विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-21

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-21)

This story is part of a series:

स्कूल के गेट पर आज सिर्फ़ मैडी ही खड़ा हुआ था जैसे ही दीपाली आई.. उसने हल्की मुस्कान दी.. बदले में दीपाली भी मुस्कुरा दी।

मैडी- दीपाली तुमने कोई जवाब नहीं दिया.. सोमवार को आओगी ना?

दीपाली- आ तो जाऊँगी.. मगर तुम्हारे दोस्त मुझसे कोई बदतमीज़ी ना करें इसकी गारन्टी दो पहले।

मैडी- अपनी माँ की कसम ख़ाता हूँ कोई कुछ नहीं कहेगा.. बस तुम आ जाना प्लीज़।

दीपाली- ओके पक्का आ जाऊँगी.. आज गुरुवार है ना.. अभी तो बहुत दिन बाकी हैं ओके बाय…

दीपाली गाण्ड को मटकाती हुई स्कूल में चली गई मैडी वहीं खड़ा बस उसकी गाण्ड को देखता रहा।

तभी एक तरफ छुप कर खड़े सोनू और दीपक भी उसके पास आ गए।

दीपक- मान गए यार तूने साली को मना ही लिया.. अब आएगा मज़ा.. वैसे तूने सोचा क्या है.. उसको चुदने के लिए कैसे पटाएगा?

सोनू- साली कुतिया क्या बोल रही थी कि तुम्हारे दोस्तों को कुछ बदतमीज़ी नहीं करना चाहिए.. एक बार आ तो सही साली.. बड़ी शराफत से तुझे चोदेंगे हा हा हा हा…

मैडी- चुप करो सालों.. कोई सुन लेगा.. अब सोमवार तक उसके आस-पास भी नहीं जाना.. नहीं तो बना बनाया काम बिगड़ जाएगा।

दीपक- यार कहीं ऐसा ना हो तू अकेला मज़ा लूट ले.. और हम लौड़ा हाथ में लिए हिलाते और खड़े रहें.. देख एक लड़की के लिए दोस्ती मत तोड़ देना..

मैडी- साले इतना ही भरोसा है क्या मुझ पे.. तुम दोनों के बिना मैं कुछ नहीं करूँगा ओके.. अब चलो अन्दर.. वक्त हो गया…

क्लास में सब सामान्य चल रहा था, जब विकास आया.. तब दीपाली ने एक हल्की मुसकान दी, मगर विकास बस देख कर अनजान बन गया और किताब लेकर पढ़ाने लगा।

विकास- अच्छा बच्चों इम्तिहान के लिए जरूरी सवालों पर निशान लगा लो.. जो याद करने हैं।

कुछ लड़के और लड़कियां एक-दूसरे से धीरे-धीरे कुछ बोल रहे थे और ध्यान नहीं रहे थे। विकास का गुस्सा तेज था बच्चे उससे डरते थे.. मगर आज पता नहीं क्यों सब ध्यान नहीं दे रहे थे।

विकास ने जब ये देखा तो गुस्सा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया- क्या बकवास लगा रखी है.. चुपचाप निशान लगाओ..

सब चुप हो गए.. विकास काफ़ी देर तक सवालों के निशान लगवाता रहा इस दौरान वो बार-बार दीपाली को देख रहा था और दीपाली भी बहुत कामुक मुस्कान दे रही थी।

विकास को लगा शायद दीपाली कुछ कहना चाहती है क्योंकि वो बार-बार ऊँगली से कुछ इशारा कर रही थी.. मगर वो समझ नहीं पा रहा था।

विकास- दीपाली खड़ी हो जाओ।

दीपाली खड़ी हो गई और विकास को देखने लगी।

विकास- जाओ स्टाफ-रूम में.. जहाँ एक फाइल रखी है.. उस अलमारी में उसमें एक पेपर रखा है.. वो लेकर आओ।

दीपाली ‘ओके सर’ कह कर वहाँ से निकल गई..

उसको गए हुए कोई एक मिनट भी नहीं हुआ था कि विकास भी निकलने को हो गया।

विकास- बच्चों शोर मत करना.. मैं अभी आता हूँ और दीपाली वो पेपर ले आए तो उससे कहना कि बोर्ड पर उसमें लिखे सवाल लिख दे और सब कॉपी कर लेना.. वो कुछ ऐसे सवाल हैं जो किताब में नहीं हैं मैंने बनाए हैं। अक्सर इम्तिहान में सवालों को घुमा कर देते हैं उत्तर किताब में ही होता है मगर बच्चे समझ नहीं पाते हैं.. तो ध्यान से सब लिख लेना।

विकास क्लास-रूम से बाहर निकल गया मगर फ़ौरन वापस अन्दर आया शायद उसे कुछ याद आ गया।

विकास- प्रिया.. तुम क्लास की मॉनीटर हो.. ध्यान रखना पीछे से कोई शोर ना हो ओके…

प्रिया- ओके सर..

इतना बोलकर विकास फ़ौरन स्टाफ-रूम की तरफ गया।

दीपाली वो पेपर लिए वहीं खड़ी उसका इन्तजार कर रही थी।

विकास- हाँ अब कहो.. क्या इशारा कर रही थीं और सब के सामने ऐसे मुस्कुराया मत करो.. अगर किसी को शक हो गया तो?

दीपाली- सर किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. आप बेफिकर रहो.. आज सुबह आते समय दीदी को चोद कर आए हो क्या…

विकास- नहीं तो.. रात को मस्त ठुकाई की थी.. सुबह कहाँ वक्त मिलता है.. मगर तुम क्यों पूछ रही हो?

दीपाली- आपकी पैन्ट की ज़िप खुली हुई है.. क्लास में सब देख रहे थे ये तो अच्छा है कि अन्दर चड्डी है.. वरना आपका लौड़ा बाहर आ जाता हा हा हा हा…

विकास- अरे धीरे.. कोई सुन लेगा.. ये कैसे खुली रह गई.. बच्चे क्या सोच रहे होंगे.. अच्छा अब तुम जाओ वरना किसी को शक हो जाएगा।

दीपाली- मेरे राजा जी एक बार लण्ड के दर्शन करवाओ ना.. बड़ा मन मचल रहा है।

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विकास- तू पक्का मरवाएगी.. शाम को जितना चाहे देख लेना.. अभी जा यहाँ से…

दीपाली जाते-जाते लौड़े को सहला कर चली गई।

विकास डर सा गया अगर कोई आ जाता तो क्या होता…
दीपाली के जाने के बाद विकास फाइल में कुछ देखने लगा… उधर दीपाली क्लास में गई तब प्रिया खड़ी हुई और विकास की कही बात उसको बताई वो बोर्ड पर सवाल लिखने लगी।

काफ़ी देर तक जब विकास नहीं आया तो क्लास में शोर होने लगा.. सवाल भी सबने लिख लिए थे।

तभी वहाँ विकास आ गया सब खामोश हो गए और सब की नज़र उनकी ज़िप पर गई जो अब बन्द थी।

कुछ बच्चों ने मुसकान देकर विकास को अहसास करा दिया कि वो क्यों हँस रहे थे।

विकास- प्रिया खड़ी हो जाओ.. कब से देख रहा हू तुम दाँत निकाल रही हो.. क्या हुआ तुम क्लास की मॉनीटर हो… अगर तुम ऐसा विहेव करोगी तो बाकी पर क्या असर पड़ेगा।

प्रिया- सर सॉरी…

विकास- दीपक तुम मार खाओगे.. क्या ख़ुसुर-फुसुर कर रहे हो?

दीपक- कुछ नहीं सर सॉरी…

विकास- हाँ मैं जानता हूँ तुम सब क्यों हँस रहे थे.. यार मैं भी इंसान हूँजल्दबाज़ी में ग़लती हो गई.. अब इसका ये मतलब थोड़े ही है कि तुम मेरा मजाक उड़ाने लगो।

विकास की बात सुनकर सब बच्चे समझ गए कि सर क्या कहना चाहते हैं।

सब ने एक साथ ‘सॉरी’ कहा.. तभी दूसरे विषय का घंटा बज गया और विकास वहाँ से चला गया।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये मैं क्या खिचड़ी पका रही हूँ मगर माफ़ करना.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है।

यह जो कुछ मैंने लिखा इसका आगे की कहानी से गहरा सम्बन्ध है.. इसलिए आज का ये वाकया बताना जरूरी था ओके..
अब आगे आनन्द लीजिए।

बाकी का दिन सामान्य ही गुजरा.. छुट्टी के बाद दीपाली जाने लगी.. तब प्रिया ने उसको पीछे से आवाज़ दी।

प्रिया- दीपाली रूको.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।

दोस्तो, यह है प्रिया इसकी उम्र 19 वर्ष की है.. इसका रंग साफ नहीं है.. थोड़ी साँवली है.. फिगर 30-26-30 का है मगर लड़के इसे भाव नहीं देते हैं और ये भी ज़्यादा किसी से बात नहीं करती है… बस अपनी धुन में रहती है।

हाँ एक बात और यह दीपक के चाचा की लड़की है यानी दीपक की चचेरी बहन है।
एक वजह यह भी है कि स्कूल में कोई लड़का इसके पास नहीं आता है।
आप तो जानते ही हो.. दीपक और उसके दोस्त एक नम्बर के आवारा हैं और किसकी मजाल जो उनकी बहन को पटाने की सोचे..

दीपाली- क्या हुआ ऐसे भाग कर क्यों आ रही है.. क्या बात करनी है।

प्रिया- यार बहुत ज़रूरी बात है.. इसी लिए भाग कर आई हूँ।

दीपाली- अच्छा चल बता.. क्या बात है?

प्रिया ने बात बताना शुरू किया तो दीपाली के चेहरे के भाव बदलने लगे चिंता की लकीरें उसके माथे पर साफ दिख रही थीं।

दीपाली- ओह माय गॉड.. तुम सच कह रही हो.. थैंक्स यार तुमने ये बात मुझे बता दी.. अच्छा एक बात सुनो किसी को भी ये बात मत बताना ओके.. मैं अपने तरीके से कुछ सोचूँगी।

प्रिया- अरे नहीं यार मैं पागल हूँ क्या…

दीपाली- थैंक्स यार…

प्रिया- यार प्लीज़.. मेरा एक काम कर दोगी.. प्लीज़ प्लीज़ ना मत कहना…

दीपाली- ओके कहो.. अगर मेरे बस में होगा तो जरूर कर दूँगी…

प्रिया फिर बोलने लगी और दीपाली बस आँखें फाड़े उसको देखने लगी।

आप ऐसा समझो कि दीपाली को उसकी बात सुन कर बहुत बड़ा झटका सा लगा।

दीपाली- तू पागल हो गई है क्या.. ऐसा नहीं हो सकता.. तूने ये सब सोचा भी कैसे.. मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगी ओके…

प्रिया- देख सोच ले.. तूने पहले हाँ कही है.. अब अगर तू ना करेगी तोमैं कुछ कर बैठूंगी.. बाद में तुमको पछताना पड़ेगा।

दीपाली- यह क्या बकवास है मुझे क्यों पछताना पड़ेगा हाँ.. और तूने यह सोच भी कैसे लिया.. मेरी तो समझ के बाहर है।

प्रिया ने फिर एक बात उसको कही और इस बार तो दीपाली ने अपने हाथ मुँह पर रख लिए..
आज प्रिया उसको एक के बाद एक झटके दे रही थी।
दीपाली का गला सूख गया.. बड़ी मुश्किल से उसने बोला।

दीपाली- यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा तुझे ये कैसे पता चला…. चल इस बात को गोली मार.. देख प्रिया तू अच्छी तरह सोच समझ कर देख ले उसके बाद भी अगर तुमको लगता है यह सही है तो ओके मैं तुम्हारा ये काम कर दूँगी.. मगर ये बात राज़ ही रखना।

प्रिया- मैंने अच्छी तरह सोच कर ही तुमको कहा है।

दीपाली- नहीं तू कल मुझे फाइनल बता देना.. उसके बाद समझूंगी.. ओके..

प्रिया- चल ठीक है.. कल बता दूँगी.. अब तू जा और प्लीज़ तू भी किसी को बताना मत…

दीपाली- तू पागल है क्या.. ये बात किसी को बताने की है क्या चल बाय… कल मिलते हैं।

बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है।

अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
मुझे आप अपने विचार मेल करें।
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