स्कूल में चूत में उंगली करना सीखा
(School Me Chut Me Ungli Karna Sikha)
हैलो फ्रेंड्स… मेरा नाम सुरभि है.. मैं राँची की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 18 वर्ष है और मेरा फिगर 34-28-36 का है।
वैसे तो मेरी ब्रा की साइज़ 34 सी है.. पर मैं अपने मम्मों को और आकर्षक दिखाने के लिए कभी-कभी 32 साइज़ की ब्रा भी पहन लेती हूँ.. जिससे मेरे मम्मे उछल कर बाहर आने को बेताब से दिखते हैं मुझे भी तंग ब्रा में ऐसा लगता है कि कोई छिछोरा मेरी चूचियों को मसल रहा है।
मेरी पैन्टी का साइज़ 85 सीएम है.. जो कि मुझे पहनना बिल्कुल पसंद नहीं है।
मैं तो हर वक्त नंगी ही घूमना चाहती हूँ, मैं चाहती हूँ कि आप सब मेरी यह कहानी पढ़ते वक्त अपना-अपना लंड ज़रूर हिलाएं और अपना अमृत-रस मेरी चूत का नाम लेकर ही गिराएँ और लड़कियों से खास अनुरोध है कि वे अपनी उंगली.. डिल्डो.. गाजर.. पेन.. फेविस्टिक.. टूथ-ब्रश का हैंडल या और जो भी वो अपनी प्यारी से चूत में डालना पसन्द करती हैं.. वे इन सब हथियारों को ज़रूर अपनी चूत में डाल लें और तब तक अन्दर-बाहर करती रहें.. जब तक कि वो अपनी चूत का पानी निकालने की कगार तक नहीं पहुँच जातीं।
यहह रसभरी कहानी तब शुरू होती है.. जब में स्कूल में पढ़ती थी। मेरी कुछ फ्रेंड्स थीं.. जो मुझे चुदाई की बातें बता-बता कर मुझे बहुत ही ज्यादा कामोत्तेजित कर देती थीं। हम सारी फ्रेंड्स अक्सर स्कूल के बाथरूम में जा कर एक-दूसरे की चूतों को देखते थे.. एक-दूसरे की चूतों को सहलाते थे.. और चूचियाँ दबाते थे।
उस समय हमारी चूतों में नई-नई झांटें उगना शुरू हुई थीं.. उन्हें सहलाने में बड़ा मजा आता था।
एक दिन मेरी एक फ्रेंड ने हमें ये बताया कि उसने इन्टरनेट पर एक वीडियो देखा जिसमें लड़की चुदाई के मज़े ले रही थी और वो भी अकेले-अकेले…
हम सबके पूछने पर उसने बताया- वो लड़की अपनी स्कर्ट ऊपर करके पैन्टी खोल कर.. अपनी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल रही थी और चूत के ऊपर के भगनासे को रगड़ कर मज़े ले रही थी।
यह बात हम सब सहेलियों के मन में बैठ गई.. और सबने अपने घर जाकर इस क्रिया को करने का फ़ैसला किया।
मैं उस दिन उंगली से चुदाई की बात सोच-सोच कर काफ़ी गरम हो चुकी थी। जब मैं घर पहुँची तो जल्दी से बाथरूम में गई और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी नंगी होकर ज़मीन पर बैठ गई और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
कुछ ही पलों में मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं हवा में उड़ रही होऊँ और अंत में एक मीठी सी ल़हर मेरे पूरे जिस्म में दौड़ गई.. मेरा जिस्म अकड़ने लगा.. और फिर मैं एकदम से निढाल हो गई।
मेरी चूत से पानी बह निकला.. जिसे मैंने उत्तेजनावश चाट लिया। मुझे आज बहुत ही ज्यादा मजा आया था और आज रात को मुझे बहुत ही मीठी नींद भी आई थी।
अब तो इस क्रिया को करना.. मेरा रोज़ का काम बन गया और स्कूल में… क्लास में.. बैठे-बैठे भी हम सब फ्रेंड्स अपनी स्कर्ट के हुक वाली जगह से हाथ अन्दर डाल कर ये काम करने लगे थे। अति-उत्तेजना में कभी-कभी हमारी स्कर्ट्स के हुक खुल जाते थे.. इस वजह से हम सब फ्रेंड्स ने फैसला किया कि हम अपने स्कर्ट की जेबें फाड़ लेंगे.. ताकि क़िसी को शक भी ना हो.. और हाथ भी आसानी से अन्दर चूत में चला जाए।
अब हम स्कूल जाते और पहले पीरियड में ही जगह देख कर अपनी-अपनी पैन्टी उतार कर बैग में रख लेते थे। कभी क्लास में ही.. तो कभी बाथरूम में जाकर.. या कभी बेंच पर बैठे-बैठे ही अपनी चड्डियों को उतार लेते थे। जब कभी इन सब तरह से चड्डी को उतारने का मौका नहीं मिलता था तो खड़े हो कर आधी पैन्टी स्कर्ट के अन्दर ही नीचे को सरका कर चूत को खोल लेते थे।
िहम सारी सहेलियाँ एक-दूसरे की चूतों को भी खूब रगड़ते थे.. इसमें अलग ही मज़ा मिलता था।
मैं अपने घर के कपड़ों को भी चूत वाली जगह से फाड़ लेती थी.. जैसे कि सलवार को फाड़ लेती थी.. चूड़ीदार पजामी को भी फाड़ लेती थी ताकि कभी भी उंगली कर सकूँ और अब तो आलम ये हो गया था कि हम लोग स्कर्ट के अन्दर कभी पैन्टी पहनते ही नहीं थे, ना ही सलवार के अन्दर और ना ही पजामी के अन्दर.. चड्डी से तो मानो हम लोगों की लड़ाई सी हो गई थी।
मैं अपनी चूत रगड़ कर खुश थी.. तभी मुझे ऐसा लगा कि मेरी छोटी बहन.. जो मुझसे 2 साल छोटी थी.. उसे मेरी इस हरकत के बारे में पता लग गया है और वो हमेशा मुझे ये करते हुआ देखने लगी थी।
मेरी बहन की फिगर भी 32-26-34 की ही है.. उसकी ब्रा का साइज़ 32 सी है और पैन्टी 80 सीएम की पहनती है।
उसने एक दिन मुझे रंगे हाथों चूत में ऊँगली करते हुए पकड़ लिया था.. मैं थोड़ा सकपका गई थी.. पर उसने मुझे बड़े ही प्यार से चुम्बन लिया और मुझसे बोली- दी.. मुझे भी सिखाओ न.. मेरी में भी बहुत आग सी लगती है..
बस उस दिन से हम दोनों बहनें आपस में खुल गईं।
दोस्तों अब तो वो भी मेरी तरह ‘उंगली-चुदक्कड़’ बन चुकी है..
मैंने अपनी बहन को उंगली चुदाई कैसे सिखाई और उस के साथ लेस्बो कैसे किया.. वो फ़िर कभी…
मुझे मेल कीजिए !
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