प्यार की एक कहानी

प्रेषिका : गौरी

हैलो दोस्तो, मैं गौरी आपके सामने अपनी पहली कहानी लेकर आई हूँ। मैं दिखने बहुत सुन्दर हूँ, एकदम दुबली हूँ। फ़िगर बहुत सैक्सी है, बहुत गोरी हूँ।

कहानी तब की है जब मेरा दूसरा ब्रेक-अप हुआ था। तब मुझे पता चला कि शेखर मुझसे प्यार करता है पर पागल ने मुझे कभी बताया नहीं था पर उसे मेरे दोनों ब्रेक-अप के बारे में पता था। वो सिर्फ़ मेरे ख़ुशी के लिए चुप था क्योंकि मैं खुश थी।

मेरा दूसरा ब्रेक-अप हुआ तब मैंने उसे बताया तो वो दुखी था क्योंकि मैं दुखी थी। उसने अपने मन की बात कभी बताई नहीं। दूसरे दिन जब मैं उसके घर गई तो वो उदास था।

जब मैंने उसे पूछा तो बताया नहीं। मैं जब चिल्लाई तो मुझे गले से लगा कर रोने लगा। मुझे अपने प्यार का इजहार किया। जब मैंने उसे पूछा कि पहले क्यों नहीं बताया तो कहने लगा कि तुम खुश थी तो नहीं बताया क्योंकि तुम्हें मैं नाराज नहीं कर सकता था।

तब मैं भी रोने लगी कि इतना प्यार करने वाला मेरे सामने था तब भी मैं उसे पहचान ना सकी।

उस दिन से मैंने मेरे मन में ठान लिया कि उसे ही अपने जीवन का साथी बनाऊँगी। उसके बाद हमारे प्यार का सफ़र शुरू हुआ। हम दोनों अपने-अपने सपनों में खोये हुए थे। बहुत प्यार करता था मुझे।

पर भगवान को कुछ और ही मन्जूर था। इधर हम हमारे सपनों में खोये हुए थे, उधर मेरे माता-पिता मेरी शादी पक्की कर रहे थे, उन्होंने जब मुझे बताया तब मैं बहुत रोई। और ज्यादा चिंता मुझे शेखर की थी कि वो अपना क्या हाल कर लेगा।

मैंने उससे अपनी सगाई की बात की तो वो बहुत बुरी तरह से रोने लगा, उसने खाना-पीना बन्द किया। जब भी मैं उसे फोन करती, तो बस रो लेता था, कुछ ना बोलता था।

जब सगाई हुई तब कुछ दिनों के बाद ही मैं उससे मिलने गई तो देखा कि बस मरने पर तुला था, बहुत खराब हाल किया था उसने अपना। उस समय मैंने उसे कसम दी कि वो सुधर जाए क्योंकि मैं भी उसे भूल नहीं सकती थी। जिससे मेरी शादी होने वाली थी, ना तो वो मुझसे प्यार करता था, ना मैं उससे प्यार करती थी, जबरदस्ती शादी हो रही थी।

मेरी शादी को पन्द्रह दिन रहे थे। मैंने शेखर को फोन किया और मिलने बुलाया। हम पूना के अप्पू घर में मिले और बात करते-करते उसे न जाने क्या हुआ वो मेरे सीने के उभार दबाने लगा।

मुझे कुछ होने लगा और बूब्स दबाते-दबाते मुझे चूमाचाटी से मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी होने लगी और चूत ने पानी बहाना शुरू किया तो मुझसे रहा ना गया और मैं उसका साथ देने लगी।

जब जरा होश सम्भाला तो मैंने कहा- कहीं और चलते हैं !
हमने एक होटल में कमरा लिया और अन्दर गए तो उसने मुझे पकड़ लिया और बेड पर धकेल दिया और वो मेरे ऊपर चढ़ने लगा, मुझे पागलों की तरह किस करने लगा और बूब्स दबाने लगा। मुझे बहुत कुछ हो रहा था पर क्या करती? मुझे भी अपना सब कुछ शेखर को जो देना था, तब मैंने सलवार-कमीज पहनी थी।
वो आगे बढ़ता गया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मैं अब सिर्फ़ मेरे सफ़ेद ब्रा और पैन्टी में थी, मैं भी पूरे जोश में थी, उसे नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे चूमने लगी। अब हम पूरे तरह से उत्तेजित हो गए थे।

मैंने भी उसके कपड़े निकालने शुरू किए। वो भी सिर्फ़ एक अंडरवियर में था, उसका लण्ड पूरा खड़ा था। मैं तो डर गई थी कि न जाने कितना बड़ा होगा?

वो मेरे ऊपर आया और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे निप्पल चूसने लगा, मेरा यह पहला अनुभव था, जब वो मेरे चूचुक चूस रहा था मैं तब ही झड़ गई।

उसने अपना ध्यान चुदाई में ही लगाए रखा था, मुझे पूरी नंगी करके खुद भी पूरा नंगा हो गया। जब उसका 7 इन्च का लण्ड देखा तो मैं डर गई, क्योंकि मैं पहली बार चुद रही थी। इतना बड़ा लण्ड मैं कैसे ले पाऊँगी?

मैं जोश में थी तो सोच लिया कि जो होगा देखा जएगा। उसने मुझे लण्ड चूसने को कहा तो मैंने मना कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने कहा- मुझे पसन्द नहीं है।
उसने भी जबरदस्ती नहीं की, वो फ़िर से मेरे निप्पल चूसने लगा।

अब मुझसे रहा ना गया तो कहने लगी- चोदो मुझे !
तो शेखर ने मेरे पैर फ़ैला दिए, अपना लण्ड मेरी चूत पर टिकाया और अन्दर घुसाने लगा। जैसे-जैसे उसका लौड़ा अन्दर जाता, मैं दर्द से चिल्लाती तो वो धीरे-धीरे करता दर्द कम होता था। वो फ़िर से अन्दर डाल देता था। जैसे-तैसे आधा अन्दर गया और वो थोड़ा रुका। अचानक उसने एक जोर का धक्का दिया और पूरा का पूरा अन्दर डाल दिया।

मैं दर्द के मारे चिल्लाने लगी और रोने लगी। उसने मेरे मुँह को अपने होंठों से बन्द कर दिया। मेरी आवाज अन्दर ही गायब हो गई। जब दर्द कम हुआ और मैं कुछ शान्त हुई, तब उसने मुझे चोदने की गति बढ़ाई। उसके धक्कों से मुझे मजा आने लगा और मैं उसका साथ देने लगी। वो भी पूरे वेग से मुझे चोदता रहा।

जब मैं जब झड़ने वाली थी, मैंने शेखर को जोर से पकड़ लिया और झड़ गई। वो मुझे अभी भी चोदे जा रहा था।

जब उसकी बारी आई तो मैंने उसे अपने अन्दर ही डालने को कहा। क्यों ना कहती? मेरी ओर से भी उसे प्यार का तोहफ़ा देना था मुझे।

चुदाई के बाद हम साथ-साथ वहीं प्यार से एक दूसरे को सहलाते रहे। जब घर जाने का समय आया तो वो फ़िर से रोने लगा।

मुझसे देखा ना गया तो मैं उसे वहीं छोड़ कर घर चली आई। मैं घर आकर बहुत रोई क्योंकि मेरा प्यार मुझसे दूर जाने वाला था।

आज मेरी शादी को तीन साल हो गए हैं, मैंने अपने शरीर को अपने पति को हाथ नहीं लगाने दिया है। आज भी उसे मैं बहुत मिस करती हूँ। जब भी मौका मिलता है, मैं शेखर को फोन करती हूँ, बेचारा बहुत रोता है। आज भी मुझे बहुत प्यार करता है।

यह मेरी कहानी मैंने अपने पति को दिखाने के लिए लिखी है कि मैं कभी तुम्हारी नहीं हो सकती।

आशा है आपको मेरी कहानी पसन्द आई होगी। मुझे मेरी दोस्त की ईमेल पर अपने कमेंट जरूर दीजिये।

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