उसकी गर्लफ्रेंड मेरे लौड़े का माल बन गई
Uski Girlfriend Mere Laude ki maal bani
हैलो दोस्तो, ये कहानी मेरी और मेरे दोस्त की है जो एक ही गाँव के थे पर शहर में आकर पढ़ाई करने के उददेश्य से एक ही कमरे में रहते थे।
एक दिन जतिन को कमरे पर आने में देर हो गई तो उसने मुझे फोन करके कह दिया कि ‘भाई तू सो जाना मुझे कुछ देर हो जाएगी।’
मैं सो गया, कुछ देर बाद मेरा दोस्त जतिन अपनी गर्ल-फ्रेण्ड निशा को कमरे पर चोदने के ख्याल से लाया।
जब वो कमरे पर आया उसे लगा कि मैं गहरी नींद में हूँ.. वो खुश हो गया, जल्दी से उसने निशा के कपड़े उतारे और ज़ोर-ज़ोर से निशा को चुम्बन करने लगा।
निशा भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
फिर उसने निशा के सारे कपड़े उतार दिए और उसके मादक मम्मों को चूसने लगा।
ओह.. क्या मम्मे थे उसके.. वो पूरी गरम और मस्त माल थी।
उसने जल्दी जल्दी जतिन का लोवर उतारा और अंडरवियर उतार कर उसके लौड़े को ज़ोर ज़ोर से चचोरने लगी।
वो इतनी चुदासी लग रही थी कि मानो बहुत दिनों बाद उससे लंड चूसने को मिला हो।
फिर जतिन ने उसकी चूत मारी, वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी तो जतिन उसके मुँह पर हाथ रख कर उससे पूरी ताकत से चोदता रहा था, ताकि मैं ना जाग जाऊँ।
पर मेरा लौड़ा भी एकदम खड़ा था, पर मैं मूठ मार कर सो गया।
उस समय मुझे मूठ मारने में बहुत मज़ा आया और फिर वो दोनों भी चोद-चाद कर सो गए।
वो नंगे ही चिपक कर सो गए थे।
मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं निशा के मम्मों को देखे जा रहा था।
फिर आधे घन्टे बाद निशा ने फिर से जतिन का लौड़ा पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी और कहने लगी- जीतू, फक मी वन्स मोर… जतिन मुझे एक बार और चोदो न..
जतिन का फिर से खड़ा हो गया और मेरा भी खड़ा हो गया।
जतिन ने उसकी टाँगें खोलीं और लौड़ा फिट करके ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा।
वो दोनों अब ज़्यादा जोश के साथ चुदाई करने लगे।
बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं जल्दी से उठा और कमरे की बत्ती जला दी।
वो दोनों डर गए…
जतिन ने उस वक्त उसकी चूत में लंड घुसाया हुआ था।
वो मुझको देखते ही जल्दी से अलग हुआ और दोनों ने एक चादर ओढ़ ली और और सोने का नाटक करने लगे।
मैंने जतिन से बोला- दो मिनट बाहर आकर मेरी बात सुन..
वो का कपड़े पहन कर बाहर आया, वो मुझसे नज़र नहीं मिला पा रहा था।
वो मुझसे बोला- मैं निशा से प्यार करता हूँ और वो भी मुझसे करती है।
मैंने बोला- वो तो ठीक है लेकिन तुझे पता है अगर कमरे की मालकिन को पता चला कि हमारे कमरे में एक लड़की है तो वो हमें घर से बाहर निकाल देगी और हमें जल्दी कोई अच्छा कमरा भी नहीं मिलेगा।
वो कहने लगा- कौन बताएगा?
मैंने बोला- देख भाई, तुम दोनों की चुदाई देख कर मेरा भी खड़ा हो गया है, अब मेरा लौड़ा भी निशा की चूत मार कर ही शांत होगा।
वो ‘ना-ना’ करने लगा।
वो बोला- देख भाई वो मेरा माल है..
मैंने उससे बहुत जोर दिया, पर जतिन नहीं माना।
मैंने बोला- मैं नहीं चोद पाया तो अभी कमरे की मालकिन को सब कुछ बता दूँगा।
वो डर गया- भाई, दोस्ती में यह ग़लत बात है..
मैंने बोला- यह तुम्हें उसे मेरे सामने चोदने से पहले सोचना चाहिए था।
वो मान गया, मैंने उसे अपनी बाइक की चाबी दी और 200 रुपए दिए और बोला- जा तू बियर पीकर एक घंटे बाद वापिस आना..
वो चला गया..
मैं कमरे में वापिस गया तो निशा चादर ओढ़े लेटी हुई थी।
उसने चुदक्कड़ ने अभी तक कुछ नहीं पहना था, क्योंकि मुझे उसकी काले रंग की चड्डी चादर से बाहर ही दिख रही थी।
वो मुझसे बोली- जतिन कहाँ है?
मैंने बोला- वो कोई सामान लेने गया है अभी आ जाएगा और मैं उसके पास बैठ कर बातें करने लगा।
उसके बाल खुले हुए थे.. मुझे सिर्फ़ उसकी नंगी बाहें दिख रही थीं।
वो चादर के साथ ही उठ कर दीवार के साथ पीठ लगा कर बैठ गई। मैंने उससे कहा- तो आप दोनों एक-दूसरे को प्यार करते हो?
वो बोली- हाँ..
ऐसे ही 10 मिनट तक बात करते-करते उसके कन्धे से चादर सरक गई और उसका एक बोबा मेरी आँखों के सामने आ गया।
उसने जल्दी से चादर को ऊपर किया।
मेरा 8 इंच का लंड एकदम से खड़ा हो गया, उसकी नज़र भी मेरे खड़े लौड़े पर पड़ी।
मैं बोला- यार मुझे भी तुम्हें चोदना है।
वो बोली- नहीं.. नहीं..
वो मुझसे दूर को हो गई और बोली- नहीं मैं तुम्हारी भाभी हूँ..
मैं बोला- तो क्या हुआ.. उससे भी तो चुद ही रही थीं.. समझ लेना जतिन से ही चुद रही हो।
वो मना करने लगी पर मन तो उसका भी था.. क्योंकि उसकी चुदास अभी शांत नहीं हुई थी।
मैंने चादर को उसके जिस्म से खींच लिया।
वो चादर पकड़ने लगी और बोली- नहीं.. अगर जतिन को पता लगा तो?
मैं बोला- मैं उसे नहीं बताऊँगा।
फिर मैंने उसके रसीले होंठ मुँह में डाल लिए और 10 मिनट तक मैंने उसे चूमा और साथ-साथ उसके मम्मों को दबाने लगा।
कुछ ही पलों के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
वो फिर से चुदासी हो चुकी थी, बोली- मुझे जल्दी चोदो..
मैंने अपना लौड़ा एक झटके में पेल दिया और 15 मिनट तक जम कर चुदाई की।
वो एकदम से अकड़ गई और झड़ गई फिर कुछ ही धक्कों के बाद मैं भी झड़ गया।
वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।
फिर मैं अपने बिस्तर पर कपड़े पहन कर सो गया।
कुछ देर बाद जतिन आया उसे लगा कि मैं सो गया हूँ, उसने निशा से पूछा- इसने कुछ ग़लत तो नहीं किया तुम्हारे साथ?
वो बोली- नहीं..तुम्हारा दोस्त बहुत अच्छा है.. उसने कुछ भी नहीं किया।
फिर जतिन उसे प्यार करने लगा और कुछ ही देर में जतिन ने उसे चोदने की कही, पर उसने मना कर दिया क्योंकि वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।
अब उसका और चुदने का मन नहीं था।
वो दोनों फिर सो गए।
अगले दिन वो मुझे चुपके से अपना फोन नंबर मुझे दे गई और बोली- तुम हिमाचल आना.. मैं तुम्हें घुमाऊँगी।
वो चली गई..
मेरी उससे फोन पर बातें होने लगीं और कुछ ही दिनों बाद मैंने हिमाचल जाने का कार्यक्रम बनाया और हिमालय की वादियों में मैंने उसको बहुत बार चोदा।
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