कानपुर की नूर बेगम

(Kanpur Ki Noor Begum)

शिव राज 2018-11-19 Comments

अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे दोस्तो, कैसे हैं आप सब!
मेरी पिछली कहानी
दोस्त की शादी में मेरी सुहागरात
को पढ़ कर बहुत सारे पाठकों ने मुझे मेल लिया, उन सभी के लिए आपका धन्यवाद. मुझे पिछले बहुत दिनों से लिखने का टाइम नहीं मिल रहा था, लेकिन आज मन किया कि एक सच्चा किस्सा आप सबको सुनाऊं.

यह बात पिछले साल की है. चूंकि अब मैं कानपुर शिफ्ट हो गया हूँ, इसलिए कानपुर की नूर बेगम के नाम से ये कहानी लिख रहा हूँ.

एक दिन मुझे किसी काम से लखनऊ जाना था तो मैं घर के पास से स्टेशन जाने के लिए एक टेम्पो में बैठा. शाम हो चुकी थी, टेम्पो में तीन चार लोग बैठे थे. मेरी बगल वाली सीट पे एक बुर्के में महिला बैठी थी. पहले मैंने गौर नहीं किया, फिर मैंने देखा कि वो मेरी तरफ देख रही है. उसकी आंखें बहुत सुन्दर लग रही थीं, तो मैं भी देखने लगा. मैं अपना मोबाइल लेकर बार बार उसकी तरफ दिखाने लगा. थोड़ी देर में उसने अपना बुर्का हटा दिया. वो 32-33 साल की पतली कमर और मस्त फिगर वाली माल किस्म की चीज थी. उसके चेहरे से नूर छलक रहा था. मैं उसको देखता ही रह गया. वो बाजू में बैठी अपनी सहेली से अपनी बेटी के बारे में बात कर रही थी. कुछ देर बाद उसकी सहेली उतर गयी.

थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराई, फिर अपना मोबाइल मुझे देते हुए बोली- देखो, ये ठीक से चल नहीं रहा है.
मैंने मोबाइल लेकर अपना नम्बर डायल कर दिया. कॉल की, लेकिन फ़ोन नहीं लगा. फिर मैंने अपना कार्ड भी उसको दे दिया और वो टेम्पो से उतर गयी.

मैं स्टेशन पहुंच कर लखनऊ चला गया. मैं उसके फ़ोन का वेट करता रहा, लेकिन उसकी कॉल नहीं आयी, तो मुझे बहुत दुःख हुआ कि मैं उसका नम्बर नहीं ले पाया.

अगले दिन मैं वापस कानपुर आ रहा था कि एक अंजान नम्बर से कॉल आया. उधर से कोई लड़की बोल रही थी, ये वही थी, उससे बात करके अच्छा लगा.
मैंने पूछा- कल फ़ोन क्यों नहीं किया?
तो बोली- बैलेंस खत्म हो गया था.
उसकी बात सुनकर मैंने उससे बोला कि तुम काटो, मैं फ़ोन करता हूँ.

फिर हमारी बात हुई. मैंने बताया कि मैं लखनऊ से वापस आ रहा हूँ.
मैंने मिलने के लिए बोला, तो बोली- शाम को मिलते हैं.

शाम को मिलने पहुंचा तो वो जिस ऑफिस में काम करती थी, उधर से वापस आयी हुई थी. मैंने उसे अपनी बाइक पे बिठाया. उसने बुर्का पहन रखा था, तो वो बेफिक्र मेरे कंधे पर हाथ रख कर बैठ गयी. हमारी खूब बातें हुईं. हम दोनों ने एक दूसरे के बारे में जाना. उसने अपना नाम नूर बताया. उसका तलाक हो चुका था. उसके एक छह साल की एक बेटी थी और वो अपनी मम्मी के साथ रहती थी. दिन में एक ऑफिस में काम करती थी और अपनी जिंदगी जी रही थी.

मैंने उसे उसके घर के पास छोड़ दिया. फिर हमारी रोज बात होने लगी. आने वाले संडे को हम दोनों ने मिलने का प्लान बनाया. हम लोग मूवी देखने गए. कार्नर की सीट पर हम बैठे थे. उसमें कपल ही ज्यादा थे, मैंने उसका हाथ पकड़ा तो उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया. मैं उसके सर पर हाथ फेर रहा था. धीरे धीरे मैंने उसके कंधे को पकड़ कर उसे अपने सीने से लगा लिया. फिर उसका चेहरा ऊपर किया तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.

मैंने उसकी आँखों पे किस किया, तो वो आंखें खोल कर मेरी तरफ देखने लगी.

पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने अपने होंठ उसके होंठ से जोड़ दिए, उसने आंखें बंद कर लीं. हमारे होंठ आपस में यूं जुड़ गए, जैसे हम दोनों जन्मों के प्यासे हों. हम एक दूसरे के होंठ चूसने लगे. उसकी सांसें तेज होने लगीं, मैंने अपना एक हाथ उसके सीने पर रख दिया और कुरते के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा. वो मस्ती से आंखें बंद किये हुए मजे ले रही थी.

करीब दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रखा और वो पेंट के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी. हम दोनों अलग ही दुनिया में पहुंच गए थे. पूरे दो घंटे हम एक दूसरे के जिस्मों से खेलते रहे. मैंने उसकी चूत में उंगली की, उसने मेरे लंड का पानी निकाला.

फिर वो बोली- अगली बार कहीं और मिलेंगे.

मैंने हां बोल कर उसे उसके घर के पास छोड़ दिया. फिर उसी शाम को मेरी बीवी अपने मायके से वापस आ गयी, तो उस रात मैंने अपनी बीवी को नूर समझ कर चार बार चोदा.
बीवी बोली- क्या बात है आज तो थक ही नहीं रहे तुम?
मैंने बहाना बना दिया कि इतने दिनों से प्यासा था.. आज मजा आ गया.

फिर मैंने नूर से अगले हफ्ते अपने खास दोस्त के घर पर मिलने का प्लान बनाया. उसकी बीवी भी मायके गयी हुई थी. वो अपनी दुकान पर था.

मैंने नूर को उधर ही बुला लिया, फिर उसके साथ दोस्त के घर गया. मैंने पहले ही रास्ते से एक कंडोम का पैकेट और तीन बियर ले ली थीं. हम दोनों दोस्त के घर पहुंच गए. मेरे दोस्त ने हम दोनों को अन्दर किया, फिर दस मिनट में वो अपनी दुकान पर चला गया. उसके जाते ही मैंने घर को बाहर से लॉक कर दिया और पीछे के रास्ते से अन्दर आ गया.

अब हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए. हमारे होंठ आपस में जुड़ गए. फिर धीरे धीरे एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे. कुछ ही पलों में हम दोनों सिर्फ अंदरूनी कपड़ों में बचे रह गए. मैंने उसको सीने से लगाया और पीछे से उसकी ब्रा खोल दी. उसके चूचे मेरे सामने थे. उसके चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे. मैंने अपने होंठ उसके मम्मों की चोंचों से लगा दिए और जोर जोर से निप्पल चूसने लगा.

वो ‘सीएईए सीई..’ करने लगी. अभी वो खड़ी थी, मैं बिस्तर पर बैठ कर उसकी चूचियों को चूस रहा था.

कुछ पल बाद मैंने नीचे बैठ कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को किस किया. फिर धीरे धीरे उसकी पैंटी नीचे उतार दी. एकदम साफ चूत मेरे सामने थी.. वो आज ही चूत को चिकना करके आई थी. मैंने अपने होंठ उसकी चूत पे रख दिए, वो मेरा सर अपनी चूत पे दबाने लगी.

फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके बदन से खेलने लगा. कुछ देर बाद हम दोनों मस्त हो गए थे. कुछ देर बाद मैंने बियर निकाली और पीने लगा. मैंने एक बियर उसको भी दी, तो वो मना करने लगी. फिर मेरे जोर देने पर उसने बोतल ले ली और हम एक दूसरे के बदन से खेलते हुए बियर पीने लगे.

मैंने बियर अपने मुँह में भर ली और वो मेरे मुँह से मुँह लगा कर बियर पीने लगी. इस वक्त हम दोनों अलग ही दुनिया पे पहुंच चुके थे. दोनों बियर खत्म होते होते हमारे ऊपर अलग ही नशा छाने लगा था.

मैं फिर से उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा सर सहलाने लगी. अब मैंने उसे अपने ऊपर बुलाया तो वो मेरे मुँह पर अपनी चूत खोल कर 69 में बैठ गयी और मेरा लंड चूसने लगी. वो बियर के हल्के नशे में मस्त होकर लंड को ऐसे चूस रही थी, जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चूस रहा हो. वो मेरा पूरा लंड गले तक लेकर चूस रही थी. उधर नीचे से मैं उसकी चूत चूसे जा रहा था.

अचानक ऐसा लगा कि उसने सुसु कर दी, जबकि वो झड़ने लगी थी. मैं उसकी चूत का पानी बियर समझ कर पीने लगा.

झड़ कर वो थक गयी और बगल में लेट गयी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- न जाने कितने सालों बाद आज जिन्दा होने का अहसास हुआ है. मेरे राजा आज से में तुम्हारी गुलाम हो गयी, तुम जो बोलोगे, वो करूँगी.
मैंने उसे प्यार से किस किया और बोला- अब चुदने के लिए तैयार हो जाओ.
वो बोली- जो हुकुम मेरे आका.
हम हँसने लगे.

फिर मैंने कंडोम निकाला, उसने बड़े प्यार से कंडोम मुझे पहनाया और टाँगें ऊपर करके मेरे लंड डालने का इंतजार करने लगी. मैंने धीरे धीरे लंड उसकी चूत की गहराई में डालने लगा. उसके मुँह से सी.. सीई.. सीई की आवाज आने लगी, जो मुझे अलग ही जोश दिला रही थी.

बियर अपना काम कर रही थी और मैं उसको मस्त होकर काफी देर तक चोदता रहा. फिर वो मेरे लंड पर बैठ कर जबरदस्त उछली. उसने मेरी जो चुदाई की, समझो जिंदगी का मजा आ गया.
चुदाई करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था. हम बुरी तरह थक चुके थे. अब मैंने उसको घोड़ी बनाया और घमासान चुदाई चालू कर दी. उसमें भी बहुत दम था, वो मेरा बराबर साथ दे रही थी.

काफी देर चोदने के बाद मेरा पानी निकला तो उसने बाद में बताया कि उसको याद नहीं है कि वो कितनी बार झड़ी है.

फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए. आधे घंटे बाद हम दोनों ने चिप्स और नमकीन खाये और आधी आधी बियर पी और फिर से दूसरे राउंड की चुदाई चालू कर दी.
दूसरी बार भी लगभग एक घंटे तक हमारी चुदाई चली. चुदने का मजा लेने के बाद वो मेरी बांहों में लेटी रही.

फिर मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया तो वो बोला- मुझे आने में एक घंटा लग जायेगा.
जब तक मेरा दोस्त आता, तब तक हमने एक बार और चुदाई की.

चुदाई खत्म ही हुई थी कि मेरा दोस्त आ गया. फिर हम दोनों वहां से निकल आए. मेरे दोस्त ने भी उसे चोदने की मंशा जाहिर की, तो नूर ने मना नहीं किया. लेकिन उसने अगली बार का वायदा किया.
दोस्त ने उसे अपनी बांहों में भरके चूमा और उसके दूध मसल कर हामी भर दी.

दोस्त के घर से निकलने के बाद मैंने उसे उसके घर के पास छोड़ दिया.

दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये सच्ची चुदाई की कहानी, प्लीज बताना जरूर. अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने और मेरे दोस्त ने मिल कर एक साथ कैसे नूर को चोदा.
धन्यवाद
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