जोगिंग पार्क-3
नेहा वर्मा एवं शमीम बानो कुरेशी
फ़िर एक दिन मैं जब सवेरे विजय के यहाँ गई तो वहाँ उसका एक दोस्त और था। मैं उसे नहीं जानती थी… पर वो मुझे जानता था। उसने अपना नाम प्रफ़ुल्ल बताया था, पर लोग उसे लाला कहते थे। मुझे वहाँ रोज आता देख कर वो भी विजय के यहाँ आने लगा था। शायद वो मेरे कारण ही आता था। धीरे धीरे वो भी मेरे दिल को छूने लगा था लेकिन लाला के कारण हमारा खेल खराब हो चला था।
एक दिन शाम को विजय मेरे घर आ गया…
मेरे घर में एकांत देख कर उसने राय दी कि यहाँ मिलना अच्छा रहेगा। पर हमें जगह तो बदलनी ही थी, उसके घर के आस पास वाले अब हम दोनों के बारे में बातें बनाने लग गये थे।
अब हम दोनों मेरे ही घर पर मिलने लगे थे। पर मुझे लाला की कमी अखरने लग गई थी तो उसे मैंने पार्क में ही मिलने को कह दिया था। अब हम तीनों ही पार्क में जॉगिंग किया करते थे। मैं लाला से भी चुदना चाहती थी… मेरी दिली इच्छा थी कि दोनों मिल कर मुझे एक साथ चोदें।
यहाँ से अब लाला की कहानी भी शुरू होती है। मेरी फ़ुद्दी रह रह कर उसके नाम के टसुए बहा रही थी। वैसे भी जिसके साथ भी मेरी दोस्ती हो जाती थी, वो मुझे भाने लगता था और स्वयमेव ही चुदाने की इच्छा बलवती होने लगती थी।
मैं विजय की गोदी में बैठी हुई थी, एक दूसरे के अधरों को रह रह कर चूम रहे थे। विजय का लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार में फ़ंसा हुआ था। मैं लाला को पटाने का माहौल बना रही थी। मैंने उसी को आधार बना कर वार्ता आरम्भ की।
“विजय कभी तुम्हारी इच्छा होती है कि दो दो लड़कियों को एक साथ बजाओ?” मैंने बड़े ही चालू तरीके से पूछा।
“सच बताऊँ, बुरा तो नहीं मानोगी… ? इच्छा किसकी नहीं होती एक साथ दो लड़कियों को चोदने की, मुझे भी लगता है दो दो लड़कियाँ मेरा लण्ड मसलें और मुझे निचोड़ कर रख दें… मेरा जम कर पानी निकाल दें…”
“आ… आ… बस बस… सच कहते हो… मेरी सहेली पूजा को पटाऊँ क्या? साली की चूत का भोंसड़ा बना देना !” उसे लालच देती हुई बोली।
“यह पूजा कौन है? उसे भी जोगिंग के लिये ले कर आओ… फिर तो पटा ही लेंगे दोनों मिल कर… फिर देखो कैसे उसकी पूजा करते हैं !”
“कितना मजा आयेगा, हम दोनों मिल कर तुमसे प्यार करेंगे और फिर तुम्हारा माल निकालेंगे… फिर देखो मुझे चूतिया बना कर गोल मत कर देना?”
“अच्छा ! तुम बताओ… तुम्हें अगर दो दो मस्त लण्ड मिल जायें तो… बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती हो…”
“हटो, मेरी ऐसी किस्मत कहाँ है… एक तो तुम ही बड़ी मुश्किल से मिले हो… दूसरा लौड़ा कहाँ से लाऊँ?” मैंने बड़ी मायूसी से कहा।
मैं तो लाला की बात कर रहा हूँ… उसकी नजर तो तुम पर है ही ! हो गये ना हम दो… ” यह सुन कर मेरा मन खुशी से भर गया।
“अरे नहीं रे… मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहती हूँ…।” मैंने विजय को चूमते हुये उसे अपनी बातो में ले लिया और उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी।
“नेहा, तुम कोई मेरी बीवी तो हो नहीं, अगर तुम साथ में लाला से भी मजे ले लो तो मेरा क्या जाता है… बल्कि तुम्हें तो दो दो लौड़ों का मजा ही आयेगा ना?” वो मुझे समझाने लगा।
“सच विजय, यू आर सो लवली, सो स्वीट… मैं भी पूजा को ले आऊँगी… तुम उससे मजे लोगे तो सच में मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा।” पूजा मेरी नौकरानी थी, मैंने सोचा उसे जीन्स पहना कर कॉलेज गर्ल बना कर विजय से चुदवा दूंगी।
अब हम दोनों प्यार करते जा रहे थे और लाला को पटाने की योजना बनाने लगे।
सोच समझ कर हमने आखिर एक योजना बना ही डाली। इसमे विजय भी मेरी मदद करेगा। मेरा दिल खुशी के मारे उछलने लगा। लाला और विजय का लण्ड अब मुझे एक साथ मेरे जिस्म में घुसते हुये महसूस हुए। मैंने जोश में उसका लण्ड अपनी गाण्ड में घुसा लिया। उस दिन मैंने अपनी गाण्ड खोल कर विजय से मन से चुदाया।
मुझे चोद कर विजय चला गया। शाम को पूजा को मैंने विजय की बात बताई। पूजा बेचारी रोज छुप छुप कर मुझे चुदते देखती थी, वो सुन कर खुश हो गई। मैंने विजय को मोबाईल पर फ़ोन करके शाम को बुला लिया और उसे पूजा से मिलवा दिया।
“विजय यह मेरी खास सहेली है… इसे जरा मस्ती से चोदना… बेचारी बहुत दिनों से नहीं चुदी है…देखो, कहीं यह बदनाम ना हो जाये…”
“नेहा… यह मेरी भी खास बन कर ही रहेगी… पूजा आओ, बन्दा आपको आपको सिर्फ़ आनन्द ही आनन्द देगा।”
मैं उन दोनों को अपने बेडरूम में ले गई और कमरा बाहर से बन्द कर दिया। कुछ ही देर में अन्दर से सिसकियाँ और आहें भरने की उत्तेजनापूर्ण आवाजें आने लगी। मैंने अपनी चूत दबा ली और रस को अपने रूमाल से पोंछने लगी।
करीब आधे घण्टे के बाद उन्होंने बाहर आने के लिये दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोल दिया। पूजा की आँखें वासना से लाल थी, जुल्फ़ें उलझी हुई थी, जीन्स भी बेतरतीब सी थी, टॉप चूचियों पर से मसला हुआ साफ़ नजर आ रहा था, साफ़ लग रहा था कि उसकी मस्त चुदाई हुई है।
विजय भी मुस्कराता हुआ बाहर आया जैसे कि किसी कि कोई मैदान मार लिया हो। मैंने पूजा को चूम लिया।
“बेबी… मस्ती से चुदी है ना… तेरा चेहरा बता रहा है कि मजा आया है… अब तू जा… जब मन करे चुदने का तो विजय को बुला लेना !”
एक तीर से दो काम करने थे मुझे। विजय यूँ तो मुझे चोदता ही… मेरे पति के आने पर पूजा को मेरी जगह चोदता… तब मैं सुरक्षित रहती।
आज तो दिन को ही लाला विजय के यहाँ आ गया था। उसे पता था कि वो थोड़ी देर में मेरे घर जायेगा। मुझ तक पहुँचने के लिये उसे विजय की चमचागिरी तो करनी ही थी ना।
“लाला, भोसड़ी के ! एक बात बता… तुझे यह नेहा कैसी लगती है?” विजय अपनी लड़कों वाली भाषा का प्रयोग कर रहा था।
“जवानी की जलती हुई मिसाल है… मुझे तो बहुत प्यारी लगती है… चालू माल है क्या?”
“एक बात है यार… मुझे भी वो मस्त माल लगती है… तू कहे तो उसे पटायें…”
“कह तो ऐसे रहा है जैसे कोई लड्डू है जो खा जायेगा… दोस्त है, दोस्त ही रहने दे… कहीं दोस्ती भी हाथ से ना निकल जाये?”
“कब तक यार उसे देख देख कर मुठ मारेंगें … कोशिश तो करें… अगर पट गई तो दोनों मिल कर साली को चोदेंगें।”
“चल मन्जूर है, देख अपन साथ ही चोदेंगे… देख विजय … मुझे धोखा ना देना…यार देख मेरा तो लण्ड अभी से जोर मार रहा है।”
मुझे विजय का फोन आया कि लाला मुझे चोदने के लिये तड़प रहा है। मुझे अब लाला से चुदने की तैयारी करनी थी। मैंने पलंग को एक कोने में कर दिया और जमीन पर मोटा गद्दा डाल दिया। जमीन पर बिस्तर पर खुल कर चुदा जा सकता था।
जैसे ही बाहर दो मोटर साईकल रुकी, मेरा दिल धड़क उठा। मैंने बाहर झांक कर बाहर देखा। विजय और लाला ही थे। दोनों आपस में कुछ बाते कर रहे थे। तभी मेरे मोबाईल पर विजय का मिसकॉल आया। यह विजय का इशारा था। मेरा दिल अब जोर जोर से धड़कने लगा था। मुझे पसीना आने लगा था।
दोनों अन्दर आए तो मैं लाला को देख कर बोली- अरे तुम कैसे आ गए?
विजय बोला- मैं ले आया इसे अपने साथ ! तुझे चोदना चाहता है !
लाला कभी विजय को तो कभी मुझे देख रहा था हैरानी से कि विजय कैसे खुल्लमखुल्ला बोल रहा है।
लाला को इस तरह अपनी ओर देखते हुए विजय बोला- क्या देख रहा है बे? मैं तो इसे कई बार चोद चुका हूँ। और इसी साली ने तो मुझे कहा था कि दो लण्ड एक साथ लेना चाहती है तो मैं तुझे पट कर ले आया। तेरी नजर भी तो थी ही ना इस पर !
मैं शरमाते हुए बोली- विजय, क्या बकवास कर रहे हो?
मुझे नहीं पता था कि विजय इस तरह मेरी पोल खोल देगा।
लाला ने आगे बढ़ कर मुझे दबोच लिया।
“लाला… अरे… दूर हटो… क्या कर रह हो?” पर सच कहूँ तो मुझे स्वयं ही इसकी इच्छा हो रही थी।
“तेरी माँ दी फ़ुद्दी… ऐसी मस्त गाण्ड और चूत कहां मिलेगी !” लाला जैसे अपना आपा खो चुका था। उसके अंग अंग फ़ड़क उठे। मेरे स्तन उसने मसल दिये। उसने मुझे अपनी बाहो में उठा कर नीचे गद्दे पर पटक दिया, मेरे ऊपर आकर मुझे दबा लिया, उसके शरीर का दबाव मुझे बड़ा मोहक लगा।
“साली की मस्त चूत चोद डालूँगा !” वो बड़ी कुटिलता से मुस्करा कर अपनी पैन्ट खोल रहा था जैसे मैदान मार लिया हो।
इतने में विजय को पुकारते हुए मैं बेशरमी से बोली- विजय, मुझे बचा लो… देखा लाला मुझे चोदने पर तुला है…
लाला मेरी मैंने विजय को आँख मारी। विजय ने मेरी मैक्सी उठाते हुए मेरे गले से निकाल कर फ़ेंक दी। अन्दर मैंने कुछ पहना ही नहीं था तो मैं अब मादरजात नंगी हो गई थी।
“साली को छोड़ूंगा नहीं… मां कसम चिकनी है… चूत मारने में बहुत मजा आयेगा।”वो वासना में जैसे उबल रहा था।
मैं अभी भी नखरे दिखाने को मचल रही थी जैसे उससे छूटना चाह रही हूँ। तभी विजय ने मेरी टांगे पकड़ ली और दोनों ओर खींच कर मेरी चूत भी खोल दी। मैंने भी चूत अपनी फ़ाड़ कर खोलने में सहायता की।
“विजय तुम भी… हाय अब क्या करूँ… लगता है मेरी फ़ुद्दी की मां चोद देंगे।”
“विजय बोला- भोसड़ी की मस्त माल है , जरा जम के चोद डाल इसे… फिर मैं भी इसकी चोदूँगा।
“थेंक्स विजय… मेरे दोस्त… मुझे नेहा जैसा मस्त माल को चोदने में मेरी मदद की… भेन दी लण्ड !”
तभी लाला का फ़ौलादी लण्ड मेरी चूत में घुस पड़ा। मेरे मुख से आह्ह निकल गई। मैंने धीरे से विजय को आंख मार दी।
“लाला। मर गई … हाय राम… ये क्या किया तूने… अब तो छोड़ दे… घुसेड़ दिया रे !” और मैंने लाला की बाहे अब जकड़ लिया। मस्ती से मेरे दांत भिंच गये।
विजय ने भी अपने कपड़े उतार लिये और लण्ड मेरे मुख के समीप ले आया,”चल चूस ले मां की लौड़ी … जरा कस कर चूसना… निकाल दे मेरा माल …”
“दोनों साले हरामी हो… देखना भेन चोदो… तेरे लण्ड का भी पानी ना निकाल दूं तो कहना !” मेरे मुख से भी जोश में निकल पड़ा।
“यह बात हुई ना… मादर चोद … रण्डी… छिनाल साली… तेरी तो आज फ़ोड़ के रख देंगे।” उसकी गालियाँ मेरी उत्तेजना बढ़ा रही थी। मुझे किसी ने आज तक ऐसी मीठी मीठी… रसभरी गालियाँ देकर नहीं चोदा था। विजय का मस्त लण्ड मेरे मुखद्वार में प्रवेश कर चुका था। आज मेरे दिल की यह इच्छा भी पूरी हो रही थी- दो दो जवान चिकने लौंड़ो से लण्ड लेने की इच्छा…।
किसकी किस्मत में होता है भला दो दो लण्ड से एक साथ चुदाना। मुझे पता था कि अब मेरी आगे और पीछे से जोरदार चुदाई वाली है। लाला का लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ गहराई में बैठता जा रहा था। मेरी सिसकियाँ निकल रही थी। दुसरी और विजय का लण्ड मुख को चोदने जैसा चल रहा था। मैंने विजय को बेकरारी में आँख मारी… वो समझ गया।
“लाला, इस मां की लौड़ी को अपने ऊपर ले ले… मैं भी जरा प्यारी सी नेहा की गाण्ड बजा कर देखूँ !” मैं विजय की बात पर मुस्करा उठी। लाला ने मुझे दबा कर पलटी मार दी और मै उसके ऊपर आ गई… मैंने लाला के लण्ड पर जोर मार कर फिर से उसे चूत में पूरा घुसा लिया और अपने चूतड़ खोल दिये। मेरा शरीर सनसना उठा कि अब मेरी गाण्ड भी चूत के साथ साथ चुदने वाली है।
तभी मेरी चिकनी गाण्ड में विजय का लौड़ा टकराया। मैं लाला से लिपट पड़ी।
“लाला देख ना विजय ने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में लगा दिया है… क्या यह मेरी गाण्ड मारेगा?”
“देखती जाओ, मेरी छम्मक छल्लो … हम दोनों मिल कर तेरी क्या क्या मारते हैं… भोसड़ी की… चूतिया समझ रखा है? क्या तू बच जायेगी… साली को फोड़ के नहीं रख देंगे।”
“अरे जा… बड़ा आया चोदने वाला… हरामी का लण्ड तो खड़ा होता नहीं है… बाते बड़ी बड़ी करता है।”
“विजय… गण्डमरी को छोड़ना नहीं… दे साली की गाण्ड में लौड़ा…” विजय तो जानता था कि मैं जोरदार चुदाई चाहती हूं, इसलिये मैं लाला को भड़का रही हूँ।
विजय का लण्ड भी मेरी गाण्ड में घुसता चला जा रहा था। आह्ह्ह्…… मस्त दो दो लण्ड… कैसा अद्भुत मजा दे रहे थे। मुझे आज पता चला कि चूत और गाण्ड के द्वार एकसाथ कैसे खुलते है और लण्ड झेलने में कितना मजा आता है। मेरी अन्तर्वासना की सखियो … मौका मिले तो जरूर से दो दो लण्डों का आनन्द लेना।
आह्ह्ह रे दोनों लण्ड का अहसास… मोटे मोटे अन्दर घुसते हुये … मां री … मेरा जिस्म आनन्द से भर गया। पूरे शरीर में मीठी सी लहर उठने लगी। मेरे कसे हुये और झूलते हुये स्तन विजय ने पीछे से थाम लिये और दबा लिये।
मेरी स्थिति यह थी कि मैं अपने चूतड़ दोनों ओर से दबे होने कारण उछाल नहीं पा रही थी। अन्ततः मैं शान्ति से लाला पर बिछ गई और बस दोनों ओर से लण्ड खाने का आनन्द लेने लगी। कैसा अनोखा समा था। दोनों के लण्ड टनटना रहे थे…फ़काफ़क चल रहे थे… मैं दोनों के मध्य असीम खुशी बटोर रही थी। मन कर रहा था कि ऐसी मस्त चुदाई रोज हो। हाय रे… मेरी चूत और गाण्ड दोनों ही चुद रही थी … ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी कि काश यह लम्हा कभी भी खत्म ना हो बस जिन्दगी भर चुदती ही रहूँ।
तभी विजय के मुख से कराह निकली और उसका वीर्य गाण्ड की कसावट के कारण रगड़ से निकल पड़ा। उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और बाकी बचा हुआ वीर्य लण्ड मसल मसल कर निकालने लगा। तभी दोनों ओर की चुदाई के कारण मैं अतिउत्तेजना का शिकार हो गई और मेरा रज भी छूट गया। मैं झड़ने लगी थी। कुछ ही पल में लाला भी झड़ गया। मेरी चूत के आस पास जैसे लसलसापन फ़ैल गया, नीचे गंगा जमुना बह निकली। मैं लाला के ऊपर पड़ी हुई थी। विजय उठ कर खड़ा हो गया था और मेरे चूतड़ों को थपथपा रहा था।
कुछ ही समय के बाद हम अपने कपड़े पहन कर सोफ़े पर बैठे हुये चाय पी रहे थे।
लाला आज बहुत खुश था कि आज उसे मुझे चोदा था। ये कार्यक्रम मेरा मस्ती से छः महीनो तक चलता रहा। पूजा अब लाला से भी चुदवाने लगी थी। तभी कनाडा से सूचना आई कि मेरे पति दो दिन बाद घर पहुंच रहे हैं।
मैंने विजय और लाला को इस बारे में बताया कि अब ये सब बन्द करते है और मौका मिलने पर फिर से ये रंग भरी महफ़िल जमायेंगे। पर हां जोगिन्ग पार्क मे हम नियम से रोज मिलेंगे। पूजा दोनों के लण्ड शान्त करती रहेगी। वो उदास तो जरूर हुये पर पूजा ही अब उनका एक सहारा था। पूजा भी बहुत खुश नजर आ रही थी कि अब उसकी चुदाई भरपूर होगी…
आपकी
नेहा और शमीम बानो कुरेशी
What did you think of this story??
Comments