मेरी कुंवारी बुर की ठुकाई की चाहत

(Meri Kunvari Bur Ki Thukai Ki Chahat)

मेरे प्यार प्यारे दोस्तो, और सहेलियों, कैसे हैं आप सब?
मैं उम्मीद कर रही हूँ कि इस ठंड में लड़कों को चूत और लड़कियों को लण्ड खूब मिल रहे होंगें। सर्दियों के मौसम में अगर चूत को लण्ड और लण्ड को चूत मिल जाए तो मज़ा ही आ जाता है। मेरा तो बहुत मन करता है गर्म-गर्म लण्ड लेने का। और बात जब सर्दियों की हो तो उसका मज़ा दोगुना हो जाता है।

मैं अपनी पहली कहानी लेकर आप सबके सामने आई हूँ कि कैसे मैंने पहली बार एक लण्ड को पटाया और वो जल्दी ही पट भी गया. चूँकि यह मेरी पहली कहानी है तो अगर कोई गलती हो जाए तो आप लोगों से कहना चाहूँगी कि नज़रअंदाज़ कर दें। अब मैं आपको अपनी पहली ठुकाई की कहानी बताती हूँ।

सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं। मेरा नाम रश्मि शर्मा (काल्पनिक) है, मैं यू. पी. की निवासी हूँ। मेरे वक्ष का साइज़ 34, कमर 30 और गांड 36 की है। नैन-नक्श से हुस्न की मल्लिका हूँ मैं। मेरे स्तन गोल-मटोल हैं और निप्पल भूरे रंग के हैं। मेरी इस पहली कहानी में मैं बताऊंगी कि मैने अपनी सील कैसे तुड़वाई।

मैं अंतर्वासना की नियमित पाठिका हूँ. इस मजेदार साइट की ज्यादातर कहानी मैंने पढ़ी हैं उन कहानियों को पढ़कर मेरी भी चूत लण्ड निगलने को कुलबुला उठती थी। मेरा भी मन करता था कोई मेरी चूत चूसे, मेरे दूध दबा कर निचोड़ डाले, मेरी चूत में खीरे जैसा लण्ड डाल कर फाड़ डाले।

बहुत बार ट्राई किया कि किसी लण्ड को फंसाऊं लेकिन अभी तक मैं अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई थी। फिर एक दिन वो मौका आ ही गया जब मुझे अपने लिए एक लण्ड मिल गया। जो मेरी चूत का उद्घाटन करने के लिए जल्दी ही तैयार भी हो गया।

बात बीते कुछ दिन पहले की है जब मैं कॉलेज जाती थी। नवंबर का ही महीना था, मैं अपने परिवार के साथ एक कार्यक्रम में शामिल होने दूसरे शहर गयी थी। वहाँ जाकर थोड़ा आराम करने के बाद में ग्राउंड में टहल रही थी कि मेरी नज़र एक लड़के पर पड़ी. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराया तो बदले में मैं भी मुस्करा दी।

शाम को सब लोग खाना खा रहे थे तभी वह लड़का भी हमारे पास आ गया और फिर ताऊ की बेटी ने हम सबका परिचय उससे कराया। मुझे वह बहुत ही स्मार्ट लगा। हम दोनों चुपके से एक दूसरे को ही देख रहे थे। हम दोनों ने एक दूसरे से इशारे में ऊपर अकेले में आने का न्यौता भी दे डाला। खाने के बाद मैं सबसे नज़रें छिपा कर ऊपर पहुंची तो देखा कि वो मेरा इंतज़ार कर रहा था।
हम दोनों में सामान्य बातें होने लगीं.

कुछ देर में मुझे ठंड लगने लगी और मेरे चेहरे पर ठिठुरन देखकर उसने मुझसे पूछ लिया- ठंड तो नहीं लग रही है?
मैंने कह दिया- ज्यादा तो नहीं लग रही, मगर हल्की-हल्की लग रही है।
मेरे यह कहने पर उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- दिखाओ, कितनी लग रही है।

मेरा हाथ पकड़कर उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लिया और प्यार से सहलाने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। मैं मंद-मंद मुस्कुरा रही रही थी। वो भी समझ गया कि मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं ऐसा करवाने में। उसने मुझे अपने थोड़ा और पास आने के लिए कहा तो मैं सरक उसके और पास चली गई। उसने मुझे दोनों बांहों में भरते हुए कहा- अब तो नहीं लग रही ना?
मैंने कहा- नहीं।

फिर धीरे-धीरे उसने मेरे कंधे को सहलाना शुरू कर दिया और मुझे अब उसकी छुअन में अधिक आनन्द आने लगा। मैंने आंखें बंद कर लीं और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपने होंठ सीधे मेरे होंठों पर रख दिए। मैं भी यही चाह रही थी।
उसके होंठ चूसने का अब मेरा भी मन करने लगा तो हम दोनों के होंठ आपस में तेज-तेज चलते हुए जैसे कुश्ती लड़ने लगे और उसका हाथ मेरे स्तनों को दबाने लगा, मैं गर्म होने लगी.

बहुत देर तक उसके होंठों को चूसने के बाद मेरा दिल भी कर रहा था कि मैं उसके लण्ड पर हाथ रख दूँ. मैंने उसके लण्ड पर हाथ रख दिया और वो उसकी पैंट में उछलने लगा. मेरी कामुकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी. हम पागलों की तरह एक दूसरे को चूसते ही जा रहे थे. वो मेरे स्तनों को मसल रहा था और मैं उसके लण्ड को सहलाने का मज़ा ले रही थी।
वो मेरे स्तनों को दबाते-दबाते दूसरा हाथ मेरी चूत पर ऊपर से फिराने लगा. मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी. मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी. डीजे की तेज़ आवाज़ में मेरी सिसकारी दब कर रह जाती।

मैं भी उसके लण्ड को हाथ में पकड़ने की कोशिश करते हुए सहलाती जा रही थी जिससे उसका लण्ड अपने पूरे आकार में तनकर बिल्कुल रॉड जैसा सख्त हो गया था और उसका काफी मोटा भी था।
जब उससे रहा न गया तो उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरे हाथ में पकड़ा दिया और मैं उसके कड़क लण्ड पर हाथ फिराने लगी, उसे अपनी तरफ़ खींचने लगी।

हम दोनों ने चारों ओर देखा पर कोई जगह ढंग की नहीं मिली जहां पर हम आराम से एक दूसरे की प्यास बुझा सकें। हमारे पास समय और जगह दोनों की ही कमी थी। फिर उसने मुझे वहीं दीवार के सहारे लगाकर मेरा लहंगा ऊपर कर दिया।
वो नीचे बैठकर मेरी चूत को चाटने लगा। मैंने लहंगा उसके सिर पर डाल दिया और उसको ढक लिया। उसने मेरी एक टाँग अपने हाथ से उठा रखी थी और अपनी जीभ मेरी चूत पर फिरा रहा था। वो मेरी पानी छोड़ रही चूत का रस पीने लगा, अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ने लगा। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि उसके सिर को पकड़कर अपनी चूत में घुसा लेना चाहती थी। उसने मुझे बिल्कुल पागल कर दिया था।

जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अपनी जीभ चूत से निकाल ली और मैंने लंहगा हटा दिया। वो मेरी तरफ कामुक नज़रों से देख रहा था। मैं तड़प रही थी. मेरी तड़प देखकर उसे अच्छा लग रहा था. वो फिर से खड़ा हो गया और मेरी चूत चाटने के बाद जो रस उसके होंठों पर लगा हुआ था, उसी रस के साथ उसने मेरे होंठों को फिर से चूसना शुरू कर दिया। मैं और ज्यादा कामुक हो गई।

फिर उसने साथ ही मेरे स्तनों को फिर से दबाना शुरू कर दिया। बड़ा खिलाड़ी लग रहा था वो कमीना! उत्तेजित होकर मैंने उसके लण्ड को और तेजी से मसलना शुरू कर दिया। अब वो भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था और उसने मुझे अपनी टाँगों के पास बैठा लिया। उसका मोटा खीरे जैसे लण्ड मेरी नाक की सीध में फनफना रहा था।

उसने अपना लण्ड मेरे होंठों पर फिराना शुरू कर दिया। मेरे गालों पर भी फिराया और माथे पर भी लगाया। मैं भी उसकी क्रिया का मज़ा ले रही थी। वो समझ गया था कि मैं लण्ड के लिए कितने दिनों से तड़प रही थी।
उसके लण्ड से निकल रहा चिपचिपा पदार्थ मैं अपनी जीभ से चाट जाती थी। उसका स्वाद मैंने पहली बार चखा था कि लड़कों के लण्ड से जो पानी निकलता है वो कैसा लगता है। नमकीन सा पानी बूंद-बूंद करके बाहर आ रहा था।

अब मैंने उसके लण्ड के टोपे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, वो सिसकारी लेने लगा। उसने अपना टोपा चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं भी उसके लण्ड के टोपे को लॉलीपोप की तरह चाट रही थी। जब मैंने देखा कि वो बहुत तड़प रहा है तो फिर मैंने बिना कहे ही उसका लिंग अपने मुँह में ले लिया और मजे़ लेकर चूसने लगी। वो मेरे मुंह में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। उसका मोटा लण्ड लेकर मेरा मुंह भर गया था लेकिन मुझे उसका लिंग चूसने में बहुत ही मजा आ रहा था।

मेरी चुदने की इच्छा भी बस अब पूरी होने ही वाली थी। काफी देर तक चुसाई के बाद मैंने अपनी चूत में लण्ड डालने के लिए उससे खुद ही कह दिया।
वो भी बस इंतज़ार में ही था कि कब चूत में घुसाने को बोलूंगी मैं… जब उसने अपना मोटा लौड़ा मेरी चूत में घुसाया तो पहले तो मुझे काफी दर्द हुआ लेकिन उसका लण्ड इतना मस्त था कि वो दर्द भी बर्दाश्त किया जा सकता था।
और जिसे चुदने की चुल्ल हो उसे दर्द में भी मज़ा आता है।

उसके मोटे खीरे जैसे लण्ड ने मेरी सील तोड़ दी जिसके टूटने से मेरी चूत से खून आने लगा। फिर भी मैं दर्द को सहन करती रही, बहुत मज़ा आने लगा था उससे चुदते हुए। वो मेरी चूत में पिस्टन की तरह धक्के मारे जा रहा था, कुछ देर में मेरा सारा दर्द गायब हो गया और अब इतना आनन्द आ रहा था कि उससे चुदती ही रहूं और वो मुझे ऐसे ही सारी रात चोदता रहे।

कभी उसके धक्के तेज़ होने लगते तो कभी धीरे-धीरे प्यार से चोदने लगता। बहुत मज़ा दे रहा था मुझे। मेरी सारी तमन्ना पूरी कर रहा था वो!

मेरी चूत अपनी चुदाई करवाते-करवाते जब तृप्त होने लगी तो मेरी चूत से एक कामरस का सैलाब बाहर आ गया। उसके बाद भी वो नहीं रूका और लगभग 2-3 मिनट बाद उसने एकदम से अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और बाहर आते ही उसके लण्ड से गाढ़े दूध जैसी पिचकारियाँ छूटने लगीं। उसने सारा वीर्य वहीं ज़मीन पर गिरा दिया।

उसके बाद रुमाल से उसने मेरी चूत और अपने औज़ार को साफ किया। वो काफी थका-थका सा लग रहा था और मेरी चुदने की ख्वाहिश पूरी होने के बाद मैं भी अब वहां ज्यादा देर रुकना नहीं चाहती थी। इसलिए हम दोनों नज़र बचाकर नीचे आ गए।

लेकिन बाद में मुझे पता चला कि हमारे इस चुदाई के खेल को कोई और भी देख रहा था। कोई दूसरा लड़का था लेकिन उसने अभी तक किसी को कुछ नहीं बताया था। नीचे आकर मैं एक जगह पर बैठ गयी क्योंकि दर्द के कारण मुझे चलने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन उस मोटे लंड से चुदने के बाद मैं अंदर ही अंदर खुश भी हो रही थी।

हम लोग फिर सुबह अपने घर आ गए और घर आकर मैंने आराम किया। मन में बहुत खुशी थी क्योंकि वह मेरी पहली चुदाई थी जिसने मुझे बहुत आनन्द दिया और उसके बाद मैं दूसरे शिकार की तलाश में जुट गई। क्योंकि एक बार चुदकर जो सुख मुझे मिला था वो सुख मैं बार-बार अनुभव करना चाह रही थी। मुझे पहली चुदाई में दर्द तो बहुत हुआ लेकिन मोटा लण्ड लेने की मेरी तमन्ना भी पूरी हो गई जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया।

मैं अपनी उस पहली ठुकाई को बहुत याद करती हूँ। और जल्दी ही किसी नए लण्ड को फंसाऊंगी और आपके लिए एक नया किस्सा लेकर आऊंगी। तब तक आप मुझे बताएँ कि आपको मेरी यह पहली चुदाई की कहानी कैसी लगी. आप मेल पर अपनी राय देकर जरूर बताएँ और यदि मेरी पहली कहानी में कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ करें। नीचे दी गई मेल आई-डी पर मैं आपके मैसेज का इंतज़ार करूंगी।
[email protected]

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