बहू की मेहरबानी, सास हुई बेटे के लंड की दीवानी-3

(Bahu Ki Meharbani, Saas Hui Bete Ke Lund Ki Diwani- Part 3)

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अभी तक आपने इस कहानी में पढ़ा कि बहू ने अपनी विधवा सास की कामुकता को समझा और उसकी मदद करने की कोशिश की. पहले उसने अपनी सास को लेस्बियन सेक्स का मजा दिया और अब वो अपने पति से साथ अपनी चूत चुदाई का सजीव नजारा अपनी सास को दिखाने वाली थी.
अब आगे:

कमरे में नाईट बल्ब जग रहा था, अशोक भी बेड पर नहीं था।
रमिता ने दबी आवाज में बताया कि अशोक बाथरूम में है। उसने साधना को चुपके से एक परदे के पीछे छुपा दिया। रमिता ने परदे के पीछे एक कुर्सी रख कर साधना के बैठने की व्यवस्था भी कर रखी थी।

साधना अपनी बहू के प्यार और समझदारी पर गदगद हो गई थी। साधना ने रमिता को लाइट जला कर सब करने को कहा।

तभी बाथरूम के दरवाजे पर हलचल हुई तो रमिता पर्दा ठीक करके वापिस बेड पर जाकर बैठ गई।

अशोक बाथरूम में से सिर्फ अंडरवियर में बाहर आया, आते ही वो भी बेड पर रमिता के पास बैठ गया। रमिता जो अपनी सासू माँ को गर्मागर्म लाइव चुदाई दिखाने को लालायित थी वो खुद ही अशोक से लिपट गई और अपने होंठ अशोक के होंठों से जोड़ दिए।

“क्या बात है मेरी जान… आज तो मेरे कुछ करने से पहले ही गर्म हो रही हो?”
“बात मत करो… बस शुरू हो जाओ… आग लगी पड़ी है नीचे चुत में…”
“ओके मेरी जान… तुम्हें तो पता ही है कि मैं तो खुद तेरी चुत का हरदम प्यासा रहता हूँ।”

फिर आगे रमिता ने अशोक को कुछ बोलने नहीं दिया और एक बार फिर अपने होंठ अशोक के होंठों से मिला दिए। उधर साधना की चुत भी कार्यक्रम के शुरू में ही गीली हो गई थी। मात्र चार फीट की दूरी से वो आज अपने बेटे बहू की लाइव चुदाई देखने वाली थी।

उधर अशोक ने रमिता के बदन से उसकी नाईटी उतर कर साइड में फेंक दी। रमिता नाईटी के नीचे बिल्कुल नंगी थी। उत्तेजना उसे भी हो रही थी ये सोच कर कि आज उसकी चुदाई देखने वाला कमरे में मौजूद है।

रमिता को नंगी करते ही अशोक उसकी चुची का मर्दन करने लगा और फिर एक चूची को मुँह में लेकर चूसने भी लगा। रमिता के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थी। साधना का हाथ भी अपनी साड़ी में घुस कर चुत को सहलाने लगा था।

रमिता का हाथ अब अशोक के अंडरवियर में घुस कर उसके लंड से खेल रहा था। साधना बड़े ध्यान से अशोक के लंड के अंडरवियर से बाहर आने का इंतज़ार कर रही थी। पहले जब उसने छुप कर रमिता और अशोक की चुदाई देखी थी तब उसे सिर्फ अशोक के लंड की एक झलक मात्र देखने को मिली थी पर आज वो अशोक के लंड को मात्र चार फीट की दूरी से चमकती लाइट में देखने वाली थी। ना जाने क्यों उसका मन कर रहा था कि रमिता अब जल्दी से अशोक का लंड बाहर निकाले और आगे की कार्यवाही शुरू करे।

तभी जैसे रमिता को साधना के मन की आवाज सुनाई दे गई और उसने एक झटके के साथ अशोक का आठ इंच लम्बा और लगभग तीन इंच मोटा लंड बाहर निकाल लिया। अशोक का लंड रमिता के हाथ के स्पर्श से लगभग तन चुका था। अशोक ने अपना अंडरवियर खुद उतार आकर अपनी टांगों से अलग किया और वो भी नंगा हो गया।

साधना की नजर जैसे ही अशोक के लंड पर पड़ी तो उसकी चुत में पानी उतर आया। बहुत सालों बाद इतनी नजदीक से किसी मर्द का लंड देखा था। क्या मस्त मोटा और कड़क लंड था अशोक का। एक बारगी तो साधना का मन करने लगा कि वो अभी उठ कर जाए और रमिता को साइड में कर अशोक के लंड का अहसास करे।

अशोक ने आगे बढ़ कर लंड का सुपारा रमिता के होंठों से लगा दिया तो रमिता ने भी झट से मुँह खोल कर लंड मुँह में भर लिया और मस्त होकर चूसने लगी। अशोक अपने लंड पर रमिता के होंठ और जीभ के स्पर्श से आनन्दित हो उठा और उसके मुँह से मस्ती भरी आहें निकलने लगी थी। अशोक का एक हाथ रमिता की मस्त चूची का मर्दन कर रहा था तो दूसरा रमिता की जाँघों के बीच चुत के दाने को सहलाने में व्यस्त था।

दूसरी तरफ साधना भी अपने पेटीकोट को पूरा ऊपर उठा कर अपनी चुत के दाने को अपने हाथों से सहला रही थी। चुत पानी पानी हो रही थी साधना की… बिना कुछ करे ही वो मस्त हो गई थी। चुत में कीड़े कुलबुला रहे थे और मस्ती की खुमारी चढ़ती जा रही थी।
सच कहें तो साधना से अब कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।

उधर बेड पर अब अशोक और रमिता 69 की पोजीशन में आकर मजे कर रहे थे। अशोक की जीभ रमिता की चुत की गहराई नाप रही थी तो रमिता भी अशोक के लम्बे मोटे लंड को लोलीपॉप बनाये हुए चाट और चूस रही थी।
दोनों मस्त मग्न थे, चपर चपर की आवाज के बीच कभी कभी दोनों में से किसी की आह या सिसकारने की आवाज आती।

दस मिनट की चूसा चुसाई के बाद दोनों का पानी छुट गया। रमिता ने अशोक का लंड मुँह से निकाल कर फेंटना शुरू कर दिया तो अगले कुछ मिनट में ही अशोक का लंड रमिता की चुत की गहराई नापने को तैयार हो गया।

अशोक ने बेड से नीचे खड़े होकर रमिता की दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखी और लंड को चुत पर सेट करके एक जोरदार धक्के के साथ लगभग पूरा लंड रमिता की चुत में उतार दिया।
जोरदार प्रहार से रमिता कराह उठी और उसके सिसकारने की आवाजें कमरे में गूँजने लगी।

अशोक ने भी लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। हर धक्के के साथ रमिता आह आह आईई ऊईईई कर रही थी।

तभी जैसे रमिता को अपनी सासु माँ की याद आई और उसने साधना को और उत्तेजित करने के उदेश्य से रमिता ने अपनी सिसकारियों की आवाज बढ़ा दी- आह… जोर जोर से चोद मेरे राजा… फाड़ दाल मेरी चुत अपने मोटे लंड से… उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्या कड़क लंड है मेरे मर्द का… चुत की नश नश में करंट भर देता है जालिम… चोद… चोद… जोर जोर से चोद मेरी जान!

अशोक एक बारगी तो रमिता के इस रूप को देख कर दंग रह गया क्योंकि आज से पहले कभी रमिता ने ऐसा नहीं किया था उल्टे वो तो अशोक को कम आवाजें करने को बोलती थी कि ‘धीरे बोलो या धीरे करो… साथ वाले कमरे में मम्मी जी सो रही हैं…’ पर आज वो खुद ऐसे आवाजें निकाल रही थी कि साथ वाले कमरे में मम्मी जी तो क्या पड़ोसी भी सुन लें, समझ लें कि रमिता चुद रही है।

जो भी था रमिता की इस हरकत ने अशोक को और ज्यादा उत्तेजित कर दिया था और वो अब पहले से भी ज्यादा जोश के साथ रमिता की चुत में लंड पेल रहा था- ले मेरी रानी… ले पूरा का पूरा लंड ले… आज तो तेरी चुत में अलग ही बात है… आग बरसा रही थी साली… ले चुद मेरे मोटे लंड से…
अशोक भी अब रमिता के रंग में रंगने लगा था। रमिता भी तो ये ही चाहती थी।

दूसरी तरफ साधना का हाल बेहाल हुआ पड़ा था। तीन तीन उंगलियाँ चुत में पेल रही थी, चुत पानी पानी हो रही थी पर चुत में जो आग लगी थी वो जैसे कह रही थी कि ‘अब उंगली से काम नहीं बनेगा, मेरी जान अब तो मेरे लिए लंड का इंतजाम कर ही दे तो शांति मिले।’
अब साधना का ध्यान रमिता अशोक की चुदाई से ज्यादा अपनी चुत को ठण्डी करने पर था।

उधर अशोक ने रमिता को अब घोड़ी बना लिया था और लंड पीछे से रमिता की चुत में उतार दिया था और सुपरफास्ट गति से लंड को अंदर बाहर करते हुए रमिता की चुत बजा रहा था। अशोक के टट्टे रमिता की गांड पर थप थप की मधुर आवाज कर रहे थे। हर धक्के के साथ अशोक की मस्ती भरी आहें और रमिता की दर्द और मस्ती से भरी सिसकारियाँ कमरे के मौसम को और ज्यादा रंगीन बना रही थी।

करीब बीस मिनट की मस्त चुदाई के बाद अशोक ने अपने लंड का लावा रमिता की चुत में उगल दिया। वो और रमिता दोनों हैरान थे क्यूंकि आज चुदाई और दिनों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा लम्बी चली थी। आमतौर पर अशोक रमिता को दस से बारह मिनट तक ही चोदता था पर आज तो लगभग बीस मिनट तक उसने रमिता की चुदाई की थी। रमिता भी पहले दो या तीन बार ही झड़ती थी पर आज तो जैसे उसकी चुत से दरिया बह निकला था। आज वो पाँच बार झड़ी थी और अब निढाल सी बेड पर पड़ी अपनी साँसों को नियंत्रित कर रही थी।
अशोक भी उसके साइड में लेटा हुआ लम्बी लम्बी साँसें ले रहा था।

साधना भी अब झड़ झड़ के थक सी गई थी। बहुत पानी निकला था आज उसकी चुत से!

तभी जैसे रमिता को साधना का ख्याल आया। साधना को कमरे से निकाल कर दूसरे कमरे में भेजने के लिए अशोक को साइड करना जरूरी था।

“अशोक आज तो तुमने कमाल ही कर दिया… मेरा तो मन है की आज एक बार और ऐसी ही मस्त वाली पारी खेली जाए…”
“आज क्या खा के आई है मेरी जान… जो चुत में इतनी गर्मी हो रही है कि बीस मिनट की चुदाई के बाद भी मैडम को दुबारा चुदाई करवानी है?”
“पता नहीं पर आज तो मन कर रहा है कि जैसे सारी रात चुदवाती रहूँ… तुम बाथरूम से फ्रेश होकर आओ जल्दी से… फिर सोचते हैं दूसरी पारी के बारे में…”

अशोक उठ कर बाथरूम में चला गया। अशोक के जाते ही रमिता साधना के पास गई और उसको बाहर जाने का इशारा किया। साधना की हालत ख़राब थी, रमिता ने उसको उठाया और उसको दरवाजे तक छोड़ कर वापिस अपने बेड पर आकर लेट गई।

साधना लगभग लड़खड़ाते हुए क़दमों से अपने कमरे में पहुँची और धम से बेड पर लेट गई। लेटते ही साधना जैसे नींद के आगोश में समा गई। उसमे अब हिलने की भी ताकत नहीं बची थी। उंगली कर कर के चुत का सारा रस तो निचोड़ चुकी थी वो।

अगली सुबह जब साधना उठी तो नौ बज चुके थे। रमिता नाश्ता तैयार कर अशोक को ऑफिस भेज चुकी थी।

रमिता जब साधना के कमरे में आई तो साधना अस्तव्यस्त कपड़ों में अपने बेड पर लेटी हुई थी। रमिता ने जाकर साधना की साड़ी खींच दी। रमिता के ऐसा करने पर साधना एकदम से हड़बड़ा के उठकर बैठ गई।
“क्या हुआ मम्मी जी… आज तो बहुत नींद आ रही है?”
“पूछ मत… रात तो जैसे पूरा बदन ही निचोड़ दिया किसी ने… पानी का दरिया बह रहा था टांगों के बीच!”
“ऐसा क्या हो गया मम्मी जी… जो दरिया चल पड़ा आपकी टांगों के बीच…” रमिता ने अपनी आँखें नचाते हुए पूछा.

“तू सच में बहुत बदमाश लड़की है… कमीनी ने मुझे भी अपने जैसे बदमाश बना दिया है… बिल्कुल शर्म नहीं करती तू!”
“अरे… बताओ ना मम्मी प्लीज… क्या क्या हुआ… रात को?”
“बताया तो शुरू से आखिर तक टाँगों के बीच बस दरिया ही बहता रहा… इतनी उत्तेजना, इतना मजा तो ब्लू फिल्म देखने में भी नहीं आता जितना तेरी और अशोक की लाइव चुदाई देख कर आया। वैसे मेरा बेटा मस्त चोदता है… तुम्हारी तो हालत खराब कर दी थी उसने धक्के मार मार कर!”

“एक बात पूछूँ… कैसा लगा अपने बेटे अशोक का लंड?”
“हट कमीनी… कुछ तो शर्म रखा कर… एक माँ से पूछ रही है कि बेटे का लंड कैसा है.”
“अरे… मैंने ऐसा क्या पूछ लिया… रात को आपने देखा तो है… तभी पूछा कि कैसा है… वैसे अभी खुद ही तो कह रही थी ‘मेरा बेटा मस्त चोदता है…’ रमिता ने झूठमूठ का नाराज होते हुए कहा।
“वो बात नहीं है रमिता… पर अपने ही बेटे की तारीफ़ करने में शर्म तो आएगी ही ना…”

“मम्मी जी, मैंने आपको पहले ही कह दिया था कि अब सास बहू का रिश्ता छोड़ कर हम दोनों सहेलियां बन चुकी हैं… और सहेलियाँ ऐसी बातें कर सकती है… किसी के भी बारे में!”
“ठीक है… बहुत लम्बा, कड़क और मोटा लंड है अशोक का… अब खुश?” साधना इतना सब बोल कर शरमा गई।
“वो तो है… जब अन्दर घुसता है तो हलचल मचा देता है!”

“मौज है तेरी… सेवा किया कर मेरी… जो ऐसा कड़क मर्द पैदा करके तुझे दिया पति बनाने के लिए!” साधना के इतना कहते ही कमरे में दोनों सास बहू के ठहाके गूंज उठे.
साधना उठी और सीधा बाथरूम में घुस कर बिना देर किये नंगी हो गई और शावर चला कर उसके नीचे खड़ी हो गई। ठण्डे ठण्डे पानी की बूंदों ने बदन में एक बार फिर से हलचल मचा दी और रात का नजारा याद आते ही साधना का हाथ एक बार फिर से अपनी चुत पर पहुँच गया था।

कहानी जारी रहेगी.

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