मौसी बनी छह दिन की बीवी-2
(Mausi Bani chheh din ki biwi- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left मौसी बनी छह दिन की बीवी-1
-
keyboard_arrow_right मौसी बनी छह दिन की बीवी-3
-
View all stories in series
मेरी मौसी की चुत चुदाई कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि मौसी हमारे घर रहने आई थी एक सप्ताह के लिए क्योंकि मेरे घर में कोई नहीं था. मैंने मौसी को सेक्स की गोली देकर उनकी कामुकता जगाई और मौक़ा पाकर मैंने मौसी को चोद दिया.
अब आगे:
दोपहर को हर्ष स्कूल से आ गया और सबने खाना खाया। फिर शाम को मैं दोस्त के साथ घूमने निकल गया।
वापस आया तब तक रात का खाना बन चुका था, मौसी ने मुझे और हर्ष को खाना दिया। खाना खाकर मैं अपने कमरे में लैपटॉप पर काम करने लगा।
मौसी पहले हर्ष को स्कूल का काम कराने लगी, फिर नहाने चली गयी। तब तक हर्ष सो गया था।
वो मेरे कमरे में आई, उस वक़्त उन्होंने एक नाईटी पहन रखी थी, उसमें वो बहुत सेक्सी दिख रही थी, चिकनी टाँगें, चमकता चेहरा उनके नाईटी में से मम्मे साफ़ दिख रहे थे। यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
शायद उन्हें भी पता चल गया था।
वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मुझे दूध का ग्लास दिया।
मैंने कहा- मुझे दूध नहीं पीना, मुझे अच्छा नहीं लगता।
मौसी- इससे तुमको ताकत मिलेगी।
मैं- एक शर्त पर!
मौसी- कैसी शर्त?
मैं- बताता हूँ पहले दूध पी लूं!
मैंने दूध पिया, फिर धीरे अपना एक हाथ मौसी की गांड पर रखा और कहा- मौसी, मुझे ये चाहिए।
मौसी- नहीं! तुमने मेरी चूत चोदने में ही जान निकाल ली थी। और मैंने सुना है कि इसमें दर्द भी बहुत होता है।
मैं- अरे पहली बार जब आपकी सील तोड़ी गयी थी तब भी दर्द हुआ था ना! ये भी वैसा ही है।
बहुत देर मनाने के बाद वो मानी- मेरी एक शर्त है। ज्यादा दर्द होने पर मैं मना कर दूंगी।
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने मौसी को वहीं बेड पर लिटा लिया और उनको चूमने लगा, फिर मैंने उनका नाईटी उतार दी, अब मौसी केवल काली ब्रा और पैंटी में थी जो उनके गोरे शरीर पर बहुत चमक रही थी।
मैंने उनको उल्टा किया और उनकी ब्रा को अलग कर दिया, मैं मौसी की नंगी पीठ को चूमने लगा। फिर थोड़ा नीचे सरक कर उनकी पैंटी उतार दी और उनके मोटे-मोटे चूतड़ चाटने लगा। उनके चूतड़ लाल हो गये थे। मैंने उनके दोनों चूतड़ को हाथों से अलग किया और उनके गांड के छेद को उंगली से सहलाने लगा।
यह चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने धीरे एक उंगली अंदर डाली। सच में उनकी गांड बहुत टाइट थी, शुरू में तो मेरी उंगली बहुत मुश्किल से आगे-पीछे हो रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद उंगली जगह बना ली थी।
फिर मैं अपनी दो उँगलियों में तेल लगा अंदर डालने लगा तो मौसी तो दर्द से बिलबिला उठी। पर मैंने भी मैदान नहीं छोड़ा, मैं लगा रहा।
मौसी दर्द से कराह रही थी।
अब तक मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, मैंने लंड पर अच्छे से तेल लगाया और मौसी की गांड के छेद को भी तेल से चिकना कर दिया। मौसी की कमर के नीचे मैंने एक तकिया लगा दिया जिससे उनकी गांड ऊपर उठ गयी। मैंने लंड का सुपारा अन्दर डाला तो मौसी की चीख निकल गयी। हल्का सा धक्का देने पर मेरा थोड़ा लंड और अंदर चला गया।
मौसी ने गांड को टाइट कर लिया था। मैंने उनके दोनों गांड पर चांटें मारे तो उन्होंने अपनी गांड को कुछ ढीला किया।
मैंने एक और धक्के के साथ अपना आधा लंड उनके छेद में उतार दिया।
मौसी ने दर्द के मारे रोना शुरू कर दिया, वो बार-बार लंड निकालने को कहने लगी।
मैंने लंड बाहर निकला, लंड में फिर से तेल लगाया और अचानक से एक झटके में पूरा लंड पेल दिया।
अब तो मौसी बुक्का मार कर रोने लगी, वो मुझसे अलग होना चाहती थी। मैंने उनकी कमर को कस के पकड़ रखा था।
थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने अपनी कमर को हिलाना शुरु किया। मौसी अभी भी रो रही थी।
फिर लंड ने जगह बना ली और आराम से आगे पीछे होने लगा, मौसी ने आवाज करना भी कम कर दिया था। मैं मौसी गांड में लंड अंदर बाहर करने लगा, अब लंड पहले की तुलना में थोड़ा आराम से अंदर जा रहा था।
मैं अपना लंड बाहर निकाल लेता और एक झटके में ह्म्म्म की आवाज के साथ अंदर कर देता।
मेरे हर झटके पर मौसी के मुँह से आह्ह्ह….का स्वर स्वतः निकल जाता।
मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनके लटकते हुए मम्मों को अपनी मुट्ठी में भीच कर उन्हें मसलने लगा। कभी हल्के से दबाता तो कभी कभी उनके चूचुक को दो उँगलियों से पकड़ के ऐंठ देता तो उनके शरीर में दर्द से कम्पन दौड़ जाती।
बहुत देर से उनकी गांड मारने की वजह से मैं झड़ने के करीब पहुँच गया था, मैंने उनकी कमर को एक बार फिर अपने हाथों से कस के जकड़ लिया और तेज़ी से धक्के लगाने लगा। इस वजह से मौसी ने एक बार फिर रोना शुरू कर दिया था लेकिन मैं उनके दर्द की परवाह किये बगैर किसी बेरहम इंसान की तरह से अपनी मौसी की गांड मारने में लगा हुआ था।
फिर कुछ जोर के शॉट्स मारने के बाद मैं एक आह… की आवाज के साथ मेरा वीर्य उनके छेद को भरने लगा।
इस लम्बी चुदाई के बाद मैं थक गया था, मैं उनके बगल में लेट गया। जब मैंने उनका चेहरा अपनी तरफ किया तो आंसू की वजह से उनका चेहरा गीला हो गया था। मैंने उनके होंठों पर चुम्बन किया और उनको अपने सीने से लगा कर सो गया।
सुबह मैं उठा, सीधे उनके पास गया। वो किचन में काम कर रही थी, उनकी गर्दन पर किस कर के उनको सॉरी बोला।
उन्होंने कुछ नहीं बोला बस अपने काम में लगी रही, मुझे लगा वो मुझसे नाराज हैं तो मैं बाहर निकलने लगा।
मौसी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- क्या हुआ राहुल? कहाँ जा रहे हो?
मैं- मुझे लगा कि आप गुस्सा हो क्योंकि रात को बहुत दर्द हुआ आपको।
मौसी- पहले तो लगा कि दर्द से जान निकल जाएगी, फिर बाद में मज़ा आने लगा।
मैं- चलो न चल कर नहाते हैं।
मौसी- नहीं बेटू, अभी नहीं बहुत काम बाकी है!
मैं- चलो न मौसी ! मुझे दूसरा रास्ता भी पता है आपको मनाने का!
मौसी कुछ नहीं बोली, अपना काम करती रही। मैं नीचे बैठ कर उनकी टांग पर किस करने लगा और उनकी मांसल जांघों को सहलाने लगा। फिर मैंने अपना मुंह उनकी नाईटी अंदर डाल दिया और धीरे धीरे चूमते हुए उनकी जांघों तक पहुँच गया। फिर मैं मौसी की जांघों को चूमने और चाटने लगा।
उनकी मादक आवाज से पूरा किचन गूंज रहा था। मैं पैंटी के ऊपर से ही चूत चाटने लगा। उनकी चूत पनिया कर गीली होने लगी थी। मैंने अपने दोनों हाथ नाईटी के अंदर डाल कर उनकी पैंटी नीचे सरका दी, फिर उनकी चूत को अपनी जीभ से सहलाने लगा। कभी उनकी चूत चाटता तो कभी हाथों से उनकी गांड को मसल देता। बीच बीच में मैं चूत के दाने को जीभ से छेड़ देता तो मौसी चहक उठती।
मौसी भी अब मस्त होकर मज़ा ले रही थी, वो अपने हाथ से मेरे सिर को चूत में दबा लगी थी, उनकी सांसें अब तेज़ हो चली थी। उन्होंने दीवार पर बनी अलमारी को हाथ से पकड़ लिया और अपनी टांगों को खोल दिया। मौसी अब आह… य… हम्म… उफ़ जैसी अवाज कर रही थी।
मैंने दोनों हाथ पीछे करके उनकी गांड को जकड़ लिया और उनकी चूत चाटता रहा। थोड़ी देर में मौसी ने झड़ना शुरू कर दिया, उनकी चूत से रस की नदी सी बहने लगी थी।
मैं उनकी चूत चाटता रहा। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बाँध टूट गया उनकी चूत से बहुत सारा रस निकल रहा था जिसे मैं लगातार सुप सुड़प कर के चाट रहा था।
मौसी वहीं दीवार से लग कर अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगी।
मैंने अपना मुँह उनके नाईटी से बाहर निकाला। मेरे चेहरे पर उनके रस की कुछ बूँद अभी भी लगी हुई थी जिसे देख कर वो हंस कर बोली- मैंने तुम्हारा मुँह गंदा कर दिया।
मैंने कहा- चलो, चल कर साफ़ कर दो।
यह मौसी की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
मैंने उनकी नाईटी को उतार कर मौसी को नंगी कर दिया और उनका हाथ पकड़ कर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा। चलते समय मौसी अपनी टांगों को थोड़ा फैला कर चल रही थी। शायद रात को गांड चुदाई की वजह से उनको चलने में परेशानी हो रही होगी।
बाथरूम में मैंने पानी से उनका शरीर गीला कर दिया और उनकी पीठ पर साबुन लगाने लगा। फिर मैंने शावर चला कर उनके शरीर को साफ़ किया। उनके एक मम्मे को मुँह में भर कर चूसने लगा जिससे वो लाल हो गया था।
फिर मौसी ने मेरे हाथ से साबुन लिया और मेरे बदन पर लगाने लगी। नीचे पहुँच कर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में भर लिया और मजा लेकर चूसने लगी। कभी वो मेरे लंड को चूसती तो कभी अपने हाथ से मुट्ठ मरने लगती। बीच-बीच में मेरे टट्टे को मुँह में ले कर चूसने लगती।
किसी औरत के द्वारा लंड चूसे जाने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। आज वो किसी माहिर खिलाड़ी की तरह चूस रही थी।
मेरा लंड रस से भर गया था। मैंने लड़खड़ाते हुए शब्दों में कहा- बस करो मौसी, नहीं तो मैं आपके मुँह में झड़ जाऊंगा।
लेकिन वो नहीं रूकी, जोर-जोर से चूसती रहीं तो मैं उनके सिर को पकड़ कर उनके मुँह को चोदने लगा।
एक ‘आह…’ की आवाज के साथ मैं मौसी के मुँह को अपने वीर्य से भरने लगा जिसे मौसी ने कुछ देर मुँह में रखा फिर पूरा गटक गयी। उनके मुँह की गर्मी से मेरा लंड मुरझाने लगा, मेरा लंड मुँह से निकाल उसे चाट कर साफ़ कर दिया।
और उन्होंने उठ कर अपने शरीर को पानी से साफ़ किया फिर बाहर निकल आयीं। मैं वही अपने गर्म शरीर को पानी से ठंडा करने लगा।
मैं बाहर निकला तो देखा मौसी कमरे में बेड पर आँखें बंद कर नंगी लेटी हुई थी। मैं भी उनके बगल में बैठ कर उनके होंठों को चूम लिया। उन्होंने आँखें खोली और बोली- आ गये! चलो कपड़े पहन लो, मैं खाना बनाने जा रही हूँ।
फिर मौसी ने अपने कपड़े पहने और किचन में चली गई।
मैंने भी कपड़े पहन लिये और किचन में गया। वहां मौसी खाना बना रही थी। मैं उनके बगल में खड़ा हो गया।
मौसी ने मेरी तरफ देखा और हंस कर बोली- एक बात पूछूँ बेटू?
मैं- हां पूछो!
मौसी- क्या तुमने मेरे से पहले भी किसी के साथ सेक्स किया है क्या?
मैं- नहीं, आपके साथ पहली बार है मेरा।
मौसी- तो तुमको इतना सारा कुछ कैसे पता है इस बारे में?
मैं- कुछ मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ कर, कुछ पोर्न देख कर और कुछ दोस्तों के किस्से सुन कर।
मौसी- अच्छा! बहुत होशियार लगता है तू।
मैं- मौसा जी अच्छे से आपकी चूत की सेवा नहीं करते क्या?
मौसी- तेरे मौसा तो अनाड़ी हैं उनके लिये सेक्स का मतलब है कि चूत में लंड डालो कुछ धक्के लगाओ, अपना काम खत्म करके सो जाओ, चाहे औरत संतुष्ट हुई हो या नहीं।
मैं- लगता है उनको सेक्स में रुचि कम है?
मौसी- हां, वो महीने में एक या दो बार ही करते हैं।
मैं- तभी आपकी चूत बहुत टाइट थी।
मौसी- राहुल, तू मुझे मौसी न कहा कर मेरा नाम लिया कर या मैं जैसे तुझे बेटू कहती हूँ। वैसे प्यार से कुछ बोला कर!
मैं- अच्छा आपको जान बुलाऊँ?
मौसी- हां, ये अच्छा है।
मैंने मौसी कान में धीरे से ‘आई लव यू जान’ बोला और उनके गाल पर किस कर लिया।
वो बोली- अब तुम शुरु मत हो जाना, मुझे बहुत काम है. और हर्ष भी आता होगा। तुम जाओ टीवी देखो।
मैं टीवी देखने लगा, थोड़ी देर में हर्ष आ गया। फिर मौसी ने हमारे लिये खाना लगा दिया, खाना खाकर हम सब सो गये।
शाम को मैं और हर्ष घूमने गये। जब हम लौटे तो मौसी खाने की तैयारी कर रही थी। मैं टीवी देख रहा था.
थोड़ी देर बाद रोज की तरह खाना बन गया था। मैंने खाना खाया और अपने रूम में जाकर पढ़ाई करने लगा, तब तक हर्ष और मौसी ने भी खाना खा लिया।
मौसी हर्ष को सुला कर मेरे पास आयी। वो नहा कर आई थी, आज उन्होंने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी, उनके हाथ में दूध का ग्लास था।
मैंने अपनी किताब बंद कर के कोने रख दी। उन्होंने ग्लास मुझे दिया, मैंने दूध पी कर ग्लास कोने रख कर उनका हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा।
मौसी मेरे पास आयी, मैंने उनसे कहा- जान कितना टाइम लगा दिया आज?
मौसी- अरे आज हर्ष देर से सोया।
वो मेरे पास बेड पर बैठ गयी, मैं आगे बढ़ कर उनके चिकने और सपाट पेट को सहलाने लगा, फिर उनके पेट को चूमने लगा।
मैंने तब उनको बेड पर लेटा दिया, उनके पेट को चूमने और चाटने लगा। मैंने अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी और उसे कुरेदने लगा।
मौसी को गुदगुदी हो रही थी, वो लगातार हंसे जा रही थी।
कहानी जारी रहेगी. मेरी मौसी की चुत चुदाई कहानी पर आप अपने विचार मुझे मेल से भेजें!
[email protected]
What did you think of this story??
Comments