xxx पोर्न स्टार वाली चुदाई का अनुभव
(xxx Porn Star Wali Chudai Ka Anubhav)
जो लोग xxx पोर्न फिल्मों जैसा सेक्स करना चाहते हैं, पर शर्मिंदगी की वजह से या गंदे सीन की घृणा की वजह से यदि ऐसा नहीं कर पाते हों.. वो यह देसी हिंदी पोर्न कहानी अवश्य पढ़ें, उन्हें कुछ ना कुछ फायदा जरूर होगा.
सालों से दिल की तमन्ना थी कि मैं भी पोर्नस्टार वाला सेक्स करूँ, पर कभी कोई पार्टनर ऐसी मिली ही नहीं, जो इस तरह का सेक्स करे. मैं हमेशा पोर्न फिल्में देखता था और उसी में खोया रहता था.
एक दिन मेरे मोबाईल में एक xxx क्लिप गलती से पड़ी रह गई, जिस पर मेरी दोस्त निशा की नजर पड़ी. निशा मेरी इकलौती सहेली थी, जिसके साथ मैं गपशप करता था. बाकी जितनी भी लड़कियां थीं उनसे मैं सिर्फ काम की बातें करता था.
“तुम भी ये सब पोर्न देखते हो?” निशा ने पूछा.
“तुम भी मतलब? क्या तुम भी देखती हो?”
“नहीं, पर मैंने सुना है.”
“क्या सुना है?”
“यही कि उसमें भरपूर सेक्स दिखाया जाता है और देखने में बड़ा मजा आता है. तुम कब से देख रहे हो?”
“काफी सालों से.”
“कभी बोले नहीं?”
“क्या बोलता? कभी हमारे बीच ऐसी बातें हुई ही नहीं.”
“हाँ, ये भी है.”
“तुमने कभी भी नहीं देखी?”
“नहीं, पर देखना चाहती हूँ.”
“कैसे देखोगी? जैसे आज मेरे मोबाइल में तुझे मालूम पड़ गया, वैसे तेरे मोबाइल से किसी को पता चल जाएगा तो प्रॉब्लम हो जाएगी.”
“तुम दिखाओगे ना?”
“मैं भी मोबाइल पर नहीं देखता. ये वाला गलती से रह गया था. मैं टीवी पर देखता हूँ, बड़ी स्क्रीन पर पोर्न का ज्यादा मजा आता है.”
“हाँ, तो मुझे भी बुला लेना, जब बड़ी स्क्रीन पर मजा लो तो.”
“क्या सच में आओगी?”
“हाँ यार.. मजाक क्यों करूँगी.”
“ठीक हैं, कल दोपहर में आ जाना.”
मेरे घर में होम थियेटर बना हुआ था. वैसे भी दिन भर घर में कोई नहीं होता था. होम थियेटर की वजह से आवाज चाहे जितनी भी करूँ, उस रूम के बाहर नहीं जाती थी. स्क्रीन बड़ी होने की वजह से आम फिल्में देखने को मजा तो आता ही था, पर पोर्न फिल्में को भी मजा आता था. हर चीज एकदम बड़ी नजर आती थी.
दूसरे दिन दोपहर में निशा फिल्म देखने आ गई. मैंने xxx फिल्म शुरू कर दी. हम दोनों पास पास बैठे हुए थे.
फिल्म में पहला ही सीन ब्लोजॉब का था.
“छी: ऐसा भी करते हैं?” सीन को देखते हुए वो बोली.
“हाँ, तुम्हें पता नहीं था?”
“मुझे कैसे पता होगा? मैं पहली बार पोर्न देख रही हूँ. इनको गंदा नहीं लगता है? निशा ने पूछा.
“पता नहीं, पर अच्छा ही लगता होगा तभी तो करते हैं.”
“क्या सेक्स में ये सब करना पड़ता है?”
“नहीं, पर बहुत से लोग करते हैं.”
“तुम? क्या तुम भी ऐसा करते हो?”
“मैंने अब तक कभी किया ही नहीं तो ऐसे वैसे का सवाल ही नहीं उठता.”
“मन तो करता होगा?”
“करता हैं, पर करूँ किसके साथ?”
“ढूँढ लो ना किसी को.”
“बड़ी मुश्किल से किसी के साथ बैठकर फिल्म देख रहा हूँ. सेक्स करने को कहां से ढूंढूंगा? क्या तुझे कभी किसी के साथ सेक्स करने की इच्छा हुई है?”
“नहीं रे, मैंने कभी सेक्स के बारे में सोचा ही नहीं.”
हम बातें कर ही रहे थे कि तभी हीरो झड़ गया और उसका वीर्य हिरोईन ने अपने मुँह में भर लिया. जिसे देखकर निशा को घिन आ गई.
वो अपना मुँह दबाकर बाथरूम की तरफ भागी. काफी देर तक वो उल्टियां कर रही थी. उल्टी कर करके उसका सर चकराने लगा. जिसके चलते वो अपने घर चली गई.
दूसरे दिन वो फिर आई, पर फिल्म देखने के लिए नहीं. अब उसे फिल्म से घिन आ रही थी.
मैंने उसका बहुत मजाक उड़ाया, बहुत हंसा उसके ऊपर.
वो नाराजगी से पर हँसते हुए बोली- मजाक मत उड़ा, मेरी क्या हालत हुई है, मुझे ही पता है.
“होता है यार, तुझे आदत नहीं थी ना.”
“तुझे घिन नहीं आती?”
“पहले पहले आती थी. अब आदत पड़ गई है. वैसे भी मैं झड़ने वाला हिस्सा फॉरवर्ड कर देता हूँ.”
“कल क्यों नहीं किया फिर?”
“मुझे क्या पता था कि तुम्हारी ऐसी हालत हो जाएगी. लड़कियों के शॉट्स में इतना गंदा नहीं लगता.”
“क्या मतलब? लड़कियों के?”
“जब मर्द लड़की की चाटता है, तो इतना गंदा नहीं लगता.”
“लड़की की? क्यों?”
“मजा आता होगा?”
“उसमें क्या मजा?”
“अब ये मैं कैसे बता सकता हूँ? तू खुद चटवा कर देख ले.” मैंने मजाक में कह दिया.
“कौन चाटेगा, तू?” उसने भी मजाक में कहा.
“तू चटवायेगी तो जरूर चाटूंगा.” मैंने भी मजाक में कह दिया.
हम दोनों पहली बार सेक्स पर इस तरह की बातें कर रहे थे.
“आज, सच में नहीं देखना चाहोगी?” मैं अब चाहता था कि वो ब्लू फिल्म देखे.
“गंदा वाला शॉट फॉरवर्ड करेगा तो देखूंगी?”
गरम बातों से शायद उसे फिर एक बार ट्राय करने की इच्छा हुई होगी. मैंने आज दूसरी फिल्म लगाई. जैसे ही ब्लोजॉब शुरू हुआ, वो फॉरवर्ड करने को कहने लगी.
“अभी रुक.. जब वो झड़ने को आएगा, मैं फॉरवर्ड कर दूंगा.”
“अभी करेगा तो क्या होगा?”
“मुझे अच्छा लगता है.”
“तो जब तू अकेला रहेगा, तब देख लेना ना.”
“अब अकेले देखने का मजा नहीं आएगा.” मैंने हँसते हुए कहा.
“ऐ.. एैसी वैसी बात सोचना भी मत हाँ, मैं सिर्फ़ साथ बैठ कर देख रही हूँ. कुछ करने वाली नहीं हूँ.”
“हाँ, जानता हूँ.” मैंने हँसते हुए कहा.
हम फिर फिल्म देखने लगे.
जब चूत चटवाने का सीन आया तो वो बोली- क्या ये भी देखना अच्छा लगता है?
“हाँ.. बहुत..”
“क्या तुम भी अपनी पार्टनर के साथ ऐसा ही करोगे?”
“हाँ, अगर वो करने देगी तो.. वैसे मुझे यकीन है.. वो करने देगी.”
“पर ये तो नाइन्साफी होगी तुम्हारे साथ. तुम उसकी चाटोगे और वो तुम्हारा मुँह में नहीं लेगी.”
“वो लेगी मुँह में, मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ कर लूँगा.”
“कोई जुगाड़ सोच के रखा है क्या?”
“नहीं, पर मैं वक्त पर सोच लूँगा.”
“मान लो अभी वो वक्त होगा तो?”
“अभी वो वक्त कैसे होगा? अभी तो तुम साथ में हो और तुम तो कुछ करने वाली नहीं हो.”
“अरे मैं मानने को कह रही हूँ.”
“ऐसे कैसे मानूं, हाँ अगर तुम ये कहती कि तुम मेरी सेक्स पार्टनर बन गई हो, ऐसा मानो.. तो बात अलग है.”
वो हल्के से मुस्काई और बोली- अच्छा चलो मैं ही तुम्हारी पार्टनर रहूँगी, तो तुम कैसे मुझे मनाओगे?”
“मना लूँगा, जब तुम सच में तैयार हो जाओगी.”
“और अगर मैं ना मानी तो?”
“तुम ऐसी नाइन्साफी नहीं होने दोगी.” मैंने उसी का डायलॉग उसी को चिपकाया.
वो खिलखिला कर हंसी.
हमने दिन भर xxx फ़िल्में देखीं और उस पर बातें भी की.. पर हमने अपनी हदें अत्यधिक कामुकता के बावजूद पार नहीं की.
अब हम रोज ही पूरा पूरा दिन साथ बैठकर फिल्में देखने लगे. हम दोनों ने साथ मिलकर हर तरह की फिल्म देख ली.
एक दिन हमेशा की तरह हम फिल्म देख रहे थे कि तभी लाईट चली गई. थियेटर में घुप्प अंधेरा हो गया.
“शिट यार.. पता नहीं अब ये लाईट कब आएगी?” निशा बोली.
“लगता है, आज जल्दी नहीं आएगी.”
“अब क्या करें? क्या तुम्हारे मोबाइल में क्लिप्स हैं?”
“नहीं.”
“तो क्या करें.. बताओ?”
“तुम ही बोलो.”
“कोई कहानी सुनाओ, सेक्स वाली. जो तुमने पढ़ी हो.”
“हाँ, ये ठीक रहेगा.”
अब तक हम थोड़ी दूरी बनाकर बैठे थे पर कहानी सुनने के लिए उसे नजदीक आना पड़ा.
एक थी निशा, मैं कहानी सुनाने लगा.
“निशा ही क्यों? कहानी सुना रहे हो कि खुद बना रहे हो?”
“सुनाऊं या बनाऊं, तू सुनने से मतलब रखना.”
“हहहह, अच्छा बताओ.” वो हंस कर बोली.
मैंने उसके और मेरे नाम का इस्तेमाल करके एक बढ़िया कहानी पेश की.
“कैसी लगी?” कहानी सुनाने के बाद मैंने उससे पूछा.
“बहुत ही जबरदस्त, ऐसा लगा जैसे मैंने खुद सेक्स किया हो.”
“हहह, लेकिन तुम झड़ी तो नहीं?”
“नहीं.. और तुम?”
“नहीं मैं भी नहीं.”
“क्या पता, झूट भी बोल रहे होंगे. अंधेरे में क्या पता चलेगा झड़े हो कि नहीं?”
“हाथ लगाकर देख लो ना फिर?”
“हट..”
“वैसे अंधेरे में तुम भी झड़ी होगी तो कैसे पता चलेगा?”
“नहीं, सच में नहीं झड़ी.”
“कुछ तो हुआ होगा नीचे?”
“गीला हुआ है ना.. पूरी चड्डी भीग गई है.”
“तो निकाल दो.”
‘हाँ, अब चड्डी उतारने को कह रहे हो, बाद में नंगी होने को कहोगे.”
“अगर हो भी गई तो क्या फर्क पड़ता है? अंधेरे में थोड़ी ना कुछ दिखने वाला है.”
“लाईट आ गई तो?”
“अच्छा है ना.. कम से कम तुम्हारा खूबसूरत बदन तो देखने को मिलेगा.”
“हट, तुझपे मस्ती चढ़ी है.. तू कुछ भी बोले जा रहा है.”
“चल ना, आज साथ में नंगे बैठते हैं. अंधेरे में कुछ दिख तो नहीं रहा.. कम से कम इसी का फायदा थोड़ा उठाकर कुछ नया एक्सायटमेंट ट्राय करते हैं.”
“लाईट आएगी तो क्या करेंगे?”
“करना क्या हैं? हम दोनों जैसे फिल्मों में नंगे बदन देखते हैं, वैसे ही असलियत में भी देखेंगे. फिल्मों में दूसरों का देखते हैं, रियल में खुद का देखेंगे.”
“ये इतना आसान नहीं होगा.”
“ये इतना मुश्किल भी नहीं होगा.”
“ठीक हैं, पर सिर्फ कपड़े उतारेंगे.”
“तुम टेंशन मत लो.”
कुछ देर खामोशी छाई रही. मैं अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया.
“निशा..! तुम हो ना.. कि चली गई?”
“मैं यहीं हूँ.”
“क्या तुमने अपने कपड़े सच में उतार लिए हैं?”
“हाँ.”
“पक्का ना.”
वो मेरी बगल में ही बैठी थी, उसने अपने नंगे बदन को मुझसे सटाया. अब यकीन आया? बदन सटाकर उसने पूछा.
“हाँ..!”
“क्या हुआ?”
“बदन में सनसनी दौड़ गई, तुम्हारे बदन के छू जाने से. क्या तुम्हें कुछ नहीं हुआ?
“हुआ.”
“अब क्या करें?” मैंने पूछा.
“कोई दूसरी कहानी सुनाओ ना.”
“इस बार तुम सुनाओ.”
“मुझे कोई कहानी नहीं पता.”
“बनाकर सुनाओ ना.”
“अच्छा, ट्राय करती हूँ.” इतना कहकर वो कहानी सुनाने लगी.
थोड़ी कहानी सुनाने के बाद उसने पूछा- कहानी अच्छी तो लग रही हैं ना?
“हां यार इतनी अच्छी लग रही है कि लगता है तुम्हारी गोदी में बैठकर सुनूं.”
“अच्छा..!” ये कहते हुए उसने जोर से नोंच लिया.
“आउच, ऐसे नोंचो मत.. वर्ना तुम्हें गोद में बिठा लूँगा.”
“है हिम्मत उतनी?” पूछते हुए उसने फिर नोंच लिया.
“रुक तुझे दिखाता हूँ हिम्मत मेरी..!” ये कहकर मैंने उसे अपनी गोदी में खींचकर बिठा लिया. हमारे पूरे नंगे बदन एक दूसरे से चिपक गए. उसकी गांड की फांक में मेरा लंड धंस गया था.
“छोड़ो छोड़ो..” कहते हुए वो उठने का प्रयास कर रही थी और मैं उसे जकड़ कर जबरदस्ती बिठा रहा था.
इस कोशिश में मेरा लंड और उसकी गांड आपस में रगड़ खाने लगे. हम दोनों को ही ये अच्छा लग रहा था.
“आगे की कहानी सुनाओ ना.”
“कहानी वहानी कुछ नहीं.. मुझे छोड़ दो.”
“पहले कहानी सुनाओ, फिर छोड़ दूंगा.”
“पक्का?”
“हाँ, पक्का.”
वो फिर से कहानी सुनाने लगी.
मैंने उसके कंधे पे अपना सर रखा, मेरे गाल उसके गालों से छू रहे थे. मैंने अपने दोनों हाथों से उसे कस लिया था. कहानी सुनते सुनते मैंने अपनी हथेलियाँ उसकी दोनों चुचियों पर रख दीं.
वो अब चुपचाप कहानी सुना रही थी. कहानी अभी आधी ही हुई थी कि लाईट फिर से आ गई.
“छोड़ो लाईट आ गई है, मुझे शर्म आ रही है.”
“थोड़ी देर यूं ही बैठी रहो.. शर्म चली जाएगी.”
मैंने बैठे बैठे ही फिर फिल्म शुरू कर दी. कमाल का बदन था उसका. अच्छा हुआ ये सब घटा.. वर्ना निशा ऐसी लड़की नहीं थी कि वो ऐसा कुछ करे. जल्दी ही ब्लोजॉब वाला सीन आ गया.
“अच्छा ये बताओ तुम इसके लिए क्या जुगाड़ करने वाले थे?”
“तुम करने वाली होगी तो जुगाड़ सोचने का कोई मतलब है.”
“बताओ तो सही.”
“ट्राय करोगी क्या?”
“ट्राय कर सकती हूँ, पर अच्छा ना लगे तो कंटिन्यू नहीं करूँगी.”
उसकी रजामंदी मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी.
“बताओ, क्या करोगे?”
“बताऊंगा नहीं.. करके बताऊंगा.”
“क्या?” उसने हँसते हुए पूछा.
“तुम अपनी आँखें बंद कर लो. मैं अभी आता हूँ.”
“कहां चले?”
“आता हूँ, तुम आँखों पर पट्टी बांध लो.”
“ऐसा क्या करने जा रहे हो?”
“तुम बांधो तो सही.”
उसने अपनी आँखों पर टी-शर्ट बांध ली.
जब मैं वापिस आया और उसे आँखें खोलने को कहा, वो मुझे देख कर खिलखिला कर हंसने लगी.
“पागल ये क्या किया?”
“इट्स युअर फेवरेट..” मैंने अपने लंड पर ढेर सारी चॉकलेट क्रीम लगाई थी, जिसे देखकर वो हँसे जा रही थी.
“आईडिया कैसा लगा?”
“सुपर्ब, पर मुझे ये चॉकलेट नहीं चाहिए.” वो हँस हँसकर बोल रही थी.
“इतनी मेहनत से बनाया हैं, थोड़ा तो टेस्ट करो.”
“नो, बिल्कुल नहीं.”
“तुमने कहा था, तुम ट्राय करोगी.”
“तुम खुद क्यों नहीं खाते अपना चॉकलेट?”
“ये तुम्हारे लिए बना है, मेरे लिए तो तुम्हारी चूत पर परोसा जाएगा.”
“क्या सच में, चखोगे वहां से?”
“हाँ, लो लगा लो..” ये कहते हुए मैंने क्रीम आगे कर दी.
उसने हँसकर क्रीम ली और अपनी चूत के इर्द गिर्द लगा दी. उसकी झांटें नहीं थीं.. उसकी चूत पूरी क्लीन थी. वैसे झांटें मैंने भी निकाल ली थीं.
वो ऊपर बैठी थी. मैं घुटने पर बैठ गया ओर” उसकी जाँघों में लगी चॉकलेट क्रीम चाटने लगा.
इस तरह से चटवाने से वो मस्त हो गई. मैंने पूरी की पूरी क्रीम चाट ली. अब उसकी बारी थी, मैं खड़ा हो गया. उसने पहले थोड़ी थोड़ी जीभ लगाई, फिर जब उसे लगा कि ये उतना गंदा नहीं है, तो वो जोर जोर से लंड पर लगी क्रीम चाटने लगी. जब सुपारे के पास का हिस्सा बचा, तब तक उसकी शर्म और घृणा जा चुकी थी. उसने पूरे सुपारे को चॉकलेट लॉलीपॉप की तरह मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
जब लंड का सारा चॉकलेट खत्म हुआ तब मैंने उसे उठाया और किस करने लगा. हम दोनों ने एक दूसरे को कस लिया और किसिंग करने लगे.
काफी देर किसिंग करने के बाद हम नीचे लेट गए. मैं फिर किसिंग करने वाला था कि उसने कहा- इसके लिए भी कुछ नया तरीका निकालो ना!
मैं उठा कुछ सोचते सोचते बाहर गया. जब वापस आया तब मेरे पास बड़ी सी ट्रे थी.. जिसमें ढेर सारा सामान था.
“इतना क्या ले आए?” उसने हँसते हुए पूछा.
“जो जो मिला, ले आया, ताकि तुम फिर बाहर ना भेज दो.”
ये कहते हुए मैंने एक किशमिश को अपने होंठों में दबा लिया और उसके मुँह के ऊपर झुक गया.
उसने ना सिर्फ किशमिश, मेरे पूरे होंठों को भी अपने मुँह में भर लिया.
मैंने एक काजू लिया, उसे अपनी जुबान पर रखा और उसकी तरफ मुँह कर लिया. वो उठकर बैठी और मेरी जुबान को अपने मुँह में भर लिया. फिर उसने काजू को अपनी जुबान के ऊपर रखा और मुझे परोसा. मैंने भी उसकी जुबान को अपने मुँह में भर लिया.
काजू को अपने दांतों में रख कर मैंने फिर उसे परोसा. उसने अपने दांतों से आधा काजू तोड़ लिया. इस तरह से हम किसिंग का मजा ले रहे थे. मेवा खाते खाते हम एक दूसरे को किस किए जा रहे थे.
“क्या इनके लिए भी कुछ है?” उसने अपनी चुचियों को दोनों हाथों में थामकर पूछा.
“चॉकलेट लगाऊँ?”
“कोई और आईडिया नहीं है?” उसने सवाल किया.
“आईसक्रीम?”
“ठंडी सहन होगी क्या?”
“कोशिश करते हैं.”
“जल्दी जल्दी खा लेना.”
“शहद लगाऊं क्या?”
“हाँ, ये बेटर रहेगा.. ना पिघलने का डर ना तकलीफ होगी.”
मैंने उसकी दोनों चुचियों पर शहद लगाया और धीरे धीरे जुबान से चाटते हुए उन्हें एक एक कर अपने मुँह में भर लिया. उसे इस तरह चुचियाँ चुसवाने में बड़ा मजा आया.
मैंने इसी तरह कभी जूस तो कभी कुछ लगाकर उसके बदन को भी चाट लिया.
अब सिर्फ मेन काम बचा था. मैंने पूछा, चूत और लंड का क्या करें?
“तुम ही बताओ.”
“मस्का लगाऊ या घी?”
“जो तुम ठीक समझो.”
“अभी मस्का लगाते हैं.. घी गांड के लिए रखते हैं.”
“वहाँ भी करोगे?”
“अब जब कर ही रहे हैं तो सब कर लेते हैं ना.”
“हहम्म..” करते हुए उसने “हाँ कह दिया था.
मैंने ढेर सारा मक्खन अपने लंड पर लगा लिया, उसकी चूत में भी डाला. लंड को चूत पर सैट किया और एक करारा शॉट दे मारा. मक्खन की चिकनाई की वजह से लंड तो अन्दर दाखिल हो गया पर उसे दर्द होने लगा. दर्द तो मुझे भी हो रहा था. हम दोनों भी पहली बार चुदाई कर रहे थे. मैंने फिर शॉट मारते हुए अपना लंड पूरा जड़ तक अन्दर उतार दिया.
पहले धीरे धीरे फिर जोर जोर से मैं अपनी कमर हिलाकर शॉट्स लगाना जारी रखा. फिल्म में नायिका “याह फक मी याह..” कर रही थी. इधर नीचे निशा “आ आह और जोर से और कर..” चिल्ला रही थी.
निशा को चोदते चोदते वो दौर भी आया जब हम दोनों झड़ गए. हमने दुबारा एक दूसरे के लंड और चूत चाटकर फिर से एक दूसरे को तैयार किया. इस बार हमें ना चॉकलेट की जरूरत पड़ी, ना शहद की.
मैंने लेकिन फिर भी घी का इस्तेमाल उसकी गांड मारने में किया. हमने उस दिन खूब चुदाई की.
उस दिन के बाद भी हम रोज xxx फिल्में देखने लगे और रोज चुदाई करने लगे.
इस देसी हिंदी पोर्न कहानी के बारे में आपके जो भी सुझाव हों, आप मुझे मेल कर दीजिये. फालतू मेल में आपका और मेरा कीमती वक्त जाया मत होने दीजिये.
मेल करते वक्त कहानी का कौन सा हिस्सा अधिक पसंद आया, ये बता देंगे तो मेल का उद्देश्य समझ में आ जाएगा.
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर आपका स्वागत है!
धन्यवाद
रवीराज मुंबई
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