शादीशुदा भाभी की कुंवारी चूत-2
(Shadishuda Bhabhi Ki Kunwari Chut- Part 2)
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अभी तक कि कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं कल्पना जी की खूबसूरती देखकर अपना सुधबुध खो बैठा था. अपने मन की अजीबोगरीब उलझन में ही उलझा था और उधर कल्पना रूम के दरवाजे के लॉक खोलने में बिजी थीं.
अब आगे..
कल्पना ने दरवाजा खोलकर अन्दर जाते हुए मुझे भी अन्दर आने को बोला. मैं भी पीछे पीछे अन्दर चला गया. घर भी एकदम शानदार था, काफी बड़ा हॉल, दो बेडरूम, किचन और पूरा घर, प्रयोग होने वाली लगभग सब चीजों से भरा हुआ था.
कल्पना ने मुझे सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए अपनी नौकरानी को आवाज दी- रत्ना, पानी लाना तो.
नौकरानी का नाम रत्ना था.
थोड़ी ही देर में एक 18-19 साल की लड़की, जो शायद रत्ना ही थी, मेरे लिए पानी लेकर आई. मैंने थोड़ा सा पानी पीकर गिलास उसे वापस देते हुए थैंक्स बोला और घर में रखी हुई चीजों को देखने लगा.
तभी कल्पना अपने रूम से आईं और रत्ना से पूछा- घर का सारा काम हो गया या कुछ बाकी है?
रत्ना- जी दीदी, सब हो गया है. मैं भी निकल रही हूँ. अगर आपका कोई काम रह गया हो, तो बोल दीजिये, मैं करके जाती हूं.
कल्पना- नहीं, मेरा कोई काम नहीं है.
रत्ना ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- भैया को कुछ चाहिए, तो मैं देकर जाती हूं.
मैं- नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए.
कल्पना- ठीक है फिर तुम जाओ और शाम को मत आना क्योंकि कोई घर में है नहीं और कोई काम भी नहीं है, तो आज तुम भी आराम करो.
रत्ना- ठीक है दीदी, मैं जाती हूं.
इतना बोल कर रत्ना चली गई, उसके जाने के बाद कल्पना ने खुद जाकर दरवाजा बंद किया और लॉक लगा दिया. इसके बाद उन्होंने मेरे सामने वाले सोफे पर बैठते हुए वार्तालाप को शुरू किया.
कल्पना- हां तो आर्यन जी, आप कुछ बताओ अपने बारे में!
मैं- जैसे? आप क्या जानना चाहती हैं मेरे बारे में?
कल्पना- कुछ भी जो आप बताना चाहें.
फिर थोड़ी देर हमारी फॉर्मल बातें हुईं. सच कहूँ तो दोस्तो, अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था. फिर भी मैंने जल्दबाज़ी करना ठीक नहीं समझा और वो जो कुछ पूछती गईं, मैं बताता गया. करीब आधे घंटे के बातचीत के बाद कल्पना मुझसे थोड़ा खुल गईं.
कल्पना- आप को तो मालूम ही है कि मैंने आपको यहां क्यों बुलाया है.
मैं- हां और अक्सर लोग मुझे उसी काम के लिए बुलाते हैं.
कल्पना- अभी तक आपने कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया है?
मैं- सेक्स तो मैंने पता नहीं कितनों के साथ किया है, पर इस काम में मैं पिछले दो साल से ही हूँ.
कल्पना- मतलब आपने सब उम्र की लड़की, भाभी और आंटी के साथ सेक्स किया है?
मैं- हां, मैंने लगभग सब उम्र की महिलाओं के साथ सेक्स किया है.
कल्पना- कभी कुंवारी लड़की के साथ सेक्स किया है आपने?
मैं- हां.. तीन के साथ किया है, जो कुंवारी थीं.
कल्पना- अच्छा, कौन थी तीनों?
मैं- एक तो मेरी गर्लफ्रैंड थी, बाकी 2 मेरी क्लाइंट थीं.
कल्पना ने मुस्कुराते हुए कहा- आपकी गर्लफ्रैंड भी है?
मैं- है नहीं, थी. अब उसकी शादी हो गयी है.
कल्पना- ओके, बाकी दोनों के साथ कैसा एक्सपीरियंस रहा आपका?
मैं- एक्सपीरियंस तो सबके साथ एक जैसा ही होता है, पर कुंवारी लड़की के साथ बहुत संभाल कर सेक्स करना पड़ता है.. ताकि उसे दर्द भी कम हो और वो एन्जॉय भी करे.
कल्पना- हम्म्म्म …
दोस्तों मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि ये कुंवारी लड़की के साथ सेक्स के टॉपिक में इतना इंटरेस्ट क्यों ले रही हैं, जबकि ये तो शादीशुदा हैं.
मैं- मैडम, मैं जिस काम के लिए आया हूँ, उसे शुरू करें?
कल्पना- हां, चलो बैडरूम में चलते हैं.
इतना कह कर वो उठ खड़ी हुईं और एक कमरे की तरफ चलने लगीं. मैं भी खड़ा हो गया और उनके पीछे पीछे चल पड़ा.
कल्पना कमरे में पहुंचते ही बोलीं- आप बैठो, मैं चेंज करके आती हूं.
इतना बोल वो दूसरे रूम में चली गईं और मैं मन ही मन में आगे की प्लानिंग करते हुए सोचने लगा कि आज ऐसा क्या और कैसे करूँ कि ये भी मेरी फिक्स क्लाइंट बन जाए और वैसे भी ऐसी कड़क माल सबको तो नहीं मिलती न चोदने के लिए. मैं खुद पर गर्व महसूस कर रहा था कि ऐसी औरत, जिसको चोदने का सपना हर मर्द देखना चाहेगा, उन्होंने मुझे सामने से चुदवाने के लिए बुलाया है.
दोस्तो, सच कहूँ तो मैंने डिसाइड किया कि इनके साथ रोमांटिक और वाइल्ड का मिक्सअप करूँगा ताकि इन्हें अपनापन भी लगे और मज़े भी आएं और ये मुझे भूल न पाएं.
मेरे दिमाग में यही सब प्लानिंग चल रही ही थी कि इतने में कल्पना आ गईं. उस वक़्त उन्होंने गुलाबी रंग की नाइटी को पहना हुआ था, जिसमें से उनके उभारों की झलक साफ दिख रही थी. नाइटी भी ऐसी थी, जिसमें टॉप और पैंट दोनों अलग अलग होते हैं.
सोफे पर बैठते और मेरी तरफ देखते हुए उन्होंने मुझसे बोलना शुरू किया- हां तो आप क्या कह रहे थे?
मैं- मैम, मैं यहां कुछ कहने नहीं, करने आया हूँ.
मैंने करने शब्द को थोड़ा खींचकर बोला.
कल्पना ने मुस्कुराते हुए कहा- ह्म्म्म, उसी के लिए तो बुलाया है आपको और एक बात आप मुझे नाम से ही बुलाइये, ये मैम वैम नहीं चलेगा.
मैं- ठीक है, फिर आप भी मुझे नाम से ही बुलाओगी.
कल्पना- हम कुछ शुरू करें, उससे पहले आपको कुछ बताना चाहती हूँ.
इतना बोल कर कल्पना चुप हो गईं.
अब साला फिर से दिमाग में टेंशन कि अब क्या है, मैं जितना जल्दी करना चाह रहा हूँ, कल्पना उतना ही टाइम पास कर रही हैं, इनको सच में चुदवाना भी है या टाइम पास के लिए बुलाया है? फिर मेरे दिमाग में बात आई कि आज इसे तो पक्का चोदना है, पैसे मिलें या न मिलें, कोई फर्क नहीं. ऐसी कड़क माल को बिना चोदे छोड़ नहीं सकता.
मैं इन्हीं ख्यालों में ही बिजी था कि तभी कल्पना मेरी तरफ देखते हुए मुझे टहोका- ओ हैलो, कहां खो गए?
मैं- हां, कहीं नहीं. आप कुछ कह रही थीं.
कल्पना- हां, पर मुझे समझ नहीं आ रहा कि कैसे कहूँ, कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है.
मैं- जो भी कहना है बिंदास कहिये, आप मुझे अपना दोस्त ही समझो और मैं आपको गारंटी देता हूं कि आपकी बात हम दोनों तक ही रहेगी.
कल्पना ने कुछ सोचते हुए कहा- ह्म्म्म …
थोड़ी देर सोचने के बाद, एक लंबी सांस लेते हुए बोलना शुरू किया- मैं अभी तक कुंवारी हूँ.
इतना बोल कर कल्पना चुप हो गईं और उन्होंने अपनी आंखों को झुका लिया.
उस वक़्त मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि जो मैंने सुना, क्या वो सच है या मैंने कुछ गलत सुन लिया. सच कहूँ तो मुझे शॉक भी लगा कि ये कैसे हो सकता है. मतलब एक ऐसी शादीशुदा लड़की, जिसको देखकर लग रहा है कि इनकी शादी काफी दिन पहले हो गयी है. वो अभी तक कुंवारी कैसे हो सकती है?
मैंने चौंकते हुए कहा- क्या? क्या कहा अभी आपने?
कल्पना थोड़ा उदास होते हुए बोलीं- हां, मैं अभी तक कुंवारी हूँ.
मैं- पर आप तो शादीशुदा हैं … फिर आप कुंवारी कैसे?
इस वक़्त मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं खुश होऊं कि आज फिर से एक और कुंवारी बुर चोदने को मिल रही है या दुखी होऊं कि अभी थोड़ी देर पहले जो कुछ करने को सोचा था, अब वो नहीं कर पाऊंगा, अब मुझे जो कुछ भी करना है, संभल कर करना पड़ेगा.
उसके बाद जो अपनी आपबीती में कल्पना ने मुझे बताया, वो मैं आपको कहानी के आगे के भाग में बताऊंगा. मैं जानता हूं कि आप लोग अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई कहानियों में क्या पढ़ना पसंद करते हैं, तो आप लोगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए अब मैं डायरेक्ट कहानी वहां से शुरू करता हूँ कि कैसे मैंने शादीशुदा कल्पना भाभी की कुंवारी बुर की सील तोड़ी.
कल्पना की आपबीती सुनने के बाद सच में मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं क्योंकि उनकी कहानी सुनने के बाद मुझे भी फील हुआ कि उनके साथ धोखा किया गया है. फिर भी मैंने खुद को संभालते हुए कल्पना से पूछा- आप क्या चाहती हैं?
कल्पना- ये कैसा सवाल है आपका कि मैं क्या चाहती हूँ? मैं क्या चाहती हूँ आपसे … ये आपको मालूम है और आपको और मेरे लिए कुछ करने की जरूरत भी नहीं है.
आखिरी वाक्य उन्होंने थोड़ा गुस्से से बोला.
मैं- ह्म्म्म, तो शुरू करें..
कल्पना- हां, तुमको मैंने अपने बारे में सब बता दिया है, तो आपको मालूम पड़ गया है कि ये मेरा पहली बार है, तो जो कुछ करना है आपको ही करना है. बस इस बात का ध्यान रखना कि मुझे इस बार निराश ना होना पड़े.
उनकी ये बात मेरे दिल पर लग गयी. अब तो बात इज़्ज़त पर आ गयी. कल्पना की बुर की सील भी तोड़ना है और उन्हें खुश भी करना है.
मैं- ठीक है, आप निराश नहीं होंगी, पर उसके लिए आपको भी कुछ करना पड़ेगा. मेरे अकेले के चाहने से कुछ नहीं होगा.
कल्पना- क्या?
मैं- अगर आपको आज का दिन आपके जिंदगी का एक यादगार दिन बनाना है, तो सबसे पहले आपको अपने में से सारी झिझक निकलना पड़ेगी, तभी आप सेक्स को एन्जॉय कर पाएंगी और दूसरी बात आपको मुझे पूरा सहयोग देना पड़ेगा. अगर आपके मन में सेक्स को लेकर कोई सवाल या कोई फैंटसी है, तो बता दीजिये, ताकि हम उसका पहले ही कोई सोल्यूशन निकाल सकें. और आखिरी बात, आप अभी ये तो बिल्कुल मत समझिए कि मैं आपके लिए कोई अनजान व्यक्ति हूँ. बस ये समझिए कि मैं वही हूँ, जिसे आप पसंद करती हैं.
कल्पना- अब मेरे बारे में इतना कुछ जानने के बाद आप मेरे लिए अनजान कहां रहे. रही बात पसंद की.. तो आपकी फ़ोटो ही देख कर आप मुझे पसंद आ गए थे. आप बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिये, मैं आपको पूरा सहयोग करूँगी. आप जैसा बोलोगे, मैं वैसा ही करूँगी. बस ये ध्यान रखना कि दर्द थोड़ा कम हो. क्योंकि मैंने सुना है पहली बार काफी दर्द होता है.
मैं- ह्म्म्म.. अगर मैं कहूँ कि दर्द नहीं होगा, तो ये कहना मेरा गलत होगा, हां मैं ये कह सकता हूँ कि आपको बहुत कम समय के लिए दर्द होगा. वो भी सिर्फ 2 मिनट के लिए. उसके बाद आप भी एन्जॉय करेंगी. अगर आप दर्द बर्दाश्त करने के लिए तैयार हैं, तो हम शुरू करें?
कल्पना- ह्म्म्म..
सच कहूँ तो दोस्तो, मुझे भी समझ में नहीं आ रहा था कि इनके साथ कहां से शुरू करूँ. कल्पना भाभी चुदी चुदाई होतीं, तो खुद ही लंड के लिए अपनी चूत खोलकर बैठ जातीं. इन्हें भी लंड का मज़ा लेना था, पर पहली बार के दर्द का डर भी उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था. मैं समझ गया कि शुरू करने के लिए जो कुछ करना है, मुझे ही करना है. क्योंकि अभी भी उनमें शर्म और झिझक दोनों थीं.
मैं- क्या मैं आपको गले लगा सकता हूँ?
मैंने माहौल को थोड़ा नार्मल बनाने के लिए ये बोला.
कल्पना ने झिझकते हुए कहा- हम्म्म्म..
मैं- कल्पना जी, जब आपने इतना बड़ा कदम उठा लिया है, तो अब झिझकिये मत … और खुल कर लाइफ के मज़े लीजिये.
कल्पना- हम्म..
कल्पना ने मेरी तरफ देखते हुए एक लंबी सांस भरी और सोफे से उठ खड़ी हुईं. मैंने भी कदम बढ़ाते हुए उन्हें गले से लगा लिया और अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए. थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद मैंने धीरे धीरे अपनी गर्दन को नीचे करते हुए उनकी गर्दन तक लेकर आया और गले पर किस करने लगा. फिर उनकी कमर को धीरे धीरे सहलाने लगा. मेरा इतना करना ही हुआ था कि उनकी सांसें तेज़ तेज चलने लगीं और उन्होंने मुझे कसके अपनी बांहों में जकड़ लिया.
कल्पना भाभी की तेज़ सांसें मैं भी अपने गले के आसपास महसूस कर रहा था. उनकी कमर सहलाते हुए मैंने धीरे धीरे अपना एक हाथ उनके टॉप के अन्दर ले जाकर उनकी कमर पर रख दिया. मेरे हाथ के स्पर्श से जैसे उन्हें करंट सा लगा और वो चौंक कर मुझसे और लिपट गईं. मैंने भी मौके का फायदा उठाकर दोनों हाथ उनके टॉप के अन्दर करके उनकी कमर और पीठ को सहलाने लगा. अपनी कमर और पीठ पर मेरे हाथ का स्पर्श पाकर भाभी और बेचैन सा होने लगीं और मुझसे कसके लिपट गईं.
अब मैंने अपना चेहरा उनके गले से हटा कर उनके कान के पास लाकर उनके कान के लौ को चूमने लगा. मेरे दोनों हाथ उनकी पीठ और कमर पर अभी भी अपना काम कर रहे थे, जिसमें उनकी ब्रा का स्ट्रिप थोड़ी रुकावट पैदा कर रहा था. फिर भी मेरे हाथ लगे रहे.
धीरे धीरे भाभी की सांसें वासना भरी सिसकारियों में बदलने लगीं. मैं कभी गले पर, तो कभी गाल पर तो कभी कान की लौ पर किस करने लगा. अभी तक उन्होंने अपना चेहरा मेरे कंधे के पास ही रखा था और मैं उनकी सिसकारियां आराम से सुन पा रहा था.
उनकी मादक सिसकारियां बता रही थीं कि मेरी हरकतें उन्हें अच्छी लग रही हैं. मैं चाहता था कि वो चेहरा सामने लाएं ताकि मैं उन्हें किस कर सकूं, इसलिए मैंने अपनी हरकतें बंद कर दीं और अपना चेहरा सीधा करके रुक गया.
कुछ सेकेंड तक जब मैंने कोई हरकत नहीं की, तब भाभी अपना चेहरा मेरे सामने लाकर मुझे देखने लगीं. मैंने बिना समय गंवाए अपने होंठ उनके गुलाबी होंठों पर रख दिए. पहले तो वो अपने होंठ खोल ही नहीं रही थीं, पर थोड़ी कोशिश करने के बाद उन्होंने अपने होंठ खोल दिये और मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों का किस कब स्मूच में बदल गया, कब हमारी जीभें एक दूसरे के मुँह में आने जाने लगीं, पता ही नहीं चला.
करीब दस मिनट की किसिंग और स्मूच के बाद हम एक दूसरे से अलग हुए. अब भाभी मुझसे नज़र मिलाने में भी शरमा रही थीं. मैंने उन्हें कमर से पकड़ कर बेड पर लिटा दिया और उनके ऊपर आकर उन्हें फिर से किस करने लगा. मैंने इस बात का भी ध्यान रखा कि मेरे शरीर का वजन उन पर न पड़े, इसलिए मैंने अपना ज्यादातर वजन अपने कुहनियों पर ही रखा और उन्हें किस करता रहा. अब वो भी खुल कर मेरा साथ दे रही थीं, पर उनकी आंखें अभी भी स्त्री लज़्ज़ावश बंद थीं. मैंने इसी बात का फायदा उठाकर अपने एक हाथ से भाभी के टॉप के सारे बटन खोल दिए.
उन्होंने गुलाबी कलर का ही ब्रा को पहना था, जो उनके गोरे बदन पर एकदम जंच रही थी. उस नाशुक्री ब्रा ने कल्पना भाभी की चुचियों पर अपना कब्जा जमाया हुआ था.
एहसास तो उनको भी मेरी इस हरकत का हो गया था, पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, तो मैंने भी मौके का फायदा उठाकर अपना एक हाथ उनके उभरे वक्ष पर रख दिया. उनके वक्ष पर हाथ रखते ही मैंने किस करना बंद कर दिया और अपना चेहरा ठीक उनके चेहरे के सामने करके रुक गया.
थोड़ी देर तक जब मैंने कोई हरकत नहीं की, तो उन्होंने अपनी आंखें खोलीं. मेरा चेहरा ठीक अपने चेहरे के सामने पाकर उन्होंने तुरंत ही फिर से आंखों को बंद कर लिया. कुछ सेकेंड बाद उन्होंने फिर से आंखें खोल कर मेरी तरफ ऐसे देखा, जैसे पूछ रही हों कि क्या हुआ, रुक क्यों गए?
शादीशुदा भाभी की कुंवारी चूत चोदने की कहानी के इस भाग को लेकर आपका कोई सुझाव, विचार या शिकायत हो, तो कृपया मुझे मेल करके बताएं.
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कहानी जारी है.
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