सोचा ना था मैंने कभी

(Socha Na Tha Maine Kabhi)

भोपाली 2015-04-02 Comments

प्रिय पाठको, आपको मेरा नमस्कार.. आज पहली बार मैं अपनी वो कहानी आपसे साझा कर रहा हूँ जिसने मुझे झंझोड़ कर रख दिया था।
यह राज आज से 5 साल पहले का है जब मैं 20 साल का था। मध्यप्रदेश के एक शहर से में भी अपना भविष्य बनाने भोपाल राजधानी पहुँचा… और फिर एक न थमने वाला वो सिलसिला शुरू हुआ जो… आज भी जारी है!

आँखों में कुछ कर दिखाने के सपने लिए में भोपाल पहुँचा.. नई जगह पर नए लोग, कई बातें, कई हसरतें मेरी आँखों में साफ़ झलकती थी।
इसी बीच मेरी मुलाकात मेरे कॉलेज के एक सीनियर अर्जुन से हुई.. अर्जुन एक बड़े घर का था.. और जितना शौकीन उतना ही पढ़ाई में होशियार.. इसलिए मैंने अर्जुन के साथ बतौर रूममेट रहना पसंद किया.. उसने भी हामी भर दी।

अब अर्जुन के साथ रहते मुझे 15 दिन हो गए थे.. अर्जुन की भोपाल की ही तीन गर्लफ्रेंड थी.. जिनमें एक उसकी उम्र से बड़ी करीब 30 साल की थी.. वो उससे कभी कभार ही मिलता था वो भी सिर्फ रूम पर.. दो कमरे होने की वजह से उसकी पूरी बात और मदहोश कर देने वाली सिसकारियाँ मेरे कानो में गूँजती थी।

और एक रविवार को जब अर्जुन अपनी शादीशुदा मेघा को रूम पर लाया। मैं अपने शर्मीले स्वभाव के कारण दूसरे कमरे में चला गया।

मैं पढ़ाई शुरू कर ही रहा था कि अचानक कुछ बातें सुनाई दी..
अर्जुन मेघा से कह रहा था कि आज हम कुछ अलग करेंगे.. मेघा ने भी हामी भर दी और यह सुनकर मैंने अपनी आँखें दरवाजे की दरार पर लगा दी।
वो नजारा मैंने पहली बार देखा था.. अर्जुन लाल साड़ी में लिपटी मेघा को अपनी छाती में दबोचा जा रहा था, अर्जुन के होंट मेघा के गुलाबी लबों को कसे जा रहे थे, मेघा अब अर्जुन की पकड़ को सहन नहीं कर पा रही थी, दर्द से हल्की हल्की कराह रही थी..
धीरे से अर्जुन ने मेघा का पल्लू नीचे कर साड़ी को उतार फेंका.. अब मेघा सिर्फ चटक लाल रंग के ब्लाऊज़ पेटीकोट में थी.. जो नजारा गजब का था.. सुर्ख लाल होंट, कमर तक आने वाले वाले सिल्की काले बाल, बड़ी बड़ी आँखें, ब्लाऊज के हुक को तोड़ कर बाहर से निकलते भरे हुए बड़े बड़े स्तन, गोरे गोरे हाथों में लाल हरी चूड़ियाँ, पतली पर भरी हुई कमर, पैरों में मोटी लच्छेदार पायल.. कुछ पागल सा कर देना वाला नज़ारा था वो…

अब अर्जुन ने मेघा को अपने ऊपर लिटा लिया, मेघा का भरा हुआ बदन, अर्जुन के पूरे जिस्म को ढके हुए था। अर्जुन मेघा के होंठ के दूसरे से अलग न थे, बस दोनों एक दूसरे के लबों को चूसे जा रहे थे.. इतने में मेघा ने शरारत करते हुए अर्जुन के एक नीचे वाले होंट को काट दिया, अर्जुन की हल्की चीख निकल गई।

अर्जुन इस शरारत का सम्मान रखते हुए… मेघा को लेकर पलट गया और मेघा के ऊपर अपने शरीर को फ़ैला दिया।
अब अर्जुन ने मेघा को एक गहरी नजर से देखा और मेघा के दोनों होंटों पर अपनी जुबान फेर दी।

इस हरकत से मेघा कुछ मचल गई फिर देखते ही देखते अर्जुन ने अपनी जीभ मेघा के रसीली जीभ के मिला दी, दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे… अब अर्जुन ने मेघा के स्तनों को मसलना शुरू किया उसने इतनी जोर से मेघा की छाती मसली कि दोनों उभार हुक को तोड़ते हुए बाहर आ गए..

यह देख अर्जुन ने ब्रा मे से झांक रहे रसीले दूधों को ब्रा से आजाद कर दिया.. मैंने देखा कि वो गोरे, गुलाबी निप्पल वाले उरोज कसे हुए थे जो अर्जुन के हाथो में ही नहीं आ रहे थे.. अर्जुन बार बार मसलता जाता और मेघा पागल होती जाती..

अब अर्जुन का हाथ मेघा के पेटीकोट पर था जो धीरे धीरे ऊपर सरकाया जा रहा था… मेघा की खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी भूरी जांघ में से हरी नसों को देखा जा सकता था… बस पल भर में अर्जुन का हाथ पैंटी के ऊपर पहुँच गया और नीचे के उभार को लाल पेंटी में से महसूस करने लगा..
पेंटी मसलते मसलते अर्जुन ने मेघा को पूरा नंगा कर दिया…

अर्जुन अब मेघा की योनि को रगड़ रहा था और मेघा बंद आँख कर जन्नत की सैर कर रही थी। धीरे धीरे मेघा के द्वार को सहलाते हुए एक ऊँगली की अंदर कर दिया मेघा आहे भरने लगी कि अचानक अर्जुन ने 2 उंगलियों को अंदर कर दिया और मेघा चहक उठी ‘हाह्ह् हाह्ह् उह्ह्ह्ह नाआअ’ की लंबी लंबी आवाजें मेरे कानो में साफ़ सुनाई दे रही थी और में भी काम के इस सूत्र का आनन्द उठा रहा था।

दोनों काम के इस ज्वर में बहते जा रहे थे, अब जो वाला था वो नायाब था.. अर्जुन ने शहद की बोतल उठाकर मेघा की योनि पर डालना शुरू किया.. हर गिरती हुई बूँद की आवाज मेघा के मुख से सिसकी की तरह निकल रही थी.. पल भर में साफ़, गोरी उभरी हुई योनि शहद में सन गई.. फिर अर्जुन ने अपने कपड़े उतार कर योनि को चाटना शुरू किया… वो इस तरह चाटता जा रहा था कि मेघा का शरीर काँप उठा….

शरीर की इस हर कँपन को अर्जुन महसूस कर रहा था… और फिर उसने मेघा की योनि को ऐसे अपने मुँह में भरकर चूसना शुरू किया जैसे कोई रसीले आम को चूस रहा हो!

मेघा पागल होती जा रही थी, उसके हाथ अर्जुन के बालों को खींच रहे थे.. कभी हाथ अर्जुन को दूर करते कभी अंदर की ओर दबाते.. यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक चलता रहा, फिर मेघा जोर से दांतों को पीस कर पूरा जोर से अर्जुन के सिर को योनि में घुसाने लगी…
अर्जुन का भी पूरा मुँह योनि से जा मिला, अर्जुन छटपटाने लगा और एक जोरदार चीख के बाद मेघा का पूरा रस अर्जुन के मुख में तर हो गया..
मेघा फिर निढाल हो गई पर अर्जुन अब पूरे जोर पर था।

अर्जुन ने पसीने में भीगी मेघा के पैरों की उंगलियों को चूसना शुरू किया.. धीरे धीरे मेघा की जांघों को चाटकर पेट पर आया फिर जीभ से चाटते हुए मेघा की कमसिन गर्दन पर धीरे से काट दिया, मेघा को पीछे पलट कर उसने पीठ को सहलाया.. मोर पंख की तरह अर्जुन अपनी उंगलियाँ मेघा की चिकनी पीठ पर चला रहा था और मेघा अपनी थकान को उतार कर फिर हरी सी होने लगी थी।
अर्जुन ने मेघा के सुडोल उठे पुश्तों को सहला कर चूमा..

बिस्तर पर उल्टी लेटी मेघा की जांघों को चाटते हुए उसके पुश्तों को जैसे ही दबाया, वैसे ही मेघा की आआह्ह्ह्ह् निकल गई…

मेघा का यह रूप देख कर मेरे सोये हुए अरमानों को हवा मिली.. मेघा उस वक्त किसी कमसिन दूध में नहाई हसीना की तरह दिख रही थी.. अब वासना की लहर तूफ़ान में तब्दील होने वाली थी…

अब अर्जुन ने मेघा को गोदी में उठा कर मेज पर बिठा दिया और अपना बड़ा लिंग मेघा के हाथों में थमा दिया.. मेघा का मुँह खुलवा कर उसने अपने लिंग पर पर शहद गिराना शुरू किया.. मेघा लिंग पर गिरते शहद को नीचे मुँह कर सीधे अपनी जीभ पर ले रही थी…
अब मेघा ने पूरे लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, कभी मेघा चाटती कभी चूसती तो कभी अंडकोष को पूरा मुख में भर लेती…

अर्जुन भी अब आहें भर रहा था.. मुखमैथुन की चरम सीमा पर पहुँच अर्जुन में लिंग निकाल कर मेघा के दोनों दूधों के बीच की दरार में घुसा दिया.. सुर्ख गुलाबी निप्पल और गोर गोर उभारों के बीच उसका भारी-भरकम काला लिंग अब और भी बड़ा कड़क हो चुका था..

अब अर्जुन ने मेघा के दूधों के बीच अपना लिंग रगड़ना शुरू कर दिया.. धीरे धीरे दोंनो मदहोश होने लगे और रफ़्तार तेज़ होने लगी.. मेघा के दूधों को रौंद रहा अर्जुन का लिंग मेघा के होंटों को छूता जा रहा था… मेघा भी अर्जुन के इस प्रहार का अभिनन्दन कर मुँह के अंदर लिंग को लेने की सफल कोशिश भी कर रही थी…

तेज़ रगड़ कारण गोरे गोर दूध लाल होने लगे.. सांसें तेज़ होने लगी और ‘आह्ह्ह आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह’ की आवाज से कमरा गूंज उठा।
फिर कुछ देर के बाद अर्जुन का बहुत सारा वीर्य मेघा के दूधों को चीरता हुआ सीधे चेहरे पर जा गिरा… अब अर्जुन निढाल हो गया पर मेघा की आग नहीं बुझी थी, मेघा ने एक बार फिर लिंग को चूसना शुरु कर दिया और लिंग फिर जंग के लिए तैयार हो गया।

अब मेघा ने अर्जुन के लिंग को अपनी योनि के द्वार पर सटा दिया और फिर रफ़्तार के साथ मेघा कसमसाने लगी, कभी दर्द से चीखती तो कभी चादर को उमेठती।
फिर अर्जुन ने मेघा की जीभ को अंदर भींच कर जोरदार रफ़्तार कर दी… रफ़्तार में इतना दम था कि मेघा का सिर हर झटके के साथ पलंग के सिरहाने से टकरा रहा था…

अचानक मेघा की तेज़ चीख निकली और मेघा की योनि में से वीर्य बह निकला।

अपनी आँखों के सामने पहली सम्भोग क्रिया को देखने के बाद मेरा वीर्य भी बह निकला था।
इसके बाद मैं कुछ समय और अर्जुन के साथ रहा फ़िर मैंने भोपाल की अरेरा कॉलोनी में एक सिंगल रूम किराये पर ले लिया।

फिर कुछ ख़ास हुआ वो आप मेरी अगली कहानी में पढ़ेंगे।
पाठको, मेरी सच्ची दास्ताँ पसंद आई या नहीं, मुझे मेल करें!

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