूँ.. दीपक के जाने के बाद वो दोनों बिना मुख्य दरवाजे को लॉक किए ही मस्ती में लग गई थीं।
दीपक जब आया दरवाजे की घन्टी बजाने के पहले उसने दरवाजे को हाथ लगाया तो वो खुल गया।
उसे दोनों पर बड़ा गुस्सा आया.. वो अन्दर आया.. दरवाजा लॉक किया और कमरे की तरफ़ बढ़ गया।
प्रिया- आ आहह.. ज़ोर से चाटो.. उई मेरा पानी निकलने वाला है अई अई..
दीपाली भी रफ़्तार से चूत को चाटने लगी और साथ-साथ ऊँगली से चूत के ऊपर रगड़ने लगी।
प्रिया का बाँध टूट गया और वो झड़ गई।
दीपाली ने सारा रस चाट कर चूत को साफ कर दिया।
ये नजारा देख कर दीपक के लौड़े में तनाव आ गया और उसने पैन्ट निकाल दी।
प्रिया- अरे भाई.. आप कब आए पता भी नहीं चला।
दीपक- तुम दोनों ने दरवाजा बन्द क्यों नहीं किया.. कोई और आ जाता तो.. और तुमको ऐसी हालत में देख लेता तो?
दीपाली- दूसरा यहाँ कौन आएगा और आ भी जाता तो उसको भी चूत का स्वाद मिल जाता.. यार तेरा तो क्या मस्त लौड़ा खड़ा है। दीपाली उठकर दीपक के पास आ गई और लौड़े को हाथ में ले लिया।
दीपक- साली.. मैं समझता था अपने भाई के बारे में सोचने वाली मेरी बहन ही रंडी है.. मगर तू उससे बड़ी रंडी निकली.. कोई आ जाता तो उसको भी स्वाद मिल जाता.. ऐसा बोलकर तूने साबित कर दिया.. कि तू भी रंडी है।
दीपाली- हा हा हा रंडी.. और तू क्या है.. तुझे पता है? कल तक मुझे चोदना चाहता था.. कुत्ते की तरह मेरे आगे-पीछे घूमता था और अब तक तुझे मेरी चूत नहीं मिली.. तूने शुरूआत भी की तो अपनी बहन के साथ छी: छी:.. तू तो कितना बड़ा बहनचोद है।
प्रिया- दीपाली बस भी करो.. बार-बार ये बात भाई को बोलकर गुस्सा मत दिलाओ.. नहीं तो आज तुम्हारी चूत की खैर नहीं.. गुस्से में ये बड़े ख़तरनाक तरीके से चोदते हैं।
दीपाली- अच्छा.. ये बात है.. चल आज देख ही लेती हूँ.. तेरे भाई का जोश…
इतना बोलकर दीपाली उसका लौड़ा चूसने लगी अपने होंठों को भींच कर सर को हिलाने लगी दीपक की तो बोलती बन्द हो गई.. बस मज़े में आँखें बन्द किए खड़ा लौड़ा चुसवाता रहा।
दीपाली को देख कर प्रिया में भी जोश आ गया और वो भी उसके पास आकर दीपक की गोटियां चाटने लगी।
दो कमसिन कलियां अपना जादू चला रही थीं और दीपक आनन्द की अलग ही दुनिया में चला गया था।
दीपक- आहह.. उफ़फ्फ़ साली आहह.. सच में तुम दोनों ही ज़बरदस्त चुदक्कड़ हो आहह.. चूसो उफ़ मज़ा आ गया आहह…
प्रिया ने दीपाली के मुँह से लौड़ा निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया। दीपाली ने उसकी गोटियाँ पूरी मुँह में ले लीं और ज़बरदस्त चुसाई शुरू कर दी।
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दीपक- आहह.. अइ बस भी करो आहह.. पानी निकालने का इरादा है क्या आहह.. साली अभी मुझे तेरी चूत का स्वाद भी चखना है।
दीपाली- अच्छा तो रोका किसने है.. चख लेना पहले तेरे लौड़े का रस तो पिला दे.. उसके बाद जो चाहे कर लेना…
दीपक- आहह.. ठीक है जान.. आहह.. ले चूस आहह.. प्रिया इसे चूसने दे आहह.. तूने तो एक बार मेरा रस पिया है ना.. आज इसे पीने दे आहह.. चूसो…
प्रिया ने लौड़ा मुँह से छोड़ दिया.. दीपाली झट से लौड़े पे टूट पड़ी.. प्रिया भी उसके पास ही बैठी रही।
दीपक ने दीपाली के सर को पकड़ लिया और उसके मुँह में दनादन लौड़ा पेलने लगा।
दीपक- आ आहह.. मज़ा आ रहा है आहह.. साली तेरा मुँह भी किसी चूत से कम नहीं आहह.. उफ़ चूस आहह.. साली रंडी.. आहह.. तू क्या देख रही है मेरे टट्टे चूस.. आहह.. पानी तो इनमें ही तो भरा हुआ है आहह.. चाट…
प्रिया भी उसकी टाँगों के बीच घुस कर गोटियाँ चाटने लगी।
वो रफ़्तार से दीपाली के मुँह को चोद रहा था और प्रिया की जीभ उसकी गोटियों को चाट रही थी..
कब तक वो इन दो कमसिन कलियों के आगे टिका रहता.. उसका लौड़ा फूलने लगा और उसने पूरा लौड़ा दीपाली के मुँह में घुसा कर झड़ना शुरू कर दिया।
दीपक- आह उफ़फ्फ़ कितना हसीन पल है ये उफ़ आहह.. मज़ा आ गया…
दीपक के लौड़े ने दीपाली के गले तक पानी की पिचकारी मारी और वो सारा वीर्य गटक गई।
अब उसने लौड़ा मुँह से निकल जाने दिया.. उसके मुँह में अभी भी थोड़ा वीर्य था जो उसने अपनी जीभ की नोक पर रख लिया प्रिया ने झट से उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसा और बाकी वीर्य वो पी गई।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है, आप मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं!
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए…
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