चूची चूस चूस कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को चोदा-3
(Chuchi Chus Chus Kar Dost ki Girlfriend Ko-Choda-3)
कहानी के पिछले भाग : चूची चूस चूस कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को चोदा-1
चूची चूस चूस कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को चोदा-2
दोस्तो पिछले भाग में मैंने बताया था कि कैसे मेरे दोस्त की सहेली की भाभी के साथ मजे लेकर स्नान किया और स्नान करते हुए कामिनी ने एक बार मजे लेते हुए अपना पानी छोड़ दिया।
कामिनी को बहुत ग्लानि हो रही थी कि वो मेरे मुख में ही झड़ गई।
तो मैंने उसे समझाते हुए बोला- इसमें कुछ गलत नहीं है… लेकिन अगर आपको मज़ा नहीं आया है तो गलत है।
तो वो मुस्कराते हुए मेरी तरफ़ देखने लगी, फिर एकदम से मुझसे लिपट गई और जोरों से पप्पी करने लगी, बोली- अब मेरी बारी है… अब मैं तुम्हें मज़ा देती हूँ… चलो खड़े हो जाओ।
मेरे खड़े होते ही उसने मेरे लन्ड को जो उसे समझाने के चक्कर में बैठ गया था, को पूरा मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया।
कुछ ही पलो में मेरा लन्ड फिर खड़ा हो गया।
लेकिन वो उसे चुसे जा रही थी और बोली- अब मैं तुम्हारा पानी पिऊँगी। मैंने आज तक बहुत बार अपने आदमी का लन्ड चूसा तो है पर उसका पानी कभी नहीं पिया। लेकिन मेरे पिया… मैं आज तुम्हारा पानी जरूर पिऊँगी।
मैंने कहा- पी लेना… पर इस सब में कहीं असली मज़ा ना खत्म हो जाये, इसलिये चलो पहले असली मज़ा तो ले लें।
और मैंने उसे खड़ी किया, चूमते हुए पानी बन्द कर दिया और अपने बदन से चिपका कर कमरे में ले आया।
पलंग के पास खड़े खड़े ही हम एक दूसरे को बाहों में पकड़े हुए चूमते चूमते धीरे से पलंग पर बैठ गए।
चूमते हुए मैं उसके चूचे भी दबा रहा था।
कामिनी एकदम से खड़ी हुई और मेरी गोदी में बैठ गई और अपनी चूची मेरे मुँह पर दबाने लगी और आँखों से एक मौन इशारा किया तो मैं समझ गया और उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
कामिनी की सिसकारियाँ चालू हो गई और वो मेरा सिर अपनी चूचियों पर दबाने लगी।
अभी तक मेरे हाथ उसको पीछे से पकड़े हुए थे लेकिन जब उसने मेरे सिर को पकड़ कर दबाया तो मैंने अपने हाथ पीछे से आगे कर लिये और मैंने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ ली।
कामिनी बोली- जोर से दबा… और जोर से चूस काट खा इनको… खून निकाल दे इनमें से… ताकि अगले कम से कम एक महीने तक अगर हवा भी इन पर लगे तो मुझे तेरी याद आये।
यह सुन कर मुझे भी जोश आ गया और मैं जोर जोर से दबाते हुए उसकी चूचियाँ चूसने लगा। कभी कभी थोड़ा जोर से चूस लेता और दांतों में पकड़ कर खींच लेता पर मैंने काटा नहीं।
कुछ देर बाद जैसे ही मैंने उसकी दोनों चूचियाँ कस कर दबाई और पास में करके दोनों निप्पल एक साथ चूसे तो कामिनी मस्ती से सराबोर हो कर मेरा मुँह अपनी छाती में जोर से दबाने लगी।
कुछ देर तो ठीक था पर फिर मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो मैंने एक हाथ नीचे किया और पीछे से उंगली उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।
ऐसा करते हुए मेरा अंगूठा उसकी गाण्ड पर जोर डाल रहा था तो कामिनी एकदम से उचकी और मेरी गर्दन उसकी पकड़ से निकल गई।
मैंने जोर से सांस ली तो कामिनी को समझ आया कि मैंने ऐसा क्यों किया, लेकिन वो तो उस वक्त कुछ और ही धुन में थी।
वो एकदम से थोड़ा सा ऊँची हुई और मेरे लन्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मुझे भी समझ आया कि अब बहुत देर हो गई है, इसलिये मैंने उसकी सहायता करने के लिये धीरे धीरे फिर से उसकी एक निप्पल को रगड़ना चालू कर दिया और दूसरी को चूसने लगा।
जैसे ही मैंने चूची जोर से चूसी, ठीक उसी वक्त मैंने उसकी दूसरी निप्पल थोड़ा जोर से दबा दी।
इस हमले से उसे जोर का झटका लगा और जोश में उसने अपनी चूत मेरे लन्ड पर दबा दी।
उस समय तक उसकी चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी तो मेरा लन्ड एकदम से पूरा अन्दर तक घुस गया।
लन्ड अन्दर जाते ही कामिनी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली- थोड़ी देर ऐसे ही रहो और मुझे महसूस करने दो… इस समय मुझे
बहुत अच्छा लग रहा है। पहली बार मेरी पूरी गीली चूत में लन्ड गया है… हाय… कितना आनन्द आ रहा है।
थोड़ी देर बाद चिपके चिपके ही उसने धीरे धीरे हिलना चालू किया और मात्र दो मिनट में वो बोली- मेरा तो पानी फिर निकल गया।
मैंने बोला- तो ठीक है, अब तुम आराम कर लो !
तो कामिनी बोली- साले ज्यादा मत बोल, आज तो मैं पूरे मजे लूँगी। थोड़ी देर मेरी चूची चूस… फिर देख क्या मजे आते हैं।
और यह कह कर उसने अपनी चूची मेरे मुँह में डाल दी और मेरे सर पर हाथ फिराने लगी, बोली- मेरी जान ! मैंने कहा था ना कि आज मैं अपनी सारी हसरतें पूरी करूँगी इसलिये मेरी बात मान कर जो मैं कह रही हूँ वो करता जा और मेरी इतने सालों से अधूरी इच्छा पूरी कर दे, मैं तेरी एहसानमन्द रहूँगी।
मैंने भी उसकी इच्छा का मान रखते हुए उसकी चूची चूसते हुए उसके बालों में और पीठ पर हाथ फिराना चालू कर दिया।
बीच बीच में मैं चूची बदलता रहा और कभी कभी उसके होंटों को भी चूमता रहा।
दो मिनट ही हुए होंगे कि उसकी सिसकारियाँ चालू हो गई और वो फिर से अपनी चूत मेरे लन्ड पर रगड़ने लगी।
फिर कामिनी बोली- अब मैं तुझे चोदना चाहती हूँ इसलिये अब ठीक से पलंग पर पैर ऊपर कर के बैठ जा।
मैं उसे गोदी में लिये लिये ही अपनी जगह से पीछे खिसक कर पलंग पर ऐसे बैठ गया कि मेरी पीठ पलंग के सिराहने से टिक गई और मेरे पैर फ़ैले हुए थे और वो मेरे लन्ड की सवारी कर रही थी और धीरे धीरे मुस्करा रही थी।
मेरे पूछने पर कामिनी बोली- तुम तो मेरे दिल पर छा गये, तुमने मेरी अब तक की सारी बातें मान कर मुझे बहुत खुशी दी है। तुम अगर मुझे कभी भी बुलाओगे तो मैं दौड़ी चली आऊँगी। अब तुम मजे लो और मुझे मेहनत करने दो… मुझे पता है कि आदमियों को ऐसे बहुत मज़े आते हैं क्योंकि मेरा साला चूतिया पति मुझे बहुत बार ऐसे बैठा कर चोदता है लेकिन बस फर्क इतना है कि वो मेरी सूखी चूत मारता है और मेरे गर्म होने तक वो साला अपना पानी निकाल चुका होता है। लेकिन आज मैं पूरे मज़े लूंगी और तुम्हें भी दूँगी।
मुझे भी यह पोजिशन बहुत पसन्द है इसलिये मैं तो पहले से ही खुश हो रहा था और यह जानकर कि उसे भी इसमें मज़े आ रहे हैं, मुझे और खुशी हुई।
बस फिर क्या था, मैंने उसके चूचे पकड़े और दबाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद कामिनी ने उछल उछल कर धक्के मारने शुरू कर दिये।
मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू थे और लन्ड कढ़ाई में, मतलब मैं दोनों हाथों से कामिनी के चूचे दबा रहा था और नीचे से वो लन्ड अपनी चूत में ले कर धक्के मार रही थी।
फिर मैंने उसके चूचे दबाते दबाते उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू कर दी और कामिनी ने और ज़ोश से धक्के मारने शुरु कर दिये।
वाह क्या मज़े आ रहे थे… यह शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
जब उसके धक्के धीरे होने लगे तो मैंने धीरे से उसे अपने से लिपटा कर अपने पास लिटा लिया और ऐसे ही धक्के मार कर चोदने लगा।
कामिनी बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, बस ऐसे ही चोदते रहो।
मैं भी धीरे धीरे धक्के मार कर पूरा मज़ा ले रहा था।
फिर कामिनी बोली- अब ऊपर आकर मुझे कस कर चोद दो।
तो मैंने उसे नीचे लिटा कर उसकी टांगें फ़ैलाईं और बीच में आकर अपना पप्पू एक बार में ही अन्दर डाल दिया।
कामिनी ने ‘ईईईईस्स्स्स्स’ की आवाज़ निकाली और बोली- मज़ा आ गया… अब ज़ोर ज़ोर से चोदो।
लेकिन मैं अभी भी धीरे धीरे धक्के मार रहा था और उसकी चूचियाँ चूस रहा था और कामिनी नीचे से अपनी कमर हिला रही थी।
तभी कामिनी बोलने लगी- कुत्ते, कितना तड़पा रहा है… ज़ोर से चोद ना… मुझे इस बार झड़ने का पूरा मज़ा लेना है!
और यह कह कर वो हांफने लगी और अपनी कमर उचकाने लगी।
मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसकी चूचियाँ ज़ोर से चूसते हुए लम्बे धक्के मारने शुरु कर दिये।
अब तो हम दोनों सातवें आसमान के मज़े लेने लगे और दोनों ही ज़ोर ज़ोर से ‘आह उह आआआआ ऊऊह्हहुहु’ करने लगे।
मुझे भी झड़ने से पहले चूची चूसते हुए चोदने में बहुत मज़ा आता है तो मैं ज़ोर ज़ोर से कामिनी की चूचियाँ दबा दबा कर चूसते हुए उसे चोदता रहा।
फिर वो लम्हा आया जब कामिनी ने एक ज़ोरदार चीख से साथ अपना पानी छोड़ दिया और मुझे कस कर पकड़ लिया ताकि मैं हिल भी ना पाऊँ।
मैंने भी कामिनी की चूचियों को चूसना छोड़ कर धीरे धीरे सहलाना शुरु कर दिया और उसके गालों पर पप्पी करने लगा और उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फिराने लगा।
कुछ 3-4 मिनट में कामिनी की सांसें धीरे हुई और वो मुझे चूमते हुए बोली- आज ऐसा लग रहा है जैसे मेरे शरीर की सारी जान निकल गई है।
और वो मुझे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी और बोली- चल शुरु हो जा मेरे राज्ज्जा… और अब अपना पानी भी निकाल… लेकिन याद रखना मुझे यह पानी पीना है।
तो मैंने कहा- पहले कभी पिया है क्या?
वो बोली- नहीं !
तो मैंने कहा- फिर छोड़ पीने का चक्कर… हाँ चिन्ता मत कर अन्दर नहीं निकालूँगा और तुझे चाहिये तो तेरी चूचियों पर निकाल दूँगा।
कामिनी बोली- ठीक है, तो मेरे ऊपर निकालना पानी।
क्योंकि अब कामिनी शान्त हो चुकी थी इसलिये मैंने फिर से मज़े लेने शुरु कर दिये और उसकी चूचियाँ चूसते हुए फिर से धक्के लगाने शुरु कर दिये।
कुछ ही धक्कों में कामिनी फिर से गर्म हो गई और नीचे से उछल कर धक्के मारने लगी।
फिर एक बार ज़ोरदार धक्कों की आवाज़ें पट पट की कमरे में गूंजने लगी और फिर एक पल आया जब कामिनी ने फिर से पानी छोड़ा और उसके साथ ही मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारे और फिर अपना लन्ड निकाल कर उसके ऊपर पानी की बारिश शुरु कर दी।
कामिनी ने मेरा पानी अपने पूरे शरीर पर मल लिया और मुझे खींच कर अपने से लिपटा लिया।
करीब पाँच मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे फिर उठ कर पानी से एक दूसरे को साफ किया और फिर आ कर आराम से एक दूसरे को बाहों में लेकर लेट गये और सो गये।
फिर कुछ देर बाद कामिनी वापस चली गई फिर मिलने का वादा करके।
उसके बाद की बात फिर कभी…
तब तक से लिये विदा दोस्तो !
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