जोधपुर की कुंवारी लड़की-3

(Jodhpur Ki Kunvari Ladki- Part 3)

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सभी खड़े लंड और टपकती चुत को मेरा प्रणाम! मुझे विश्वास है कि आपको मेरी प्रेमिका की चुत चुदाई कहानी पसंद आ रही होगी। हो सकता है कुछ लोगों को मेरी गति पसंद न आये, पास सबका अपना अपना टेस्ट होता है। मेरी कहानी रसिया किस्म के लोगों को जरूर पसंद आएगी, यह मेरा विश्वास है।

खैर आगे बढ़ते हैं प्रेमिका के साथ सेक्स की कहानी में:
अभी तक कहानी के पिछले भाग
कार में लंड चुसाई की कहानी
फार्म हाउस में मस्ती
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अर्पिता को फार्म हाउस पर ले जा कर दो घंटे लम्बा फोरप्ले किया, अभी तक लंड चूत का मिलन नहीं हुआ था, पर उसके बाद भी चेहरे पर एक तृप्ति थी, हम दोनों अभी तक के आपने सफ़र से खुश थे और खाना खा रहे थे।

हम दोनों एक साथ खाना खा रहे थे। शायद स्कूल के बाद यह पहला मौका है जब हम साथ खा रहे थे। पर तब खाने में वासना का तड़का नहीं था जो आज है।
दोनों प्यार से खा और खिला रहे थे। उसके नरम नरम हाथों से खाना खाने का मजा ही कुछ और है, उसके मेहन्दी लगे हाथ से जैसे खाने का जायका और भी बढ़ गया।

मेहंदी से याद आया, इस कहानी में मुझे एक सरप्राइज भी मिला अर्पिता की तरफ से, खैर वो अभी आपके लिए भी सरप्राइज है।

अर्पिता ने खाने में से गुलाबजामुन के कुछ पीस अलग रख लिए, मैंने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

खाने के साथ साथ हम दोनों ने कुछ दारू भी पी एक ही गिलास से बारी बारी से, जब वो ड्रिंक करती तो उसकी लिपस्टिक से ग्लास पर निशान बन जाता और मैं उसी जगह से पीता था।
हालाँकि हम दोनों ही रेगुलर ड्रिंकर नहीं हैं, और उसका तो तीसरी या चौथी बार ही था। और मुझे तो किसी और चीज़ से नशा करना था।
हम दोनों आँखों ही आँखों से एक दूसरे का रसपान कर रहे थे, कुछ बातचीत भी हो रही थी।

खाना खाने के बाद कुछ देर में हमको दारू का सुरूर चढ़ने लगा, आँखों ही आँखों में इशारा हुआ और हम दोनों फिर एक बार एक दूसरे की बांहों में आ गए.
अर्पिता- इस बार प्लीज मत तड़पाना, मैं नहीं सहन कर पाऊँगी!
“मेरी जान, इस तड़प का मजा ही कुछ और है, क्यों मजा नहीं आया?”
अर्पिता- पर इतना तड़पाना भी अच्छा नहीं होता।
“अच्छा बाबा नहीं तड़पाऊँगा.”
अर्पिता- आई लव यू!
“आई लव यू टू”

अर्पिता- आज तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है!
“वैसे तो तुम खुद मेरे लिए सरप्राइज हो, पर फिर भी बताओ न क्या है?”
अर्पिता- तुम्हें खुद पता चल जायेगा थोड़ी देर में!
इतना कह कर वो मेरे एकदम करीब आ गयी, और हमारे होंठ आपस में एक दूसरे में समा गए।

हम दोनों एक बार फिर प्यार से समंदर में गोते लगाने लग गए। मैंने उससे उठाया और गोद में भर लिया, किस करते हुए उससे बेडरूम में ले आया और बेहताशा किस करने लगा, उससे उल्टा लेटा कर मैं उसके ऊपर आ गया और पीठ पर किस करने लगा, दांतों से पकड़ कर उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी और जब अर्पिता पलटी तो मैं देखता ही रह गया।

उसके मम्मे एकदम गोल गोल थे, ज्यादा बड़े नहीं, पर इतने छोटे भी नहीं, एकदम नाप टोल के सांचे में ढले हुए। बायें स्तन पर एक काला तिल था, क्या बताऊँ दोस्तो, वो किसी भी आदमी को पैन्ट में ही झड़ने को मजबूर करने को काफी था, और उस पर उसे निप्पल, लाल रंग की, इस रंग की निप्पल मैंने पहली बार अपनी जिंदगी में देखी थी, वैसे पोर्न साइट्स पर देखी थी पर मुझे लगता था वो सब कलर किया हुआ होगा या कोई कैमरा ट्रिक!
कुल मिला कर बोलूं तो एक बार तो मैं खो सा गया.

अर्पिता ने चुटकी बजा कर मुझे जगाया और बोली- ये सब तुम्हारे लिए है! आओ इन्हें चूसो, दबाओ, मसल दो… इस बार कपड़ो के ऊपर से नहीं सीधे मसल दो।
मैंने कहा- मुझे सरप्राइज बहुत पसंद आया!

अर्पिता- हँ… ये सरप्राइज नहीं है! ये तो हमेशा तुम्हें ऐसे ही मिलेंगे.

अब मैं आश्चर्य में था कि सरप्राइज क्या हो सकता है?
फिर मैंने सोचा कि जो भी हो… देखेंगे, अभी तो इन मखमली स्तनों को निचोड़ा जाये!
और बस टूट पड़ा उन स्तनों पर, चूसने लगा, काटने लगा, मसलने लगा, जैसे कोई बरसों से भूखा आदमी खाने पर टूट पड़े।

इधर अर्पिता की सिसकारियाँ मुझे और उकसा रही थी, वो जितनी मादक सिसकारियाँ निकालती, मैं उतना ही ज्यादा जोर से चूसने, कभी उसके होंठ चूमता, कभी उसका गला, कभी स्तन!

मेरे हाथ भी अपने काम पर पर लगे हुए थे, वो कभी इस स्तन को तो कभी दूसरे को दबाते, इसी कशमकश में एक वक़्त ऐसा आया जब हम दोनों अर्पिता के स्तनों को चूस रहे थे, मतलब मैं और अर्पिता एक दूसरे को किस भी कर रहे थे और स्तन भी चूस रहे थे।
इतने में अर्पिता ने मेरी जीन्स के बटन खोल दिए और मैंने उसके… अब हम दोनों सिर्फ पैन्टी और अंडरवियर में थे. उसने मेरी अंडरवियर भी उतार दी, और किसी भूखी शेरनी की तरह मेरा लंड चूसने लगी।

पिछली बार जितना आराम से कर रहे थे, इस बार उतना ही जोश से, मैं भी उसके कंठ के अन्दर तक लंड उतार रहा था, झांटें साफ़ कर रखी थी मैंने, इसीलिए वो मेरे अंडकोष भी मुंह में ले लेती।
फेसबुक पर बात करते हुए हम दोनों ने बता दिया था एक दूसरे को कि हमें बाल पसंद नहीं… तो हमने साफ़ पहले ही कर लिए थे।

अब मेरी बारी थी, मैं उसकी चूत के पास आया और चूत के आस पास किस करने लगा, पैन्टी को दांतों से पकड़ा और धीरे धीरे नीचे करने लगा।
जैसे ही मैंने पैन्टी नीचे की, मेरा सरप्राइज मेरा इंतज़ार कर रहा था।
नहीं… अर्पिता की चूत कोई सरप्राइज नहीं था क्योंकि चूत तो अपनी जगह ही होगी, उसमें कैसा सरप्राइज?

सोचिये… जरा दिमाग लगाइए… क्या हो सकता है।
कुछ ऐसा जिसे मैंने उससे पहले और उसके बाद कभी नहीं देखा!

एक बार फिर सरप्राइज देख कर मैं ठगा सा रह गया, एकदम स्तब्ध, निर्जीव की भांति।
चलो दोस्तो, बता देता हूँ:
पैन्टी उतारते ही जो नज़ारा मेरे सामने था, उसका बयान करना मुश्किल है पर मैं पूरी कोशिश करूँगा उसी शिद्दत से… और अपने शब्दों को उसी मदहोशी से बयान कर सकूँ जो मैंने महसूस किया.

जैसे ही मैंने पैन्टी उतारी, सामने उसकी एकदम सुर्ख गुलाबी चूत थी, गोरे गोरे बदन पर एक हल्की सी लकीर… और मैं उस लकीर का फ़क़ीर… उसे एक तक देखता जा रहा था.
चूत पर एक भी बाल नहीं, मानो कभी थे ही नहीं।
उत्तेजना की वजह से चूत का दाना उभर कर बाहर आ रहा था और उत्तेजना के वजह से गीली हुई चूत चमक रही थी, जैसे अपने पास बुला रही हो और कह रही हूँ कि ‘आओ मुझ में समा जाओ।’
और अब मेरे सरप्राइज की बारी थी, अर्पिता ने अपनी चूत के आस पास मेहंदी से डिजाईन बना रखी थी, एक बहुत मस्त डिजाइन जिसके बीच में लिखा था- आई लव यू!
डिजाईन कुछ इस तरह थी कि love O की जगह चूत थी, मतलब लिखा हुआ था I L VE YOU

अर्पिता- सरप्राइज पसंद आया?
एक मीठी से आवाज से मेरी तन्द्रा टूटी- ये मेरी तरफ से तुम्हारा बिर्थ डे गिफ्ट, बिलेटेड ही सही, पर मैंने सोचा इससे अच्छा गिफ्ट नहीं होगा!
मैंने कहा- बहुत पसंद आया, इससे अच्छा गिफ्ट कोई हो ही नहीं सकता और गिफ्ट की पैकिंग (मेहन्दी डिजाईन) का तो कहना ही क्या!
अर्पिता- पूरे 2 दिन लगे है इससे बनाने में, आखिर तुम्हारे लिए सरप्राइज जो तैयार करना था, और मैं भी चाहती थी मेरा पहला सहवास यादगार हो।

बस अंधे को क्या चाहिए दो आंखें… मैं बेहताशा उसकी चूत को चाटने लगा, जीभ से उसकी गहराइयों को नाप रहा था। वो एक अक्षत यौवना थी, जिसको पहली बार कोई मर्द चूम रहा था.
अर्पिता एक बार फिर उत्तेजना के चरम पर थी, मैं कभी चूत को तो कभी चूत के दाने को जीभ से चाट रहा था, वो मेरा नाम ले लेकर कह रही थी- मत तड़पाओ जानू, अब सब्र नहीं होता, 2 दिन मेहँदी लगाते हुए भी तुम्हारा ही लंड लेने को बेक़रार थी और अपनी उंगली से काम चला रही थी। अब बस करो जीभ नहीं, अपना लंड डालो!

मैंने भी अब ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और उसको बोला- एक बार लंड को चूस कर चिकना कर दो, ताकि तुम्हें दर्द न हो!
वो झट से लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत के दाने को सहला रहा था।

मैं कंडोम लगाने के लिए और पर्स में से कंडोम निकाल ही रहा था कि अर्पिता बोली- नहीं कंडोम नहीं, मैं नहीं चाहती कि पहली बार में मेरे और लंड के बीच में कोई भी आये, कंडोम भी नहीं! मैं बाद में गोली खा लूंगी।

मैंने भी ठीक समझा और उसकी चूत के पास आ गया, चूत पर थूक लगा कर जितना हो सके, चिकना कर दिया और फिर लंड को चूत पर घिसने लगा।
उसकी बिनचुदी चूत में स्पंदन होने लगा.

अर्पिता अब इतना तड़प रही थी कि बोली- चोद न मादरचोद किसका इंतज़ार कर रहा है? आज मेरी चूत का मुहूर्त कर दे, डाल दे अपना औज़ार, बना ले मुझे अपनी रांड, तेरे लिए ही तो इतनी मेहनत से तेरे लिए चूत सजाई है, फ़क मी हार्ड जानू, फ़क मी ना प्लीज, तुम्हें मेरी कसम!
आदि आदि… और भी न जाने क्या क्या!

मैंने अपना टोपा चूत में फंसाया पर फिसल गया, साली की चूत ही इतनी टाइट थी।
दूसरी बार भी फिसल गया।
फिर उंगलियों से जगह बनायीं और टोपा फंसाया, सिर्फ इतना कि दर्द न हो, और जैसा कि बाकी कहानियों में होता है कि लड़का होंठों से लड़की के होंठ दबा देता है ताकि आवाज न निकले, पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, क्योंकि कौमार्य भंग हो तो एक धमाकेदार हो, चीख दबा कर दर्द तो कम नहीं किया जा सकता।
और वैसे भी हम फार्महाउस पर थे, जहाँ चीख सुनने वाला कोई नहीं था मेरे सिवा!

मैंने अर्पिता की कमर को कस के पकड़ा और एक जोर का झटका दिया, मेरा लंड लगभग तीन इंच ही अन्दर जा पाया और अर्पिता की चीख निकल गयी, हालांकि अभी उसकी झिल्ली नहीं टूटी थी, पर फिर भी मैं तीन इंच तक ही अन्दर बाहर करता रहा.

थोड़ी देर में दर्द कम हुआ, अब वक़्त था उसकी सील तोड़ने का… एक और जोर के झटके के साथ मेरा लंड पूरा का पूरा 7 इंच अन्दर चला गया!
और इस बार फिर चीख निकली और एक नहीं दो… क्योंकि उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड भी मानो छिल गया!

अब हम दोनों कुछ देर के लिए शांत हो गए, चूत की गर्मी से लग रहा था कि मेरा लंड जल जायेगा!
धीरे धीरे हमारा दर्द कम होने लगा और अर्पिता की आँखों में आंसू आना भी बंद हो गए और एक मुस्कान उसके चेहरे पर तैर गयी, दर्दभरी पर एक सुखद अनुभूति की प्रतीक!

एक चुम्बन के साथ वो बोली- अब मैं कुंवारी नहीं, तुम्हारी हूँ!
मैं अपना लंड आगे पीछे करने लगा, धीरे धीरे स्पीड बढ़ा रहा था और अर्पिता भी गांड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी, पूरा कमरा हमारी फच फच की आवाज से गूंज रहा था, अर्पिता और मैं एक दूसरे को किस करने लगे, मेरी जीभ अर्पिता के मुख में और मेरा लंड अर्पिता की चूत की गहराइयों में खो रहा था. मैं उसकी चूत की गर्मी और उसके अन्दर उठने वाले स्पंदन को साफ़ महसूस कर पा रहा था.

इसी तरह हम एक दूसरे में समाते चले गये.
पता नहीं कितनी देर हम चूत लंड का खेल खेलते रहे और आख़िरकार वो पल भी आ गया, जब हम दोनों अपने चरम पर पहुँच गए, दोनों लगभग एक साथ ही झड़ गए. कुछ देर बाद लंड महाशय अपना आकार छोटा करके चूत से बाहर आ गए, उसके साथ ही साथ अर्पिता की चूत से खून और वीर्य के मिली जुली नदी निकल पड़ी।

यह मिश्रण मेरा सिग्नेचर था अर्पिता की चूत पर… मैंने वही खून और वीर्य के मिश्रण को उंगली पर लिया और अर्पिता की मांग भर दी और बोला- आज से तुम मेरी हो! मैं तुम्हें स्कूल से ही पसंद करता था, चाहो तो मैं तुमसे भविष्य में शादी भी कर सकता हूँ, तुम्हारे जैसे बीवी पाकर मैं अपने को खुशकिस्मत मानूंगा।

अर्पिता बोली- वो सब बाद में देखेंगे, अभी शादी का कोई प्लान नहीं है। पर मेरी पहली पसंद तुम ही होंगे, ये वादा रहा। आज तुमने मुझे कलि से फूल बना दिया, आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूंगी।

इसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए, वहाँ एक साथ नहाये और थोड़ी चुम्मा चाटी की, चोदा नहीं वहाँ मैंने… क्योंकि अब हम दोनों थक गए थे और उसकी चूत में दर्द भी हो रहा था।

खैर हम तैयार हुए और वापस अपने अपने घर आ गए, रास्ते में कार में कुछ ख़ास नहीं किया, बस वो मेरे कंधे पर सर रख कर बैठी रही और उसको मैंने पेनकिलर और आई पिल भी दिला दी।
आगे और भी कहानी लिखता रहूँगा.
अन्तर्वासना के पटल पर एक और कहानी का समापन।

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