तरक्की का सफ़र-15
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राज अग्रवाल
प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो गया। ठीक है जो ज़िंदगी में गुजरा वो कुछ अजीबो गरीब था लेकिन वो सही में मुझसे प्यार करती थी।
रवि भी नाश्ते के लिये हमारे साथ हो गया, “क्यों राज! आबिदा और सलमा के साथ कैसा रहा?”
“रवि! तुम्हारे सुझाव के लिये शुक्रिया”, मैं हँसते हुए बोला, “सही में इतना आनंद मुझे कभी नहीं आया, उन दोनों का जवाब नहीं।”
दिन इसी तरह गुज़ार गया। चुदाई की छूट थी, जिसकी मरज़ी में जो आता उसे रूम में ले जाकर उसकी जम कर चुदाई करता। हम सब शाम को ड्रिंक्स पीने बैठे ही थे कि दरवाजे पर घंटी बजी। “आप सब रुकिये, मैं देखती हूँ”, आबिदा ने उठते हुए कहा।
“मैडम! आर्यन बाबा आये हैं!” आबिदा ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
“ये इस समय यहाँ क्या कर रहा है”, रूही अपनी सीट से उठती हुई बोली।
“हाय मम्मी”, इतने मैं एक अट्ठारह साल का गबरू लड़का हॉल में दाखिल हुआ।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” रूही ने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “तुम्हें तो बोर्डिंग में होना चाहिये था।”
“मम्मी! स्कूल की छुट्टियाँ जल्दी शुरू हो गयी, इसी लिये मैं यहाँ आ गया”, आर्यन ने जवाब दिया।
“अच्छा हुआ तुम आ गये, अपने मेहमानों से मिलो!” रूही ने उसका माथा चूमते हुए कहा।
“आप सब इससे मिलें, ये मेरा बेटा आर्यन है”, रूही ने बारी-बारी हमारा परिचय कराया।
रवि को देख कर वो उनसे हाथ मिलाते हुए बोला, “अरे रवि अंकल! आप कब आये और कैसे हैं?”
रवि ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा, “आर्यन तुमसे मिलकर खुशी हुई, आओ बैठो यहाँ। और बताओ कैसी गुजर रही है स्कूल में। तुम सही में सुंदर और जवान हो गये हो, स्कूल की लड़कियाँ तुम पर मरती होंगी।”
“नहीं अंकल! ऐसे नसीब कहाँ हैं हमारे।”
“इसका मतलब तुमने आज तक किसी लड़की की चूत नहीं चोदी है?” रवि ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं अंकल! कोई लड़की तैयार ही नहीं हुई।”
“ममम… मेरा बच्चा! कोई बात नहीं आज तुम्हारा कुँवारापन जरूर लुटेगा, ये मेरा वादा है”, रवि ने कहा।
“वो ठीक है अंकल! पर क्या मम्मी मानेगी इस बात को?” आर्यन ने पूछा।
“तुम उसकी चिंता मत करो! मैं सब संभाल लूँगा!” रवि ने जवाब दिया।
रात को खाने की टेबल पर रवि ने सब से पूछा, “लड़कियों! क्या तुम ये बर्दाश्त कर सकती हो कि हमारे बीच कोई कुँवारा बैठा हो?”
“नहीं!!!!” सबने जवाब दिया।
“तुम किसकी बात कर रहे हो?” रूही ने पूछा।
“किसकी क्या? मैं तुम्हारे बेटे आर्यन की बात कर रहा हूँ”, रवि ने कहा।
“तो तुम सब में से कौन इसका कुँवारापन भंग करना चाहेगा?” रवि ने पूछा।
“मैं!! मैं!!! नहीं मैं!!!!” चारों तरफ से आवाज़ आ रही थी।
“सब शाँत हो जाओ!” रूही ने अपना हाथ उठाया, “अगर आर्यन का कुँवारापन ही भंग करना है तो मैं तय करूँगी कि वो किसके साथ रात गुज़ारे…. आर्यन! तुम अपने कमरे में जाओ और इंतज़ार करो।”
आर्यन के जाने बाद सबने मिलकर पूछा, “वो नसीबदार कौन है?”
“प्रीती! क्या तुम आर्यन का कुँवारापन लेना चाहोगी?”
“आपने मुझे ही क्यों चुना?” प्रीती ने पूछा।
“वैसे तो तजुर्बे के हिसाब से मैं ही जाती, लेकिन मैं उसकी माँ हूँ, और तजुर्बे के हिसाब से मेरे बाद तुम ही आती हो!” रूही ने जवाब दिया।
“ठीक है! अगर ये बात है तो मुझे मंजूर है”, प्रीती ने कहा।
“आँटी मैं बीच में कुछ कहूँ?” अंजू बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“कुछ कहने की जरूरत नहीं है, मैं जानती हूँ तुम्हारी चूत क्या माँग रही है”, रूही हँसते हुए बोली, “आज रात रवि तुम्हें और तुम्हारी बहन को चोदेगा, जाओ और मज़े लो।”
“थैंक यू आँटी, मगर आपको कैसे पता चला कि हम रवि से चुदवाना चाहते हैं?” मंजू बोली।
“मैं समझ सकती हूँ कि जब राज इस चीज़ में यकीन रखता है कि चुदाई में खून के रिश्तों कि इज्जत करनी चाहिये, तो इसका मतलब है कि तुम्हें राज ने नहीं चोदा है और तुम लंबे और मोटे लंड से चुदवाने को मरी जा रही हो”, रूही ने जवाब दिया।
रूही ने फ़िर फैसला किया कि कौन किस के साथ सोयेगा, उसने मुझे अपने लिये बचा के रखा। कुछ देर और शराब का दौर चला और फिर सब अपने-अपने कमरे में चुदाई करने चले गये।
रूही भी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने नशे में लड़खड़ाती मेरे साथ अपने बेडरूम में आ गयी। बिस्तर में नंगी कुछ ज्यादा ही हसीन लग रही थी। मैं उसे चूम रहा था और उसके बदन को सहला रहा था, उसकी सिसकरियाँ इस बात की गवाह थी कि उसको भी मज़ा आ रहा था। उसकी चूचियाँ और निप्पल चूसने के बाद मैंने उसके पैरों की तरफ बढ़ा। उसके गोरे सुंदर पैर ब्लैक कलर के हाई हील सैंडलों में बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे और मैं उन्हें चूमने से खुद को रोक नहीं सका। उसके बाद जैसे ही मैंने अपनी ज़ुबान उसकी बिना बालों की चूत पर रखी तो रूही सिसकते हुए बोली, “ओहहहह राज!!! तुम्हारी ज़ुबान कितनी अच्छी लग रही है!!!! हाँ….आआआआ इसी तरह मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदते रहो!!!!” मैं उसके ऊपर लेट कर अपने लंड को उसकी चूत पर जोर से रगड़ने लगा तो वो नशे भरे स्वर में बोली “ओहहहह राज अब और मत तरसाओ!!!! प्लीज़ अपने लंड को मेरी चूत में डाल दो ना!!! प्लीज़ज़ज़!!!”
मैंने अपने लंड को उसकी चूत पे रख कर एक ही धक्के में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक डाल दिया। “हाँ ऐसे ही….. मज़ा आ गया!!! अब चोदो और फाड़ दो मेरी चूत को!!!” रूही फिर नशे में मस्ती से बड़बड़ायी।
अब मैं तेजी से धक्के लगा रहा था। मैंने उसके दोनों मम्मों को अपने हाथों से भींच रहा था। उसकी टाँगें मेरी कमर पे लिपटी हुए थी और वो मेरे धक्कों का जवाब धक्कों से दे रही थी। हम दोनों का शरीर एक लय और एक ताल में उछल रहा था।
“ओहहहहह राज!!!! हाँ चोदो….. हाय!!!! ऊईईईईईईईईईईई अल्लाह….. मेरा तो गया…आआआ”, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो जोर-जोर से साँसें लेने लगी।
मैंने कसके उसे अपनी बाँहों में भींचा और मेरे लंड ने भी उसकी चूत में पानी छोड़ दिया।
“राज! मज़ा आ गया, इतनी कस के मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा”, कहकर रूही ने एक सिगरेट सुलगा ली और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसती हुई बीच-बीच में सिगरेट के कश लेने लगी। एक बार फिर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।
मैंने रूही को घोड़ी बनने को कहा और उसके पीछे आ अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा।
“राज! मैं चाहती हूँ कि अब तुम मेरी गाँड में अपना लंड डाल कर चोदो”, रूही धीरे से बोली।
“खुशी से मेरी जान!” ये कहकर मैंने अपना लंड पहले उसकी गीली चूत में डाला और फिर बाहर निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा दबाया।
“ऊऊऊईईईई हाय अल्लाह!!!!” रूही जोर से सिसकी, “राज! थोड़ा प्यार से करो…… तुम्हारा लंड कितना मोटा है।अल्लाह
अब मैं उसकी गाँड में धक्के मार रहा था और साथ ही साथ उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल अंदर बाहर कर रहा था।
“ऊऊ.ऊऊ..ओओहहहह राज!!!! कितना अच्छा लग रहा है, रुको मत करते जाओ…… ओहहहहह मेरा छूटने वाला है!” इसके साथ ही मैंने भी अपना वीर्य उसकी गाँड में छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद हमने एक और बार चुदाई की और एक दूसरे को बाँहों में लेकर सो गये।
दूसरे दिन जब हम सब नाश्ते के लिये जमा हुए तो मैंने देखा कि आर्यन का कहीं अता-पता नहीं था। रूही ने मेरी बहनों से पूछा, “तुम लोगों की रात कैसी गयी, क्या रवि के लंड में मज़ा आया?”
“ओह रूही आंटी!!!! मैं तो स्वर्ग में पहुँच गयी थी….. ऐसा लगा!” अंजू ने जवाब दिया।
“और मुझे तो ऐसा लगा कि एक बार फिर से मैं कुँवारी बन गयी हूँ, रवि का लंड वाकय में जानदार है”, मंजू बोली।
“मुझे खुशी हुई कि तुम दोनों को मज़ा आया”, रूही खुशी से बोली। “प्रीती तुम्हारी रात मेरे शैतान आर्यन के साथ कैसी रही?”
“बहुत अच्छी!!! आर्यन बहुत समझदार है, जल्दी ही चुदाई के सारे गुण सीख जायेगा….” प्रीती हँसते हुए बोली।
“ऐसे नहीं! हम सब को पूरा किस्सा सुनाओ?” रूही बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
प्रीती की ज़ुबानी:
जैसा आप सबको मालूम है कि मैंने कल काफी ड्रिंक कर रखी थी। मैं जब सिर्फ हाई-हिल के सैंडल पहने नशे में गिरती-पढ़ती कमरे में पहुँची तो देखा कि आर्यन बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। वो नंगा हो अपने खड़े लंड को हाथों में पकड़े हुए था।
“तो तुम वो मेरी पहली चूत हो जिसकी मैं चुदाई करने वाला हूँ”, उसने मुझे बाँहों में भरकर संभालते हुए कहा। फिर मुझे जोरों से चूमते हुए उसने मुझे बिस्तर पर ढकेल दिया।
“आराम से आर्यन”, मैंने कहा, “मैं यहाँ चुदवाने ही आयी हूँ, कहीं भाग नहीं जाऊँगी, मुझे पहले कपड़े तो उतार लेने दो।”
“सॉरी प्रीती”, शरमाते हुए उसने मुझे छोड़ दिया।
वो मुझे देख रहा था और मैं खड़ी होकर नशे में डगमगाती हुई अपने कपड़े उतार रही थी। वो एक टक मेरे नंगे बदन को निहार रहा था, “क्या पहली बार किसी लड़की की चूत देख रहे हो?” मैंने पूछा
“न…. हाँ…” उसने जोर की साँस लेते हुए कहा।
मैं नंगी होकर, सिर्फ अपने ऊँची हील के सैंडल पहने फिर बिस्तर पर पसर गयी और अपनी टाँगें चौड़ी करके बाँहें फैला कर उससे कहा, “मेरी चूत को बाद में ठीक तरह देख लेना, अब आओ और मुझे चोदो।”
वो मेरे ऊपर गिर पड़ा और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर तेजी से धक्के लगाने लगा। वो पहली बार किसी लड़की को चोद रहा था इसलिये मैंने उससे कुछ नहीं कहा। थोड़ी ही देर में वो अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ कर गहरी साँसें ले रहा था।
मुझे पहले तो बहुत गुस्सा आया पर मैंने ज़ाहिर नहीं किया। आखिर ये उसका पहली बार चुदाई का अनुभव था। मैंने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा तो वो गिड़गिड़ाते हुए बोला, “प्रीती प्लीज़! मुझे एक बार और चोद लेने दो, मेरा लंड थोड़ी देर में ही फिर खड़ा हो जायेगा।”
“वो तो खड़ा हो जायेगा….. मुझे मालूम है, लेकिन चुदाई से पहले मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ?”
वो मेरे ऊपर से उठ कर मेरी बगल में बैठ गया। “क्या तुम्हें अपनी पहली चुदाई में मज़ा आया?” मैंने पूछा।
“प्रीती! पूछो मत….. इतना मज़ा तो मुझे आज तक मुठ मार कर भी नहीं मिला”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन मुझे मज़ा नहीं आया”, मैंने कहा।
“तुम्हें मज़ा क्यों नहीं आया? मैंने तो सुना है कि चुदाई में लड़की को भी बराबर का मज़ा आता है।”
“हाँ! मज़ा आता है…. अगर उसकी चुदाई थोड़े प्यार और आराम सी की जाये। तुमने बड़ी जल्दी में चुदाई की और लड़कियों को झड़ने में थोड़ा वक्त लगता है”, मैंने कहा, “अब आओ और मुझे प्यार से और धीरे-धीरे चोदो।”
वो मेरे ऊपर आकर मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा। “हाँ! ऐसे ही चोदते जाओ, हाँ! अपने धक्कों का अंदाज़ भी साथ-साथ बदलते रहो, कभी जोर से कभी प्यार से”, मैंने उसे चूमते हुए कहा।
अब वो मुझे अलग अलग-अंदाज़ में धक्के मारता हुआ चोद रहा था। मेरी नसों में खून का उबाल बढ़ने लगा। मुझे भी मज़ा आ रहा था। मैं अपने कुल्हों को उठा कर उसके धक्कों का साथ देने लगी। “आर्यन तुम सही जा रहे हो!!!! ऐसे ही चोदो अब….. और तेजी से हाँ..आआआ ओहहहहह जोर से…… आआआआहहहह मेरा छूटा।” दो चार धक्के और लगा कर उसने भी अपना पानी छोड़ दिया।
“अब कैसा लगा चुदाई करना?” मैंने उससे पूछा।
“पहली बार से बहुत ज्यादा अच्छा!” उसने जवाब दिया।
“एक बात का खयाल रखना आर्यन! कि हर लड़की मेरी तरह चुदाने को तैयार नहीं आयेगी। तुम्हें उसे चुदवाने कि लिये उक्साना पड़ेगा। तुम्हें उससे प्यार करना होगा, इस अंदाज़ में को वो खुद अपनी टाँगें फैला कर तुम्हें चोदने को कहे”, मैंने उसे बताया।
वो मेरी चूचियों से खेलने लगा, मेरे निप्पल को मुँह में ले कर बड़े प्यार से उसने चूसा। मेरी टाँगें, जाँघें और यहाँ तक कि मेरे पैर और सैंडल तक उसने बड़े जोश से चाटे। फिर उसने मेरी चूत भी बड़े प्यार से चाटी और अपनी जीभ से काफी देर तक चोदी।
आर्यन जल्द ही सब कुछ सीखता जा रहा था। हम लोगों ने एक बार फिर चुदाई की।
“एक लड़की अपनी गाँड में किसी मर्द का लंड ले कर भी उसे मज़ा दे सकती है!” मैंने उसे बताया।
“क्या लंड और गाँड में?” उसने चौंकते हुए कहा।
“हाँ गाँड में! तुम राज और रवि से पूछ सकते हो, गाँड मारने में कितना मज़ा आता है, लेकिन हाँ गाँड पे थोड़ा तेल या क्रीम लगाना नहीं भूलना क्योंकि गाँड का छेद छोटा होता है और इससे दर्द ज्यादा होता है”, मैंने कहा।
फिर उसने मेरी गाँड मारी और हम सो गये। सुबह मैं सो कर उठी तो आर्यन गहरी नींद में सोया हुआ था। मैं नहाने चली गयी और जब लौटी तो देखती हूँ कि आर्यन अपने खड़े लंड को पकड़े बैठा था।
मुझे देख कर वो बिस्तर से उठा और मुझे बाँहों में भर कर बिस्तर की ओर घसीटने लगा। “नहीं आर्यन! अभी नहीं! अब मैं नहा चुकी हूँ!” मैंने कहा।
“प्लीज़ प्रीती!! देखो ना मेरा लंड कैसे खड़ा है, इसका तो खयाल करो”, उसने मुझे और जोरों से भींचते हुए कहा।
इसका खयाल मैं दूसरे तरीके से कर देती हूँ, कहकर मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में उसके लंड ने पानी छोड़ दिया।
वो मुझे फिर भी चोदने की ज़िद करने लगा। जब मैंने मना किया तो वो गुस्से में कमरे से बाहर चला गया और मुझे नहीं पता अब वो कहाँ है।
प्रीती ने अपनी बात पूरी की।
“थैंक यू प्रीती! मैं जानती थी तुम आर्यन को सही रास्ता दिखाओगी! मैं संभाल लूँगी उस शैतान लड़के को”, रूही बोली, “आबिदा क्या तुमने आर्यन को देखा है?”
“हाँ मैडम!!! जब वो सलमा को चोद रहे थे”, आबिदा थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली।
थोड़ी देर में आर्यन सलमा को अपनी बगल में दबाये हॉल में दाखिल हुआ।
“कुतिया!!! जा मेरे लिये नाश्ता ला!!!” आर्यन ने आबिदा से कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“आर्यन मुझे बदतमिज़ी पसंद नहीं है जरा भी!!! समझे???” रूही ने उसे डाँटते हुए कहा, “फौरन उससे माफी माँगो।”
“रहने दें मैडम! मुझे बुरा नहीं लगा”, आबिदा टेबल पर नाश्ता लगाते हुए बोली, “ये मुझे हमेशा ऐसे ही बुलाते हैं, पहले तो बुरा लगता था पर अब शायद मैं आदी हो गयी हूँ।”
“आबिदा! मुझे सच-सच बताओ कि ये सब कब से चल रहा है और क्यों चल रहा है”, रूही थोड़ा गुस्से में बोली।
“मैडम! दो साल से! जब आप घर में नहीं होती थी तो आर्यन बाबा मुझे अकेले में पकड़ लेते थे। वो मुझे चोदना चाहते थे पर मैंने उन्हें कभी चोदने नहीं दिया। हाँ मैं उन्हें अपनी चूचियों से और चूत से खेलने जरूर देती थी।”
“मेरा भी मन करता था चुदवाने को पर मैं अपने आप पर काबू रखती थी, और मैंने सलमा से भी कह दिया था कि वो आर्यन से ना चुदवाये। बस आर्यन बाबा हमारी चूचियों पर अपना लंड रगड़ कर झड़ जाते थे”, आबिदा बोली।
“हाँ मैडम! आबिदा ठीक कह रही है”, सलमा बोली, “आज भी मैं इन्हें चोदने नहीं दे रही थी पर इन्होंने कहा कि आज से इन्हें इजाज़त है।”
“नहीं! इसने इजाज़त नहीं ली थी”, रूही हँसते हुए बोली, “हाँ माँगता तो मैं जरूर दे देती। आर्यन आज से तुम आबिदा को भी जब जी चाहे चोद सकते हो।”
“मैं और इस कुतिया को चोदूँगा? कभी नहीं!” आर्यन गुस्से में बोला।
“कोई बात नहीं! समय इसका जवाब देगा”, रूही बोली।
आर्यन, आयेशा के पास जाकर बोला, “चलो कमरे में चुदाई करते हैं।”
“पहले मुझे नाश्ता तो खत्म करने दो”, आयेशा नाश्ता करते हुए बोली।
“क्या ये घटिया सा नाश्ता… इस नाश्ते से अच्छा है?” आर्यन अपना गाऊन उठा कर अपने खड़े लंड को दिखाते हुए बोला।
“हाय अल्लाह! क्या खूबसूरत लंड है तुम्हारा!” आयेशा लड़खड़ाते कदमों से उठी और उसके लंड को पकड़ कर बाहर जाने लगी, “सॉरी आँटी! मैं अपना नाश्ता बाद में कर लूँगी।”
आर्यन का लंड भी लंबा और मोटा था, एकदम राम के लंड के जैसा। दरवाजे की और घसीटने के चक्कर में आयेशा हाई-हील सैंडलों में संतुलन नहीं रख पायी और लड़खड़ा कर वहीं कार्पेट पर गिर पड़ी। शायद उसका पिछली रात का नशा पूरा उतरा नहीं था। आर्यन ने थोड़ा भी इंतज़ार किये बिना आयेशा का गाऊन उठा कर अपना लंड उसकी चूत में वहीं सबके सामने डाल दिया।
“शाबाश आर्यन! और जोर से!” जय बोला। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ… जोर से चोदो उसे!” राम ज़ुबैदा को ज़मीन पर लिटाते हुए बोला। सब लड़कियाँ ताली बज़ा कर आर्यन को उक्सा रही थीं। थोड़ी देर में तो माहोल ऐसा गर्मा गया कि जिसे जो मिला उसे ले वहीं चुदाई शुरू कर दी।
“तुम सब जितना चाहे मज़े लो, मैं अपने कमरे में जा रही हूँ”, रूही टेबल से उठती हुई बोली।
मैं भी रूही के पीछे उठा तो देखा कि अंजू और मंजू रवि के लंड से खेल रही थी।
मैंने रूही को दरवाजे पर ही पकड़ कर कहा, “रूही, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।”
“क्यों नहीं! आओ मेरे कमरे में”, वो बोली।
“कमरे में नहीं! यहीं जमीन पर!” कहकर मैंने रूही को कार्पेट पर लिटाया और उसे चोदने लगा।
जब मैं उसे दो बार चोदकर तीसरी बार चोदने की तैयारी कर रहा था तो विजय अपना लंड सहलाते हुए बोला, “साले सहाब! ये अच्छी बात नहीं है कि आप किसी को अपनी जागीर बना लें।”
सारा दिन यही सब चलता रहा। सबसे ज्यादा आर्यन ने चुदाई की। उसने हर लड़की की चुदाई की, किसी-किसी को तो दो बार चोदा। सबसे ज्यादा वो ही थक गया था और अपने कमरे में सोने चला गया।
रूही ने आबिदा और सलमा को इशारा किया तो दोनों उठीं और अपने हाथों में गरम तेल लेकर आर्यन के कमरे की ओर बढ़ गयी। मैं समझ गया कि आज आर्यन की मालिश होगी और आर्यन खुद आबिदा को चोदने की भीख आबिदा से माँगेगा।
मैंने देखा कि आयेशा रवि की गोद में बैठी थी और उसका लंड अपनी चूत में घुसा रही थी।
थोड़ी देर में फिर सब चुदाई में जुट गये। “ज़ुबैदा! तुम मेरे साथ आओ, मैं तुम्हारी गाँड चेक करना चाहता हूँ”, श्याम बोला।
“श्याम, थोड़ी देर में चलते हैं ना!”
“ज़ुबैदा डार्लिंग! इस घर में कोई चुदवाने को मना नहीं करता”, रूही बोली, “श्याम एक काम करो इसकी गाँड हमारे सामने ही मारो।”
“ज़रा धीरे-धीरे करो ना!” ज़ुबैदा सिसक कर बोली जैसे ही श्याम ने अपना लंड उसकी गाँड में पेल दिया।
जय, रूही की ओर बढ़ कर उसके मम्मे दबा रहा था। मैंने भी फातिमा को अपनी गोद में खींच लिया था। अब सब चुदाई में मस्त हो रहे थे। चारों तरफ चुदाई का माहोल था। जब सब थक गये तो अपने अपने कमरे में जाकर सो गये।
शाम को नाश्ते की टेबल पर सबने आबिदा और सलमा से पूछा कि दोपहर को क्या हुआ तो उन्होंने बताया कि किस तरह मालिश के दौरान आर्यन इतना उत्तेजित हो गया कि वो अपने आपको आबिदा को चोदने की चाह से रोक ना पाया। जब आबिदा ने मना किया तो उसने वादा किया कि वो आबिदा को कुतिया कभी नहीं बुलायेगा और दोपहर भर वो फ़िर आबिदा और सलमा को चोदता रहा।
अब जबकि आर्यन और आबिदा में सुलह गो गयी थी, माहोल और खुशनुमा हो गया था। रात का खाने खाने के बाद हम सब ड्रिंक्स पीते हुए टीवी पर एक ब्लू फिल्म देखने लगे।
फिल्म काफी सैक्सी थी। वो फिल्म एक कुँवारी लड़की की पहली चुदाई की कहानी थी, सब लोग शराब का मज़ा लेते हुए वो फिल्म देख रहे थे।
“वाह क्या पिक्चर है! काश मैं उस लड़के की जगह होता और चूत को फाड़ रहा होता!” राम अपने खड़े लंड को सहलाते हुए बोला।
“हाँ सही कह रहे हो…… देखो तो उसकी चूत का छेद कितना छोटा है!” शाम भी बोला।
“काश हमें भी कोई कुँवारी लड़की की चूत मिल जाती, हमारी बीवियाँ तो पहले इन साले राम और श्याम से चुदवा चुकी थीं, इसलिये ये मौका हमारे हाथ से जाता रहा”, जय और विजय दोनों साथ-साथ बोले।
“तुम सब लोग कुँवारी चूत की बात कर रहे हो, कुँवारी चूत में ऐसा क्या है?” आर्यन ने पूछा।
“आर्यन! तुम्हें नहीं पता कि कुँवारी चूत को चोदने में कितना मज़ा आता है”, राम ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“यार! तुम्हें नहीं मालूम जब एक मस्ताना लंड किसी कुँवारी चूत में घुसता है तो उस कुँवारी चूत की झिल्ली उस लंड को अंदर जाने से रोक देती है। तब तुम्हें अंदर बाहर करके उस झिल्ली को फाड़ने के लिये जोर लगाना पड़ता है। और जब जोर लगाते हुए वो लंड चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ और उस झिल्ली को फाड़ता हुआ जड़ तक समाता है तो उसका मज़ा ही कुछ और होता है”, श्याम ने कहा।
“डियर! ये मज़ा ज़ुबान से बयान नहीं किया जा सकता, इसके लिये तो तुम्हें कुँवारी चूत का अनुभव करना होगा”, राम ने फिर जवाब दिया।
“मेरे प्यारे भाई! चिंता मत करो, एक दिन तुम्हें भी कुँवारी चूत चोदने का मौका मिलेगा”, फातिमा ने उसकी पीठ थपाते हुए कहा, “आप क्या कहती हैं मम्मी?” उसने रूही की ओर देखा।
“मैं अभी से कुछ नहीं कह सकती”, रूही ने आबिदा की ओर देख कर कहा, “आबिदा! सायरा के साथ तुम कहाँ तक बढ़ी हो?”
“मैडम! कुछ खास नहीं, हालांकि वो मुझे अपने मम्मे दबाने देती है और चुम्मा भी लेने देती है मगर अपनी चूत को हाथ लगाने नहीं देती”, आबिदा ने जवाब दिया।
“तो इसका मतलब है कि उसके भरोसे नहीं रहा जा सकता?” रूही ने कहा।
“हाँ मैडम! फिलहाल तो नहीं…. लेकिन वो रास्ते पे जरूर आ जायेगी, उसकी चूत बहुत गरम है”, आबिदा ने कहा।
“मम्मी! आप भी कमाल की हो! आपको पहले से ही मालूम था कि एक दिन हालात ऐसे हो जायेंगे और आपने आर्यन के लिये कुँवारी चूत पहले से ही सोची हुई थी?” फातिमा ने कहा।
“सायरा कौन? अपने माली की लड़की?” आर्यन ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ वही!” आबिदा ने आर्यन की बात की पुश्टी की।
“काश उसकी कुँवारी चूत मुझे चोदने को मिल जाती”, आर्यन ने हताश होते हुए कहा।
“आर्यन इतने निराश मत हो! हो सकता है वो अब भी तुम्हें मिल जाये। आबिदा! ये बताओ कि उसकी उम्र कितनी है?” प्रीती ने पूछा।
“मैडम! वो कोई बच्ची नहीं है, और जहाँ तक मेरा अंदाज़ है उसकी उम्र अपने आर्यन बाबा जितनी ही होगी”, आबिदा ने जवाब दिया।
“ठीक है! आबिदा क्या वाकय में वो बहुत गरम मिजाज़ लड़की है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ मैडम! वो मुझे अपने मम्मे चूसने देती है, और मेरे मम्मे भी बड़े सैक्सी अंदाज़ में चूसती है, लेकिन वो समाज की बंदिशों से शायद डरती है और इसी लिये इससे आगे नहीं बढ़ती”, आबिदा ने जवाब दिया।
“तब तो ठीक है! रूही आंटी कल आप सायरा को घर पर बुलाओ और मैं देखती हूँ कि वो अपनी चूत में लंड के लिये भीख कैसे नहीं माँगती”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“पर ये सब कैसे होगा?” रूही ने उत्सुक्ता से पूछा।
तब प्रीती ने रूही को स्पेशल दवाई की कहानी सुनाई कि कैसे ये सब हासिल हो सकता है। पर उसने खुद को और मेरी बहनों को पर्दे में ही रहने दिया।
“इसका मतलब है तुम वो दवाई अपने साथ लायी हो?” रूही बोली।
“हाँ! ले के तो आयी थी कि पता नहीं कब इस्तमाल करने की जरूरत पड़े, पर लगता है कि आज उसकी जरूरत पड़ ही गयी”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“तब तो ठीक है”, रूही ने कहा, “आबिदा एक काम करो! तुम उसके घर जाओ और उसके घर वालों को कहो कि मेहमान आये हैं और उसे शाम को कुछ देर भी हो सकती है काम पर से वापस आने में। लेकिन उन्हें इस बात का यकीन दिला देना कि कोई भी उसे घर तक छोड़ के जायेगा।”
आबिदा रात के खाने के थोड़ी देर बाद ही आकर बोली, “मैडम! वो सुबह नौ बजे पहुँच जायेगी।”
सुबह नाश्ते के बाद हम सब सायरा के आने का इंतज़ार कर रहे थे। “प्रीती! तुमने आबिदा को सब कुछ समझा दिया है ना?” रूही ने पूछा।
“हाँ! मैंने उसे वो स्पेशल दवाई मिले कोक कि बॉटल भी दे दी है…. और उसे कहा है कि संभल कर यूज़ करे…. ताकि सायरा को शक ना हो”, प्रीती ने कहा।
आर्यन ख्यालों में कहीं खोया हुआ था। “तुम्हें इतना चिंतित होने की जरूरत नहीं है”, प्रीती ने कहा।
“मैं चिंतित नहीं हूँ, बुस अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पा रहा हूँ”, आर्यन ने जवाब दिया।
“सिर्फ़ वैसे ही करना जैसा मैंने तुम्हें समझाया है, कहीं जोश में अपना लंड एक ही झटके में उसकी चूत में ना घुसेड़ देना, वर्ना वो दर्द में चिल्ला पड़ेगी और तुम्हें भी मज़ा नहीं आयेगा।”
“पहले उसे खूब प्यार करके उत्तेजित करना। और अगर वो अपने टाँगें जकड़ी रखे तो अपने लंड को प्यार से उसकी चूत पे इतना रगड़ना कि वो खुद-ब-खुद अपनी टाँगें फैला दे। फिर धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डालना और धीरे से धक्के मारते हुए उसकी झिल्ली को फाड़ना, इससे तुम्हें भी मज़ा आयेगा और उसकी भी पहली चुदाई यादगार बन जायेगी”, प्रीती ने उसे समझाते हुए कहा।
इतने में आबिदा ने बताया कि सायरा आ गयी है और वो उसे किचन में लेकर जा रही है जहाँ सलमा उनका इंतज़ार कर रही है।
जैसे ही वो हम लोगों की नज़रों के आगे से गुज़र कर किचन की ओर बढ़ी तो मैंने देखा कि वो देखने में कोई बहुत सुंदर नहीं थी पर उसके शरीर की बनावट बहुत ही जानदार थी। उसकी छातियाँ बहुत ही बड़ी और भरी-भरी थी।
“आर्यन तुम सही में नसीब वाले हो”, जय ने कहा।
“सही में! उसकी चूत में लंड डालने में मुझे तो बहुत ही मज़ा आयेगा”, श्याम ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“तुम्हें किसकी चूत में लंड डालने से मज़ा नहीं आता?” अंजू बोली।
किचन में पहुँच कर सायरा बोली, “हाय अल्लाह! इतने कपड़े धोने के लिये हैं, अभी कुछ दिन पहले ही तो मैं सब कपड़े धोकर गयी थी।”
“वो क्या है कि मैडम के कुछ मेहमान आये हैं, इसलिये कपड़े कुछ ज्यादा हो गये हैं, ऐसा करो कुछ चाय नाश्ता कर लेते हैं फिर हम साथ में सब कपड़े धो देंगे”, आबिदा ने उससे कहा।
“हाँ ये ठीक रहेगा”, सायरा ने कहा।
“क्या लेना पसंद करोगी, चाय या कोक?” आबिदा ने पूछा।
“आज मुझे कोक ही दे दो, गर्मी कुछ ज्यादा है”, सायरा ने कहा।
आबिदा ने उसे कोक कि बॉटल पकड़ाई। “तुम्हें पता है कि आज मैं इस घर में दूसरी बार कोक पी रही हूँ”, सायरा ने कहा।
“दूसरी बार? लेकिन हमने तो तुझे हमेशा ही चाय पीते देखा है, पहली बार कोक कब पिया था?” सलमा ने पूछा।
“ठीक है… मैं बताती हूँ लेकिन किसी से कहना नहीं”, सायरा ने कोक का सिप भरते हुए कहा, “पिछले साल जब आर्यन सहाब छुटियों में घर आये थे तो मैं उनके कमरे में उनके कपड़े रखने गयी तो उन्होंने मुझसे अच्छी तरह बात की और कहा कि सायरा आज गर्मी कुछ ज्यादा ही है, क्या तुम कोक पीना पसंद करोगी?”
“मैंने हाँ कर दी और उन्होंने मुझे कोक की बॉटल पकड़ा दी, फिर उन्होंने मुझे बाँहों में भरके चूमने की कोशिश की लेकिन मैं वहाँ से भाग आयी, मुझे लगा कि वो मुझे तभी चोद देंगे। मैं उसके बाद उनके कमरे में कभी नहीं गयी”, सायरा ने कहा।
“तुझे वहाँ रुकना चाहिये था, आर्यन बाबा का लंड सही में जानदार है”, आबिदा ने कहा।
“क्या कह रही हो तुम? इसका मतलब है तुम ने आर्यन से चुदवाया है”, सायरा ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ!!! हम दोनों चुदवा चुकी हैं और सही में बहुत मज़ा आता है”, सलमा बोली, “क्या तुम्हें चुदवाने का दिल नहीं करता?”
“करता है पर डर लगता है! मैंने पढ़ा है कि चुदवाने में बहुत दर्द होता है”, सायरा बोली।
“तुमने गलत पढ़ा है, पहली बार हल्का सा दर्द होता है पर बाद में मज़ा ही मज़ा है”, आबिदा ने उसके मम्मे दबाते हुए कहा।
“पता नहीं मुझे क्या हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि चूत में कीड़ियाँ रेंग रही हैं”, सायरा ने अपनी चूत खुजलाते हुए कहा।
हम समझ गये कि कोक ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।
“लाओ…. मैं देखती हूँ तुम्हें क्या हुआ है”, कहकर सलमा ने सायरा के ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये।
“तू एक बार चुदवा के देख ले, फिर तुझे सब समझ आ जायेगा”, आबिदा ने उसे बिस्तर पर लिटाते हुए कहा।
आबिदा ने उसकी कमीज़ खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मे सहलाने लगी।
“ओहहहह आबिदा तुमने तो मेरी हालत और खराब कर दी है”, सायरा बोली।
“एक काम करो! सलमा को बताओ तुम्हें कहाँ तकलीफ हो रही है, वो तुम्हारी मदद करेगी”, आबिदा ने कहा।
“मुझे नीचे की ओर तकलीफ हो रही है”, सायरा अपनी चूत को और जोरों से रगड़ती हुई बोली।
“इसका मतलब तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है?” सलमा ने उसकी चूत पे हाथ फिराते हुए कहा।
“हाँ!!! यहीं खुजली हो रही है…” सायरा अपनी चूत को और रगड़ती हुई बोली।
सलमा ने फिर उसकी सलवार भी निकाल दी और पैंटी भी उतर दी और इस तरह सायरा पूरी नंगी हो गयी।
सायरा को बिस्तर पर लिटा कर आबिदा ने उसकी चूत को चूम लिया और उसकी चूत पर अपनी ज़ुबान फ़िराने लगी।
“ओहहहहहहह तुम ये क्या कर रही हो, अच्छा लग रहा है!!! हाँआआआ, आआआ ऊँऊँऊँआआआआ…..” सायरा सिसकी।
आबिदा अब उसकी चूत को जोरों से चाटने लगी और अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डालने लगी।
“हाँ और डाल दो!!!! यहीं खुजली हो रही है”, सायरा ने आबिदा के सिर को दबाते हुए कहा।
“पर मैं इसके आगे नहीं जा सकती! मेरी जीभ ज्यादा अंदर तक नहीं जायेगी”, आबिदा बोली।
“पर खुजली तो अंदर हो रही है, वो कैसे शाँत होगी? प्लीज़!!!! अंदर तक घुसाओ ना!” सायरा तड़पते हुए बोली।
“फिर तो कोई मोटा और लंबा लौड़ा ही तुम्हारी खुजली को शाँत कर सकता है”, आबिदा उसकी चूत को जोरों से चाटती हुई बोली।
कुछ देर सन्नाटा छाया रहा। “ठीक है लौड़ा ही सही…. पर लौड़ा कहाँ से लेकर आयें?” सायरा छटपटाते हुए बोली।
“आर्यन बाबा कैसे रहेंगे? वैसे भी वो तुझे पसंद है!” आबिदा अपनी जीभ उसकी चूत में और अंदर घुसाते हुए बोली।
“क्या आर्यन बाबा यहीं हैं!” सायरा बोली।
बिना उसकी बात का जवाब दिये, आबिदा सलमा से बोली, “सलमा! जाओ और आर्यन को बुला लाओ और बोलो कि सायरा चाहती है कि आप उसकी चूत आज फाड़ दें?”
जैसे ही सलमा ने आर्यन को आकर ये कहा, आर्यन आबिदा के रूम की तरफ भागा और बीच में अपने कपड़े भी खोलता गया। आर्यन कमरे में पहुँचा और सायरा को नंगी देख कर अपने लंड को सहला रहा था।
“इसका लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है, ये मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा?” सायरा ने डर के आबिदा से पूछा।
आर्यन उसके बगल में लेट गया और उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “डरो मत मेरी जान! मैं इतने प्यार से अपना लौड़ा तुम्हारी कुँवारी चूत में घुसाऊँगा कि तुम्हें पता भी नहीं चलेगा।”
आर्यन सायरा के ऊपर लेट कर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। सायरा ने अपनी दोनों टाँगें सिकोड़ रखी थी। आर्यन प्रीती की बातों को खयाल में रख कर जोर से अपने लंड को रगड़ता जा रहा था।
आर्यन के लंड ने सायरा के शरीर में गर्मी भर दी। उसकी टाँगें अब धीरे-धीरे फ़ैलने लग रही थी। “मेरी जान! अपनी टाँगें और फ़ैलाओ ना!” आर्यन ने उसके होंठों को अपने होंठों में लेते हुए कहा।
आर्यन ने अपनी टाँगें उसकी टाँगों में फंसा कर उसकी टाँगों को और फैला दिया। फिर उसने अपना लंड उसकी चूत के छेद पे रख कर धीरे से अंदर दबाया। “ओहहहह मर गय़ीईई!!!!” सायरा सिसकी।
आर्यन ने अब अपने लंड का दबाव बढ़ाते हुए धीरे से एक और धक्का मारा, “ओहहहहह बहुत दर्द हो रहा है!!!! आर्यान बाबा….. प्लीज़ निकाल लीजिये, ओहहह आहहह… आबिदा इन्हें मुझ पर से हटाओ ना!!!! नहीं सहा जा रहा है”, सायरा दर्द से चिल्ला पड़ी।
आर्यन ने उसकी बातों को अनसुना करके उसके कंधे पकड़े और एक कसके धक्का मारा। “ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईई अल्लाहआआआ मर गयीईईई”, वो जोर से चींखी, और आर्यन का लंड उसकी झिल्ली को फाड़ते हुए उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
आर्यन अपनी खुशी को रोक ना पाया कि वो भी आज एक कुँवारी चूत को चोद रहा है, वो रुक कर आबिदा की ओर मुस्करा कर देखने लगा। “बहुत अच्छे आर्यन बाबा! अब सायरा को प्यार से चोदो”, आबिदा ने आँख मारते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
आर्यन बड़े प्यार से सायरा को चोदने में लग गया। उसके हर धक्के के साथ सायरा की आँख से आँसू बह रहे थे।
“मेरी चूत में भी बहुत जोरों की खुजली हो रही है”, आबिदा बोली।
“मुझसे से भी ये नज़ारा देखा नहीं जा रहा है”, सलमा अपने कपड़े खोल कर अपनी बाँहें फ़ैलाते हुए बोली, “आओ हम दोनों एक दूसरे की प्यास बुझाते हैं।”
थोड़ी देर में ही दोनों नंगी हो एक दूसरे की चूत चाटने लग गयी।
थोड़ी ही देर में सायरा को भी मज़ा आने लगा। अब उसकी चींखें सिसकियों में परिवर्तित हो गयी थीं। “अब दर्द कम हुआ और मुझे अच्छा भी लग रहा है”, सायरा ने आर्यन को चूमते हुए कहा।
आर्यन ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी। “हाँ राजा चोदो!!! और जोर से चोदो!!! अब मज़ा आ रहा है”, सायरा अब उसके धक्कों का जवाब देती हुई बोली।
आर्यन अब पूरी ताकत लगा कर सायरा को चोद रहा था। हाँ और जोर से!!!! “ओहहहह आआआहहह चोदो राजा!!!!” सायरा भी अपने कुल्हे उछाल कर आर्यन की ताल से ताल मिला रही थी।
जैसे ही आर्यन ने अपनी रफ़्तार और बढ़ायी, सायरा का शरीर अकड़ने लगा। “ओहहहह और जोर से!!!! ओहहहह मेरा छूटाआआ”, कहकर सायरा ने पहली बार जीवन में झड़ने का मज़ा लिया। दो तीन धक्के और मार कर आर्यन के लंड ने भी अपनी पिचकारी सायरा की चूत में छोड़ दी।
दोनों का शरीर पसीने में लथपथ था और एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।
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