पहला नशा पहला मज़ा-2
(Pahla Nasha Pahla Maja- Part 2)
मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
पहला नशा पहला मज़ा-1
अब तक आपने पढ़ा कि मेरी सहेली नीना और उसकी बड़ी बहन सरिता, दोनों बहनें अपनी जवानी की आग को अपने बाप से चटवा कर या उंगली करवा कर शांत कर लेती थीं. ये मैंने चुपके से उनके घर की खिड़की से झाँक कर देख लिया था. मैंने भी उनके बाप से अपनी हवस मिटाने की प्लानिंग की.
अब आगे:
मैं नीना के घर गई और उसके बाप से इंगलिश पढ़ने की बात कही, तो वह मुझे सोफ़ा पर बिठाकर नीना से बोला- बेटी तुम्हारी सहेली को पढ़ा दूँ, तुम अन्दर जाओ.
यह तो उसने मेरे मन की बात कह दी थी.
नीना कमरे से चली गई, तो उसकी आंखें मेरी चूचियों पर टिक गईं, जिससे मुझे उम्मीद हो गई. नीना के जाने के बाद वह मेरे सामने बैठकर मेरी चूचियों को घूरते हुए बोला- निकालो क्या पढ़ोगी?
उसकी बात पर मैंने बुक उसके सामने करके अपनी रानों को फैलाकर कहा- अंकल इसका ट्रांसलेशन करवा दीजिए.
वो- हां लिखो.
वह फ़ौरन शुरू हो गया. उसने पास आ धीरे से मेरे बदन को छुआ तो बिजली दौड़ गई. मेरी फ्रॉक में चूचियां तेजी से उठने बैठने लगीं.
तभी उसने अपना बांया हाथ मेरी बुक देखने के बहाने मेरी रान पर रख मुझे पागल ही कर दिया. वह मुझे पढ़ाते हुए मेरी रान को सहलाने लगा.
मुझको मज़ा आया, तो मैं उसे लिफ्ट देने के लिए अपनी चूचियों को उभार देते हुए उसकी तरफ ललचाई और मदभरी आंखों से उसकी ओर देख कर बोली- ओह्ह अंकल . … मुझे तो आज न जाने क्यों बड़ी थकान सी महसूस हो रही है.
मेरी बात सुन वह चालाक तुरंत समझ गया और मेरे गाल पर हाथ फेर कर बोला- ठीक है तुम थोड़ा आराम कर लो.
“पता नहीं क्यों अंकल … मेरा बदन टूट सा रहा है.”
“कोई बात नहीं बेटी, तुम सयानी हो गई हो न, ऐसा होता है … तुम सीधी लेट जाओ, तो मैं तुम्हारा बदन दबा दूंगा.”
मैं तो मज़ा लेने के लिए ही आई थी. अपनी ओर से ग्रीन सिगनल दिखाती हुई मैं फ़ौरन अपना हाथ चूत पर ले गई और अपनी पेंटी से ही चुत को खुजलाते हुए उसको देखने लगी. मैंने कहा- अंकल दरवाज़ा बंद करके दबाओगे न?
वह मेरे अन्दर की बेचैनी को समझ गया. उसने तुरंत ही एक थपकी मेरी चूचियों पर दे दी और मुझे मज़े से अपनी बांहों में भरकर कहा- अपने अंकल से क्यों शरमाती हो … तुम बड़ी हो गई हो, खूब दबवाकर मज़ा लिया करो.
चूचियां दबाने का इशारा करके तो उसने मुझे एकदम से बौखला दिया था. उसको फंसाने के लिए मुझे ज्यादा कोशिश ही नहीं पड़ी. चूचियों पर हाथ लगा, तो मैं एकदम से तड़फ गई.
उसने उठकर दरवाजा बंद किया और वापस आ गया.
मैं शर्म भूलकर दोनों चूचियों पर हाथ रखकर बोली- अंकल धीरे से दबाइएगा, मुझे दर्द होगा.
यह तो उस लौंडियाबाज के लिए मेरी ओर से खुला इशारा था. वह मज़े से भर मेरे गालों को अपने हाथ में ले कर बोला- हाय, तुम कितनी खूबसूरत हो. मज़ा आएगा दबवाने में.
इस पर मैं उसके साथ मज़ा लेने को बेकरार हो गई और बोली- अंकल किसी को पता लग गया तो?
“कैसे पता लगेगा. हाथ हटाओ, देखो मसलवाने में कितना मज़ा आता है. अभी तो तुम ठीक से खिली भी नहीं हो.”
उसने मेरे गालों से हाथ को सरकाकर मेरी फ्रॉक के दोनों उभारों पर लाकर जो मेरे मम्मों को दबाया, तो मैं अपना सब कुछ भूलकर पीठ को सोफ़ा से टिकाकर चुपचप चूची दबवाने लगी. मुझे ऐसा लगा जैसे उसको अपनी बेटी नीना की चूचियों से ज्यादा मज़ा मेरी चूचियों को मसलने में आ रहा हो.
मम्मे दबवाते ही मुझे नशा सा हो गया. उसने मेरे दोनों मम्मों को 10-15 बार मसला, फ़िर मेरे गाल पर हाथ फेर कर मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच ले दबा-दबाकर चूसने लगा.
मैं मस्त हो गई और अपनी कुंवारी चूत को रानों के बीच में दबा सोफ़ा पर से चूतड़ों को उछालने लगी.
उससे अपने होंठों को चुसवाने में गज़ब का मज़ा आ रहा था. वह पक्का खिलाड़ी था. नये माल को दीवाना बनाना उसे खूब आता था. मैं चुप थी … अपने होंठ चुसवाने से मेरी चूत की खुजली तेज़ हो गई. तभी उसने मेरे होंठों अलगकर मेरी दोनों चूचियां पकड़ीं और मेरी तनी तनी सी घुंडियों को जो मसला, तो मैं उसकी लड़कियों की तरह बेशर्म बनने को मजबूर हो गई.
मैं अध-खुली आंखों से उसे देखते बोली- हाय अंकल मज़ा आ रहा है.
“तुम्हारी घुंडी छोटी हैं … नहीं तो तुमको और भी मज़ा आता. मेरी नीना तुम्हारी उम्र की है. उसके निप्पल देख, कितने बड़े हैं.”
“ऊह अंकल मेरे निप्पल छोटे क्यों हैं?” “तुम मज़ा जो नहीं लेती हो न. किसी को पता नहीं चलेगा, तुम दिल खोलकर मज़ा लो.”
“अंकल बहुत मज़ा आ रहा है.”
“अभी तो कुछ नहीं … बात मानोगी तो बहुत मजा आएगा.”
वो निप्पल को चुटकी से मसलते हुए मुझे पागल करने लगा.
कुछ देर बाद वह पीछे को हुआ और मेरी दोनों गोरी गोरी रानों को हाथों में अलग अलग पकड़ कर झटके के चिपकी हुई रानों को खोलकर मुझे आगे को खींचा, तो मैं हांफती सी सोफ़ा पर चित्त हो गई.
उसने अपने सीने को मेरी कमर पर रखा और आगे की ओर झुक कर मेरी लेफ्ट चूची को मुँह में लेकर राईट चूची को हाथ से दबा दबा कर जो निप्पल चूसना शुरू किया, तो मैं मस्त हो गई.
उसके मुँह पर चूचियां दबवाते हुए मैं बोली- हाय अंकल बहुत मज़ा आ रहा है.
शायद मेरी ताज़ी चूचियां पीने से उसको भी नया मज़ा मिल रहा था. अब मैं भी सरिता और नीना की तरह नंगी होकर मज़ा लेने के लिए तड़फ उठी. चूचियों को मुँह से पीकर तो उसने मुझे मस्त कर दिया था.
मैं दूसरी चूची को उसके मुँह में ठेलकर बोली- और पीजिये न अंकल.
दूसरी चूची को उसने 8-10 बार ही चूसा, फ़िर पीछे हो मेरी केले के खम्बे सी चिकनी रानों को चीर दिया. मेरी फ्रॉक को पेट पर रख कर मेरी चिकनी रानों को सहलाते हुए जन्नत का नजारा करके बोला- हाय तुम्हारी जाघें तो नीना से ज्यादा मज़ा दे रही हैं. अपने पैर ऐसे ही फैलाए रहना.
“जी अंकल.”
फ़िर तो मेरे मज़े को पंख लग गए. उसने अपने मुँह को दोनों सुरसुराती हुई टांगों के बीच में रख दिया. अपने हाथों को ऊपर करके फ्रॉक के अन्दर से मस्त होकर जवानी की बहार में डूबी मेरी दोनों नंगी चूचियों को पकड़ लिया. मेरी चूचियों को दबाते हुए उसने जो अपनी जीभ को मेरी पेंटी के ऊपर चलाया, तो मैं फ़ौरन ही अपने आप अपनी चड्डी को हाथों से खिसका कर उसको अपनी गोरी गोरी मक्खन सी गुलाबी चूत चटवाने लगी.
उसकी जीभ मेरी चूत पर सांप सी चल रही थी. उससे नंगी चूत चटवाते हुए और चूचियां मसलवाने में गज़ब का मज़ा आ रहा था. मेरी रानें मेंढक की तरह फैली हुई थीं. अब मुझे मेरी पसंद का मज़ा मिल रहा था. वह मेरी चूत के टाईट होल में टंग फ़क कर रहा था.
मैं ‘ऊह्ह आआह्हह …’ करते हुए नीचे से चूतड़ों को उछाल उछाल कर ‘हाय अंकल आह …’ कर रही थी.
वह बीच बीच में चूत को चाटते हुए रुकता, मेरी चिकनी गुलाबी चूत को प्यार से देखता और फ़िर जीभ से चाटते हुए मुझे मज़े के सागर में डुबोने लगता.
मेरी चूत गोरी थी, इसलिए वह बड़े प्यार से चाट रहा था. जो मज़ा मुझे उन तीनों के सेक्स को देखकर आया था, उससे कई गुना ज्यादा मज़ा मुझे अब आ रहा था. नई चूत चाटकर उसका चेहरा भी दमक उठा था.
अब हम दोनों की शर्म और झिझक खत्म हो गई थी. अंकल के पास सचमुच इंग्लिश की अच्छी पढ़ाई हो रही थी.
जब मेरी चूत की फांकों पर चलते हुए उसकी जीभ अन्दर तक जाती, तो मेरा पूरा बदन झनझना उठता. मेरी कमसिन चूत पर हल्के सुनहले से रेशमी बाल थे. चूत चड्डी के बाहर थी.
वह दस मिनट तक कच्चे आम सी मेरी चूत को चाटता रहा … और मेरी अमरूद सी चूचियां दबाता रहा. मैं भी बिना लाज शर्म के मज़ा लेती रही.
मेरा मज़ा कम होने के बजाये बढ़ता ही जा रहा था. मैंने जो हाथ से चूत को फैलाया, तो वह खुश होकर जीभ को चूत में घुसेड़ने लगा.
मैं कसमसाकर बोली- हाय अंकल खूब मज़ा आ रहा है.”
“खूब मज़ा लो.”
वो मेरी मक्खन सी चूत को और जोर से टंग फ़क करने लगा.
अब तो मेरा मन सोफ़े से उठने को नहीं हो रहा था. बदन के कपड़े बोझ लग रहे थे. मैं बेकरारी के साथ बोली- अंकल नंगी करके दीदी की तरह …
यह सुन वह ज़रा चौंका, पर मेरे जैसे ताज़े माल में वो इतना मगन था कि उसकी कुछ समझ ही नहीं पाया. मैं अपने हाथ से चूत फैलाए उसकी जीभ से चुद रही थी. अब तो मेरा मन भी लंड से चुदवाने को तड़फ उठा था.
तभी उसने चूत से जीभ हटाई और मेरे होंठ चूमकर बोला- तुम्हारी चूत तो मक्खन है … बड़ी टेस्टी है.
“हाय अंकल हमको भी….”
“क्या? बोलो बेटी शरमाओ नहीं.”
“किसी लंड से मुझको भी चुदवा दीजिए.” ये कह कर मैं उठकर बैठ गई.
वह झड़ने की बजाए और ललचा गया. मेरा बदन दहक रहा था और चेहरा खिल गया था. वो समझ गया कि मैं भी उसकी लड़कियों की तरह मज़ा पाकर बहक गई हूँ.
अश्लील मुसकान के साथ मेरी फांक को मसलते हुए वो बोला- चुदवा देंगे, पूरा मज़ा दिलवाएंगे, पर पहले चुदवाने लायक तो हो जाओ. मेरी दोनों लड़कियां चुदवा सकती हैं.
“ऊह अंकल जल्दी से मुझे भी चुदवाने लायक कीजिये ना. मैं भी नीना के बराबर की हूँ.”
“जल्दी ही बड़ी कर दूंगा … नंगी हो जाओ एकदम.”
यह कह कर वह उठा और बाहर जाने लगा. तो मैं घबराकर बोली- अंकल नंगी तो हो रही हूँ.
“तुम कपड़े उतारो, मैं ज़रा नीना को बुला लाऊं.”
“नहीं अंकल हाय … उसको मत लाओ.”
“नीना रहेगी, तो तुमको ज्यादा मज़ा आएगा. तुम उससे आपस में मज़ा लोगी तो तुम जल्दी बड़ी हो जाओगी. वह तो तुम्हारी सहेली है. तुम जल्दी से नंगी हो, मैं उसे अभी लेकर आता हूँ.”
मैं तो पहले ही यह सब दख चुकी थी. मैं आने वाले मज़े को सोच बिना झिझक के पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई. मेरी मसली गई चूचियां और चाटी गई चूत बहुत खूबसूरत लग रही थी. अब मुझे यकीन था कि वो नीना की तरह खुलकर मुझे भी मज़ा देगा.
तभी वह नीना के साथ वापस आ गया. नीना मुझे नंगी देख कर मुस्कुराती हुई पास आई और बोली- हाय इतना शरमा क्यों रही हो? मेरे पापा बहुत अच्छे हैं. हम दोनों बहनों को खूब मज़ा देते हैं. अब हम तुम आपस में प्यार करेंगे तो तुमको भी खूब मज़ा आएगा.
जब नीना ने मेरी पीठ पर हाथ फेर कर कहा, तो मेरा मन उमंग से भर गया. तभी उसका बाप मेरी कमर में हाथ डालकर मेरी चूची को चाटते हुए बोला- हाय नीना, देखो इसकी चूची कितनी गोरी गोरी हैं.
इस पर नीना मेरे आगे बैठकर मेरी चूत को चूमकर बोली- हां पापा, चूत भी अच्छी है.
“चाटो बेटी अपनी सहेली की बुर, अब जो मर्द आएगा, उसको तुम दोनों की काली और इसकी गोरी चूत चोदने में खूब मज़ा आएगा.”
फ़िर वह मेरी चूचियां चूसते हुए अपनी लड़की से मेरी चूत चटवाने लगा. मैं इस सब में मस्त थी.
कुछ देर बाद वह मेरे पीछे आया … और अपने मरियल से लंड को मेरी गांड से लगा कर मेरी दोनों चूचियों को मसलने लगा. मैं इस मज़े को पाकर जवान हो गई थी.
तभी नीना बोली- ओह्ह पापा बहुत टेस्टी है इसकी चूत … ओह्ह पापा आप भी चाटो ना.
उसकी बात सुन कर वो भी नीचे बैठ गया और मेरी चूत में जीभ डाल कर फिर से मेरी चूत को टंग फक करने लगा. तभी नीना मेरे पीछे जाकर मेरी गांड का छेद चाटने लगी. मैं हवा में उड़ रही थी.
कुछ देर बाद वह अपनी उंगली से मेरी चूत चोदने लगा, तो मुझे नया मज़ा मिला.
उसने 60-70 बार फिंगर फ़क किया था कि मैं अपनी जवानी का पहला कुंवारा पानी बहाने लगी, जिसे दोनों बाप-बेटी फ़ौरन जीभ से चाटने लगे.
दोनों ने मेरी कोरी चूत के कोरे पानी की एक एक बूंद को पी लिया. वे दोनों अभी मेरा रस चाट ही रहे थे कि बड़ी वाली सरिता भी रूम में आ गई. उसके आने से मुझे ज़रा सी भी शरम नहीं आई.
जब उन दोनों ने मुझे छोड़ा, तो सरिता पास आ मेरी चूचियां पकड़ कर बोली- मज़ा आया?
“हां दीदी.”
“अगर रात में पापा कोई लड़का लाए, तो तुम भी ऊपर आ जाना, तुम्हारी भी तेल लगवाकर चुदवा देंगे.”
मैं इसके बाद कपड़े पहनकर नीचे आ गई.
बहुत दिनों तक अंकल कोई लड़का नहीं ला पाए, तो मैंने सोचा कि क्यों ना अपने बड़े भाई को ही फंसा लिया जाए. वैसे भी बाहर का लड़का होगा, तो बदनामी का डर है. ये सोचकर मैं अपने भाई के चक्कर में पड़ गई और भगवान ने मेरी सुन भी ली. मुझे चूत चुदाई करने एक मौका मिल ही गया. मुझे भाई को फंसाने का और उनसे चूत चुदवाने का मस्त मजा मिला था. वो चुदाई की कहानी आपके मेल मिलने के बाद लिखूंगी.
नमस्ते
मैं बस आपकी ही रेखा.
मुझे याद करके एक बार लंड जरूर सहला लेना. मुझे ख़ुशी होगी.
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